UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 9 व्यक्तिगत स्वास्थ्य : शारीरिक स्वच्छता (Individual Health: Cleanliness of Body) Show UP Board Class 11 Home Science Chapter 9 विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. इसके अतिरिक्त, व्यक्ति का मानसिक एवं संवेगात्मक सन्तुलन भी उसके स्वास्थ्य के लिए आवश्यक कारक होता है। शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हुए भी यदि कोई व्यक्ति मानसिक रूप से असन्तुलित या असामान्य हो तो उस व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं माना जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य के अर्थ को इन शब्दों में स्पष्ट किया है, “शरीर की रोगों से मुक्त दशा स्वास्थ्य नहीं है, व्यक्ति के स्वास्थ्य में तो उसका सम्पूर्ण शारीरिक, मानसिक एवं संवेगात्मक कल्याण निहित है।” प्रस्तुत कथन के आधार पर कहा जा सकता है कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य अपने आप में एक बहुपक्षीय अवधारणा है। स्वास्थ्य का सम्बन्ध व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक तथा संवेगात्मक पक्षों से है। उसी व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ माना जाएगा जो क्रमशः शारीरिक, मानसिक तथा संवेगात्मक रूप से पूर्ण स्वस्थ हो। व्यक्तिगत स्वास्थ्य : देख-रेख तथा रक्षा (Individual Health : Care and Protection) 1. नियमबद्धता – अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है कि दैनिक कार्यों को नियमानुसार किया जाए। उदाहरणार्थ-समय पर शौच आदि से निवृत्त होना, नाश्ता या भोजन समय से करना, व्यायाम नियमानुसार नित्यप्रति करना, समय पर सोना, समय से उठना आदि अनेक कार्य प्रतिदिन समय से करने होते हैं। 2. शारीरिक स्वच्छता – सम्पूर्ण शरीर की नियमित स्वच्छता स्वास्थ्य की दृष्टि से अति आवश्यक है अन्यथा अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। शारीरिक स्वच्छता के अभाव में विभिन्न संक्रामक रोगों के रोगाणु शरीर के सम्पर्क में आते रहते हैं तथा व्यक्ति रोगग्रस्त हो सकता है। इसके अतिरिक्त, मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी शारीरिक-स्वच्छता आवश्यक है। शारीरिक स्वच्छता के लिए निम्नलिखित अंगों की स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए – (क)त्वचा की स्वच्छता – त्वचा की सफाई प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है किन्तु भारतवर्ष जैसे गर्म देश में तो यह और भी अधिक आवश्यक है क्योंकि यहाँ अधिक पसीना आता है। पसीना एक दूषित पदार्थ है और इसमें अनेक पदार्थ; जैसे – उपचर्म की टूटी-फूटी कोशिकाएँ, धूल के कण आदि के अतिरिक्त अनेक जीवाणु भी फंस जाते हैं तथा इन पदार्थों को सड़ाते हैं। इससे दुर्गन्ध आने लगती है तथा अनेक प्रकार के चर्म रोग उत्पन्न हो जाते हैं। त्वचा की सफाई के लिए स्नान करना आवश्यक है। इससे त्वचा के छिद्र खुल जाते हैं और पसीना निकलता रहता है। त्वचा से गन्दगी हट जाने से बीमारियों की आशंका नहीं रहती है। स्नान करते समय शरीर को साबुन आदि से साफ करना अच्छा रहता है। शरीर को रगड़ना भी आवश्यक है ताकि इसकी मालिश हो सके। इससे शरीर में रक्त का संचार सुचारु बना रहता है। (ख) मुँह तथा दाँतों