315 का कट्टा कितने रुपए का आता है? - 315 ka katta kitane rupe ka aata hai?

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  • 1 हजार रुपए में मिलता है यहां मर्डर का 'सामान', अन्य राज्यों में होती है सप्लाई

315 का कट्टा कितने रुपए का आता है? - 315 ka katta kitane rupe ka aata hai?

अवैध गन फैक्ट्री में धड़ल्ले से गन तैयार किए जाते हैं।

मुरैना/ग्वालियर. शस्त्र लाइसेंस लेने की प्रक्रिया पुलिस और प्रशासन ने जटिल की तो लोगों में अवैध हथियार रखने का शौक बढ़ गया है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में अवैध हथियारों के बढ़ते प्रयोग के चलते हत्या, लूट के अपराध का रेट तकरीबन 10 प्रतिशत तक बढ़ गया है। कैसे अवैध हथियारों का गढ़ बना चंबल...

-मुरैना जिला क्षेत्र के गांवों में भी कट्टों की खरीद विधानसभा, लोकसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर हुई है।

-चुनाव में बंदूकें जमा होने के बाद भी मतदान केन्द्रों पर झगड़ों में कट्टों से गोलियां चलाने की कई वारदातें हुई हैं।

- वहीं थानों में फोर्स की कमी के कारण पुलिस अवैध हथियारों को पकड़ने और इस कारोबार की चेन को उजागर करने में सफल नहीं हो पाती है।

-अवैध हथियार के सप्लायर लोगों को पकड़ने के लिए पुलिस को जिले व राज्य से बाहर जाना पड़ता है इसके लिए पुलिस के पास पर्याप्त फोर्स नहीं होता। पुलिस सिर्फ पीएचक्यू से मिले टास्क को पूरा करने पर ध्यान देती है।

-स्पेशल टास्क फोर्स के अतिरिक्त महानिदेशक सुधीर शाही को प्रदेशभर के अवैध हथियारों के संबंध में बुधवार को चंबल जोन के पुलिस अफसरों को नसीहत दी है।

पांच साल में बढ़ा अवैध हथियारों का कारोबार

-अवैध हथियारों के कारोबार में भिंड जिला प्रदेश में बेशक अव्वल है लेकिन मुरैना में भी कट्टों के उपयोग व वारदातों का ग्राफ,आम आदमी में असुरक्षा की भावना पैदा कर रहा है।

-कारण है कि बीते पांच सालों में पुलिस द्वारा पकड़े गए अवैध हथियारों की संख्या में लगभग दो गुना इजाफा हुआ है।

-वर्ष 2011 में पुलिस ने जहां 204 अवैध बंदूक, कट्टे व पिस्टल पकड़े वहीं 2015 में कार्रवाई का ग्राफ बढ़कर 389 तक जा पहुंचा है।

-अवैध शस्त्र कहां से आए, किसने बनाए, किसने खरीदे और किसने अपराध घटित किए, यह पुलिस की पड़ताल का विषय होना चाहिए था लेकिन मुरैना, भिंड व दतिया जिले के पुलिस कप्तानों ने इंस्पेक्टर्स से इस विषय पर काम नहीं कराया।

मुंगेर, बुरहानपुर से आते हैं हथियार

-अवैध हथियारों की सप्लाई बिहार के मुंगेर, यूपी के इटावा मैनपुरी व मध्यप्रदेश के खंडवा, बुरहानपुर, धार व खरगोन जिलों से होती है।

-एक हजार रुपए कीमत में 12 बोर का कट्‌टा व 1500 रुपए में 315 बोर का कट्‌टा तथा तीन से पांच हजार रुपए कीमत में कंट्रीमेड पिस्टल व रिवाल्वर उपलब्ध होती हैं।

फाइल फैक्ट

-हत्या: वर्ष 2013 में 60, 2014 में 59 व 2015 में 65

-हत्या का प्रयास : वर्ष 2013 में 116, 2014 में 139 व 2015 में 99

-युवाओं में बढ़ा अवैध हथियारों का शौक

-10% बढ़ गया जिले में अपराध

तह में नहीं जाती पुलिस

-पुलिस ने जब-जब बड़ी संख्या में हथियार पकड़े हैं तब तब मुल्जिमों की गिरफ्तारी व नाममात्र के रिमांड तक मामला सिमट गया।

-एसटीएफ की मंशा है कि हथियार बनाने से लेकर उसकी मार्केटिंग व ब्रांडिंग करने वाले तत्व, सेल्समैन व खरीद करने वालों के बीच की पूरी चेन को पकड़ा जाए। ताकि अवैध हथियारों के ठिकानों, स्मगलरों व उनके बिजनेस की परत खुल सकें।

-वहीं 315 बोर से लेकर 12 बोर के कट्टे, देसी पिस्टल व रिवाल्वर का दुरुपयोग संगीन अपराध घटित करने में हो रहा है। आपराधिक मानसिकता के लोग लूट, डकैती व हत्या के अपराधों में करते हैं।

कानून की पेचीदगियों के कारण पुलिस नहीं पकड़ती

सेवानिवृत डीएसपी केडी सोनकिया कहते हैं कि अवैध शस्त्र पकड़े जाने के बाद थाना प्रभारी को आरोपी की जानकारी के आधार पर हथियार के निर्माण स्थल तक पहुंचना चाहिए। जिससे इस कारोबार से जुड़े सभी लोग पकड़े जा सकें। लेकिन कानून की पेचीदगियों के कारण पुलिस उन लोगों को नहीं पकड़ती जिनसे हथियार बरामद नहीं होते। वैधानिक प्रक्रिया की जटिलता काम करने में दिक्कत पैदा करती है।

आगे की स्लाइड्स में देखें, किस तरह बनाते हैं अवैध हथियार...

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315 कट्टा की कीमत कितनी?

मुंगेर, बुरहानपुर से आते हैं हथियार -एक हजार रुपए कीमत में 12 बोर का कट्‌टा व 1500 रुपए में 315 बोर का कट्‌टा तथा तीन से पांच हजार रुपए कीमत में कंट्रीमेड पिस्टल व रिवाल्वर उपलब्ध होती हैं।

कट्टा का रेट क्या है?

देशी कट्टा बन्दुक की कीमत भारत में हथियार रखना आसान नहीं क्योकि हथियार रखने के लिए सबसे भारत सरकार से हथियार का लाइसेंस लेना होता है। उसके बाद ही हथियार जैसे बन्दुक, पिस्टल और अन्य हथियार को रखा सकता है लेकिन देशी कट्टा एक गैर लाइसेंसी हथियार है। इसलिए देशी कट्टे की कीमत लगभग 4 से 5 हजार होती है।

12 बोर बंदूक का क्या रेट है?

12 बोर की बंदूक 30 हजार रुपए और सेमी ऑटोमेटिक राइफल करीब 3 लाख रुपए में खरीदी गई है।

सबसे अच्छी पिस्तौल कौन सी है?

माउज़र पिस्तौल (अंग्रेजी: Mauser C96) मूल रूप से जर्मनी में बनी एक अर्द्ध स्वचालित पिस्तौल है। इस पिस्तौल का डिजाइन जर्मनी निवासी दो माउज़र बन्धुओं ने सन् 1895 में तैयार किया था। बाद में 1896 में जर्मनी की ही एक शस्त्र निर्माता कम्पनी माउज़र ने इसे माउज़र सी-96 के नाम से बनाना शुरू किया।