Bangal Ka Antim Hindu Shashak Kaun ThaPradeep Chawla on 19-10-2018 Show
लक्ष्मण सेन सम्बन्धित प्रश्ननील कृषकों की दुर्दशा पर लिखी गई पुस्तक Comments Mubarak sha on 30-03-2022 Mubarak sha Rohit Patil on 29-10-2021 मिर्ज़ा सिरोजोदुला Anita halkar on 29-09-2021 Lashman sen Khalifa Rajak on 24-08-2021 Lakshman shen मीर कासिम on 18-09-2020 बंगाल का अंतिम शासक कौन था बंगाल का अंतिम हिन्दू शासक कौन था on 23-12-2019 बंगाल का अंतिम हिन्दू शासक कौन था Bangal ka antim hindu sasak kon tha on 11-06-2019 Bagal ka antim hindu sasak kon tha
बंगाल में सबसे पुरानी शहरी बस्तियों में से एक, महास्तंगढ़ में शहर की दीवार के अवशेष, भारत के प्रागैतिहासिक काल के इतिहास में भी बंगाल का विशिष्ट स्थान है। सिकंदर के आक्रमण के समय बंगाल में गंगारिदयी नाम का साम्राज्य था। गुप्त तथा मौर्य सम्राटों का बंगाल पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। बाद में शशांक बंगाल नरेश बना। कहा जाता है कि उसने सातवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में उत्तर-पूर्वी भारत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके बाद गोपाल ने सत्ता संभाली और पाल राजवंश की स्थापना की। पालों ने विशाल साम्राज्य खड़ा किया और चार शताब्दियों तक राज्य किया। पाल राजाओं के बाद बंगाल पर सेन राजवंश का अधिकार हुआ, जिसे दिल्ली के मुस्लिम शासकों ने परास्त किया। सोलहवीं शताब्दी में मुगलकाल के प्रारंभ से पहले बंगाल पर अनेक मुस्लमान राजाओं और सुल्तानों ने शासन किया। मुगलों के पश्चात् आधुनिक बंगाल का इतिहास यूरोपीय तथा अंग्रेजी व्यापारिक कंपनियों के आगमन से आरंभ होता है। सन् 1757 में प्लासी के युद्ध ने इतिहास की धारा को मोड़ दिया जब अंग्रेजों ने पहले-पहल बंगाल और भारत में अपने पांव जमाए। सन् 1905 में राजनीतिक लाभ के लिए अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन कर दिया लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व में लोगों के बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए 1911 में बंगाल को फिर से एक कर दिया गया। इससे स्वतंत्रता आंदोलन की ज्वाला और तेजी से भड़क उठी, जिसका पटाक्षेप 1947 में देश की आजादी और विभाजन के साथ हुआ। 1947 के बाद देशी रियासतों के विलय का काम शुरू हुआ और राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की सिफारिशों के अनुसार पड़ोसी राज्यों के कुछ बांग्लाभाषी क्षेत्रों को भी पश्चिम बंगाल में मिला दिया गया। अनुक्रम
बंगाल के स्वाधीन बौद्ध व हिन्दू राजा[संपादित करें]पाल वंश[संपादित करें]
सेन बंश[संपादित करें]
बंगाल के स्वाधीन सुल्तान[संपादित करें]इलियास वंश (प्रथम पर्व)[संपादित करें]
बायाजिद बंश[संपादित करें]
गणेश बंश[संपादित करें]
इलियास वंश (द्बितीय पर्व)[संपादित करें]
हाबसि बंश[संपादित करें]
हुसेन बंश[संपादित करें]
उत्तर भारत के शूरी राजाओं के अधीन बंगाल[संपादित करें]शूर बंश[संपादित करें]
बंगाल के स्वाधीन सुलतान[संपादित करें]
कररानि बंश[संपादित करें]
बंगाल के मुगल शासक[संपादित करें]बंगाल के मुगल सूबेदार[संपादित करें]सूबेदार मुग़ल शासक के द्वारा नियुक्त किया गया प्रशासनिक अधिकारी होता था जो प्रायः राजघराने से सम्बंधित होता था और वह प्रायः दिल्ली में रहता था। दीवानी (राजस्व ) सम्बन्धी कार्य मुग़ल शासक द्वारा नियुक्त किया गया दीवान देखता था जो सूबेदार कि अनुपस्थिति में प्रशासनिक कार्य भी देखता था। १७०० ई. में औरंगजेब ने मुर्शीद्कुली खां को बंगाल का दीवान नियुक्त किया गया ,जो १७०७ ई.में औरंगजेब कि मृत्यु के बाद बंगाल का पहला नबाव बना। अतः यही से बंगाल में वंशानुगत शासन कि शुरुआत हुयी जो २३ जून १७५७ ई. को समाप्त हुयी और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का बंगाल पर अधिकार हुआ। बंगाल के नबाब[संपादित करें]बंगाल के नबाब[संपादित करें]
ब्रिटिश काल के नवाब[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
बंगाल का अंतिम हिंदू राजा कौन था?मंसूर अली खान बंगाल के अंतिम नवाब थे जिन्होंने 1838 से 1881 तक शासन किया था। उनके बाद उनके सबसे बड़े बेटे हसन अली मिर्ज़ा उत्तराधिकारी बने जो मुर्शिदाबाद के पहले नवाब थे। उन्होंने 1881-1906 तक शासन किया।
भारत का पहला हिन्दू शासक कौन था?हेमू उर्फ़ हेमचन्द्र, हेमू विक्रमादित्य अथवा हेमचंद्र विक्रमादित्य (निधन: 5 नवम्बर 1556) हिन्दू कमाण्डर थे जो पहले एक सामान्य रूप में सेवा के मुख्यमंत्री के आदिल शाह सूरी के सूरी वंश में एक अवधि के दौरान भारतीय इतिहास जब मुगल और अफगान पूरे उत्तर भारत में सत्ता के लिए होड़ में थे।
दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाला प्रथम हिंदू शासक कौन था?मुहम्मद ग़ौरी का गुलाम क़ुतुबुद्दीन ऐबक, गुलाम वंश का पहला सुल्तान था। ऐबक का साम्राज्य पूरे उत्तर भारत तक फैला था।
बंगाल का सबसे शक्तिशाली शासक कौन था?बंगाल का सबसे शक्तिशाली शासक कौन था? मुर्शिद कुली खान, अलीवर्दी खान और सिराजुद्दौला ये तीनों ही सबसे अधिक शक्तिशाली शासक थे।
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