की स्वच्छता – मुँह को स्वच्छ करना आवश्यक है क्योंकि भोजन इत्यादि के टुकड़े दाँतों में अथवा अन्य स्थानों पर रुक जाते हैं जो बाद में सड़ने लगते हैं। फलस्वरूप जीवाणु अपना घर बना लेते हैं, जो भोजन के साथ आहार नाल में चले जाते हैं तथा विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न कर सकते हैं। वैसे भी मुँह में अम्ल (तेजाब) बन जाने से दाँतों का इनेमल (पॉलिश) खराब हो जाता है। मुंह एवं दाँतों की स्वच्छता के लिए भोजन या नाश्ते के बाद भली भाँति कुल्ला करना आवश्यक है। प्रातः शौच के बाद दाँतों को अच्छे मंजन, दातून या ब्रुश इत्यादि से साफ करना चाहिए। रात्रि को सोने से पूर्व भी दाँतों तथा मुँह की पूर्ण सफाई आवश्यक है। (ग) नाखूनों की स्वच्छता – नाखूनों के अन्दर किसी प्रकार की गन्दगी नहीं रहनी चाहिए क्योंकि भोजन के साथ इनमें उपस्थित रोगों के कीटाणु, जीवाणु आदि आहार नाल में पहुँचकर विकार उत्पन्न करेंगे। नाखूनों को काटते रहना चाहिए अथवा ब्रुश इत्यादि से भली-भाँति साफ करना चाहिए। (घ) बालों की स्वच्छता – बालों को स्वच्छ रखने के लिए इनको धोना आवश्यक है। धूल, मैल, पसीना आदि पदार्थ इससे साफ हो जाते हैं। साबुन, रीठा, बेसन आदि पदार्थों को बाल धोने के लिए प्रयोग में लाने से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। सिर के बालों को गन्दा रखने से उनमें आदि होने का भय रहता है जिससे सिर में घाव भी हो सकते हैं तथा अन्य रोग भी होने की सम्भावना रहती है। (ङ) आँखों की स्वच्छता – आँखों की स्वच्छता तथा सुरक्षा के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करना आवश्यक है –
(च) नाक की स्वच्छता – नाक के अन्दर से निकले हुए तरल श्लेष्मक में गन्दगी एकत्रित होती है। प्रतिदिन इसे अच्छी प्रकार साफ कर देना चाहिए। नाक की नियमित सफाई से हमारा श्वसन-तन्त्र स्वच्छ रहता है तथा श्वसन-तन्त्र सम्बन्धी रोगों की प्राय: आशंका नहीं रहती। (छ) कानों की स्वच्छता-कान की भित्ति के अन्दर एक प्रकार का तरल पदार्थ निकलता रहता है जो बाहरी पदार्थों को अपने अन्दर उलझाकर अन्दर जाने से रोकता है। इसी कारण कान में मैल एकत्रित होता है। इसको सरसों का तेल डालकर रुई की फुरहरी से साफ करना चाहिए। (ज) वस्त्रों की स्वच्छता-शारीरिक स्वच्छता के लिए जहाँ एक ओर शरीर के विभिन्न अंगों को स्वच्छ रखना अनिवार्य है, वहीं शरीर पर धारण किए जाने वाले वस्त्रों की स्वच्छता का भी ध्यान रखना आवश्यक है। वस्त्र जहाँ एक ओर शरीर की रक्षा एवं ढकने का कार्य करते हैं वहीं दूसरी ओर . गन्दे वस्त्रों से स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो सकता है। इनमें अनेक प्रकार के रोगों के रोगाणु पल सकते हैं। त्वचा की अनेक बीमारियाँ गन्दे वस्त्र पहनने से होती हैं। 3. उचित पोषण-व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए उचित पोषण भी आवश्यक है। उचित पोषण के लिए पर्याप्त मात्रा में सन्तुलित आहार की आवश्यकता होती है। इस प्रकार के आहार के अभाव में व्यक्ति अनेक कुपोषण अथवा अल्प-पोषणजनित रोगों का शिकार हो जाता है तथा उसका स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। 