Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 कठपुतली Textbook Exercise Questions and Answers. कविता से कठपुतली के प्रश्न उत्तर
HBSE 7th Class प्रश्न 1. कठपुतली कविता के शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 2. कक्षा 7 पाठ 4 कठपुतली के प्रश्न उत्तर HBSE प्रश्न 3. Kathputli Path Ke Prashn Uttar HBSE 7th Class प्रश्न 4.
उत्तर: कविता से आगे 1. ‘बहुत दिन हुए/हमें अपने मन के छंद छुए।’ इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? अगले पृष्ठ पर दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए- 2. नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दोनों आंदोलनों के दो-दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए HBSE 7th Class Hindi कठपुतली Important Questions and Answersअति लघुत्तरात्मक प्रश्न Kathputli Chapter HBSE 7th Class प्रश्न 1. कठपुतली कविता के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 2. लघुत्तरात्मक प्रश्न कठपुतली पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 1. कठपुतली गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या 1. कठपुतली ………………….. छोड़ दो। शब्दार्थ: बली: खाली, जोश में आई (Excited)। पाँव: पैर (Feer)| प्रसंग: प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित कविता ‘कठपुतली’ से लिया गया है। इस कविता के रचयिता भवानीप्रसाद मिश्र हैं। व्याख्या: अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न: बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चनकर लिखिए 1. इस कविता के रचयिता कौन हैं? 2. कठपुतली को किनसे परेशानी थी? 3. इस काव्यांश में कठपुतली के मन का
कौन-सा भाव प्रकट होता है- कठपुतली पाठ के शब्दार्थ HBSE 7th Class 2. सुनकर बोली.. ………………….. में जगी? शब्दार्थ: छंद = कविता, मन की इच्छा (Desire)| प्रसंग: प्रस्तुत पक्तियाँ भवानीप्रसाद मिश्र की कविता ‘कठपुतली’ से अवतरित हैं। एक कठपुतली की बात का प्रभाव अन्य कठपुतलियों पर भी पड़ता है। व्याख्या: जब पहली कठपुतली पर अन्य सभी कठपुतलियों की स्वतंत्रता की ज़िम्मेदारी आती है तो वह सोचने लगती है कि यह मेरे मन में कैसी इच्छा जाग गई? अब वह सोच-समझकर कदम उठाना जरूरी समझती है। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न: Kathputli Class 7 HBSE बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. अन्य कठपुतलियाँ क्या बोलीं? 2. ‘पहली कठपुतली’-रेखांकित शब्द क्या
है? 3. ‘कठपुतलियाँ’ किसकी प्रतीक हैं? कठपुतली Summary in Hindiकठपुतली पाठ का सार प्रश्न: भवानी प्रसाद मिश्र के जीवन और कवित्व के बारे में आप क्या जानते हैं ? प्रारंभ में इनकी ख्याति ‘गीत-फरोश’ शीर्षक कविता के कारण अचानक हुई। यह कविता एकालाप नाटकीय कथोपकथन का विलक्षण आकर्षण और माधुर्य लिए हुए है। यह रचना आज के पाठक की गिरी हुई रुचि और काव्य के मूल्यों की डांवाडोल स्थिति की सूचक है। एक प्रकार से आज के युग में यह एक तीखा व्यंग्य है, जब कविता का उचित मूल्य और महत्त्व नहीं आँका जाता। श्री मिश्र की रचनाओं को पढ़कर पहला प्रभाव जो पाठक के मन पर पड़ता है, वह यह कि ये प्रकृति के बड़े प्रेमी थे। प्रकृति के साथ इन्होंने कुछ ऐसी गहरी आत्मीयता स्थापित कर ली थी कि ये उसे स्थान-स्थान पर संबोधित करते पाए जाते हैं। मध्य प्रदेश तो जैसे इनकी रचनाओं में सोते से जाग उठा। विंध्याचल, नर्मदा और रेवा इनकी साँसों में बसते थे। दुःख है कि मार्च, 1985 में इनका देहांत हो गया। इनकी कविताएँ जीवन के प्रेम की कविताएँ हैं, जीवन के दुःख संघर्ष की कविताएँ, जीवन के आनंद की कविताएँ, सुख-ढूँढ़ने से ही सुख मिलता है और दुख ढूँढने से दुख, यह बात इन्होंने अपनी रचनाओं में हजार तरह से समझाई है। अत: इनकी कविताएँ मूल रूप से आस्तिक भाव की, जीवन के आनंद की और कर्म-प्रेरणा की रचनाएँ हैं। वे जीवन की आलोकमयी दृष्टि की परिचायिका हैं। भवानीप्रसाद मिश्र के विचारों पर भारतीय विचारधारा का गंभीर प्रभाव पाया जाता है-विशेष रूप से गाँधीवाद का। बीसवीं शताब्दी में प्रचलित अन्य लोक-कल्याणकारी विचारधाराओं से भी ये किसी सीमा तक प्रभावित रहे। विशेष बल इन्होंने इस बात पर दिया कि हमारा जीवन सहज और सरल होना चाहिए। इस प्रकार भवानीप्रसाद मिश्र की रचनाओं में प्राणों की पूरी ऊष्मा, जीवन की पूरी गंभीरता, सहज प्रसन्नता तथा सहजता पाई जाती है। रचनाएँ: गीतफरोश, चकित है दु:ख, अँधेरी कविताएँ, बुनी हुई रस्सी, खुशबू के शिलालेख, अनाम तुम आते हो, इदं न मम। कठपुतली कविता का सार इस कविता में कठपुतलियाँ अपनी स्वतंत्रता की इच्छा प्रकट करती हैं। एक कठपुतली गुस्से में आकर बोली कि मेरे आगे-पीछे धागे क्यों बंधे हैं ? इन धागों को तोड़कर मुझे आजाद कर दो ताकि मैं अपने पैरों पर खड़ी हो सकूँ और चल सकूँ। उसकी बात सुनकर अन्य कठपुतलियों ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाई। वे भी आजाद होना चाहती थीं। फिर पहली कठपुतली यह सोचने लगी कि यह मेरे मन में कैसी इच्छा उत्पन्न हो गई। अब उस पर नई जिम्मेदारी आ गई थी। वह सोचने लगती है कि मेरी इस इच्छा का क्या परिणाम होगा? क्या वह अपनी स्वतंत्रता को सँभाल पाएगी? क्या वह पूरी तरह से अपने पैरों पर खड़ी हो पाएगी? क्या वह आजादी का सही उपयोग कर पाएगी? पहली कठपुतली सोच-समझ कर ज़रूरी कदम उठाना चाहती है। |