बच्चे की नाभि कैसे ठीक करें - bachche kee naabhi kaise theek karen

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शिशु की सेहत से जुड़ी है नाभि? ऐसे करें बेली-बटन की सफाई

बच्चे की नाभि कैसे ठीक करें - bachche kee naabhi kaise theek karen

शिशु की नाभि की सफाई करने का सही तरीका जानें (फोटो साभार: pexels/Subham Majumder)

How To Clean Newborn Navel: देखभाल के अभाव में शिशुओं की नाभि में सूजन आ सकती है और पानी भी भर सकता है. आइए जानते हैं श ...अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : December 04, 2020, 11:03 IST

    How To Clean Newborn Navel:  नवजात शिशुओं के बेली बटन यानी कि नाभि उनके शरीर के बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील हिस्सा होती है. यही वजह है कि नवजात शिशुओं की नाभि को अतिरिक्त देखभाल की आवशयकता होती है. देखभाल के अभाव में शिशुओं की नाभि में सूजन आ सकती है और पानी भी भर सकता है. बच्चा जब गर्भ में रहता है तो उसे अम्बिलिकल कॉर्ड (umbilical cord) यानी कि गर्भनाल/ नाभि के ज़रिये पोषण मिलता है. आइए जानते हैं शिशु की नाभि की देखभाल किस तरह करनी चाहिए...

    बच्चों की नाभि की सफाई करें ऐसे:

    -नवजात शिशु की नाभि की सफाई करने के लिए रुई के फाहे में हल्का सा सरसों का तेल लगाएं. बेहद हलके हाथों से इससे बेबी बटन को साफ करें. प्रयास करें कि बेली बटन सूखा ही रहे.

    इसे भी पढ़ें: शिशु के जन्म के पहले साल तक ऐसे करें उसकी देखभाल, जानें टिप्स

    -अगर नवजात शिशु की कॉर्ड गाली हो जाए तो साफ कॉटन के कपड़े से थपथपा कर पानी को सुखाएं. शिशु को डायपर पहनाते समय इस बात का ख़ास ख्याल रखें कि वह बेली बटन पर ना हो.

    -जब भी नवजात शिशु को स्नान कराएं तो बेहद हलके हाथ से नाभि को साफ करें. इसके बाद बच्चे को अच्छे से पोंछ कर नाभि को सूखने दें.

    -अगर शिशु की कॉड गिर जाए और उसमें से पीप और खून ना रुके तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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    Tags: Lifestyle, Parenting

    FIRST PUBLISHED : December 04, 2020, 11:00 IST

    In this article

    • नाभि ठूंठ क्या होता है?
    • मेरे नवजात शिशु का नाभि ठूंठ टूटकर कब गिरेगा?
    • शिशु के ठूंठ की देखभाल कैसे की जाए?
    • क्या गर्म और आर्द्र मौसम में नाभि ठूंठ की और अधिक देखरेख करनी चाहिए?
    • मालिश के दौरान शिशु के नाभि ठूंठ की सुरक्षा कैसे करनी होगी?
    • कैसे पता चलेगा कि शिशु के नाभि ठूंठ में इनफेक्शन हो गया है?
    • मेरे शिशु की नाभि को पूरी तरह ठीक होने में कितना समय लगेगा?
    • अगर शिशु का नाभि ठूंठ ठीक न हो रहा हो तो क्या करना चाहिए?
    • मेरे शिशु की नाभि का आकार कुछ अजीब सा है। क्या इसे ठीक किया जा सकता है?
    • क्या शिशु की नाभि में तेल की बूंदें डालना सुरक्षित है?

