Neelkanth Questions and Answers Class 7अभ्यास Show निबन्ध से— प्रश्न 1. मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए? उत्तर – मोर मोरनी का नाम इस आधार पर रखा गया कि मोर की नीली गर्दन होने के कारण उसका नाम नीलकंठ रख दिया गया और मोरनी मोर के साथ हमेशा साय की तरह रहती थी इसलिए उसका नाम राधा रख दिया। प्रश्न 2. जाली के बड़े घर में पहुॅंचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ? उत्तर – जाली के बड़े घर में पहुॅंचने पर मोर के बच्चों का बहुत ही उत्साहिक स्वागत किया गया और सारे जीव जंतु उत्साह से भर गए थे। उनमें लक्का कबूतर नाचना छोड़कर पहले उन्हें देखने के लिए दौड़ पड़े और उनके चारों और घूम-घूमकर गुटरगूॅं-गुटरगूॅं के नारे लगाने लगे। बड़े खरगोश सभ्य सभासदों के समान क्रम से बैठकर गंभीर भाव से उनका निरीक्षण करने लगे और उनके गेंद जैसे छोटे खरगोश मोर-मोरनी के चारों ओर उछलकूद मचाने लगे। तोते मानो भलीभाॅंति देखने के लिए एक आंख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे। उस दिन मानो चिड़ियाघर में भूचाल सा आ गया हो। प्रश्न 3. लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएं बहुत भाती थीं? उत्तर – लेखिका को नीलकंठ की यह चेष्टाएं बहुत भाती थीं, जैसे– क) जब नीलकंठ अपनी गर्दन ऊंची करके देखता एवं जब वह गर्दन नीचे करके दाना चुनता था, लेखिका को उस समय वह बहुत ही प्यारा लगता था। ख) जब आसमान में काले-काले बादल घिर जाते, तब नीलकंठ अपने इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को फैलाकर नाचता। उसकी यह चेष्टा लेखिका को बहुत भाती थी। ग) और जब उसका लेखिका के हाथों से चने उठाकर खाना। प्रश्न 4. ‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’– वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है? उत्तर – यह वाक्य उनकी जीवन कि कठिनाई को दर्शा रहा है। जब लेखिका ने एक अन्य मोरनी खरीदकर अपने घर लाई, जिसका नाम कुब्जा रखा गया। वह राधा और नीलकंठ को एक साथ देखना पसंद नहीं करती थी। वह उन्हें साथ देखते ही उनको मारने दौड़ती थी। कुब्जा ने अपनी चोंच से राधा को मार-मारकर उसकी कलगी व पंख नोच डाले थे। पर परेशानी यह थी कि नीलकंठ उसे पसंद नहीं करता था, वह उससे भागता रहता। इसी बीच राधा ने दो अंडे दिए और जब कब्जा को यह बात पता चली उसने जाकर उन अंडों को अपनी चोंच से फोड़ दिये। इस घटना से नीलकंठ व राधा की जिंदगी में खुशी का अंत हो गया। प्रश्न 5. वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जाली घर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था? उत्तर – नीलकंठ को फलों के वृक्षों से अधिक उसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष अच्छे लगते थे। जब वसंत ऋतु में आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे, अशोक नए लाल पल्लवों से ढॅंक जाता था। तब नीलकंठ उन पेड़ों के नीचे घूमना, खेलना और वसंत ऋतु का आनंद लेना चाहता था। ऐसी स्थिति में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय हो उठता इसलिए उसे जालीघ से बाहर छोड़ना पड़ता था। प्रश्न 6. जाली घर में रहने वाले सभी जीव एक दूसरे के मित्र बन गए थे पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया? उत्तर – जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक दूसरे के मित्र बनकर रहते थे। तोता, मोर-मोरनी, खरगोश, कबूतर सभी मिलकर जालीघर में प्रेम से रहते थे। परंतु कुब्जा का स्वभाव अच्छा नहीं था। वह नीलकंठ और राधा से बहुत नफरत करती थी। वह सभी जीव-जंतुओं से झगड़ा करती थी। जो भी नीलकंठ के समीप जाने की कोशिश करता