हिंदी कक्षा 12 में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। इसमें कई महत्वपूर्ण पाठ हैं। लोकप्रिय लेखिका महादेवी वर्मा ने (भक्तिन) Bhaktin पाठ को लिखा है। महादेवी वर्मा जी ने भक्तिन जैसे कई रचनाएं लिखी हैं। हम यहां उन्ही के द्वारा Bhaktin पाठ से आपके सामने लेखक परिचय, पाठ का सारांश, कठिन शब्द, MCQ और प्रश्न-उत्तर आपके सामने लाएंगे। चलिए, जानते हैं Bhaktin को इस ब्लॉग की मदद से। Show
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Check out: Jamun ka Ped Class 11 NCERT Solutions लेखिका परिचयSource – The Indian Expressलोकप्रिय श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म फ़रुखाबाद, उत्तर प्रदेश में 26 मार्च 1907 में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर के मिशन स्कूल में हुई थी। नौ वर्ष की आयु में इनका विवाह हो गया था, उसके बाद भी इनका अध्ययन चलता रहा। 1932 में इन्होंने इलाहाबाद से संस्कृत में एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण कीं और प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना करके उसकी प्रधानाचार्या के रूप में कार्य करने लगीं। मासिक पत्रिका ‘चाँद’ का भी इन्होंने कुछ समय तक संपादन-कार्य किया। इन्हें 1952 में उत्तर प्रदेश की विधान परिषद का सदस्य मनोनीत किया गया। 1954 में यह साहित्य अकादमी की संस्थापक सदस्या बनीं। 1960 में इन्हें प्रयाग महिला विद्यापीठ का कुलपति बनाया गया। इनके व्यापक शैक्षिक, साहित्यिक और सामाजिक कार्यों के लिए भारत सरकार ने 1956 में इन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया। 1983 में ‘यामा’ कृति पर इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने भी इन्हें ‘भारत-भारती’ पुरस्कार से सम्मानित किया। वहीँ 1987 में इनकी मृत्यु हो गई। इन्होंने Bhaktin के जैसी अनेकों रचनाएं की थीं। Check out: Topi Shukla Class 10 पाठ प्रतिपाद्य व सारांशBhaktin के लिए पाठ प्रतिपाद्य व सारांश नीचे दिया गया है- प्रतिपाद्यBhaktin ‘स्मृति की रेखाएँ’ में संकलित है। इसमें लेखिका ने अपनी सेविका भक्तिन के अतीत और वर्तमान का परिचय देते हुए उसके व्यक्तित्व का दिलचस्प खाका खींचा है। महादेवी के घर में काम शुरू करने से पहले उसने कैसे एक संघर्षशील, स्वाभिमानी और कर्मठ जीवन जिया, कैसे पितृसत्तात्मक मान्यताओं और छल-छद्म भरे समाज में अपने और अपनी बेटियों के हक की लड़ाई लड़ती रही और हारकर कैसे ज़िंदगी की राह पूरी तरह बदल लेने के निर्णय तक पहुँची। साथ ही, भक्तिन लेखिका के जीवन में आकर छा जाने वाली एक ऐसी परिस्थिति के रूप में दिखाई पड़ती है, जिसके कारण लेखिका के व्यक्तित्व के कई अनछुए आयाम उद्घाटित होते हैं। इसी कारण अपने व्यक्तित्व का जरूरी अंश मानकर वे भक्तिन को खोना नहीं चाहतीं। सारांश
Check out: शिरीष के फूल NCERT Class 12 कठिन शब्दार्थBhaktin पाठ के कठिन शब्दार्थ नीचे दिए गए हैं-
MCQsप्रश्न 1: भक्तिन का गुना कितने वर्ष की उम्र में हो गया था? उत्तर: (घ) प्रश्न 2: भक्तिन की कितनी लड़कियां थीं? उत्तर: (क) प्रश्न 3: जब भक्तिन के पति का निधन हुआ, लेखिका की उम्र तब कितनी थी? उत्तर: (ख) प्रश्न 4: भक्तिन का दामाद क्या लड़ाने का आदी था? उत्तर: (ग) प्रश्न