    शिशु के जन्म के बाद उसकी गर्भनाल में एक चिमटी (क्लैंप) लगाकर नाल को नवजात शिशु के पेट के पास से काट दिया जाता है। इस प्रक्रिया में दर्द नहीं होता। शिशु के पेट पर नाल का जो 2 से 3 सें.मी. लंबा हिस्सा जुड़ा रह जाता है, वह ठूंठ (स्टंप) अपने आप सूखकर गिर जाता है। इस जगह का घाव ठीक होकर आपके शिशु की नाभि बनता है।

    आपको शिशु की गर्भनाल के ठूंठ को साफ और इनफेक्शन से दूर रखना होगा। इसकी देखभाल के लिए डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें। किसी भी तरह की दुर्गंध, मवाद, खून आना, नाभि के आसपास की त्वचा लाल होना या वहां सूजन होना इनफेक्शन के संकेत हो सकते हैं। इसे शिशु के डॉक्टर को दिखाया जाना चाहिए।

    नाभि ठूंठ क्या होता है?

    गर्भ में शिशुओं को पोषण और ऑक्सीजन अपरा (प्लेसेंटा) के जरिये मिलता है, जो कि मां के गर्भाशय की अंदरुनी दीवार से जुड़ी होती है। प्लेसेंटा, गर्भनाल (अंबिलिकल कॉर्ड) के जरिये आपके शिशु से जुड़ी होती है। गर्भनाल एक नलिका जैसी होती है जो शिशु के पेट से जुड़ी होती है।

    बच्चे की नाभि कैसे ठीक करें - bachche kee naabhi kaise theek karen

    ​शिशु के जन्म के बाद, गर्भनाल को चिमटी (क्लेंप) लगाकर नवजात शिशु के शरीर के पास से काट दिया जाता है। इस प्रक्रिया में दर्द नहीं होता। इसे काटे जाने पर आप और आपके शिशु दोनों को ही कोई अहसास नहीं होगा, क्योंकि गर्भनाल में कोई नसें नहीं होती हैं।

    बच्चे की नाभि कैसे ठीक करें - bachche kee naabhi kaise theek karen

    नाल जहां से नवजात शिशु के पेट से जुड़ी होती है, काटने के बाद वहां 2 से 3 सेंं.मी. लंबा नाभि ठूंठ रह जाएगा और इस पर प्लास्टिक की क्लैंप लगी होगी। जब तक यह सूखकर गिर नहीं जाता और घाव पूरी तरह ठीक नहीं हो जाता, तब तक आपको इसे साफ और इनफेक्शन से दूर रखना होगा।

    मेरे नवजात शिशु का नाभि ठूंठ टूटकर कब गिरेगा?

    आपके शिशु का ​नाभि ठूंठ अपने आप जन्म के पांच से 10 दिनों के अंदर सूखकर गिर जाएगा। अगर इसे सूखा रखा जाए, तो आमतौर पर करीब एक हफ्ते में यह हट जाता है।

    जब ठूंठ सूख रहा होता है, तो यह सख्त और संकुचित हो जाता है। ​इसकी दिखावट और रंगत पीले-हरे से भूरी या काली हो जाती है।

    यह बहुत जरुरी है कि आप नाभि ठूंठ को हटाने के लिए जल्दबाजी न करें। ठूंठ को हिलाए-डुलाएं नहीं, इसे काटे नहीं या इसे खींचे नहीं, फिर चाहे यह केवल एक धागे से ही लटकी क्यों न हो। नाभि ठूंठ को अपने आप सूखने दें और यह सूखकर अपने आप टूट जाएगी।

    शिशु के ठूंठ की देखभाल कैसे की जाए?