4. व्यायाम करना-शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए प्रतिदिन नियमित व्यायाम करना आवश्यक है। व्यायाम शरीर की मांसपेशियों को आवश्यक क्रियाशीलता देता है। इस प्रकार उसकी कार्य करने की शक्ति बढ़ती है। शरीर पुष्ट, स्फूर्तियुक्त तथा सुन्दर बन जाता है। 5. विश्राम तथा निद्रा-शरीर की थकान को दूर कर फिर से कार्य करने की शक्ति उत्पन्न करने के लिए आराम (विश्राम) आवश्यक है। इससे कार्यकुशलता बढ़ती है। विश्राम का सर्वोत्तम उपाय निद्रा है। निद्रा की अवस्था में मांसपेशियाँ शिथिल हो जाती हैं और उनके अन्दर एकत्र हुए विजातीय तत्त्व शरीर से विसर्जित हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप शरीर की मांसपेशियाँ अधिक कुशलता से कार्य करने की क्षमता अर्जित कर लेती हैं। 6. मादक वस्तुओं से बचाव-व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति हर प्रकार के नशों से दूर रहे। वास्तव में, सभी मादक पदार्थों के सेवन का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 7. स्वस्थ मनोरंजन व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ मनोरंजन भी आवश्यक है। वास्तव में, मानसिक एवं संवेगात्मक स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ मनोरंजन आवश्यक माना गया है। मनोरंजन के कुछ उपाय शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी विशेष लाभदायक होते हैं। खेल-कूद एवं व्यायाम इसी प्रकार के साधन हैं। प्रश्न 2. विश्राम का सबसे उत्तम उपाय नींद है। विश्राम तथा निद्रा के समय शरीर में कार्य करने के परिणामस्वरूप हुई टूट-फूट की क्षतिपूर्ति हो जाती है। इस प्रकार शरीर नई शक्ति अर्जित कर लेता है। पर्याप्त नींद ले लेने से व्यक्ति एकदम तरोताजा एवं स्वस्थ हो जाता है। नींद के समय नाड़ी एवं श्वास की गति कुछ मन्द हो जाती है तथा रक्त चाप घट जाता है; अतः सम्बन्धित अंगों को कुछ आराम मिलता है। जिस व्यक्ति को पर्याप्त नींद नहीं आती उसका स्वास्थ्य बिगड़ जाता है, व्यक्ति दुर्बल हो जाता है, स्वभाव में चिड़चिड़ाहट आ जाती है तथा चेहरे पर उदासी छा जाती है, कार्य करने की चुस्ती तथा शारीरिक तेज कम हो जाता है। ऐसा व्यक्ति थका-थका रहता है, मस्तिष्क अत्यधिक तनावयुक्त हो जाता है तथा उसमें कार्यों के परिणाम के प्रति निराशा उत्पन्न हो जाती है। नींद की कमी के उपर्युक्त लक्षणों को दूर करने के लिए, शरीर को रोगों से बचाने तथा स्वस्थ रखने के लिए उचित तथा आवश्यक विश्राम आवश्यक है। इसी प्रकार विश्राम की सर्वश्रेष्ठ विधि शान्त व गहरी नींद लेना है। इस प्रकार स्पष्ट है कि निद्रा का व्यक्ति के स्वास्थ्य से घनिष्ठ सम्बन्ध है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति को समुचित नींद अवश्य लेनी चाहिए। विश्राम तथा निद्रा के समय ध्यान देने योग्य बातें (Important points to be kept in Mind at the Time of Rest and Sleep) – 2. विश्राम व निद्रा के लिए वातावरण-नींद तथा विश्राम के लिए वातावरण शान्त, तनावरहित तथा स्वस्थ होना चाहिए। इसके लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है – (क) शयन कक्ष शान्त स्थान में शोरगुल से दूर होना चाहिए। 3. निद्रा के लिए व्यवस्थाएँ–स्वस्थ व शान्त निद्रा के लिए निम्नलिखित व्यवस्थाएँ उपयोगी होती हैं – UP Board Class 11 Home Science Chapter 9 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3.
