लौंद का महीना कौन सा है 2023? - laund ka maheena kaun sa hai 2023?

अधिक मास क्या होता है ?साल 2023 में कब से है अधिक मास

Published on: 08 September, 2021    

Share this:

लौंद का महीना कौन सा है 2023? - laund ka maheena kaun sa hai 2023?

अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से देखा जाए तो साल में केवल 365 दिन ही होते हैं, परन्तु जहाँ बात की जाए हिन्दू कैलेंडर की वहां पर साल में कुछ अतिरिक्त दिन होते हैं, जिन्हें अधिक मास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है । यह साल में अधिक होने के कारण इसको शुभ नहीं माना जाता । आइये आपको बताते हैं कि यह अधिक मास होता क्या है और इसको अधिक मास कहते क्यों हैं ? हिंदू धर्म में ग्रह और नक्षत्रों के आधार पर हर तीन साल के बाद यह अधिक मास आता है । साल में या अतिरिक्त दिन होने के कारण इसको अशुभ मानते हैं और इसको मलिन कहा जाता है, जिसके कारण इस अधिक मास को अधिकमास नाम से भी जाना जाता है । ज्योतिष के अनुसार मलमास 32 महीने 16 दिन और 8 घड़ी के बाद आता है । अधिकमास सूर्य मास और चंद्र मास के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए होता है । जैसा कि आपको बता दें सूर्य वर्ष 365 दिन और 6 घंटे का होता है वहीं चंद्र वर्ष 354 दिन का होता है । इस तरह सूर्य मास और चंद्र मास के बीच 11 दिन का अंतर आ जाता है । लगभग तीन साल में यह अंतर एक महीने के बराबर हो जाता है, जो कि अधिक मास के रूप में सामने आता है और इसलिए हर तीन साल में अधिक मास आता है ।अधिकमास में भगवान शिव की आराधना और भगवान विष्णु इन दोनों का पूजन बहुत ही लाभकारी होता है, जिसके सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं । आइये अब ये जानते हैं कि अधिकमास में क्या करना वर्जित माना गया है । मान्यता के अनुसार अधिकमास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता , जैसे विवाह, न विवाह के कोई कार्य का शुभारम्भ, मुंडन, ग्रहप्रवेश, शादी के लिए रिश्ते की बात, कुछ नई चीज़ की खरीदी इत्यादि कोई भी काम नहीं किया जाता ।

अधिकमास की कथा :-
एक पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य देव 7 घोड़े के रथ पर सवार लगातार पूरे बह्मांड के चक्कर लगाते रहते हैं, और सूर्य देव कभी रुकते नहीं , पर उनके घोड़े रथ खींचते-खींचते थक गए और चलने में असमर्थ हो गए । घोड़े भूक और प्यास से विचलित हो गए और थक गए । उनकी ऐसी स्थिति देख सूर्य देव का मन पिघल गया और वह घोड़ों को तालाब के किनारे लेकर गए परन्तु उन्हें तभी इस बात का एहसास हुआ कि अगर उन्होंने घोड़ों को पानी पीने और विश्राम करने के लिए छोड़ दिया तो अनर्थ हो जाएगा । धरती के सारे क्रियाकलाप रुक जाएंगे और समय भी रुक जाएगा । परन्तु यहाँ घोड़ों का सौभाग्य कहिये कि तालाब के किनारे दो गधे (खर ) मौजूद थे । 
उन्हें देखकर भगवान सूर्य को इस बात का विचार आया क्यों न जब तक घोड़े विश्राम कर रहे हैं, तब तक घोड़ों को अपने रथ में जोड़कर उनके माध्यम से ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाया जाए । सूर्य देव ने ऐसा ही किया अपने रथ में उन्होंने गधों को बाँध कर ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने लगे । परन्तु गधे घोड़ों की तरह तेज गति में नहीं भाग सकते थे जिसके कारण सूर्य देव के रथ की गति धीमी हो गई और बहुत मुश्किल से और लंम्बा समय लेकर भगवान सूर्य ने ब्रह्माण्ड का एक चक्कर एक महीने में पूरा किया । 1 मास का चक्र जैसे -तैसे पूरा हुआ तब तक घोड़ों को विश्राम मिल चुका था, फिर वापस सूर्य देव ने घोड़ों को अपने रथ में बांध लिया और ब्राह्माण की परिक्रमा करने लगे । यह कर्म इसी तरह चलता रहता है , और हर सौरवर्ष में 1 अधिकमास जरूर आता है ।