वह उसे मारने लगती थी। इन्हीं कारणों से वह किसी को मित्र नहीं बना सकी। प्रश्न 7. नीलकंठ ने खरगोश के बच्चों को साफ से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। उत्तर – एक बार एक साॅंप जालीघर के भीतर पहुॅंच जाता है। उस समय सभी जीव-जंतु डरकर इधर-उधर छिप जाते हैं, परंतु वह साॅंप एक छोटे खरगोश को अपने मुॅंह में दबोच लेता है। उस समय खरगोश का बच्चा डरकर ऊंचे आवाज में चीं-चीं का स्वर निकालने लगता है। उस समय नीलकंठ ऊपर झूले में सो रहा था, परंतु जैसे ही उसे चीं-चीं की आवाज सुनाई देती है। वह झटपट उसे बचाने के लिए वहाॅं पहुॅंचता है। तो वह देखता है कि साॅंप खरगोश को अपने मुॅंह में दबाए बैठा है। तब नीलकंठ सावधानी से साॅंप को फन के पास पंजों से दबा देता है और फिर चोंच से मार-मारकर उसे अधमरा कर देता है। साॅंप की पकड़ ढीली पढ़ते ही खरगोश का बच्चा मुॅंह से तुरंत बाहर निकल जाता है और नीलकंठ खरगोश के बच्चों को इस तरह बचा लेता है। नीलकंठ अच्छे स्वभाव का था। वह किसी को दुखी नहीं देख सकता था और वह बुद्धिमान एवं साहसी भी था इसलिए उसने खरगोश के बच्चे को पीड़ा में देखते ही उसने उसकी मदद करने की ठान ली, वह उसे बचा भी लिया इससे यह भी पता चलता है कि वह हर समय दूसरों की सहायता करता था। निबन्ध से आगे— प्रश्न 1. यह पाठ एक ‘रेखाचित्र’ है। रेखाचित्र की क्या-क्या विशेषताएं होती हैं? जानकारी प्राप्त कीजिए और लेखिका के लिखे किसी अन्य रेखाचित्र को पढ़िए। उत्तर – रेखाचित्र में लेखक या लेखिका एक सीधी कहानी ना लिखकर कुछ जीवन की छोटी-बड़ी घटनाओं के मुख्य अंश प्रस्तुत करती है। एवं कल्पना से ऐसे शब्द बनावट करती है कि सारे पढ़ने वालों की आंखों के सामने वह पल जिंदा हो उठते हैं। रेखाचित्र में संवेदना, चित्रात्मकता तथा भावात्मकता होती है। लेखिका कि द्वारा लिखी कोई अन्य रेखाचित्र पढ़िए। प्रश्न 2. वर्षा ऋतु में जब आकाश में बादल घिर आते हैं तब मोर पंख फैलाकर धीरे-धीरे मचलने लगता है–यह मोहक दृश्य देखने का प्रयास कीजिए। उत्तर – वर्षा ऋतु में जब आकाश में बादल घिर आते हैं तब मोर पंख फैलाकर धीरे धीरे मचल ने लगते हैं और वर्षा की एक एक बूंद खून में एक इच्छा जगाती है। जितनी जोर से बादल गरजते है, वह और ज्यादा झूमने लगते हैं। इससे सभी लोगों का ध्यान उनकी तरफ खिंचा चला आता है। प्रश्न 3. पुस्तकालय से ऐसी कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढ़िए जो वर्षा ऋतु और मोर के नाचने से संबंधित हो। उत्तर – विद्यार्थी स्वयं पुस्तकालय से ऐसी कहानी, कविता या गीत को खोज कर पढ़ें। अनुमान और कल्पना— प्रश्न 1. निबंध में आपने ये पंक्तियाॅं पढ़ी हैं– ‘मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई।जब गंगा की बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया तब उसे उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित-प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।’ –इन पंक्तियों में एक भाव चित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए कि मोर पंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएं लेखिका ने देखी होंगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर पंख के समान तरंगित हो उठा। उत्तर – मोर के पंख की चंद्रिका मनुष्य का मन मोह लेती है उसी तरह गंगा घाट भी। लेखिका को यह लगा कि घाट नीलकंड की तरह अपने सुंदर पंखों को फैलाकर नित्य कर रही है। जब गंगा में मचलती लहरें आती है, तो वह मोर के नृत्य की तरह लुभावनी, मनमोहक तथा आकर्षक होती है। जब गंगा में घुमावदार अवस्था में लहरें आती है ऐसा लगता है जैसे लेहरें नीलकंठ के नृत्य