अर्थशास्त्र की केंद्रीय समस्या कौन सी थी? - arthashaastr kee kendreey samasya kaun see thee?

अर्थशास्त्र - अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं


  • उत्पादन, उपभोग और वितरण क्रियाए प्रत्येक अर्थव्यवस्था का मुख्य गतिविधियाँ हैं|
  • इन गतिविधियों के दौरान प्रत्येक अर्थवयवस्था के सामने  आर्थिक समस्या उत्पन्न होती हैं|
  • आर्थिक समस्या वैकल्पिक प्रयोग वाले सीमित संसाधनों के जरिये असीमित आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए की जाने वाली चयन की समस्या हैं|
  • इस आर्थिक समस्या के कारण प्रत्येक अर्थव्यवस्था को मुख्य केंद्रीय समस्याओ का सामना करना पड़ता है|

    अर्थशास्त्र की केंद्रीय समस्या कौन सी थी? - arthashaastr kee kendreey samasya kaun see thee?

क्या उत्पादन किया जाये ?


  • यह समस्या उत्पादित की जाने वाली वस्तुओं सेवाओं के चयन और प्रत्येक चयनित वस्तुए उत्पादित की जाने वाली मात्रा से हैं।
  • प्रत्येक अर्थव्यवस्था के पास सीमित संसाधन होते हैं तथा इन संसाधनों के वैकल्पिक प्रयोग भी होते हैं।
  • इसी वजह से प्रत्येक अर्थव्यवस्था सभी वस्तुओं और सेवाओं को उत्पादित नहीं कर सकती है।
  • एक वस्तु या सेवा का अधिकउत्पादन दूसरी वस्तु या सेवा के उत्पादन को कम करके ही संभव हो सकता है।
  • क्या उत्पादन किया जाए समस्या के दो पहलू हैं।

किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए।

  • एक अर्थव्यवस्था को निर्णय लेना पड़ता है कि किन उपभोक्ता वस्तुओं (चावल, गेहूं, कपड़े) और किन पूंजीगत वस्तुओं (मशीन, उपकरण) का उत्पादन किया जाए।
  • इसी प्रकार अर्थव्यवस्था को नागरिक वस्तुओं(ब्रेड, मक्खन) और युद्ध सामग्री(बंदूकें, टैंक) के बीच भी चयन करना होता है ।

2. कितना उत्पादन किया जाए।


  • उत्पादित वस्तुओं का चयन करने के बाद अर्थव्यवस्था को प्रत्येक चयनित वस्तु की मात्रा भी तय करनी होती है।

कैसे उत्पादन किया जाए?


  • यह समस्या वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में प्रयोग किए जाने वाली तकनीक के चयन की समस्या है।
  • यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब किसी वस्तुओं के उत्पादन में एक से अधिक संभव तरीके हो।
  • वस्तुओं का उत्पादन दो तरीके से किया जाता है।
  1. श्रम प्रधान तकनीक- इस तकनीक में अधिक श्रम(मजदूरों) और कम पूंजी(मशीनों के रूप में) का प्रयोग किया जाता है।
  2. पूंजी प्रधान तकनीक- इसमें कम श्रम और अधिक पूंजी का प्रयोग किया जाता है।

किसके लिए उत्पादन किया जाए?


  • यह समस्या समाज के सदस्यों के बीच आय के वितरण से संबंधित है।
  • एक अर्थव्यवस्था संसाधनों की दुर्लभता के कारण सीमित मात्रा में ही वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन कर सकती है।
  • इस कारण समाज अपने सभी व्यक्तियों की आवश्यकताओं को संतुष्ट नहीं कर सकती हैं।
  • वस्तु का उत्पादन उन व्यक्तियों के लिए किया जाता है जिनके पास क्रय शक्ति होती है।
  • अतः यह समस्या व्यक्तियों के वर्गों की चयन की समस्या है।
  • प्रत्येक अर्थव्यवस्था को चयन करना पड़ता है कि वह वस्तुओं का उत्पादन अधिक अमीर और कम गरीब के लिए करें या कम अमीर और अधिक गरीब के लिए किया जाए।

उत्पादन संभावना वक्र के अन्य नाम। उत्पादन संभावना सीमा। उत्पादन संभावना फ्रंटियर। रुपांतरण वक्र। रुपांतरण सीमा। उत्पादन संभावना वक्र(PPC) - यह वक्र दो वस्तुओं के उन संयोगों को दर्शाता है जिने  दिए गए संसाधनों व तकनीक द्वारा उत्पादित किया जा सकता है। PPC की मान्यताएं (Assumption for PPC) संसाधनों का पूर्ण व कुशलतम  प्रयोग किया जाता है। दिए गए संसाधनों के प्रयोग से केवल दो वस्तुओं को उत्पादित किया जा सकता है। संसाधन सभी वस्तुओं के उत्पादन में एक समान नहीं होते हैं। तकनीक के स्तर को स्थिर मान लिया जाता है। उत्पादन संभावना तालिका व वक्र उत्पादन संभावना वक्र उपरोक्त वक्र मे X- अक्ष पर वस्तु X की इकाइयों को और Y-अक्ष पर वस्तु Y की इकाइयों को दर्शाया गया है। बिन्दु A पर अर्थव्यवस्था अपने सभी संसाधनों का उपयोग करके वस्तु Y की अधिकतम 15 इकाइयां उत्पादित कर सकती है परंतु वस्तु X की एक भी इकाइयां उत्पादित नहीं कर सकती है। वही बिंदु F पर अर्थव्यवस्था अपने सभी संसाधनों का उपयोग वस्तु X के उत्पादन के लिए करती है तो वह वस्तु X की अधिकतम 5 इकाइयां उत्पादित कर सक

अनधिमान वक्र दो वस्तुओं के ऐसे संयोगों का ग्राफीय निरूपण है जोकि उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्रदान करते हैं। अनधिमान वक्र को तटस्थता वक्र और उदासीनता वक्र भी कहा जाता है। अनधिमान वक्र विश्लेषण क्रमवाचक उपयोगिता पर आधारित है। इसमें उपयोगिता को सांख्यिकी रूप में नहीं मापा जाता है। अनधिमान तालिका  केले और संतरे के संयोग केले  (इकाईयां)  संतरों (इकाईयां)  A  1  25  B 2 20   C  3  16 D  4   13  E  5  11 उपरोक्त चित्र में X-अक्ष पर केले की इकाइयों तथा Y-अक्ष पर संतरों की इकाइयों को दर्शाया गया है।  तालिका तथा वक्र पर स्थित A,B,C,D तथा E केले और संतरे के विभिन्न संयोगों को दर्शाते हैं। यह संयोग संतुष्टि के समान स्थल को प्रदर्शित करते हैं। A संयोग भी उतनी ही उपयोगिता देता है जितनी B तथा C या कोई अन्य देते हैं। इन सभी संयोगों का ग्राफीय रूप से प्रदर्शित करने पर हमें अनधिमान वक्र प्राप्त होता है। सीमांत विस्थापन की दर (MRS) सीमांत विस्थापन की दर से अभिप्राय उस दर से होता है जिस पर वस्तुओं को एक दूसरे से प्रतिस्थापित किया जाता है ताकि उपभोक्ता की कुल संतुष्टि एक समान रहे। MRS = संतरे