अधिकमास में कौन से काम नहीं करना चाहिए ?
वैसे तो अधिकमास में किसी भी प्रकार का शुभ (नया) कार्य करना सही नहीं होता परन्तु ऐसे में कुछ पूजन है जो बिलकुल नहीं करना चाहिए जो कुछ इस प्रकार है :-
- पुरुषोत्तम मास में किसी भी प्रकार का कामना पूरक अनुष्ठान, व्रत का उद्घापन और पूजा पाठ नहीं करना चाहिए ।
- अगर आप अपना घर बनाने का सोच रहे हैं तो अधिकमास में गृह निर्माण कार्य का आरम्भ, गृह प्रवेश, विवाह, कोई लम्बी यात्रा, मुण्डन कार्य , उपनयन संस्कार तथा यज्ञ जैसे शुभ काम नहीं करना चाहिए ।
- किसी भी मंदिर का निर्माण कार्य , देव प्रतिष्ठा और गोदान भी नहीं करना चाहिए ।
- अधिकमास के समय कुआं, तालाब, बावड़ी, बोरिंग करवाना , भूमिगत जलाशय जैसे किसी भी चीज़ का निर्माण नहीं करना चाहिए ।
- किसी भी व्यापार सम्बन्धी कार्य का आरम्भ नहीं करना चाहिए और किसी के साथ साझेदारी में व्यापार का सोचना भी अशुभ माना जाता है ।

साल 2023 में कब से है अधिक मास-
वर्ष 2023 में, पुरुषोत्तम मास, श्रावण मास में आएगा I यह मंगलवार 18 जुलाई से प्रारम्भ होकर बुधवार 16 अगस्त तक रहेगा । क्यों की इस वर्ष यह श्रावण मास में पड़ रहा है, अतः इससे इस मास में दान, पुण्य, कथा भागवत श्रवण, भगवान शिवजी से सम्बंधित विभिन्न रूद्र याग, अति रूद्र याग आदि अनुष्ठान करने का महत्त्व बहुत ज्यादा है ।     

Updated: Jul 14, 2021 23:15 PM | बारें में | संबंधित जानकारियाँ | यह भी जानें

Adhik Mas Date: Shravana: Tuesday, 18 July 2023

लौंद का महीना कौन सा है 2023? - laund ka maheena kaun sa hai 2023?

आधिक मास हिन्दू पंचांग में एक अतिरिक्त माहीने को कहा जाता है। आधिक-मास को प्रायः अशुभ महीना माना गया है, इस महीने में सभी प्रकार के शुभ कार्य करने पर प्रतिबंध होता है। इसे पुरुषोत्तम मास अथवा मलमास भी कहा जाता है। बृजभूमि मे इस माह के कारण संपूर्ण वर्ष को लौंद वाला साल भी कहते हैं। ज्योतिष शस्त्र के अनुसार अधिक-मास प्रत्येक तीन वर्ष के बाद आता है, परंतु कौनसा हिन्दी माह अधिक होगा वह ज्योतिष गणना से ही निकाला जाता है।

क्यों होता है अधिक मास?
हिंदू पंचांग में 12 महीने होते हैं, जिनका आधार चंद्रमा की गति है। सूर्य कैलेंडर मे एक वर्ष 365 दिन और लगभग 6 घंटे का होता है, जबकि हिंदू पंचांग चंद्रमा का एक वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। इन दोनो कैलेंडर वर्ष के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर है। यह 11 दिन का अंतर तीन साल में एक महीने के बराबर हो जाता है। इस अंतर को दूर करने के लिए, हर तीन साल के अंतराल में एक चंद्र महीना अस्तित्व में आता है। इस नये बढ़े हुए महीने को ही अधिक मास या मलमास कहा जाता है। भगवान विष्णु की पूजा आदिक मास में की जाती है।

