आपके अनुसार क्या जानवरों को पालना चाहिए हाथ तो क्यों नहीं तो क्यों नहीं? - aapake anusaar kya jaanavaron ko paalana chaahie haath to kyon nahin to kyon nahin?

क्या आपके पालतू जानवर आप पर हंसते हैं?

  • डेल शॉ
  • बीबीसी अर्थ

1 जून 2020

आपके अनुसार क्या जानवरों को पालना चाहिए हाथ तो क्यों नहीं तो क्यों नहीं? - aapake anusaar kya jaanavaron ko paalana chaahie haath to kyon nahin to kyon nahin?

इमेज स्रोत, Getty Images

अपनी पसंद के पालतू जानवर के साथ हम एक अलग तरह का भावनात्मक रिश्ता बना लेते हैं.

आप कुत्ते के साथ बातें करते हैं, हैम्स्टर के साथ खेलते है और अपने पैराकीट (तोते) को वे रहस्य भी बताते हैं जो आप किसी और को नहीं बताते.

कभी-कभी आपको शक भी होता है कि ऐसा करने का कोई तुक नहीं है, लेकिन आपके अंदर यह उम्मीद बनती है कि आपका प्यारा जानवर आपको समझता है.

लेकिन जानवर क्या और कितना समझते हैं? मिसाल के लिए, इतना तो पता है कि जानवर आनंद का अनुभव करने में सक्षम हैं, लेकिन क्या वे हंसी-मज़ाक भी समझते हैं?

क्या आपका प्यारा जानवर चुटकुले समझता है या आपके पैरों की ऊंगली पर कोई भारी चीज गिर जाए तो वह खिलखिलाकर हंस सकता है?

इमेज स्रोत, EPA/Fernando Bizerra

हम क्यों हंसते हैं?

क्या कुत्ते या बिल्ली या कोई भी जानवर उसी तरह हंसते हैं जैसे हम हंसते हैं?

इंसान ने हंसने की कला किस वजह से विकसित की, यह एक रहस्य है. धरती पर मौजूद हर शख्स चाहे वह जो भी भाषा बोलता हो वह हंसना जानता है.

हम अवचेतन में ऐसा करते हैं. हंसी हमारे अंदर से निकलती है. हमें इसके लिए कोई विशेष प्रयास नहीं करना पड़ता.

हंसना संक्रामक है. एक व्यक्ति हंसे तो दूसरा भी मुस्कुरा देता है. यह सामाजिक है. हम बोलना सीखने से पहले हंसना सीख लेते हैं.

ऐसा माना गया कि हंसी से दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच संबंध का आधार तैयार होता है.

एक दूसरा सिद्धांत कहता है कि इसकी शुरुआत अचानक हो रही किसी घटना के बारे में चेतावनी देने के लिए हुई थी, जैसे कोई बाघ आ जाए.

तो भले ही हमें यह मालूम नहीं कि हम क्यों हंसते हैं, मगर हम सब जानते हैं कि हम ऐसा करते हैं.

लेकिन क्या जानवर भी खिलखिलाते हैं और अगर नहीं तो क्यों नहीं?

गुस्ताख़ बंदर

जानवरों में चिंपाजी, गोरिल्ला, बोनोबो और ओरांग-ऊटान हम इंसानों के सबसे करीबी संबंधी हैं.

वे दौड़ने-पकड़ने के खेल में ख़ुश होने पर या गुदगुदाने पर खिलखिलाते हैं. वे हांफने जैसी आवाज़ निकालकर खुशी जाहिर करते हैं.

दिलचस्प है कि चिंपाजी की तरह जो एप्स इंसानों से ज़्यादा निकटता से जुड़े हुए हैं उनकी आवाज़ हमारी हंसी के ज़्यादा करीब होती है.

ओरांग-ऊटान जैसे हमारे दूर के करीबियों की प्रफुल्लित आवाज़ें हमसे बहुत कम मिलती हैं.

ऐसी आवाज़ें उस वक़्त ज़्यादा निकलती हैं जब उनको गुदगुदी जैसी कोई उत्तेजना कराई जाती है. इससे संकेत मिलता है कि हंसी हमारे बोलने से पहले विकसित हुई थी.

सांकेतिक भाषा का इस्तेमाल करने वाली मादा गोरिल्ला कोको ने एक बार अपने कीपर के जूतों के फीते आपस में बांध दिए और फिर इशारा किया कि अब मुझे पकड़कर दिखाओ. इससे उसके मज़ाक करने की क्षमता का पता चलता है.

इमेज स्रोत, SAJJAD HUSSAIN/AFP

कौए की कांव-कांव

पशुओं की एकदम अलग शाखा जैसे परिंदों के बारे में क्या है? आवाज़ की नकल उतारने वाले कुछ चालाक पक्षियों जैसे मैना और काकातुआ (कलगी वाला तोता) को इंसानी हंसी की भी नकल उतारते देखा गया है.

कुछ तोते दूसरे जानवरों को चिढ़ाने के लिए भी कुछ आवाज़ें निकालते हैं. एक तोता परिवार के पालतू कुत्ते को परेशान करने के लिए सीटी बजाता है, सिर्फ़ अपने मनोरंजन के लिए.

कौए और उस परिवार के दूसरे पक्षी भोजन का पता लगाने के लिए कई तरकीबें लगाते हैं. यहां तक कि वे शिकारी मांसाहारी जानवरों की पूंछ भी खींचते हैं.

