विमुख शब्द का उपसर्ग क्या होगा? - vimukh shabd ka upasarg kya hoga?

विमुख में कौन सा उपसर्ग है? vimukh mein Upsarg kya hai?

विमुख में कौन सा उपसर्ग है?

विमुख में उपसर्ग है – ‘वि’
[वि + मुख = विमुख]

विमुख में मूल शब्द क्या है?
विमुख में मूल शब्द है – मुख

vimukh mein kaun sa upsarg hai?
vimukh mein वि upsarg hai

विमुख में उपसर्ग ‘वि’ का अर्थ क्या है?

विमुख में उपसर्ग ‘वि’ का अर्थ है – भित्रता, हीनता, असमानता, विशेषता

परीक्षा में विमुख शब्द का उपसर्ग अक्सर पूछा जाता है। विद्यार्थियों को इस प्रश्न का उत्तर देने में सहायता के लिए हमने यहाँ पर उपसर्ग युक्त शब्द विमुख का वाक्य प्रयोग करके दिखाया है।

विमुख का वाक्य प्रयोग –

मैं तुमसे विमुख नहीं हुं ।

उपसर्ग के बारे में विस्तार से जानने के लिए निम्न पोस्ट पढ़ें:

उपसर्ग की परिभाषा, भेद और उदाहरण

परीक्षा में विमुख में उपसर्ग के बारे में कई प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं, जैसे – विमुख में कौन सा उपसर्ग है? विमुख में उपसर्ग क्या होगा? vimukh mein kaun sa upsarg hai? vimukh mein upsarg aur mool shabd

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विमुख में उपसर्ग

विमुख शब्द में उपसर्ग

विमुख शब्द वि उपसर्ग के योग से बना है। विमुख का अर्थ दिया गया है।

उपसर्ग : अर्थ एवं परिभाषा

‘उपसर्ग’ शब्द दो शब्दों ‘उप’ एवं ‘सर्ग’ के योग से बना है। ‘उप’ का अर्थ है ‘निकट’ और ‘सर्ग’ का अर्थ है ‘रचना करना’। अर्थात् जो शब्द किसी दूसरे शब्द के पास आकर उसके अर्थ को बदल देता है, उसे उपसर्ग कहते हैं। उपसर्ग किसी शब्द के आगे जुड़कर उस शब्द को एक विशेष अर्थ प्रदान करता है।

विमुख शब्द का अर्थ एवं पर्यायवाची

विमुख शब्द का अर्थ एवं पर्यायवाची जानने के लिए विमुख पर क्लिक करें।

उपसर्गों के अर्थ जानने के लिए उपसर्गों पर क्लिक करें –

एक्स, चीफ, जनरल, डिप्टी, वाइस, हाफ, हैड, अल, कम, खुश, गैर, ना, ब, बद, बे, ला, सर, हम, हर, अति, अधि, अनु, अप, अपि, अभि, अव, आ, उत, उप, दुर, दुस, निर्, निस, परा, परि, प्र, प्रति, वि, सम, सम्, अ, अध, अन, उन, औ, कु, दु, पर, बिन, भर, नि, सु।

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नमस्कार आपका प्रश्न है विमुख का उपसर्ग और मूल शब्द का बता दें विमुख में उपसर्ग व हुई है और मुख है वह मूल शब्द है धन्यवाद

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विमुख शब्द का उपसर्ग क्या होगा? - vimukh shabd ka upasarg kya hoga?
upsrg

उपसर्ग

“उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते है, जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करता है।”[1] तात्पर्य यह है की जो शब्दांश किसी शब्द के पूर्व (पहले) जुड़ते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं।

उपसर्ग दो शब्दों- उप + सर्ग के योग से बना है। जिसमें ‘उप’ का अर्थ है- समीप, पास या निकट और ‘सर्ग’ का अर्थ है सृष्टि करना। इस तरह ‘उपसर्ग’ का अर्थ है पास में बैठाकर दूसरा नया अर्थवाला शब्द बनाना या नया अर्थ देना। जैसे- ‘यत्न’ के पहले ‘प्र’ उपसर्ग लगा दिया गया तो एक नया शब्द ‘प्रयत्न’ बन गया। इस नए शब्द का अर्थ होगा प्रयास करना।

