1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? - 1. senaanee na hote hue bhee chashmevaale ko log kaiptan kyon kahate the?

चश्मेवाला एक सच्चा देशभक्त था। न तो वह कोई सेनानी था न नेताजी का साथी था न आज़ाद हिन्द फौज का सिपाही। फिर भी लोग उसकी देशभक्ति की भावना को देख उसे केप्टन नाम से संबोधित करते थे। केप्टन को नेताजी की मूर्ति बिना चश्मेवाली देखकर आहत करती थी। वह बार-बार अनेक तरह के चश्मे पहनाकर उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करता था। उसकी देशभक्ति की भावना को देखकर लोग उसे केप्टन कहकर बुलाते थे।

सेनानी न होते हुए भी लोग चश्मेवाले को कैप्टन इसलिए कहते थे, क्योंकि 

• कैप्टन चश्मेवाले में नेताजी के प्रति अगाध लगाव एवं श्रद्धा भाव था। 

• वह शहीदों एवं देशभक्तों के अलावा अपने देश से उसी तरह लगाव रखता था जैसा कि फ़ौजी व्यक्ति रखते हैं। 

• उसमें देश प्रेम एवं देशभक्ति का भाव कूट-कूटकर भरा था। 

• वह नेताजी की मूर्ति को बिना चश्मे के देखकर दुखी होता था।

Short Note

सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?

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Solution

चश्मेवाला एक देशभक्त नागरिक था। उसके हृदय में देश के वीर जवानों के प्रति सम्मान था। इसलिए लोग उसे कैप्टन कहते थे।

Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A)

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Chapter 10: स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा - प्रश्न-अभ्यास [Page 64]

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NCERT Class 10 Hindi - Kshitij Part 2

Chapter 10 स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा
प्रश्न-अभ्यास | Q 1 | Page 64

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1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? - 1. senaanee na hote hue bhee chashmevaale ko log kaiptan kyon kahate the?

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1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ? उत्तर:- चश्मेवाला कभी सेना में नहीं रहा परन्तु चश्मेवाला एक देशभक्त नागरिक था। उसके हृदय में देश के वीर जवानों के प्रति सम्मान था।  नेताजी की मूर्ति पर  चश्मा लगा कर मूर्तिकार की गलती को छिपाता  है ताकि नेताजी के सम्मान में कोई कमी न हो, उसकी इसी भावना को देखकर लोग उसे कैप्टन कहते थे।

  • Posted by Rishabh Pawar 2 years ago

    • 3 answers

    Par question kya pucha hai isme tho question answer dono hi hai

    1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? - 1. senaanee na hote hue bhee chashmevaale ko log kaiptan kyon kahate the?

    Posted by Ankit Singh 1 week, 4 days ago

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    Posted by Amogh Aggarwal 1 week, 1 day ago

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    Posted by Ashmit Kumar 13 hours ago

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    Posted by Devil Girl 1 week, 5 days ago

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    Posted by Sonam Pandey 1 week ago

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    Posted by Surbhi Shrivastava 5 days, 11 hours ago

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    Posted by Akriti Singh 1 week, 5 days ago

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    Posted by Khushi Khushi 5 days ago

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    Posted by Gurjott Kaurr 2 weeks, 5 days ago

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    Posted by Ashdeep Singh 5 days, 14 hours ago

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    सेनानी न होते हुए भी चश्मे बाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?


    चश्मे वाला कोई सेनानी नहीं था और न ही वे देश की फौज में था। फिर भी लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते थे। इसका कारण यह रहा होगा कि चश्मे वाले में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। वह अपनी शक्ति के अनुसार देश के निर्माण में अपना पूरा योगदान देता था। कैप्टन के कस्वे में चौराहे पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगी हुई थी। मूर्तिकार उस मूर्ति का चश्मा बनाना भूल गया। कैप्टन ने जब यह देखा तो उसे बड़ा दुःख हुआ। उसके मन में देश के नेताओं के प्रति सम्मान और आदर था। इसीलिए वह जब तक जीवित रहा उसने नेता जी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर रखा था। उसकी इसी भावना के कारण लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते थे।

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    नेताजी सुभाषचंद्र बोस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक प्रोजेक्ट बनाइए।


