अभ्यास के प्रश्न 1 भारत में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता क्यों है अपने शब्दों में समझाइये ?`? - abhyaas ke prashn 1 bhaarat mein dharmanirapekshata kee aavashyakata kyon hai apane shabdon mein samajhaiye ?`?

भारत में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता क्यों है, अपने शब्दों में समझाइए?...


अभ्यास के प्रश्न 1 भारत में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता क्यों है अपने शब्दों में समझाइये ?`? - abhyaas ke prashn 1 bhaarat mein dharmanirapekshata kee aavashyakata kyon hai apane shabdon mein samajhaiye ?`?

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देखें मित्र आप का सवाल है कि भारत में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता क्यों है तो इस पर ध्यान से बात है कि आपने अपने शब्दों में बताने के लिए कहा है तो मैं तो यही कहूंगा कि आपसे किसने कहा कि भारत में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता है यहां तो विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं और सिर्फ एक सनातन धर्म को छोड़कर बाकी धर्मों के लोग तो बड़ी कट्टरता का को निभाते भी तो धर्म निरपेक्षता की आवश्यकता भारत में बिल्कुल भी नहीं है अपने धर्म का पालन करें और सभी धर्मों का आदर करें इस बात की आवश्यकता है धर्मनिरपेक्ष का तो मतलब ही बयां हो गया कि मैं किसी भी धर्म को नहीं मानता और यहां तो ऐसा आपको एक भी व्यक्ति नहीं मिलेगा तो किसी धर्म को नहीं मानता हूं टीवी पर टीवी डिबेट में समाचारों में भले ही लोग बहस कर ले लेकिन भारत में एक भी आदमी धर्म देते नहीं है

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अभ्यास के प्रश्न 1 भारत में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता क्यों है अपने शब्दों में समझाइये ?`? - abhyaas ke prashn 1 bhaarat mein dharmanirapekshata kee aavashyakata kyon hai apane shabdon mein samajhaiye ?`?

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भारत में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता क्यों अपने शब्दों में समझाइए?

चूंकि भारत एक ऐसा बहुलवादी देश है जहाँ विभिन्न प्रकार के धर्मों, सम्प्रदायों और भाषाएं बोलने वाले लोग हैं। अतः यहाँ धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य किसी एक धर्म का पक्ष नहीं लेगा बल्कि सभी धार्मिक विचारों के प्रति सहिष्णुता अपनायेगा। पप) महात्मा गाँधी।

धर्मनिरपेक्षता क्यों जरूरी है?

धर्मनिरपेक्षता का सकारात्मक पक्ष: इसमें किसी भी समुदाय का अन्य समुदायों पर वर्चस्व स्थापित नहीं होता है। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था को मज़बूती प्रदान करती है तथा धर्म को राजनीति से पृथक करने का कार्य करती है। धर्मनिरपेक्षता का लक्ष्य नैतिकता तथा मानव कल्याण को बढ़ावा देना है जो सभी धर्मों का मूल उद्देश्य भी है।

भारतीय धर्मनिरपेक्षता क्या है समझाइए?

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य राजनीति या किसी गैर-धार्मिक मामले से धर्म को दूर रखे तथा सरकार धर्म के आधार पर किसी से भी कोई भेदभाव न करे। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ किसी के धर्म का विरोध करना नहीं है बल्कि सभी को अपने धार्मिक विश्वासों एवं मान्यताओं को पूरी आज़ादी से मानने की छूट देता है।

भारत को धर्मनिरपेक्ष देश क्यों कहा जाता है?

हर व्यक्ति को उपदेश, अभ्यास और किसी भी धर्म वे चुनाव प्रचार करने का अधिकार है। सरकार का धर्म यही माना गया कि वो सभी धर्मों के साथ समान व्‍यवहार करे। वो भी किसी एक धर्म या दूसरों को कोई महत्व देने के बिना। यही कारण है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष (पंथ निरपेक्ष) राज्य हैं।