यूरोप में होने वाले पुनर्जागरण ने यूरोप के प्रत्येक वर्ग के लोगों को प्रभावित किया. यूरोप में पुनर्जागरण बाद मानव जीवन के श्रेष्ठता और उसका महत्व बढ़ गया. लोग आशावादी होने लगे. भौतिक सुखों और मनोरंजन को भी मानव जीवन के लिए परम आवश्यक माना जाने लगा. तत्कालीन कला एवं साहित्य ने मानव जीवन को कठिनाई तथा उनको दूर करने के उपाय प्रस्तुत किया. Show
1. वाणिज्यवाद क्रांतिमध्य युग में सामांतों ने कृषि को ही अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार माना था. लेकिन पुनर्जागरण के बाद यूरोप वासियों के सोच में बहुत ही परिवर्तन हुए. पुनर्जागरण के बाद यूरोप वाणिज्यवाद क्रांति के रूप में बढ़ने लगा. स्थानीय उद्योग-धंधे फलने-फूलने लगे थे. उसने लोगों के मन में व्यापारिक भावना तथा विचारधारा को भर दिया. विनिमय के मार्ग खुलने लगे. लोग व्यापार तथा उनके विभिन्न संभावनाओं के बारे में चर्चा करने लगे थे. सोने-चांदी आदि के खानों के मिलने से व्यापारिक संभावनाएं बढ़ने लगी. व्यापार के बढ़ने के फलस्वरुप वाणिज्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व उन्नति होने लगे. इस प्रकार आए परिवर्तन को इतिहासकारों ने व्यवसायिक क्रांति का नाम से दिया. 2. पूंजीवाद के सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन16 वीं शताब्दी में यूरोप में पूंजीवाद का चयन एवं विकास के कई महत्वपूर्ण घटना थी. जिसमें आधुनिक युग को पूर्णता प्रभावित किया पूंजीवादी व्यवस्था के परिणाम स्वरूप 16 वीं सदी में यूरोप के सामाजिक एवं आर्थिक स्वरूप में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए. इसके परिणाम स्वरूप यूरोप में पूंजीवादी कृषि का आरंभ हुआ. सामंतों ने भी आधुनिक नई और आधुनिक कृषि पद्धति को अपनाया. कृषक वर्ग सामंतों के नियंत्रण से मुक्त हो गए और मध्यम वर्ग का उत्थान होना शुरू होने लगा. अब समाज दो वर्गों में विभक्त हो गया था. पहला धन संपन्न लोग और दूसरा निर्धन लोग. पूंजीवाद के विकास ने औद्योगिक पद्धति को जन्म दिया परंतु साथ ही दास व्यापार का भी प्रारंभ हो गया जो कि मानव इतिहास को पूंजीवाद की सबसे घृणित देन है. पूंजीवाद वर्ग एवं मजदूर वर्ग के बीच परस्पर संघर्ष ने कालांतर में समाजवाद को जन्म दिया. 3. साहित्य एवं विज्ञान पर प्रभावमध्यकालीन जनता को विज्ञान एवं राजनीतिक सिद्धांतों का विशेष ज्ञान था. इसके बाद पुनर्जागरण के समय अनेक विद्वानों के कारण साहित्य के क्षेत्र में काफी वृद्धि हुई. पुस्तकें, साहित्य और विज्ञान के किताबें लिखे जाने लगे, जिसके परिणामस्वरूप जनता में ज्ञान-विज्ञान की भावना जागृत हुआ. इसके परिणाम स्वरूप आधुनिक कृषि उपकरणों एवं उद्योगों का भी काफ़ी विकास हुआ. 4. राष्ट्रीयता की भावना का विकासयूनानी एवं लैटिन भाषा से प्रेरित होकर प्रत्येक राष्ट्र एवं उसके समाज में स्वयं को उन्नत करने की भावना जागृत हुई. वे यूनानियों के समान ही अपनी भाषा को विकसित करने का प्रयास करने लगे. इंग्लैंड के लेखकों ने भी पुनर्जागरण से प्रेरित होकर अनेक रचनाओं और साहित्य का सृजन किया और साहित्य के क्षेत्र में हुए क्रांति के परिणाम स्वरूप देश में जातीयता और राष्ट्रीयता की भावना का काफी विकास हुआ. 5. बौद्धिक विकास का जन्मपुनर्जागरण आंदोलन के बाद जनसाधारण पर बहुत ही व्यापक प्रभाव पड़ा. लोगों में बौद्धिक क्षमता में काफी विकास होने लगा. तर्कवादिता का विकास काफी तेजी से हुआ. अब जनता बिना किसी आधार और प्रमाण के किसी बात बात का आसानी से विश्वास नहीं करने लगी थी. इस वजह से अंधविश्वास और रूढ़िवादिता का खात्मा होने लगा था. 6. नवीन उपनिवेशों की स्थापनापुनर्जागरण के प्रभाव के कारण लोगों में हिम्मत और साहस बढ़ने लगा. इसके पश्चात लोगों में दूर-दूर तक समुद्री यात्राएं करना, नए देशों की खोज करने शुरू कर दिए. उस पुर्तगाल में समुद्री यात्रा को प्रोत्साहन देने हेतु नाविक विद्यालय की स्थापना की गई. इसके परिणामस्वरूप बहुत से नाविक तैयार हुए. इन नविकों के द्वारा समय-समय पर समुद्री यात्रा करके में नये-नये प्रदेशों की खोज की गई. ऐसे महान नाविकों में कोलंबस, वास्कोडिगामा, जान कैवर, मैग्लेन आदि प्रमुख है. 