jharkhand Show झारखंड बिहार से क्यों अलग हुआ ?झारखंड अलग राज्य बनने से पहले
बिहार का हिस्सा होता था. आज जानते हैं कि झारखंड राज्य बिहार से अलग कब और कैसे और क्यों हुआ. अब देखते हैं कि अलग झारखंड राज्य की शुरूआत कब हुई- जयपाल सिंह मुंडा की अगुवाई में आदिवासियों ने एक अलग झारखंड राज्य की मांग की. लेकिन 1929 ई. में साइमन कमीशन ने इसे रद्द कर दिया. इसके बाद 1930 से 1940 के बीच आदिवासी महासभा ने अलग राज्य की मांग के लिए आवेदन किया. 1949 ई. में आदिवासी महासभा का नाम बदलकर झारखंड पार्टी कर दिया है. इसके बाद झारखंड पार्टी Bihar Assembly में धीरे-धीरे मुख्य विपक्ष के तौर पर उभर कर सामने आई. इसके बाद अलग राज्य की मांग में और तेजी आई. यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस में क्या न खाये ? अगस्त, 2000 को संसद में बिल पास हुआ. अंत में 15
नवंबर,2000 को झारखंड एक नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आया और रांची को इसकी राजधानी बनाया गया. Today latest news in hindi के लिए लिए हमे फेसबुक , ट्विटर और इंस्टाग्राम में फॉलो करे | Get all Breaking News in Hindi related to live update of politics News in hindi , sports hindi news , Bollywood Hindi News , technology and education etc. Q-झारखण्ड का पृथक कारण क्यों हुआ? अथवा झारखण्ड बिहार से अलग क्यों इसके कारण क्या थे। ANS:- आजादी के बाद भारत में एक बड़ी समस्या रोजगार थी. ऐसे में खनिजों का दोहन और कल-कारखानों की स्थापना सरकार की मुख्य नीतियों में शामिल किया गया. झारखंड शुरू से ही खनीज संपदा से संपन्न क्षेत्र था. यहां का अधिकतर क्षेत्र पठारी था. ज्यादातर जमीनें कृषि योग्य नहीं थी. उस समय इसे छोटानागपुर के पठार के नाम से जाना जाता था. आदिवासियों के कई प्रजाति यहां निवास करते थे। वनों पर पूरी तरह निर्भर रहने वाले आदिवासियों के लिए सरकार ने योजना बनायी कि यहां उद्योग धंधे शुरू होंगे तो स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. साथ ही बंजर भूमि के अधिग्रहण से उन्हें कोई समस्या भी नहीं होगी और उसके एवज में मिलने वाले मुआवजे से उनके जीवनस्तर में सुधार होगा. लेकिन हुआ इसके विपरित खनिजों के दोहन के लिए बाहरी लोगों का यहां आगमन हुआ. आदिवासियों और स्थानीय लोगों की जमीन अधिग्रहण तो हुए, लेकिन उनको उसका उचित मुआवजा नहीं मिला. और न ही कल कारखानों में उन्हें नौकरियां ही मिलीं. ऐसे में स्थानीय लोगों में असंतोष बढ़ता गया और उस असंतोष ने एक आंदोलन को जन्म दिया. जिन नेताओं ने उस आंदोलन की अगुवाई की उन्हें ही झारखंड आंदोलन का नेता माना गया. झारखण्ड राज्य की स्थापना जो की झारखण्ड निवासियों के लिए बहोत ही मत्वपूर्ण थी क्यूंकि झारखण्ड पहले बिहार था। बिहार के जिस हिस्से में झारखंडवासी उस समय रहते थे वो क्षेत्र पूरी तरह से विकसित नहीं हो पा रहि थी क्यूंकि सरकर तरह इस ओर अपना ध्यान नहीं दे पति थी जिससे इस क्षेत्र के लोगो का विकाश उस प्रकार नहीं हो पा रहा था जैसा होना चाहिए इस लिए यहाँ की जनता ने एक अलग राज्य की मांग की.परन्तु मांग ख़ारिज कर दिया गया । झारखण्ड और बिहार में अलग क्या है:- झारखंड और बिहार दोनों हिंदी राज्य हैं, भौगोलिक दृष्टि से निकट और पहले एक राज्य थे, लेकिन हमेशा सांस्कृतिक, राजनीतिक, भौगोलिक और आर्थिक मतभेद थे। बिहार में सभी भाषाएँ भारत-आर्य भाषा समूह से संबंधित हैं, जहां झारखंड में, द्रविड़ियाना और प्रागैतिहासिक ऑस्ट्रोलॉइड भाषाएं भी बोली जाती हैं. उदाहरण के लिए कुरुख एक द्रविड़ भाषा है, जहां सांताली भाषा मुंडा में ऑस्ट्रोसिटिक भाषाओं के उप-समूह में है। झारखंड में 26% जनजातियां शामिल हैं, जहां बिहार में यह केवल 1% के करीब ही है और झारखंड मुख्य रूप से पठार है, और बिहार में गंगा मैदान में है। इतिहास में, बिहार में अच्छी तरह से विकसित प्रांत मगध, मिथिला और भोजपुर शामिल हैं, जहां झारखंड मगध और कलिंग के बीच विभिन्न जनजातियों क्षेत्र के मातृभूमि थे. झारखंड उद्योग और खान राज्य है, और बिहार मुख्य रूप से कृषि राज्य है। कुछ असामंताओ एवं कुछ असंतुस्टी के कारण झारखण्ड वासियो ने झारखण्ड राज्य की माँग की जो की 2000 में संभव हुआ। झारखण्ड पृथक कारण के मुख्या नेता एवं कार्य करता :- 1.