* बांग्लादेश कब तक पाकिस्तान का हिस्सा था? - * baanglaadesh kab tak paakistaan ka hissa tha?

बांग्लादेश जो की भारत का पूर्व में स्थित भारत का एक पड़ोसी देश है जो की 1947 के विभाजन से पुर्व भारत का ही एक हिस्सा था, 40 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी होने के कारण यह भी विभाजन के बाद पकिस्तान के अधीन हो गया।

जो की 24 वर्षो तक पकिस्तान के ही अधीन था जिसके बाद बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के परिणामस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश के रूप में अलग कर दिया गया।



बांग्लादेश कब आजाद हुआ? “Bangladesh Kab Azad Hua?”

26 मार्च 1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के परिणामस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश के रूप में अलग कर दिया गया। पाकिस्तान (पूर्व में पश्चिमी पाकिस्तान) ने 1974 में दुनिया भर के दबाव के बाद बांग्लादेश को मान्यता दी थी।

बांग्लादेश और पाकिस्तान के इस युद्व में  बांग्लादेश को आजादी दिलाने और बांग्लादेश सेनिको को पाकिस्तानी सेना के शासकों के निरंतर उत्पीड़न से बचाने के भारत ने बांग्लादेश का साथ दिया। जिसके परिणाम स्वरूप शेख मुजीबुर्रहमान के नेतित्व और भारत के सहयोग से 26 मार्च 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की गयी।

 स्वतंत्रता हेतु बांग्लादेश और पाकिस्तान का यह युद्ध के नौ-महीने तक चला जिसमे आकड़ो के आधार पर पाकिस्तानी सेना को 3 मिलियन मानव जीवन की हानि इस गृहयुद्ध के दौरान हुई थी, लेकिन अंत में 16 दिसम्बर को एक ही वर्ष के अंतर्गत जीत हासिल की गयी, जो कि बंगलादेश में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसी दिन 16 दिसंबर 1972 बांग्लादेश का संविधान लागू किया गया।



इस आजादी हासिल करने मई जो नाम सामने आता है  शेख मुजीबुर्रहमान जो की स्वतंत्रत बांग्लादेश के पहले राष्ट्पति और उसके बाद प्रधानमंत्री भी बने। इन्हें बांग्लादेश की इस स्वतंत्रा में होने और नेतित्व करने के लिए ‘बंगबन्धु’ की पदवी से भी सम्मानित किया गया, यह ‘बंगबन्धु’ के साथ-साथ ‘शेख मुजीब’ के नाम से भी प्रसिद्ध थे लेकिन कुछ समय बाद ही 15 अगस्त 1975 को सैनिक तख्तापलट के द्वारा उनकी हत्या कर दी गयी, लेकिन आज भी बांग्लादेश में उन्हें बंगबन्धु के नाम से याद किया जाता है।

आजाद बांग्लादेश “Azad Bangladesh”

वर्तमान समय में आजादी के बाद बांग्लादेश का क्षेत्रफल 147,570 वर्ग किलोमीटर है जो की क्षेत्रफल के आधार पर  दुनिया का 92 वॉ सबसे बड़ा देश है। 147,570 वर्ग किलोमीटर में फैला यह देश 8 राज्यों में विभाजित है, बांग्लादेश की राजधानी ढाका है जो की देश का सबसे बड़ा शहर भी है,  बांग्लादेश में 90 % लोग इस्लाम धर्म से संबंध रखते हैं जिस कारण यह एक  मुस्लिम राष्ट्र है।