7. कला का विकासयूरोप में पुनर्जागरण के बाद एक और जहां साहित्य क्रांति हुई, वहीं कला के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण विकास हुआ. इसका प्रभाव सबसे पहले इटली पर पड़ा तथा उसके बाद यूरोप के अन्य देशों पर पड़ा. लोगों का ध्यान लैटिन और यूनानी कला तथा भवन निर्माण कला की ओर आकर्षित हुआ. उसे प्रभावित यूरोप के अन्य राष्ट्र ने भी यूनानी कला के नमूनों को देखकर नवीन कलाकृतियों का निर्माण किया. उस समय माइकल एंजेलो एक प्रसिद्ध कलाकार हुआ करता था. उसने मोसेज और डेविड की मूर्तियों का निर्माण किया जो कला की दृष्टि में उच्च श्रेणी की मानी जाती है. माइकल एंजेलो के अतिरिक्त लियोनार्डो द विंची तथा सीटियन जैसे प्रसिद्ध चित्रकार हुए. इसके अलावा स्थापत्य तथा चित्रकला के अतिरिक्त संगीत कला में भी काफी उन्नति हुई. 8. धर्म सुधार आंदोलन का आरंभयूरोप में पुनर्जागरण का धार्मिक क्षेत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभाव हुए. तर्क तथा आलोचनात्मक दृष्टिकोण से पोप तथा चर्च की अनियमितताएं तथा बुराईयां लोगों के समक्ष स्पष्ट हो गई. बहुत से विद्वानों ने पोप तथा चर्च पर अपनी लेखनी से प्रहार किया तथा धार्मिक आंदोलन के मार्ग को साफ बनाया. इसी कारण कहा जाता पुनर्जागरण के विद्वानों ने धार्मिक रूपी आंदोलन की आंधी को जन्म दिया जिसे बाद में धार्मिक आंदोलन के पिता मार्टिन लूथर ने शक्ति प्रदान की. इस प्रकार यूरोप में पुनर्जागरण एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना थी. इसने यूरोप के विभिन्न वर्गों को प्रभावित किया. इसका परिणाम विद्यालय, विश्वविद्यालयों तथा संपूर्ण समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ा. ऑक्सफोर्ड कैंब्रिज विश्वविद्यालयों में नये काॅलेजों को खोला गया. नवीन शिक्षा प्रणाली का विकास किया गया. हालांकि पुनर्जागरण के कुछ नकारात्मक परिणाम भी हुए. लेकिन फिर भी पुनर्जागरण के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है. वाणिज्यवाद से यूरोप में क्या परिवर्तन हुआ?कच्चा माल प्राप्त करने और बने हुए माल की बिक्री और खपत के लिए नवीन उपनिवेशों की स्थापना की गई। इससे औपनिवेशिक साम्राज्य बने। वाणिज्यवाद की नीतियाँ और सिद्धांत अपनाने से यूरोप में इंग्लैण्ड, फ्रांस और जर्मनी जैसे महान शक्तिशाली राज्यों का निर्माण हो सका। शीघ्र ही इनका साम्राज्य यूरोप के बाहर महाद्वीपों में फैल गया।
2 वाणिज्यवाद से आप क्या समझते हैं इससे तत्कालीन यूरोप में क्या पविवर्तन हुए?दुनिया के देशों से आयात-निर्यात में वृद्धि हुई। इस प्रकार तत्कालीन समय में विभिन्न कारकों से व्यापार में बड़े-बड़े परिवर्तन हुए। इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप यूरोपीय व्यापार का स्वरूप निर्धारित हुआ। व्यापार के क्षेत्र में आये ये अभूतपूर्व परिवर्तन ही वाणिज्यिक अथवा व्यापारिक क्रांति कहलाती है।
वाणिज्यवाद के उदय के क्या कारण थे?वाणिज्यवाद के उदय तथा विकास के कारण (vanijyavad ke karan)
सामंतवाद के पतन से राष्ट्रीय राज्यों के उत्थान तथा निरंकुश साम्राज्यों की स्थापना हुई। सामन्तीय व्यवस्था के केन्द्रीय सरकार कमजोर होती है, सेना और धर्मधिकारियों का बोलबाला था। राष्ट्रीय एवं निरंकुश राज्यों के निर्वाह का मुख्य साधन करारोपण था।
वाणिज्यिक क्रांति की प्रक्रिया को वाणिज्यवाद ने कैसे प्रभावित किया?आधुनिक पश्चिमी विश्व की आर्थिक क्रांति
यूरोपीय वाणिज्यवाद ने आधुनिक पश्चिमी विश्व में आर्थिक क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया। यूरोप में जो भौगोलिक खोजें संपन्न हुई उससे यूरोपीय व्यापारी समुद्री मार्ग द्वारा कम समय में अफ्रीका एवं एशिया पहुँचे और इससे यूरोपीय व्यापार में तेजी आयी। आयात-निर्यात को गति एवं प्रोत्साहन मिला।
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