संबंधित अन्य नाम मलमास, पुरुषोत्तम मास, लौंद का महिना
सुरुआत तिथि प्रतिपदा
कारण सूर्य एवं चंद्र महीने के बीच का संतुलन स्थापित करने हेतु।
उत्सव विधि भगवान श्री विष्णु पाठ एवं स्तुति।

यह भी जानें
  • पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा
  • श्री राम स्तुति: श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
  • जय राम रमा रमनं समनं
  • अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं
  • श्री शिव चालीसा
  • पद्मिनी एकादशी व्रत कथा
  • परमा एकादशी व्रत कथा

Adhik Mas in English

Adhik Maas, Purushottam, Malmaas aur Laund is an extra month in the Hindu calendar. The month of Adhik Maas or Malmass is considered inauspicious.

पुरुषोत्तम मास नाम कैसे पड़ा?

कहा जाता है कि भगवान विष्णु, अधिक मास के भगवान हैं, तथा पुरुषोत्तम उनका एकमात्र नाम है। इसलिए, अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इसके पीछे भी एक कहानी है।

विश्वास के अनुसार, भारतीय मनीषियों ने अपनी गणना पद्धति से प्रत्येक चंद्र मास के लिए एक देवता निर्धारित किया। चूँकि अधिक मास सूर्य एवं चंद्र महीने के बीच का संतुलन स्थापित करता है, इसलिए कोई देवता इस अतिरिक्त महीने का शासक बनने के लिए तैयार नहीं था। ऐसी स्थिति में, ऋषि-मुनियों ने भगवान विष्णु से इस महीने का भार अपने ऊपर लेने का आग्रह किया। भगवान विष्णु ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और इस तरह यह माह पुरुषोत्तम माह बन गया।

कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य इस महीने में नहीं किए जाते हैं।

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार

Jyeshtha: 17 May 2026

आवृत्ति

3 वर्ष के अंतराल मे

कारण

सूर्य एवं चंद्र महीने के बीच का संतुलन स्थापित करने हेतु।

उत्सव विधि

भगवान श्री विष्णु पाठ एवं स्तुति।

पिछले त्यौहार

Ashvin: 18 September 2020

अगर आपको यह त्यौहार पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


इस त्यौहार को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें

लौंद का महीना कौन सा है 2023? - laund ka maheena kaun sa hai 2023?


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें।

2023 में मलमास कब पड़ेगा?

वर्ष 2023 में, पुरुषोत्तम मास, श्रावण मास में आएगा I यह मंगलवार 18 जुलाई से प्रारम्भ होकर बुधवार 16 अगस्त तक रहेगा । क्यों की इस वर्ष यह श्रावण मास में पड़ रहा है, अतः इससे इस मास में दान, पुण्य, कथा भागवत श्रवण, भगवान शिवजी से सम्बंधित विभिन्न रूद्र याग, अति रूद्र याग आदि अनुष्ठान करने का महत्त्व बहुत ज्यादा है ।

2023 में कौन सा महीना डबल है?

वर्ष 2023 में अधिकमास के कारण ढाई माह का सावन मास रहेगा। इस कारण बाबा महाकाल की सवारियां 7 से अधिक निकलेंगी। करीब 19 वर्ष बाद इस तरह का संयोग बन रहा है।

लौंद का महीना कब पड़ेगा?

इस वर्ष पूरे मास मई, जून, नवंबर अाैर दिसंबर में कुल 15 विवाह के मुहूर्त ही है। जबकि 2021 की शुरूआत के तीन महिनों तक कोई भी विवाह मुहूर्त नहीं है। वहीं विवाह मुहूर्त 25 अप्रैल 2021 में शुरू होंगे। 18 सितंबर से अधिक मास की शुरू : ढाई साल में एक बार अधिक मास आता है।

लौंद का महीना कौन सा है 2022?

बसंत का प्रभाव होने से इस महीने में प्रेम और रिश्तों में बेहतरी आती है. इस साल फाल्गुन मास 17 फरवरी 2022 से शुरु होकर 18 मार्च तक रहेगा.