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1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुई इस जंग में भारत ने कई कूटनीतिक आयाम भी तय किए। इनकी मदद से भारत ने सिर्फ पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान के जुल्म से आजाद ही नहीं कराया, बल्कि दुनिया से अपने फैसलों की धाक भी मनवाई। दिसंबर 1971 में पाकिस्तान से युद्ध शुरू होने से पहले दोनों देशों के बीच शीत युद्ध जारी था। उस दौरान अक्टूबर-नवंबर के महीने में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यूरोप व अमेरिका का दौरा किया था। साथ ही, दुनिया के सामने भारत के नजरिए को पेश किया। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि उस दौर में अमेरिका पाकिस्तान का समर्थन करके चीन से अपने रिश्ते सुधारना चाहता था। इस वजह से उसने भारत की बात सुनने से साफ इनकार कर दिया। ऐसे में भारत ने सोवियत संघ से सहयोग संधि की, जिसका फायदा उसे 1971 की जंग में बखूबी मिला। दरअसल, भारत-पाक युद्ध के दौरान एक वक्त पर अमेरिका पाकिस्तान की मदद के लिए आगे आ गया था। उसने जापान के करीब तैनात अपने नौसेना के सातवें बेड़े को पाकिस्तान की मदद के लिए बंगाल की खाड़ी की ओर भेज दिया था। ऐसे में रूस ने भारत की मदद के लिए परमाणु क्षमता से लैस अपनी पनडुब्बी और विध्वंसक जहाजों को प्रशांत महासागर से हिंद महासागर की ओर भेज दिया। ऐसे में अमेरिकी सेना पाकिस्तान की मदद के लिए नहीं पहुंच सकीं और 1971 की जंग का परिणाम भारत के पक्ष में आ गया। 

1971 का साल भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के इतिहास में काफी अहमयित रखता है। उसी साल भारत ने पाकिस्तान को वह जख्म दिया था, जिसकी टीस पाकिस्तान को हमेशा महसूस होती रहेगी। बांग्लादेश की बात करें तो यह वही साल था, जब दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश के रूप में उभरा। 1971 के उस इतिहास बदलने वाले युद्ध की शुरुआत 3 दिसंबर, 1971 को हुई थी। आइए आज हम पाकिस्तान के दो टुकड़े और बांग्लादेश के अस्तित्व में आने की पूरी कहानी जानते हैं...

शेक मुजीबुर रहमान का संघर्ष
शेख मुजीबुर रहमान पूर्वी पाकिस्तान की स्वायत्ता के लिए शुरू से संघर्ष कर रहे थे। उन्होंने इसके लिए छह सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की थी। इन सब बातों से वह पाकिस्तानी शासन की आंख की किरकिरी बन चुके थे। साथ ही कुछ अन्य बंगाली नेता भी पाकिस्तान के निशाने पर था। उनके दमन के लिए और बगावत की आवाज को हमेशा से दबाने के मकसद से शेख मुजीबुर रहमान और अन्य बंगाली नेताओं पर अलगाववादी आंदोलन के लिए मुकदमा चलाया गया। लेकिन पाकिस्तान की यह चाल खुद उस पर भारी पड़ गई। मुजीबुर रहमान इससे पूर्वी पाकिस्तान के लोगों की नजर में हीरो बन गए। इससे पाकिस्तान बैकफुट पर आ गया और मुजीबुर रहमान के खिलाफ षडयंत्र के केस को वापस ले लिया।

पाकिस्तान में 1970 का चुनाव
पाकिस्तान में 1970 का चुनाव बांग्लादेश के अस्तित्व के लिए काफी अहम साबित हुआ। इस चुनाव में मुजीबुर रहमान की पार्टी पूर्वी पाकिस्तानी अवामी लीग ने जबर्दस्त जीत हासिल की। पूर्वी पाकिस्तान की 169 से 167 सीट मुजीब की पार्टी को मिली। 313 सीटों वाली पाकिस्तानी संसद में मुजीब के पास सरकार बनाने के लिए जबर्दस्त बहुमत था। लेकिन पाकिस्तान को कंट्रोल कर रहे पश्चिमी पाकिस्तान के लीडरों और सैन्य शासन को यह गवारा नहीं हुआ कि मुजीब पाकिस्तान पर शासन करें। मुजीब के साथ इस धोखे से पूर्वी पाकिस्तान में बगावत की आग तेज हो गई। लोग सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने लगे। पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान ने पूर्वी पाकिस्तान में विद्रोह को कुचलने के लिए सेना को बुला लिया।

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पाक सेना का अत्याचार
पूर्वी पाकिस्तान में आजादी का आंदोलन दिन ब दिन तेज होता जा रहा था। पाकिस्तान की सेना ने आंदोलन को दबाने के लिए अत्याचार का सहारा लिया। मार्च 1971 में पाकिस्तानी सेना ने क्रूरतापूर्वक अभियान शुरू किया। पूर्वी बंगाल में बड़े पैमाने पर अत्याचार किए गए। हत्या और रेप की इंतहा हो गई। मुजीब को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी और टॉर्चर से बचने के लिए बड़ी संख्या में अवामी लीग के सदस्य भागकर भारत आ गए। शुरू में पाकिस्तानी सेना की चार इन्फैंट्री ब्रिगेड अभियान में शामिल थी लेकिन बाद में उसकी संख्या बढ़ती चली गई। भारत में शरणार्थी संकट बढ़ने लगा। एक साल से भी कम समय के अंदर बांग्लादेश से करीब 1 करोड़ शरणार्थियों ने भागकर भारत के पश्चिम बंगाल में शरण ली। इससे भारत पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया।