पहले माना जाता था कि वे शिकारी जानवरों का ध्यान भटकाने के लिए ऐसा करते हैं ताकि वे भोजन चुरा सकें.

लेकिन अब ऐसा भी देखा गया है कि जब कोई खाना मौजूद ना हो तब भी वे ऐसा करते हैं. इससे लगता है कि ये परिंदे सिर्फ़ मज़े के लिए ऐसा करते हैं.

तो यह मुमकिन है कि कुछ पक्षियों में सेंस ऑफ ह्यूमर हो. वे हंसते भी हों लेकिन हम अभी तक इसे पहचान नहीं पाए हों.

इमेज स्रोत, EPA/Mauricio Dueñas Castañeda

जानवरों का मज़ाक

कुछ अन्य जीवों को भी हंसने के लिए जाना जाता है, जैसे कि चूहे. संवेदनशील जगहों जैसे गर्दन के पास गुदगुदाने पर वे चीं-चीं की आवाज़ निकालते हैं.

खेल-खेल में झगड़ते हुए डॉल्फिन भी कुछ आवाज़ निकालते हैं. इससे वे संकेत देते हैं कि उनके आसपास जो मौजूद हैं उनसे कोई ख़तरा नहीं है.

हाथी मस्ती में होने पर अक्सर चिंघाड़ते हैं.

लेकिन यह साबित करना लगभग नामुमकिन है कि उनका व्यवहार इंसानों के हास्य की तरह है या विशेष परिस्थितियों में दूसरे जानवर जैसी आवाज़ें निकालते हैं ये भी वैसा ही कुछ करते हैं.

इमेज स्रोत, EPA/FRIEDEMANN VOGEL

पालतू जानवरों को पसंद नहीं

घर के पालतू जानवरों के बारे में क्या? क्या वे हम पर हंसने में सक्षम हैं? ऐसे सबूत हैं कि कुत्तों ने एक प्रकार की हंसी विकसित कर ली है.

जब वे ख़ुद में मस्त रहते हैं तो जीभ निकालकर जोर-जोर से हांफते हैं जिससे एक विशेष आवाज़ आती है.

यह आवाज़ गर्मियों में शरीर का तापमान नियंत्रित करने के लिए जीभ निकालकर हांफने से अलग होती है.

दूसरी तरफ, बिल्लियों के बारे में माना जाता है कि जंगल में वजूद बचाए रखने के लिए वे अपने चेहरे पर किसी तरह के भाव नहीं आने देंती.

बिल्लियों के घुरघुराने की आवाज़ से पता चलता है कि वे संतुष्ट हैं, लेकिन घुरघुराना और म्याऊं-म्याऊं करना दूसरी कई चीजों का भी संकेत हो सकता है.

बिल्लियां मस्ती में कई तरह की शरारतें भी करती हैं, लेकिन यह मज़ाकिया स्वभाव दिखाने से ज़्यादा ध्यान खींचने की कोशिश हो सकती है.

जहां तक विज्ञान की पहुंच है ऐसा लगता है कि बिल्लियों को हंसना नहीं आता. आप निश्चिंत हो सकते हैं कि आपकी बिल्ली आप पर नहीं हंस रही.

लेकिन अगर उन्होंने कभी यह क्षमता हासिल कर ली तो हमें संदेह होगा कि वे ऐसा कर सकती हैं.

आपके अनुसार क्या जानवरों को पालना चाहिए हां तो क्यों नहीं तो क्यों नहीं?

आपके अनुसार क्या जानवरों को पालना चाहिए हां तो क्यों नहीं तो क्यों नहीं? इसे सुनेंरोकेंपशु-पक्षियों एवं जीव-जंतुओं पर भी नवग्रहों का प्रभाव होता है। पक्षी हमेशा खुले आकाश से ही प्रेम करते है। यदि उन्हें पिंजरे में बंद कर दिया जाए, तो पिंजरा उनके लिए जेल के समान हो जाता है।

आपके अनुसार क्या जानवरों को पालना चाहिए?

ज्‍योतिष में बताया गया है कि किसी भी व्‍यक्ति को अपने ग्रह और नक्षत्र के अनुसार ही जानवर को पालना चाहिए। इससे वह जानवर उनके लिए लकी साबित होता है और घर में धन समृद्धि बनी रहती है। ऐसे जानवर आपके जीवन पर आने वाले संकट भी टालते हैं।

हमें जानवरों को क्यों पालना चाहिए?

आपको ज्यादा फिट बनाते हैं आपके पेट्स हालांकि फिटनेस एक मानसिक लाभ नहीं, बल्कि शारीरिक लाभ है, लेकिन व्यायाम का मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में आपका पालतू जानवर आपको शारीरिक रूप से फिट रखता ही है साथ ही खुश भी रखता है। जानिए क्यों पालने चाहिए जानवर

जानवरों को क्यों नहीं मारना चाहिए?

क्योंकि कत्लखानों का उद्देश्य जानवरों को जितना जल्दी संभव हो सके मारना है, कई तब भी जीवित रहते हैं, जब उनके शरीर जला देने वाले टैंकों में से खींचे जाते हैं, और उनकी गर्दनें काटी जाती हैं और उनके शरीर विखंडित किए जाते हैं ।