जयपाल सिंह मुंडा 2 बिनोद बिहारी महतो 3.शिबू सोरेन 4. एन ई होरो 5. एके राय 6. निर्मल महतो 7. बागुन सुंब्रुई 8. लाल रणविजयनाथ शाहदेव 9. डॉ रामदयाल मुंडा 10. बी पी केशरी झारखण्ड पृथक करण:- झारखण्ड राज्य का गठन पूर्व बिहार के पुनर्गठन विधेयक के साथ होता है। 2000 के आलोक में 14 नवंबर 2000 की आधी रात में देश के मानचित्र पर झारखंड का उदय हुआ। 28 वें राज्य के रुप में झारखंड राज्य में लोकसभा की 14 सीटें और विधानसभा में 81 सीटें तय की गई। बटवारे के समय 1991 की जनगणना के अनुसार अविभाजित बिहार की कुल जनसंख्या 886. 74 लाख थी। जिसमें 645.30 लाख जनसंख्या बिहार में और 281.44 लाख जनसंख्या झारखंड के नाम पर विभाजित हुई। 14 नवंबर की रात्रि 12:00 बजे राजभवन में राष्ट्रीय गान की धुन बजी और भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त पदाधिकारी श्री प्रभात कुमार महामहिम राज्यपाल के पद पर शपथ ग्रहण करने के लिए पहुंचे। 12:00 बजे 12:01 में झारखंड के प्रथम मुख्य सचिव श्री वी. एस दुबे ने राष्ट्रपति द्वारा जारी किए गए वारंट ऑफ एपाइंटमेंट पढ़कर सुनाया, जिसमें राजपाल के पद पर श्री प्रभात कुमार की नियुक्ति की गई थी। 12:05 पर झारखंड उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश श्री बी.के गुप्ता ने राज्यपाल प्रभात कुमार को शपथ दिलाई। इसके बाद भी राष्ट्रपति गान की धुन बजी और राज्यपाल का शपथ ग्रहण समारोह समाप्त हो गया। मुख्यमंत्री के पद की शपथ के लिए राज्यपाल पुनः 12:00 बजे 12:58 पर समारोह स्थल पर आ गए। 12:59 पर उन्होंने मंच पर आसन ग्रहण किया। 1:00 बजे मुख्य सचिव श्री दुबे ने पूरा कार्यक्रम शुरू करने की अनुमति राजपाल से मांगी। उसके बाद मुख्यमंत्री की नियुक्ति से संबंधित अधिसूचना पढ़ी गई। 1:02 पर शपथ के लिए श्री बाबूलाल मरांडी मंच पर आएं और 1:05 पर राज्य्पाल ने श्री मरांडी को मुख्यमंत्री के पद पर शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में श्री मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, श्री शरद यादव एवं श्री शत्रुघन सिन्हा उपस्थित थे। श्री राज्यपाल प्रभात कुमार प्रथम मुख्यमंत्री का चुनाव:- 14 नवम्बर - 200 को राष्ट्रिय जनतांत्रिक गठंबंधन ( राजग ) की एक बैठक हुई जिसमें केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में मदन लाल खुराना और झारखण्ड के प्रभारी मुख़्तार अब्बास नकवी मौजूद थे। एक ऐतिहासिक बैठक में श्री नकवी ने कहा कि राजग और केंद्र से भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मदनलाल खुराना पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद है और उन्होंने अनुरोध किया की खुराना राजग विधायक दाल के नेता का नाम प्रस्तुत करें। पर्यवेक्षक श्री खुराना कहा सभी को यह जानकारी वर्षो पुरानी माँग 14 नवंबर की रात्रि 12.00 बजे पूरी रही है। पूर्व विधायकों की सांख्य 82 थी लेकिन एक विधायक की मृत्यु के कारण सांख्य 81 रह गई। इस 81 में राजग के अंतर्गत भाजपा के 33, समता के 5 और जदयू के 3 विधायक है। श्री बाबूलाल मरांडी झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री उन्होंने यह भी कहा कि राजग की बैठक में निर्दलीय विधायक श्री माधव लाल सिंह और झारखंड वनांचल कांग्रेस की विधायक श्री