की नकल उतार रही हो। प्रश्न 2. नीलकंठ के नृत्य-भंगिमा का शब्द चित्र प्रस्तुत करें। उत्तर – जेसे ही आकाश में बादल छाते हैं, नीलकंठ के पैर अपने आप थिरकने लगते हैं। नीलकंठ अपने सुनहरे पंखों को फैलाकर फड़फड़ाते हुए नृत्य करने लगता है। मानो वर्षा की एक-एक बूंद उसे उर्जा प्रदान कर रही हो। यह दृश्य मनमोहक व आकर्षक होता है। नीलकंठ के पंखों को देखकर इंद्रधनुष का दृश्य महसूस होने लगता है और मोर के इस थिरकने से सारे लोग मनमोहित व आकर्षित होकर उसकी तरफ देखने लगते हैं। भाषा की बात— प्रश्न 1. ‘रूप’ शब्द से कुरुप, स्वरूप, बहुरूप आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द बनाओ– गंध रंग फल ज्ञान उत्तर –
प्रश्न 2. विस्मयाभिभूत और विस्मया और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के य के साथ अभिभूत के अ के मिलने से या हो गया है। अ आदि वर्ण है। ये सभी वर्ण-ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्णों में इनके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।जैसे– क् + अ = क इत्यादि। अ की मात्रा के चिन्ह (आ) से आप परिचित हैं। अ की भांति किसी शब्द में आ के भी जुड़ने से आकार की मात्रा ही लगती है, जैसे– मंडल + आकार = मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर (जोड़ने पर) मंगलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर (जोड़ने पर) मंगलाकार शब्द बनता है और मंगलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए– संधि विग्रह नील + आभ = ……………. सिंहासन = ……………… नव + आगंतुक = ……………. मेघाच्छन्न = …………….. उत्तर – नील + आभ = नीलाभ सिंहासन = सिंह + आसन नव + आगंतुक = नवागंतुक मेघाच्छन्न = मेघ + आच्छन्न कुछ करने को— • चयनित व्यक्ति/पशु/पक्षी की खास बातों को ध्यान में रखते हुए एक रेखाचित्र बनाइए। उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करें। बसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जाली घर में बंद असहनीय क्यों हो जाता था?फलों के वृक्षों से अधिक उसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष भाते थे । वंसत में जब आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे, अशोक नए लाल पल्लवों से ढँक जाता था, तब जालीघर में वह इतना अस्थिर हो उठता कि उसे बाहर छोड़ देना पड़ता। नीलकंठ और राधा की सबसे प्रिय ऋतु तो वर्षा ही थी।
वसंत में नीलकंठ जालीघर में क्यों नहीं रह पाता था?वसंत में नीलकंठ जालीघर में क्यों नहीं रह पाता था? उत्तर: वसंत ऋतु में नीलकंठ अपने आंतरिक स्वभाव के कारण अस्थिर हो जाता था। उसे फलों वाले पेड़ों से अधिक फूल और सुगंध वाले पेड़ भाते थे। वसंत में आम के पेड़ मंजरियों से भर जाते थे और अशोक के पेड़ पर लाल पत्तियाँ भर जाती थीं।
वसंत ऋतु का नीलकंठ पर क्या प्रभाव पड़ता था?उत्तर: जब्र वसंत ऋतु में जब आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे और अशोक के वृक्ष नए पत्तों में बँक जाते थे तब नीलकंठ जालीघर में अस्थिर हो जाता था। वह वसंत ऋतु में किसी घर में बंदी होकर नहीं रह सकता था उसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष भाते थे। तब उसे बाहर छोड़ देना पड़ता था।
नीलकंठ की सबसे प्रिय ऋतु कौन सी थी?उत्तर : नीलकंठ और राधा के सबसे प्रिय ऋतुओं में से वर्षा सबसे प्रिय थी। इससे हमे ज्ञात होता है कि वर्षा के समय मोर के नृत्य ही सबसे विख्यात और हम सबका प्रिय है। मेघो के उमड़ आने से पहले ही वे हवा में उसकी सजल आहट पा लेते थे। मेघ के गर्जन के ताल पर ही उसके तन्मय नृत्य का आरंभ होता।
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