    विद्यार्थीयो अपने अध्यापका अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

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    सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे-सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे कार्यों का उल्लेख करें और उन पर अमल भी कीजिये।


    हम अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे कई कार्यों को उचित ढंग से कर सकते हैं जिससे देश प्रेम का परिचय मिलता है। पानी हमारे प्राणी जीवन के लिए अनमोल धैरोहर है। पानी का उचित प्रयोग करना चाहिए। बिना मतलब के पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। पानी की टंकी को खुला न छोड़े। पानी के प्रयोग के बाद तुरंत पानी की टंकी बंद कर देनी चाहिए।
    बिजली का उचित प्रयोग करना चाहिए। फालतू बिजली का प्रयोग हमारे जीवन को अंधकारमय बना सकता है। इसलिए बिजली का जितना प्रयोग संभव हो उतना ही प्रयोग करना चाहिए। घरों में बिजली के पंखें, ट्‌यूबें खुली नहीं छोड़नी चाहिए। जब इनकी जरूरत न हो तो बंद कर देनी चाहिए।
    पेट्रोल का उचित प्रयोग करने के लिए जहां तक संभव हो निजी यातायात के साधनों का प्रयोग कम करना चाहिए। सार्वजनिक यातायात के साधनों का उचित प्रयोग करना चाहिए। इससे मनुष्य के धन की भी बचत होती है तथा पर्यावरण प्रदूषित कम होता है।
    ऐसे हमारे जीवन-जगत से जुड़े कई कार्य हैं जिनको अमल में लाकर हम अपने देश प्रेम का परिचय दे सकते हैं।

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    आपके विद्यालय में शारीरिक रूप में चुनौतीपूर्ण विद्यार्थी है उनके लिए विद्यालय परिसर और कक्षा-कक्ष में किस तरह के प्रावधान किए जाएँ प्रशासन को इस संदर्भ में पत्र द्वारा सुझाव दीजिये 


    सेवा में
    प्रधानाचार्य,
    केंद्रीय विद्यालय,
    दिल्ली कैंट।
    मान्यवर महोदय,

    आपको विदित ही है कि हमारे विद्यालय में अनेक ऐसे विद्यार्थी  हैं जो किसी न किसी रूप से शारीरिक विकलांगता से युक्त हैं। उन्हें विद्यालय में प्रथम अथवा  द्वितीय तल पर स्थित कक्षाओं में जाने तथा प्रसाधन कक्षों का प्रयोग करने में बहुत कठिनाई होती है। आप से प्रार्थना है कि शारीरिक रूप से असमर्थ विद्‌यार्थियों की कक्षाएं निचले तल पर लगाई जाएं तथा सीढ़ियों के साथ-साथ रैंप भी बनाए जाएं जिससे उन्हें आने-जाने में तकलीफ न हो। उनके लिए पुस्तकालय, प्रसाधन कक्षों में भी समुचित व्यवस्था की जाए।

    आशा है आप हमारी प्रार्थना को स्वीकार कर समुचित प्रबंध कराएंगे।

    धन्यवाद,
    भवदीप
    राघव मेनन
    मुख्य विद्‌यार्थी कक्षा दसवीं
    दिनांक 15 मार्च, 20..

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    कैप्टन फेरी लगाता था।
    फेरी बाले हमारे दिन-प्रतिदिन की बहुत-सी जरूरतों को आसान बना देते हैं। फेरीवालों के योगदान व समस्याओं पर एक संपादकीय लेख तैयार कीजिए 