उपसर्गों का स्वतन्त्र अस्तित्व न होते हुए भी वे अन्य शब्दों के साथ मिलाकर उनके एक विशेष अर्थ का बोध कराते हैं, जैसे- अन + बन- अनबन (मनमुटाव)। वहीं कुछ उपसर्गों के योग से शब्दों के मूल अर्थ में कोई परिवर्तन नहीं होता, बल्कि तेजी आती है, जैसे- परि + भ्रमण- परिभ्रमण। कभी-कभी उपसर्ग के प्रयोग से शब्द का बिलकुल उल्टा अर्थ भी निकलता है, जैसे- अ + शांति- अशांति। किसी एक ही शब्द के पहले अलग-अलग उपसर्ग लगाने से उस शब्द अलग-अलग अर्थ प्राप्त होते हैं, जैसे- ‘हार’ शब्द से- प्रहार (आक्रमण करना), संहार (नाश, खत्म करना), आहार (भोजन), विहार (भ्रमण) आदि।

इस प्रकार उपसर्गों के प्रयोग से शब्दों की तीन स्थितियाँ[2] होती हैं-

1. शब्द के अर्थ में एक नई विशेषता आ जाती है

2. शब्द के अर्थ में प्रतिकूलता उत्पन्न होती है

3. शब्द के अर्थ में कोई विशेष अंतर नहीं होता

शब्द और उपसर्ग में अंतर

‘शब्द’ अक्षरों के समूह को कहते हैं, जो अपने आप में स्वतंत्र अस्तित्व रखता है, अपना अर्थ रखता है। यह ‘शब्द’ किसी भी वाक्य में स्वतंत्रतापूर्वक प्रयुक्त होता है। वहीं ‘उपसर्ग’ वाक्य की तरह अक्षरों का समूह होते हुए भी अपने आप में स्वतंत्र नहीं होता और न ही इसका स्वतंत्र रूप से कहीं प्रयोग ही होता है। जब तक किसी शब्द के आगे जुड़ता नहीं, तब तक उपसर्ग अर्थवान् नहीं होता। कहने का तात्पर्य यह है की उपसर्ग की सार्थकता तभी है जब वह किसी वाक्य से संगति बैठाये।

उपसर्ग के भेद

हिंदी में जो उपसर्ग मिलते हैं वे हिंदी के साथ-साथ संस्कृत और उर्दू (अरबी, फारसी) भाषा के भी हैं। इस तरह भाषा भेद के आधार पर उपसर्ग 3 प्रकार के माने जाते हैं।

क. हिंदी उपसर्ग, ख. संस्कृत उपसर्ग और ग. उर्दू उपसर्ग

क. हिंदी उपसर्ग और उससे बनने वाले शब्द

नीचे हिंदी के उपसर्ग और उसके अर्थ के साथ उपसर्ग से बनने वाले प्रमुख शब्दों को दिया जा रहा है-

1. अ (अभाव, नहीं, निषेध)-

अपच, अबोध, अजान, अछूता, अथाह, अटल, अलग, अकाज, अचेत, अपढ़, आगाह आदि।

2. अन (नहीं, बिना, निषेध)-

अनपढ़, अनबन, अनमोल, अनमेल, अनहित, अलग, अनजान, अनसुना, अनकहा, अनदेखा, अनगिनत, अनगढ़, अनहोनी, अनबूझ आदि।

3. अध् (आधा, आधे अपूर्ण)-

अधखिला, अधजला, अधसेरा, अधखिला, अधपका, अधकचरा, अधनंगा, अधकच्चा, अधमरा आदि।

4. उ (ऊँचा)-

उजड़ना, उचक्का, उतावला, उखाड़ना, उतारना, उछलना, उदंड आदि।

5. उन (एक कम)-

उत्रीस, उनतीस, उनचास, उनतालीस, उनसठ, उनहत्तर आदि।

6. औ/अव (बुरा, हीन)-

औगुण, औढर, औतार, औसान, औघट, अवसर, औघड़ आदि।

7. क (बुरा, हीन)-

कपूत, कचोट, कमजोर आदि।

8. कु (बुरा)-

कुठौर, कुचाल, कुकर्म, कुपात्र, कुमति, कुढंग, कुढंगा, कुचैला, कुचक्र आदि।

9. चौ (चार)-

चौराहा, चौमासा, चौकोर, चौमुखा, चौरंगी, चौपाया, चौखट, चौतरफा आदि।

10. ति (तीन)-

तिकोना, तिराहा, तिरंगा, तिगुना, तिमाही, तिपाई आदि।

11. दु (दो)-

दुरंगा, दुधारू, दुभाषिया, दुनाली, दुगुना, दुमुहा, दुरंगा, दुलत्ती आदि।

12. नि (आभाव, रहित, विशेष)-

निपट, निगोड़ा, निहत्था, निडर, निखरा, निठल्ला, निकम्मा आदि।

13. बिन (बिना, निषेध)-

बिनसोचा, बिनब्याहा, बिनबादल, बिनपाए, बिनजाने, बिनजाना, बिनबोया, बिनदेखा, बिनमाने, बिनखाया, बिनचखा, बिनकाम, बिनजाया आदि।