रामेश्वर सिंह उपस्थित थे तथा राजग गठबंधन में श्री सुदेश महतो और और श्रीमती जोबा मांझी के शामिल होने की संभावना है। इसके बाद उन्होंने राज्य के नेता के रूप में श्री मरांडी के नाम की घोषणा की। इस का समर्थन जदयू के प्रदेश अध्यक्ष श्री इंदर सिंह नामधारी समता पार्टी के विधायक श्री रमेश सिंह मुंडा। यू बीजेपी के नेता श्रीमती जोबा मांझी और झारखंड वनांचल कांग्रेस के श्री रामेश्वर सिंह ने किया। इस प्रकार राज्य में राजग सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त और बाबूलाल मरांडी झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बने झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री के पद पर शपथ लेने के बाद श्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि दुमका को झारखंड के उपराजधानी के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने यह व् कहा की झारखण्ड में अल्पसंख्यकों और बहुसंख्यको की बात नहीं होगी और उनकी सरकार बिना किसी भेदभाव के सबको न्याय दिलाने का प्रयास करेगी। उनका यह भी कहना था की झारखण्ड में उग्रवादियों के बढ़ते हौसले को पस्त क्र दिया जायेगा। सरकार के संबंध में उन्होंने बताया की साफ - सुथरी सर्कार बनाना उनकी प्राथमिकता होगी। उन्होंने यह भी घोषित की कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पर्तिनिधियो जनता की समस्याओं को गंभीरता से लेंगे और वे अधिकारियों को संवेदनशील बनाने का प्रयास करेंगे। नये जिलों का निर्माण:- मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल मराण्डी ने पद सँभालते ही यह घोषणा की थी की झारखण्ड में 4 नये जिलों का सृजन होगा। इसके अनुरूप उन्होंने लातेहार, सिमडेगा, सरायकेला और जामताड़ा को जिला बनाते हुए अधिसूचना जारी करवा दी। इस प्रकार झारखण्ड राज्य में जिलों की सांख्य 18 से बढ़कर 22 हो गयी। इस प्रकार अतहर 19वा, सिमडेगा 20वा,जामताड़ा 21वा,और सरायकेला 22वा जिला बना कार्मिक प्रशासनिक ओरा राजभाषा विभाग की अधिसूचना सं - 946 के अनुसार लातेहार, 947 के अनुसार जामताड़ा, 948 के अनुसार सरायकेला और 949 के अनुसार सिमडेगा को जला बनाया गया। जामताड़ा जिले के अंतर्गत एक अनुमंडल और 4 प्रखंड , लातेहार जिले के अंतर्गत एक अनुमंडल और 7 प्रखंड बांटकर मिले। बाद में सरायकाला जिले में एक अन्य अनुमंडल चांडिल भी बनाया गया । वर्तमान में कुल जिलों सांख्य 24 :- हो गई है जिसमे पश्चिमीसिंघभुम और रांची है पश्चिमीसिंघभुम क्षेत्र फल की दृस्टि से सबसे बड़ा है और रांची जनसँख्या के दृस्टि से सबसे बड़ी है रांची झारखण्ड की राजधानी है बिहार और झारखंड कैसे अलग हुआ?फ्लैश बैक: 15 नवंबर 2000। बंगाल प्रोविंस से अलग होने के करीब 88 साल बाद बिहार को बांटा गया। झारखंड नया राज्य बना।
झारखंड बिहार से अलग कब हुआ?राँची इसकी राजधानी है। झारखण्ड की सीमाएँ पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़, उत्तर में बिहार, और दक्षिण में ओड़िशा को छूती हैं। लगभग सम्पूर्ण प्रदेश छोटानागपुर के पठार पर अवस्थित है। सम्पूर्ण भारत में वनों के अनुपात में प्रदेश एक अग्रणी राज्य माना जाता है।
झारखंड अलग होने से पहले बिहार में कितने जिले थे?झारखंड राज्य के गठन के समय, इस राज्य में कुल जिलों की संख्या 18 थी। बिहार से झारखंड अलग होने के बाद बिहार में कुल जिलों की संख्या 37 बची थी।
झारखंड का पूरा नाम क्या है?झारखंड का शाब्दिक अर्थ
मुगल काल में इस क्षेत्र को 'कुकरा' नाम से जाना जाता था। ब्रिटिश काल में यह झारखंड नाम से जाना जाने लगा। पुराण कथाओं को भी इतिहास का हिस्सा मानने वाले इतिहासकारों के अनुसार वायु पुराण में छोटानागपुर को मुरण्ड तथा विष्णु पुराण में मुंड कहा गया।
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