    फेरी वाले हमारी जिंदगी का एक अभिन्न अंग हैं। यह हमारी दौड़ती-भागती जिंदगी को आराम देते हैं। फेरी वाले घर पर ही हमारी आवश्यकताओं को पूरा कर देते हैं। गली में कई फेरी वाले आते हैं जैसे सब्जी वाले, फल वाले, रोजाना काम में आने वाली वस्तुएँ आदि। फेरी वालों ने हमारे जीवन को सुगम बना दिया है। हमें छोटी से छोटी चीज घर बैठे मिल जाती है इससे हमारे समय की बचत होती है। हम अपना बचा हुआ समय किसी उपयोगी कार्य में लगा सकते हैं। कुछ फेरी वाले जहाँ हमारे जीवन के लिए उपयोगी हैं वहीं कुछ फेरी वाले समस्या भी उत्पन्न कर देते हैं। कई कॉलोनियाँ शहर से दूर होती हैं इसलिए वहाँ के लोगों को अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए इन फेरी वालों पर निर्भर रहना पड़ता है। ये फेरी वाले उन लोगों की जरूरतों का फायदा उठाते हुए मनमाने मूल्यों पर वस्तु बेचते हैं। कई बार तो दुगने पैसों पर गंदा और घटिया माल बेच देते हैं। कई फेरी वाले अपराधिक तत्वों से मिलकर उन्हें ऐसे घरों की जानकारी देते हैं जहाँ दिन में केवल बच्चे और बूढ़े होते हैं। फेरी वालों की मनमानी रोकने के लिए उनको नगरपालिका से जारी मूल्य-सूची दी जानी चाहिए। फेरी वालों के पास पहचान-पत्र और लाइसेंस होना चाहिए।

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    “वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”
    कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर आपकी क्या प्रतिक्रिया लिखिए


    हालदार साहब के मन में नेता जी की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाले के प्रति आदर था। जब उन्हें पता चला कि चश्मा लगाने वाला कोई कैप्टन था तो उन्हें लगा कि वह नेता जी का कोई साथी होगा। परंतु पानवाला उसका मजाक उड़ाते हुए बोला कि वह एक लँगड़ा व्यक्ति है इसलिए वह फौज में कैसे जा सकता है।
    पानवाले का कैप्टन की हँसी उड़ाना अच्छा नहीं लगता है एक वही है जिसने नेता जी की मूर्ति के अधूरे व्यक्तित्व को पूरा किया था। उसके नेता जी के प्रति आदर भाव ने ही पूरे कस्बे की इज्जत बचा रखी थी। पानवाले के मन में देश और देश के नेताओं के प्रति आदर सम्मान नहीं था। उसे तो अपना पान बेचने के लिए कोई न कोई मसाला चाहिए था। यदि ऐसे लोग देश के लिए कुछ कर नहीं सकते तो उन्हें किसी की हँसी उड़ाने का भी अधिकार नहीं हे। कैप्टन जैसे भी व्यक्तित्व का स्वामी था उससे उसकी देश के प्रति कर्त्तव्य भावना कम नहीं होती थी। पानवाले को कैप्टन की हँसी नहीं उड़ानी चाहिए थी।

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    सेनानी न होते हुए भी चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे Class 10?

    वह सुभाषचंद्र का सम्मान करता था। वह सुभाष की बिना चश्मे वाली मूर्ति को देखकर आहत था। इसलिए अपनी ओर से एक चश्मा नेताजी की मूर्ति पर अवश्य लगाता था। उसकी इसी भावना को देखकर ही लोगों ने उसे सुभाषचंद्र बोस का साथी या सेना का कैप्टन कहकर सम्मान दिया ।

    सेनानी न होते हुए भी चश्मे वाले को लोकेशन क्यों कहते थे?

    प्रश्न 10-1: सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? उत्तर 10-1: सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि उसके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हूई थी। वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सेनानियों का भरपूर सम्मान करता था।

    कौन सी विशेषताओं के कारण चश्मे वाले को लोग कैप्टन कहकर पुकारते थे?

    सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ? उत्तर:- चश्मेवाला कभी सेनानी नहीं रहा परन्तु चश्मेवाला एक देशभक्त नागरिक था। उसके हृदय में देश के वीर जवानों के प्रति सम्मान था। वह अपनी ओर से एक चश्मा नेताजी की मूर्ति पर अवश्य लगाता था उसकी इसी भावना को देखकर लोग उसे कैप्टन कहते थे

    लोग कैप्टन क्यों कहते थे?

    चश्मे वाला कोई सेनानी नहीं था और न ही वे देश की फौज में था। फिर भी लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते थे। इसका कारण यह रहा होगा कि चश्मे वाले में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। वह अपनी शक्ति के अनुसार देश के निर्माण में अपना पूरा योगदान देता था।