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भारत का हस्तक्षेप
माना जाता है कि मार्च 1971 के अंत में भारत सरकार ने मुक्तिवाहिनी की मदद करने का फैसला लिया। मुक्तिवाहिनी दरअसल पाकिस्तान से बांग्लादेश को आजाद कराने वाली पूर्वी पाकिस्तान की सेना थी। मुक्तिवाहिनी में पूर्वी पाकिस्तान के सैनिक और हजारों नागरिक शामिल थे। 31 मार्च, 1971 को इंदिरा गांधी ने भारतीय सांसद में भाषण देते हुए पूर्वी बंगाल के लोगों की मदद की बात कही थी। 29 जुलाई, 1971 को भारतीय सांसद में सार्वजनिक रूप से पूर्वी बंगाल के लड़कों की मदद करने की घोषणा की गई। भारतीय सेना ने अपनी तरफ से तैयारी शुरू कर दी। इस तैयारी में मुक्तिवाहिनी के लड़ाकों को प्रशिक्षण देना भी शामिल था।

अक्टूबर-नवंबर, 1971 के महीने में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके सलाहकारों ने यूरोप और अमेरिका का दौरा किया। उन्होंने दुनिया के लीडरों के सामने भरत के नजरिये को रखा। लेकिन इंदिरा गांधी और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के बीच बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। निक्सन ने मुजीबुर रहमान की रिहाई के लिए कुछ भी करने से हाथ खड़ा कर दिया। निक्सन चाहते थे कि पश्चिमी पाकिस्तान की सैन्य सरकार को दो साल का समय दिया जाए। दूसरी ओर इंदिरा गांधी का कहना था कि पाकिस्तान में स्थिति विस्फोटक है। यह स्थिति तब तक सही नहीं हो सकती है जब तक मुजीब को रिहा न किया जाए और पूर्वी पाकिस्तान के निर्वाचित नेताओं से बातचीत न शुरू की जाए। उन्होंने निक्सन से यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान ने सीमा पार (भारत में) उकसावे की कार्रवाई जारी रखी तो भारत बदले कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा।

भारत पर हमला और युद्ध की शुरुआत
पूर्वी पाकिस्तान संकट विस्फोटक स्थिति तक पहुंच गया। पश्चिमी पाकिस्तान में बड़े-बड़े मार्च हुए और भारत के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की मांग की गई। दूसरी तरफ भारतीय सैनिक पूर्वी पाकिस्तान की सीमा पर चौकसी बरते हुए थे। 23 नवंबर, 1971 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति याह्या खान ने पाकिस्तानियों से युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा। 3 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की वायु सेना ने भारत पर हमला कर दिया। भारत के अमृतसर और आगरा समेत कई शहरों को निशाना बनाया। इसके साथ ही 1971 के भारत-पाक युद्ध की शुरुआत हो गई। 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की सेना के आत्मसमर्पण और बांग्लादेश के जन्म के साथ युद्ध का समापन हुआ।

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बांग्लादेश कब से कब तक पाकिस्तान का हिस्सा था?

Detailed Solution. सही उत्तर 1947; 1971 है। बांग्लादेश (पूर्वी-पाकिस्तान) 1947 से 1971 तक पाकिस्तान का हिस्सा था

बांग्लादेश और पाकिस्तान कब अलग हुए?

बांग्लादेश भारत से क्यों अलग हुआ? बांग्लादेश, पहले पूर्वी पाकिस्तान था, जो पश्चिमी पाकिस्तान के साथ १४ अगस्त १९४७ को पाकिस्तान के रूप में, दो राष्ट्र-सिद्धांत के अनुसार, साम्प्रदायिक आधार पर भारत से अलग हो गया था। बाद में १६ दिसंबर १९७१ को यह बांग्लादेश के रूप में, पाकिस्तान से अलग हुआ।