    शिशु के नाभि के ठूंठ को संक्रमण से बचाने के लिए उसे स्वच्छ और सूखा रखने की आवश्यकता है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें आपको ध्यान में रखना चाहिए, जैसे कि:

    • शिशु की नैपी (लंगोट) बदलने, उसे नहलाने या उसके नाभि ठूंठ को छूने से पहले और बाद में अपने हाथ हमेशा धोएं।
    • अपने शिशु को ढीले और हल्के कपड़े पहनाएं ताकि नाभि ठूंठ तक हवा पहुंचती रहे। जब ​तक नाभि ठूंठ टूटकर गिर नहीं जाती और पूरी तरह घाव भर नहीं जाता, तब तक शिशु को बॉडीसूट या वनजी स्टाइल वाले कपड़े न पहनाएं।
    • कुछ डॉक्टर सलाह देते हैं कि जब तक नाभि ठूंठ टूटकर गिर नहीं जाता, तब तक शिशु को केवल स्पंज स्नान करवाना चाहिए। आप शिशु को नहला भी सकती हैं। नहलाने के दौरान ठूंठ का गीला होना चिंता की बात नहीं है। इससे घाव भरने में रुकावट या संक्रमण पैदा होने का डर नहीं होता, बशर्ते आप बाद में इसे मुलायम, साफ तौलिये से थपथपाकर पौंछ दें।
    • नाभि ठूंठ पर हवा लगती रहे और लंगोट या डायपर से रगड़ न लगे, इसके लिए शिशु की नैपी या डायपर की कमर पट्टी को नीचे की तरफ मोड़ दें। इस तरीके से ठूंठ नैपी से बाहर रहेगा और नैपी की रगड़ से ठूंठ में असहजता भी नहीं होगी। नवजात शिशुओं की कुछ नैपी या डायपर में ठूंठ को खुला रखने के लिए आगे की तरफ थोड़ा खुला स्थान भी दिया होता है। इससे ठूंठ में हवा लगती रहती है और इससे पेशाब से भी बचाव होता है। यदि नाभिठूंठ में शिशु का मल या मूत्र लग भी जाए तो इसे पानी और सौम्य लिक्विड बेबी क्लींजर से सावधानीपूर्वक साफ कर दें। इसके बाद ठूंठ को थपथपाते हुए पौंछ दें।
    • जब तक ठूंठ टूटकर नहीं गिरता, तब तक प्लास्टिक की क्लिप उस पर लगी रहती है। इसलिए शिशु को पौंछते हुए, कपड़े पहनाते हुए या नैपी बदलते हुए ध्यान रखें कि वह क्लिप खिंचे ना। अगर तेजी से क्लैंप खिंच जाए तो शिशु को चोट लग सकती है।
    • कुछ डॉक्टर नाभि ठूंठ को एल्कोहॉल स्वॉब से साफ करने की सलाह देते हैं, वहीं कुछ अन्य डॉक्टर ठूंठ पर रोजाना एंटिसेप्टिक सोल्यूशन या पाउडर या फिर ऑइंटमेंट लगाने की सलाह देते हैं। कुछ डॉक्टर यह मानते हैं कि शिशु के नाभि ठूंठ को साफ रखने के लिए केवल सादा पानी ही पर्याप्त है। सबसे जरुरी यह है कि गर्भनाल के ठूंठ को साफ और सूखा रखना चाहिए, ताकि संक्रमणों से बचाव हो सके। आपके शिशु की नाभि ठूंठ साफ करने का सही तरीका क्या रहेगा, इस बारे में डॉक्टर से बात करें।

    यदि आपके शिशु का जन्म समय से पहले हुआ है (प्रीमैच्योर) या जन्म के बाद उसे विशेष देखभाल की जरुरत है, तो नवजात आईसीयू में शिशु के नाभिठूंठ की देखभाल में डॉक्टर और नर्स आपकी मदद करेंगे।

    जब आप अपने प्रीमैच्योर शिशु को अस्पताल से घर लाते हैं और तब भी उसकी नाभि ठूंठ जुड़ी हुई हो, तो डॉक्टर आपको इसकी साफ-सफाई और देखभाल के तरीके के बारे में बताएंगे। आपको शायद शिशु को स्पंज बाथ करवाने की ही सलाह दी जाएगी, क्योंकि प्रीटर्म शिशु को पूर्ण अवधि पर जन्मे स्वस्थ शिशु की तुलना में इनफेक्शन का खतरा ज्यादा हो सकता है।

    क्या गर्म और आर्द्र मौसम में नाभि ठूंठ की और अधिक देखरेख करनी चाहिए?