14. भर (भरा, पूरा)-

भरपाई, भरपेट, भरपूर, भरसक, भरमार, भरदिन आदि।

15. स (अच्छा)-

सपूत, सहित, सचेत, सजग, सहेली, सवेरा आदि।

16. सु (अच्छा)-

सुजान, सुडौल, सुजान, सुघड़, सुफल आदि।

17. पर (दूसरा, बाद का)-

परलोक, परसुख, परदुख, परोपकार, परसर्ग, परहित, परदादी, परपोता आदि।

ख. संस्कृत उपसर्ग और उससे बनने वाले शब्द

नीचे संस्कृत के उपसर्ग और उसके अर्थ के साथ इन उपसर्गों से बनने वाले प्रमुख शब्द भी दिए जा रहें हैं-

1. अति (अधिक, बहुत, ऊपर, उसपार, परे)-

अतिकाल, अत्याचार, अत्यधिक, अतिरिक्त, अतिमानव, अतिव्याप्ति, अतिशय, अत्यंत, अत्युक्ति, अत्यावश्यक, अतिप्रिय, अतिरंजित, अतिचार, अतिक्रमण, आदि।

2. अधि (ऊपर, श्रेष्ठ, सामीप्य)-

अध्यापक, अधिक, अधिक्षेत्र, अध्ययन, अध्यात्म, अध्यारोप, अधिकृत, अधिकरण, अधिकारी, अधिकार, अधिभार, अधिराज, अध्यात्म, अध्यक्ष, अध्यादेश, अधिसूचना, अधिनियम, अधिपति आदि।

3. अनु (सदृश्य, समानता, क्रम, पश्चात्, पीछे)-

अनुकृति, अनुभव, अनुसार, अनुशासन, अनुगामी, अनुगमन, अनुकूल, अनुश्रुति, अनुज, अनुताप, अनुपात, अनुवाद, अनुनय, अनुचर, अनुपूर्ति, अनुसरण, अनुकरण, अनुरूप, अन्वय, अनुस्वार, अनुशीलन आदि।

4. अप (लघुता, अभाव, हीनता, विरुद्ध)-

अपकार, अपमान, अपशब्द, अपशकुन, अपराध, अपहरण, अपकीर्ति, अपव्यय, अपभ्रंस, अपवाद, अपकर्ष, अपयश आदि।

5. अभि (सामने, ओर, पास, सामीप्य, आधिक्य, इच्छा प्रगट करना)

अभिमुख, अभियान, अभिशाप, अभिप्राय, अभियोग, अभिसार, अभिमान, अभिभूत, अभिनव, अभिनय, अभ्युदय, अभिज्ञान, अभ्यागत, अभिभाषण, अभिभावक, अभ्युदय, अभिकर्ता, अभिवादन, अभ्यास, अभिसरण, अभिलाषा आदि।

6. अव् (हीनता, नीचे, अनादर, पतन)-

अवगुण, अवकलन, अवगत, अवलोकन, अवनति, अवमूल्यन, अवस्था, अवसान, अवसाद, अवज्ञा, अवचेतन, अवरोहण, अवधि, अवरोह, अवतार, अवमान, अवतीर्ण, अवनति, अवशेष, अवमान, अवकाश आदि।

7. आ (ओर, तक, सीमा, समेत, कमी, विपरीत, उलटा)-

आयात, आकाश, आदान, आजीवन, आगमन, आरंभ, आचरण, आमुख, आजन्म, आकर्षण, आमरण, आधार, आकार, आक्रमण, आक्रोश, आरोहण, आकलन, आशक्ति, आक्रांत, आगत, आक्षेप आदि।

8. उत्/उद् (उत्कर्ष, ऊपर, श्रेष्ठ)-

उद्देश्य, उन्नति, उदय, उत्साह, उत्तम, उद्योग, उत्खनन, उत्सर्ग, उत्कृष्ट, उत्कंठा, उत्कर्ष, उत्पन्न, उद्भव, उन्नति, उद्देश्य, उद्गम, उद्गार, उद्यम, उद्धत, उत्थान, उद्घाटन, उच्छ्वास, उद्धार, उन्मुख, उन्माद, उदीयमान, आदि।