5: भक्तिन का असली नाम क्या था? उत्तर: (क) प्रश्न 6: सेवा-धर्म में भक्तिन अपना मुकाबला किस भगवान से करती थी? उत्तर: (घ) भक्तिन कहाँ की रहने वाली थी ? A- झालावाड उत्तर– C भक्तिन का कद कैसा था ? A- लम्बा उत्तर– B अजिया ससुर किसे कहते हैं ? A- पति के चाचा को Ans – C भक्तिन के आने के बाद लेखिका स्वयं को क्या मानने लगी ? A- शहरी Ans – B भक्तिन की जिठानियाँ बैठकर कैसी चर्चा करती थी ? A- धर्म चर्चा Ans – B भक्तिन बिना पढ़े ही पढने वालों की क्या बन गई ? A- गुरु Ans – A भक्तिन की आँखें कैसी थी ? A- बड़ी Ans – B खोटे सिक्के की टकसाल किसे कहा गया है ? A- महादेवी वर्मा को Ans – B भक्तिन के हरे भरे खेत, मोटी-ताज़ी गाय-भैंस और फलों से लदे पेड़ देखकर किसके मुहं में पानी आ जाता था ? A- जेठ जिठौत Ans – A भक्तिन लेखिका को कैसी चाय देती थी ? A- अदरक की Ans – B प्रश्नोत्तरप्रश्न 1: भक्तिन के सदर्भ में हनुमान जी का उल्लख क्यों हुआ हैं? उत्तर: भक्तिन के संदर्भ में हनुमान जी का उल्लेख इसलिए हुआ है क्योंकि भक्तिन लेखिका महादेवी वर्मा की सेवा उसी नि:स्वार्थ भाव से करती थी, जिस तरह हनुमान जी श्री राम की सेवा नि:स्वार्थ भाव से किया करते थे। प्रश्न 2: भक्तिन ने लेखिका से क्या प्राथना की ?क्यों ? उत्तर: लेखिका ने भक्तिन को इसलिए समझदार माना है क्योंकि भक्तिन अपना असली नाम बताकर उपहास का पात्र नहीं बनना चाहती। उस जैसी दीन महिला का नाम ‘लक्ष्मी’ सुनकर लोगों को हँसने का अवसर मिलेगा। प्रश्न 3: भक्तिन ने पितृशोक किस प्रकार जताया? उत्तर: मायके से घर आकर उसने अपनी सास को खूब खरी-खोटी सुनाई तथा पति के ऊपर गहने फेंक-फेंककर पिता के वियोग की व्यथा व्यक्त की। प्रश्न 4: भक्तिन के जीवन के दूसरे परिच्छेद में ऐसा क्या हुआ जिसके कारण उसकी उपेक्षा शुरू हो गई? उत्तर: भक्तिन ने जीवन के दूसरे परिच्छेद में एक-के-बाद एक तीन कन्याओं को जन्म दिया। इस कारण सास व जेठानियों ने उसकी उपेक्षा शुरू कर दी। प्रश्न 5: भक्तिन को अलग होते समय सबसे अच्छा भाग कैसे मिला? उसका परिणाम क्या रहा? उत्तर: भक्तिन को पशु, जमीन व पेड़ों की सही जानकारी थी। इसी ज्ञान के कारण उसने हर चीज को छाँटकर लिया। उसने पति के साथ मिलकर मेहनत करके जमीन को सोना बना दिया। प्रश्न 6: भक्तिन को शहर क्यों आना पड़ा? उत्तर: नए दामाद के आने से घर में क्लेश बढ़ा। इस कारण खेती-बारी चौपट हो गई। लगान अदा न करने पर जमींदार ने भक्तिन को दिन भर कड़ी धूप में खड़ा रखा। इस अपमान व कमाई के विचार से भक्तिन शहर आई। प्रश्न 7: छोटी बहू कौन थी ? उसने कौन -सा अपराथ किया था ? उत्तर: छोटी बहू लछमिन थी। उसने तीन लड़कियों को जन्म देकर घर की पुत्र जन्म देने की लीक को तोड़ा था। जेठानियों को सम्मान क्यों मिलता था? जेठानियों ने काक-भुशंडी जैसे काले पुत्रों को जन्म दिया था। इस कार्य के बाद वे पुरखिन पद की दावेदार बन गई थीं। खोटे सिस्को’ र्का टकसाल हैं किसे और क्यों कहा गया हैं? ‘खोटे सिक्कों की टकसाल’ लछमिन को कहा गया है क्योंकि उसने तीन पुत्रियों को जन्म दिया था। भारत में लड़कियों को ‘खोटा सिक्का’ कहा जाता है। उनकी दशा हीन होती है। भक्तिन को अलग होते समय सबसे अच्छा भाग कैसे मिला? उसका परिणाम क्या रहा? भक्तिन को पशु, जमीन व पेड़ों की सही जानकारी थी। इसी ज्ञान के कारण उसने हर चीज को छाँटकर लिया। उसने