    चाहे कोई भी मौसम हो, जरुरी है कि शिशु के नाभि ठूंठ को साफ और सूखा रखा जाए और इनफेक्शन के संकतों पर नजर रखी जाए।

    फिर भी, आर्द्र मौसम में खासतौर पर मानसून के ​दिनों में कई बार कुछ पेरशानियां आ सकती हैं। जब आर्द्रता बढती है तो आप पाएंगी कि पसीने को वाष्पित होने में ज्यादा समय लगता है, जिससे त्वचा लंबे समय तक नम रहती है। आर्द्र और उमसभरे मौसम में कीटाणुओं और बैक्टीरिया को भी बढ़ावा मिलता है।

    अपने शिशु को ठंडे और आरामदायक माहौल में रखें जहां हवा की आवाजाही बनी रहे। यदि आप एसी या कूलर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो शिशु पर सीधी ठंडी हवा न लगने दें।

    यदि आपके क्षेत्र में बार-बार बिजली कटौती रहती है, तो शिशु को सुरक्षित और आरामदेह रखने के उपाय अजमाएं।

    मालिश के दौरान शिशु के नाभि ठूंठ की सुरक्षा कैसे करनी होगी?

    यदि गर्भनाल ठूंठ के हटने और घाव के ठीक होने से पहले ही आप शिशु की मालिश शुरु करना चाहें, तो बेहतर है कि आप उसके पेट पर मालिश न करें। उसकी हल्के हाथ से मालिश करें और ध्यान रखें कि क्लैंप पर हाथ न लगे।

    पारंपरिक तौर पर जापा बाई या मालिशवाली नाभि ठूंठ और इसके आसपास तेल से मालिश करती हैं। कुछ तो खुद तैयार किया गया हर्बल पाउडर या तेल इस्तेमाल करती हैं ताकि नाभि ठूंठ जल्दी ठीक हो सके। बहरहाल, तेल और पाउडर लगाने से त्वचा की सिलवटों में नमी और धूल फंस सकती है, जिससे ठूंठ में जलन या इनफेक्शन हो सकता है। साथ ही, कुछ पाउडर या तेल में ऐसे तत्व भी हो सकते हैं जो शिशुओं के लिए सुरक्षित नहीं होते।

    शिशु को नहलाने के बाद उसकी नाभि में पिसी हुई हींग या अजवायन डालने की भी एक आम प्रथा है। माना जाता है कि इससे पाचन संबंधी परेशानियों से राहत मिलती है और उदरशूल (कॉलिक) से बचाव होता है। हालांकि, इनका इस्तेमाल पीढ़ियों से चला आ रहा है और यह एक लोकप्रिय प्रथा है, मगर कहा नहीं जा सकता कि ये कितना प्रभावी हैं।

    बेहतर है कि जब तक शिशु का गर्भनाल ठूंठ टूटकर गिरता नहीं और घाव पूरी तरह भर नहीं जाता, तब तक इस तरह के घरेलू उपाय न आजमाएं। आपके शिशु का नाभि ठूंठ काफी संवेदनशील होता है। इसे किसी चीज से ढकना या तेल या हर्बल मिश्रण लगाने से इसे ठीक होने में ज्यादा समय लग सकता है और गंभीर इनफेक्शन भी हो सकता है।

    घाव के भर जाने के बाद भी बेहतर है कि हर्बल मिश्रण आदि को नाभि के बाहर की तरफ ही लगाया जाए, अंदर न लगाएं। आप शिशु की नाभि पर रुई का फाहा रखकर इसके चारों तरफ यह मिश्रण लगा सकती हैं। इस तरह यह नाभि के अंदर नहीं जाएगा।

    कैसे पता चलेगा कि शिशु के नाभि ठूंठ में इनफेक्शन हो गया है?

    जब नाभि ठूंठ ठीक हो रहा होता है, तो इसके आसपास थोड़ा खून दिखाई देना सामान्य है। यह इसके संक्रमित होने का संकेत नहीं है। हालांकि, यदि आपके शिशु को निम्नांकित लक्षण भी हों तो हो सकता है ठूंठ में इनफेक्शन हो गया हो:

    • नाभि ठूंठ को या इसके आसपास की त्वचा को छूने पर शिशु रोने लगता है।
    • उसकी नाभि और आसपास की जगह लाल है या सूजी हुई है।
    • ठूंठ में सूजन है, दुर्गंध आ रही है या स्त्राव निकल रहा है।
    • आपके शिशु को बुखार है।
    • आपका शिशु सुस्त सा लगता है, दूध पीने में उसकी रुचि कम हो गई है या गर्भनाल के आसपास की जगह लाल है और शिशु की तबियत ठीक न लग रही हो।

    यदि आपके शिशु को इनमें से कोई भी लक्षण हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। शिशु के डॉक्टर उसकी नाभि ठूंठ की जांच करके देखना चाहेंगे कि कहीं यह संक्रमित तो नहीं है। अधिकांश मामलों में किसी उपचार की जरुरत नहीं होती। हालांकि, शिशु के लक्षणों को देखते हुए डॉक्टर निम्नांकित सलाह दे सकते हैं:

    • ठूंठ को साफ करना, जैसे आप पहले कर रही थी, इसे अच्छी तरह सूखने देना और दिन में कुछ समय इसे बिना ढके खुला रखना।
    • हर बार ठूंठ साफ करने के बाद इस पर डॉक्टर द्वारा बताई गई एंटिबैक्टीरियल या एंटिफंगल ऑइंटमेंट लगाएं।
    • यदि शिशु की ठूंठ में गंभीर संक्रमण हो, तो उचित इलाज के लिए डॉक्टर उसे अस्पताल में भर्ती कर सकते हैं।

    मेरे शिशु की नाभि को पूरी तरह ठीक होने में कितना समय लगेगा?

    ठूंठ के टूटकर गिरने के बाद उस जगह छोटा घाव रहेगा। नाभि क्षेत्र को पूरी तरह ठीक होने में सात और 10 दिन के बीच का समय लग सकता है। यह घाव ठीक होने के बाद आपके शिशु की नाभि बनती है।

    आपको शिशु की नैपी की कमरपट्टी में थोड़ा खून लगा दिख सकता है। यह एकदम सामान्य है। हालांकि, यदि पौंछने के बाद भी खून आना बंद न हो तो डॉक्टर की सलाह लें। य​ह रक्त संबंधी विकार का संकेत हो सकता है।

    अगर शिशु का नाभि ठूंठ ठीक न हो रहा हो तो क्या करना चाहिए?

    कई बार, नाभि का घाव ठीक होने में 10 दिन से ज्यादा का समय लग सकता है। हालांकि, अगर आपको नाभि ठूंठ के क्षेत्र में नरम गुलाबी या लाल गांठ सी दिखाई दें, जिसमें से साफ या पीला तरल निकल रहा हो या नमीयुक्त हो, तो हो सकता है आपके शिशु को अम्बिलिकल ग्रेनुलोमा हो। घाव भरने क बाद बने उत्तकों (स्कार टिश्यू) की अत्याधिक बढ़त को ग्रेनुलोमा कहा जाता है।

    अम्बिलिकल ग्रेनुलोमा गंभीर नहीं होता और आमतौर पर इसका उपचार आसान होता है। यदि आपको लगे कि आपके शिशु के साथ यह स्थिति है, तो डॉक्टर से बात करें। वे आपके शिशु के लिए बेहतर उपचार बता सकेंगे।

    यदि इलाज के बाद भी स्थिति में सुधार न आए तो डॉक्टर कॉटराइजेशन की प्रक्रिया अपनाएंगे। इसमें सिल्वर नाइट्रेट नामक रसायन से उत्तकों को बंद किया जाता है।

    यह सुनने में काफी भयावह लग सकता है, मगर यह एक साधारण प्रक्रिया है। आपके शिशु को इसका कोई अहसास नहीं होगा क्योंकि गर्भनाल में कोई नसें नहीं होती हैं।

    मेरे शिशु की नाभि का आकार कुछ अजीब सा है। क्या इसे ठीक किया जा सकता है?

