कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों की? - kavi ne kathin yathaarth ke poojan kee baat kyon kee?

प्रश्न 7-1: कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?

उत्तर 7-1: कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात इसलिए कही है क्योंकि यही सत्य है। भूली-बिसरी यादें या भविष्य के सपने मनुष्य को दुखी ही करते हैं, किसी मंजिल तक नहीं ले जाते। मनुष्य को आखिर में वास्तविक सच का सामना करना ही पड़ता है इसलिए उसे पूजन यानी ग्रहण करना चाहिए।

प्रश्न 7-2: भाव स्पष्ट कीजिए -
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।

उत्तर 7-2: बड़प्पन का अहसास यानी महान होने का सुख एक झूठा आभास है। जिस तरह हिरण रेगिस्तान में पानी की आस में सूर्य की किरणों की चमक को जल मान उसके पीछे भटकते रहता है, बड़प्पन का अहसास भी ऐसा ही है। जिस तरह हर चाँदनी रात के बाद आमवस्या की काली रात आती है उसी तरह जीवन में सुख-दुःख भी आते जाते रहते हैं। इस सत्य को हमें स्वीकार करना चाहिए।

प्रश्न 7-3: 'छाया' शब्द यहाँ किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है? कवि ने उसे छूने के लिए मना क्यों किया है?

उत्तर 7-3: छाया शब्द स्मृतियों के स्मरण के संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है। हमारे जीवन में सुख और दुःख आते जाते रहते हैं। वर्तमान के दुखी समय में पुराने समय के सुखद क्षणों को ज्यादा करने से मन और भी दुखी हो जाता है। इसलिए हमें उन स्मृतियों को भुलाकर वर्तमान के सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए।

कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों की है?

उत्तर 7-1: कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात इसलिए कही है क्योंकि यही सत्य है। भूली-बिसरी यादें या भविष्य के सपने मनुष्य को दुखी ही करते हैं, किसी मंजिल तक नहीं ले जाते। मनुष्य को आखिर में वास्तविक सच का सामना करना ही पड़ता है इसलिए उसे पूजन यानी ग्रहण करना चाहिए।

प्र 7कवि ने कठिन का पूजन करने के लिए क्यों कहा है अथवा?

'जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी' से कवि का अभिप्राय जीवन की मधुर स्मृतियों से है।

34 गिरिजाकुमार माथुर ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?

पुरानी सुख भरी यादों से वर्तमान दुःखी हो जाता है। मन में पलायनवाद के भाव उत्पन्न हो जाते हैं। उसे कठिन यथार्थ से आमना-सामना कर के ही आगे बढ़ने की चेष्टा करनी चाहिए। कवि ने जीवन की कठिन-कठोर वास्तविकता को स्वीकार करने की बात इसीलिए कही है।

3 छाया शब्द यहाँ किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है कवि ने उसे छूने के लिए मना क्यों किया है ?`?

कवि ने उसे छूने के लिए मना क्यों किया है ? Solution : कवि ने छाया शब्द का तात्पर्य बीते दिनों की सुखद स्मृतियों से लिया है कवि के अनुसार मनुष्य <br> जीवन में सुख और दुख साथ साथ नहीं चलते है। परंतु वह बीती यादे हमारे दिमाग में सदैव बनी रहती <br> है।