पति के साथ मिलकर मेहनत करके जमीन को सोना बना दिया। भक्तिन का दुर्भाग्य क्या था ? उसे हठी क्यों कहा गया है? भक्तिन का दुर्भाग्य यह था कि उसकी बड़ी लड़की किशोरी से युवती बनी ही थी कि उसका पति मर गया। वह असमय विधवा हो गई। दुर्भाग्य को हठी इसलिए कहा गया है क्योंकि बेटी के विधवा होने के दुख से पहले भक्तिन को बचपन से ही माता का बिछोह, अल्पायु में विवाह, विमाता का दंश, पिता की अकाल मृत्यु व असमय पति की मृत्यु जैसे जीवन में अनेक कष्ट सहने पड़े। युवती व तीतरबाज युवक ने अपने-अपने पक्ष में क्या तक दिए? तीतरबाज युवक ने अपने पक्ष में कहा कि उसे भक्तिन की बेटी ने ही अंदर बुलाया था, जबकि युवती का कहना था कि उसने जबरदस्त विरोध किया। इसका प्रमाण युवक के मुँह पर छपी उसकी पाँचों उँगलियाँ हैं। नौकरी मिलने के दूसरे दिन भक्तिन ने क्या काम किया? नौकरी मिलने पर भक्तिन दूसरे दिन सबसे पहले नहाई, फिर उसने लेखिका द्वारा दी गई धुली धोती जल के छींटों से पवित्र करके पहनी और उगते सूर्य व पीपल को जल अर्पित किया। फिर उसने दो मिनट तक नाक दबाकर जप किया और कोयले की मोटी रेखा से रसोई घर की सीमा निश्चित की। अनाधिकारी को भूलने से लेखिका का क्या अभिप्राय है? लेखिका को अभी तक भक्तिन की पाक कला का ज्ञान नहीं था। उसे संशय था कि वह उसकी पसंद का खाना बना पाएगी या नहीं। भक्तिन स्वच्छता के नाम पर उसे रसोई में घुसने नहीं दे रही थी। इस कारण लेखिका को लगा कि शायद उसने किसी अनाधिकारी को नियुक्त कर दिया, किंतु अब कोई उपाय न था। अत: वह उसे भूलकर किताब में ध्यान लगाने लगी। भक्तिन के चेहरे पर प्रसन्नता और आत्मतुष्टि के भाव क्यों थे? लेखिका ने भक्ति की धार्मिक प्रवृत्ति और पवित्रता को स्वीकार लिया था। उसने भक्तिन द्वारा खींची गई रेखा का उल्लंघन भी नहीं किया। यह देखकर भक्तिन के चेहरे पर प्रसन्नता तथा आत्मतुष्टि के भाव थे। अनुच्छेद किसके बारे में हैं? किस रहस्य के बारे में पूछे जाने पर वह शास्त्रार्थ की चुनौती दे डालती हैं? अनुच्छेद भक्तिन के बारे में है। भक्तिन चोरी के पैसे कहाँ और कैसे रखती है, इसके बारे में पूछे जाने पर वह शास्त्रार्थ की चुनौती दे डालती है। भक्तिन किस बात में अपनी हीनता मानती हैं? भक्तिन इस बात में अपनी हीनता मानती है कि वह महादेवी की चित्रकला और कविता लिखने के दौरान किसी प्रकार की सहायता नहीं कर सकती। लछमन के लिए अप्रत्याशित अनुग्रह क्या था? लछमन पर उसका क्या प्रभाव पड़ा? सास द्वारा लछमिन को नए कपड़े पहनना, मायके भेजना, नम्र व्यवहार करना-सब कुछ लछमिन के लिए अप्रत्याशित अनुग्रह था। इस ‘अप्रत्यक्ष छल’ को लछमिन न समझ सकी और वह खुशी-खुशी मायके चली गई। पिता के घर पहुँच कर भी लछमन बिना पानी पिए उल्टे पैरों क्यों लौट गई? लछमिन तो उत्साह से भरकर पिता के घर आई थी। स्नेही पिता से मिलने की खुशी से उसका मन प्रफुल्लित था। हालांकि जैसे ही उसने जाना कि पिता की मृत्यु भी हो चुकी और उसे सूचित भी नहीं किया गया, उसका मन दुख एवं अवसर से भर गया। कम से कम समय से सूचना लेती होती तो बीमार पिता से मिल तो लेती तो विमाता की सारी चाल वह समझ गई और दुख से शिथिल तथा अपमान से जलती हुई लछमिन पानी भी बिना पिए लौट गई। यहाँ दंड-विधान की बात जिसके संदर्भ में रखा जा रहा हैं? क्यों? यहाँ दंड-विधान की बात लछमिन के संदर्भ में की जा रही है। इसका कारण यह है कि उसने तीन पुत्रियों को जन्म दिया, जबकि जेठानियों के सिर्फ पुत्र थे। अत: उसे दंड देने की बात हो रही थी। जिठौत किसके लिए विवाह का प्रस्ताव लाया ? उसका क्या हश्र हुआ ? जिठौत भक्तिन की विधवा लड़की के पुनर्विवाह के लिए अपने तीतर लड़ने वाले साले का प्रस्ताव लाया। इस विवाह के बाद भक्तिन की सारी संपत्ति जिठौत के कब्जे में आ जाती। जिठौत के विवाह-प्रस्ताव को भक्तिन की लड़की ने नापसंद कर दिया। बाहर के बहनोई से चचेरे भाइयों को फायदा नहीं मिलता। अत: विवाह-प्रस्ताव असफल हो गया।
नए दामाद का स्वागत कैसे हुआ? इस बेमेल विवाह का क्या परिणाम हुआ? पंचायत के फैसले पर भक्तिन व उसकी बेटी खून का घूंट पीकर रह गई। लड़की ने अपमान के कारण होठ काटकर खून निकाल लिया तथा माँ ने क्रोध से जबरदस्ती के दामाद को देखा। इस बेमेल विवाह से उत्पन्न क्लेश के कारण खेत, पशु आदि सब का सर्वनाश हो गया। अंत में लगान अदा करने के पैसे भी न रहे। FAQsBhaktin पाठ की लेखिका कौन हैं? भक्तिन पाठ को लिखा है भारत की लोकप्रिय लेखिका श्रीमती महादेवी वर्मा जी ने। भक्तिन की शादी कौन से गाँव में हुई थी? भक्तिन की शादी हैंडिया गाँव में हुई थी। भक्तिन के दामाद को क्या लड़ाने का शौक़ था? भक्तिन के दामाद को तीतर लड़ाने का शौक़ था। भक्तिन छात्रावास की बालिकाओं के लिए क्या बना दिया करती थी? भक्तिन छात्रावास की बालिकाओं के लिए चाय बना दिया करती थी। आशा करते हैं कि आपको Bhaktin के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली होगी। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं तो आज ही हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स को 1800572000 पर कॉल करें और 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करें। भक्तिन की विमाता ने पिता की मृत्यु का समाचार देर से क्यों भेजा?भक्तिन की सौतेली माँ ने उसके पिता की मृत्यु का समाचार देर से भेजा। सास ने रोने पीटने के अपशकुन से बचने के लिए उसे पीहर यह कहकर भेज दिया कि वह बहुत दिनों से गई नहीं है। मायके जाने पर सौतेली माँ के दुव्र्यवहार तथा पिता की मृत्यु से व्यथित होकर वह बिना पानी पिए ही घर वापस चली आई।
विमाता ने भाग 3 को उसके पिताजी की मृत्यु का समाचार देर से क्यों भेजा?पिता का उस पर अगाध प्रेम होने के कारण स्वभावत: ईष्यालु और संपत्ति की रक्षा में सतर्क विमाता ने उनके मरणांतक रोग का समाचार तब भेजा, जब वह मृत्यु की सूचना भी बन चुका था। रोने-पीटने के अपशकुन से बचने के लिए सास ने भी उसे कुछ न बताया।
लेखिका ने भक्तिन को समझदार क्यों कहा है?लेखिका ने भक्तिन को समझदार इसलिए कहा है क्योंकि वह अपना असली नाम (लक्ष्मी) किसी को नहीं बताती। यह नाम तो समृद्धि सूचक है। इस नाम को सुनकर और उसकी दशा को देखकर लोग उसका मजाक उड़ाएंगे। वह हँसी का पात्र नहीं बनना चाहती।
भक्तिन का दुर्भाग्य क्या था?भक्तिन का दुर्भाग्य बड़ा ही हठी था। अभी उसकी बड़ी लड़की किशोरी से युवती बन ही रही थी कि उसका पति मर गया और वह असमय ही विधवा हो गई। उसके इस दुर्भाग्य में जिठौतों (जेठ के पुत्रों) को आशा की यह किरण दिखाई दी कि वे विधवा. बहन का पुनर्विवाह कराकर उसकी माँ की संपत्ति पर कब्जा कर सकेगें।
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