प्रश्न 4. बालों को साफ करने के लिए प्रमुख रूप से इन्हें धोना आवश्यक है। बालों को धोने के लिए कम-से-कम सोडे वाला साबुन प्रयोग में लाना चाहिए। अधिक सोडे वाला साबुन बालों की जड़ों को कमजोर कर देता है, इसलिए दही, रीठा, बेसन, मुलतानी मिट्टी आदि से बालों को धोया जाना उचित रहता है। आजकल अनेक प्रकार के शैम्पू भी बालों को धोने के लिए उपलब्ध हैं। किसी अच्छे शैम्पू द्वारा भी बालों को धोया जा सकता है। बालों की सफाई के लिए, विशेषकर ज़े मारने के लिए सोडे में सिरका मिलाकर बालों में लगाया जा सकता है। नीबू तथा लहसुन के रस को बालों में लगाने से भी मर जाती हैं। जुएँ नष्ट करने के लिए कुछ औषधियाँ भी उपलब्ध हैं। नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी से नियमित रूप से बालों को धोने से भी जुएँ समाप्त हो जाती हैं। बालों की रक्षा करने के लिए नित्यप्रति कंघा करना चाहिए। इससे एक ओर तो बाल सँवरे रहते हैं तथा दूसरी ओर बालों से गन्दगी निकलती रहती है। प्रश्न 5. थकान को दूर करने के लिए विश्राम अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। शरीर में उत्पन्न विषैले पदार्थों को बाहर निकालना तथा टूट-फूट की मरम्मत करना आदि क्रियाओं के लिए विश्राम आवश्यक होता है। मस्तिष्क एवं स्नायु सम्बन्धी अंगों को विश्राम देने से इनकी कार्यकुशलता तथा कार्यक्षमता अत्यधिक बढ़ जाती है। विश्राम करने के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया निद्रा है। निद्रा शरीर के अवयवों तथा इन्द्रियों का शिथिलन है। अत: ऐसे समय में शरीर के अन्दर विभिन्न प्रकार की टूट-फूट की मरम्मत हो जाती है और नई कार्य-शक्ति अर्जित हो जाती है तथा पर्याप्त नींद लेने के बाद व्यक्ति तरोताजा एवं प्रसन्नचित्त हो जाता है। इस समय नाड़ी तथा श्वास गति, रक्तचाप एवं शरीर का ताप कम हो जाता है तथा व्यक्ति थकान से मुक्त हो जाता है। कई बार कार्यों के परिवर्तन से थकान दूर हो जाती है। इसके लिए मनोरंजन, व्यायाम तथा योगाभ्यास लाभदायक होता है। ये शरीर की कार्यक्षमता को बढ़ा देते हैं और थके हुए शरीर को शीघ्रता से, विश्राम के समय, पहले जैसी स्थिति में लाने में सहायता प्रदान करते हैं। प्रश्न 6. प्रश्न 7. (क) अफीम – यह एक तीव्र मादक पदार्थ है।
इसका निर्माण पोस्त के पौधे से किया जाता है। यद्यपि इसकी खेती एवं व्यापार पूर्णत: नियन्त्रित तथा कानूनन प्रतिबन्धित है, फिर भी चोरी-छिपे या तस्करी से इसका निर्माण किया जाता है। इसका प्रयोग अनेक प्रकार से किया जाता है। कुछ व्यक्ति इसके चूर्ण को खाते हैं तो कुछ इसको सूंघकर नशा प्राप्त करते हैं। सिगरेट में भरकर धूम्रपान के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। कुछ लोगों को इसके इंजेक्शन लगवाने की आदत पड़ जाती है।
वास्तव में, अफीम एक मीठा और भयंकर विष है। इसके सेवन से अनेक प्रकार की स्नायु तथा मस्तिष्क सम्बन्धी शिथिलताएँ उत्पन्न हो जाती हैं। (ख) भाँग-भाँग एक पौधे की पत्तियों से प्राप्त की जाती है। इसकी पत्तियों को पीसकर ऐसे ही खाया जाता है अथवा ठण्डाई आदि के रूप में घोटकर पिया जाता है। भाँग के सेवन से व्यक्ति का मानसिक सन्तुलन बिगड़ जाता है। यह आँतों को शुष्क व कमजोर बनाती है। (ग) गाँजा व चरस-गाँजा एवं चरस पौधों से प्राप्त किए गए अधिक सान्द्र नशीले पदार्थ हैं। इनका सेवन सिगरेट, चिलम इत्यादि में भरकर धूम्रपान के रूप में किया जाता है। इन पदार्थों का नशा अत्यन्त तीव्र होता है। इनके सेवन से शरीर एवं स्वास्थ्य पर अत्यधिक गहरा प्रभाव पड़ता है। पाचन शक्ति नष्ट हो जाती है और मानसिक चेतना जाती रहती है। इस प्रकार इस नशे का सम्पूर्ण शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। प्रश्न 8. तम्बाक में अनेक विषैले पदार्थ होते हैं जिसमें सबसे घातक व तेज विष निकोटिन (nicotine) है। यह पदार्थ सूक्ष्म रूप में मादक है। तम्बाकू चाहे किसी भी प्रकार प्रयोग में लाया जाए, इसके प्रयोग से अनेक हानियाँ हैं। यदि बाल्यावस्था या युवावस्था में इसके सेवन की आदत पड़ गई तो वह अत्यन्त घातक एवं स्थायी प्रभाव उत्पन्न करती है। प्रौढ़ व्यक्ति पर इसका प्रभाव धीरे-धीरे होता है।