    गर्भनाल का ठूंठ जब टूटकर गिर जाता है तो जो घाव बचता है, वह नाभि बनता है। आपके शिशु की नाभि का आकार वास्तव में इस बात पर निर्भर करता है कि गर्भनाल उसके पेट से किस तरह जुड़ी थी। इसलिए इसमें बदलाव के लिए आप कुछ नहीं कर सकतीं और न ही करना चाहिए।

    आपने शायद सुना हो ​कि शिशु के नाभि ठूंठ पर सिक्का चिपका देने से नाभि को अंदर की तरफ दबने में मदद मिलती है और वह बाहर नहीं निकलती। मगर, सच्चाई यह है कि दबाव डालने से भी नाभि के आकार में बदलाव नहीं आता है। साथ ही, यदि सिक्का हटकर गिर जाए और शिशु इसे मुंह में ले ले तो गला अवरुद्ध होने का खतरा रहता है।

    क्या शिशु की नाभि में तेल की बूंदें डालना सुरक्षित है?

    नहीं, नवजात की नाभि में तेल डालना सही नहीं है। जब तक कि नवजात का नाभि ठूंठ टूटकर गिर नहीं जाता, तब तक इसे सूखा ही रखना चाहिए। नाभि में तेल डालने से उसमें धूल-मिट्टी और मैल जमा हो सकता है, जिससे इनफेक्शन का खतरा रहता है। शिशु के नाभि ठूंठ में संक्रमण के संकेतों पर नजर रखें।

    अंग्रेजी के इस लेख से अनुवादित: Caring for your newborn's umbilical cord stump

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    Perlstein D. nd. Umbilical cord care. www.emedicinehealth.com

    नवजात शिशु की नाभि पर क्या लगाएं?

    बच्चों की नाभि की सफाई करें ऐसे: -नवजात शिशु की नाभि की सफाई करने के लिए रुई के फाहे में हल्का सा सरसों का तेल लगाएं. बेहद हलके हाथों से इससे बेबी बटन को साफ करें. प्रयास करें कि बेली बटन सूखा ही रहे. -अगर नवजात शिशु की कॉर्ड गाली हो जाए तो साफ कॉटन के कपड़े से थपथपा कर पानी को सुखाएं.

    बाहर निकले नाभि को अंदर कैसे करें?

    अगर शिशु की उभरी हुई नाभि 3-4 साल की उम्र तक ठीक नहीं होती है, तो सर्जरी की जरूरत पड़ती है। कई बार बच्चे को इस हर्निया के कारण दर्द होता है या ब्लड सर्कुलेशन में समस्या आती है, तो भी सर्जरी की जरूरत पड़ती है।

    नवजात शिशु की नाभि कब ठीक होती है?

    आपके शिशु का ​नाभि ठूंठ अपने आप जन्म के पांच से 10 दिनों के अंदर सूखकर गिर जाएगा। अगर इसे सूखा रखा जाए, तो आमतौर पर करीब एक हफ्ते में यह हट जाता है।

    नाभि फूल जाए तो क्या करें?

    यदि नाभि के आस-पास कोई सर्जरी हुई है तो उसे दबाने पर दर्द होगा। हालांकि, बढ़ते दिन के साथ यह कम होता जाता है, लेकिन यदि आपको दर्द में कोई कमी नहीं नजर आ रही है तो यह एक इन्फेक्शन का संकेत है। ऐसे में अपने सर्जन/डॉक्टर से बात करें