यूरोपीय देशों में तो स्त्रियाँ भी धूम्रपान के रूप में तम्बाकू का सेवन करती हैं जिससे उनका सौन्दर्य कम हो जाता है। गर्भकाल में माता के धूम्रपान करने से अपरिपक्व और समय से पूर्व ही कम वजन के शिशु का जन्म होता है। प्रश्न 9. त्वचा की स्वच्छता का मुख्य उपाय स्नान है। अत: सामान्यत: नित्य स्नान करना आवश्यक है किन्तु ठण्डे प्रदेशों में कभी-कभी बिना स्नान के ही रहा जा सकता है। भारत जैसे देश में सर्दियों में दिन में एक बार तथा गर्मियों में दो बार स्नान करना स्वास्थ्य के लिए हितकर है। साधारण रूप से ठण्डे पानी (अपने शरीर के ताप के लगभग ताप वाला जल) से स्नान करना चाहिए। बच्चों, दुर्बल व्यक्तियों तथा वृद्धजनों को गर्म पानी से स्नान कराया जा सकता है। स्नान करते समय पूरे शरीर को रगड़-रगड़कर साफ करना चाहिए। साबुन अथवा उबटन द्वारा भी त्वचा की गन्दगी को साफ किया जा सकता है। स्नान करने से जहाँ एक ओर त्वचा की सफाई होती है वहीं दूसरी ओर इससे चित्त प्रसन्न रहता है। अत: स्नान करना स्फर्तिदायक है। प्रश्न 10.
अत: यह आवश्यक है कि बालक-बालिकाओं को कम आयु में ही व्यक्तिगत स्वच्छता का ज्ञान कराना चाहिए तथा इसको उनकी आदत बना देना चाहिए। प्रश्न 11.
प्रश्न 12. UP Board Class 11 Home Science Chapter 9 अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. UP Board Class 11 Home Science Chapter 9 बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर निर्देश : निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर में दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए – 2. व्यक्तिगत स्वास्थ्य की देख-रेख के लिए आवश्यक है – 3. त्वचा की स्वच्छता प्रतिदिन करनी चाहिए क्योंकि – 4. स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम आवश्यक है क्योंकि यह शरीर को बनाता है – 5. व्यायाम का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है – 6. शारीरिक थकान के निवारण का सर्वोत्तम उपाय है – 7. स्वस्थ मनोरंजन से सुधार होता है – 8. व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए बचना चाहिए – 9. ‘विश्व तम्बाकू निषेध दिवस कब मनाया जाता है – 10. व्यायाम से लाभ है – UP Board Solutions for Class 11 Home Scienceव्यक्तिगत स्वास्थ्य से आप क्या समझते हैं?व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एंव नियम- शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को व्यक्तिगत स्वास्थ्य कहते हैं। यदि व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा हो तो व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा और परिणामस्वरूप घर में सुख, शान्ति तथा समृद्धि बनी रहेगी।
व्यक्तिगत स्वच्छता का क्या महत्व है?यदि व्यक्तिगत स्वच्छता पर पर्याप्त ध्यान दिया जाए तो दस्त, चमड़ी और आँख के संक्रमण की सम्भावनाएँ काफी हद तक घट जाती है। व्यक्तिगत स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि घर के पास पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो।
व्यक्तिगत स्वच्छता के तीन काम कौन से हैं?कुछ सुझावों पर नजर डालते हैं जिनसे आपको स्वच्छ रहने में मदद मिलेगी:. सुनिश्चित करें कि आप एक प्रतिदिन पर दो बार अपने दांतों को ब्रश करें। ... . सुनिश्चित करें कि आप दैनिक स्नान करें, और मौसम की स्थिति पर निर्भर होते हुए, दो बार स्नान करने से परहेज़ न करें, अगर ज़रूरी लगे।. स्वास्थ्य से आप क्या समझते हैं?1) दैहिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना (समस्या-विहीन होना) ही स्वास्थ्य है। 2) किसी व्यक्ति की मानसिक,शारीरिक और सामाजिक रुप से अच्छे होने की स्थिति को स्वास्थ्य कहते हैं।। स्वास्थ्य सिर्फ बीमारियों की अनुपस्थिति का नाम नहीं है। हमें सर्वांगीण स्वास्थ्य के बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक है।
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