9. उप (निकटता, पास, सदृश, गौण, सहायक, हीनता)-

उपसमिति, उपसर्ग, उपकार, उपकूल, उपमा, उपनिवेश, उपदेश, उपमंत्री, उपस्थित, उपवन, उपनाम, उपासना, उपभेद, उपनेत्र, उपहास, उपहार, उपकरण, उपक्रम, उपद्रव, उपग्रह, उपचार, उपद्वीप, उपयोग, उपेक्षा आदि।

10. दु (बुरा, हीन)-

दुकाल, दुबला, दुलारा आदि।

11. दुर् / दु: (दुष्ट, हीन, बुरा, कठिन)-

दुराचार, दुरावस्था, दुर्दशा, दुष्कर्म, दुश्चरित, दुर्जन, दुर्लभ, दुर्गुण, दुष्कर, दुर्गति, दुर्गन्ध, दुर्दिन, दुर्भाग्य, दुर्योधन, दुर्गम, दुस्साध्य, दुश्शासन (दु:शासन), दुरस्वप्न (दु:स्वप्न) आदि।

12. दुस् / दु: (कठिन)-

दुष्कर, दुश्चरित्र, दुस्साहस, दुष्कर्म, दु:साध्य, दुस्तर आदि।

13. नि (भीतर, नीचे, अतिरिक्त)-

निर्देशन, निपात, निष्कपट, निकृष्ट, नियुक्त, निवास, निरूपण, निमग्न, निवारण, नियुक्त, निम्र, निषेध, निरोध, निदान, निबंध, नियोग, निकेत, निमीलित, निसर्ग, निवेश आदि।

14. निर् (बाहर, निषेध, रहित)-

निर्वाचन, निर्विरोध, निर्धारित, निराकरण, निर्वास, निर्वाण, निर्भय, निरादर, निरपराध, निर्मूल, निर्वाह, निर्दोष, निर्लिप्त, निर्जीव, निरोग, निर्मल, निरभिमान, निर्दय, निस्संदेह, निर्देश, निर्बाध, निर्मित, निस्संतान, निर्णय आदि।

15. निस्

निष्काम, निष्कलंक, निष्कंटक, निस्तेज, निश्चय, निश्चित, निष्क्रिय, निश्चल आदि।

16. परा (उलटा, परे, पीछे, अनादर, नाश)-

पराकाष्ठा, पराजित, पराजय, परास्त, पराक्रम, पराभव, परामर्श, पराभूत, परावर्तन आदि।

17. परि (आस-पास, चारों ओर, पूर्ण, त्याग, अतिशय)-

परिवार, परिक्रमा, परिजन, परिणाम, परिधि, परिपूर्ण, परितोष, परिदर्शन, परिचय, परिसर, परिवर्तन, परिणय, पर्याप्त, परिसीमन, परीक्षा, परिष्कार, परिवहन, परिमित, परिभाषा, पर्यावरण, परिग्रह, परिभ्रमण, परिचर्या, परिच्छेद, परित्याग, परिपक्व, परिपाटी, परिमार्जन, परिषद, परिश्रम, परिहास आदि।

18. प्र (अधिक, आगे, ऊपर, यश)-

प्रमेय, प्रकाश, प्रेरणा, प्रख्यात, प्रचार, प्रबल, प्रभु, प्रयोग, प्रगति, प्रसार, प्रचार, प्रयास, प्रस्थान, प्रलय, प्रमाण, प्रमाद, प्रसन्न, प्रकार, प्रकृति, प्रताप, प्रभाव, प्रपंच, प्रसिद्ध, प्रपौत्र, प्रकोष्ठ, प्रखर, प्रकोप, प्रगल्भ, प्रचुर, प्रच्छन्न, प्रणय आदि।

19. प्रति (विपरीत, सामने, विरोध, बराबरी, प्रत्येक, परिवर्तन)-

प्रतिदिन, प्रतिक्षण, प्रतिमान, प्रतिवादी, प्रतिक्षण, प्रतिनिधि, प्रतिमूर्ति, प्रतिकार, प्रतिघात, प्रत्येक, प्रतिशत, प्रतिध्वनि, प्रतिज्ञा, प्रतिदान, प्रतिबिम्ब, प्रतिरूप, प्रतिलिपि, प्रतिकूल, प्रत्यक्ष, प्रतिद्वंद्व, प्रतिबंध, प्रतिकर्षण, प्रतिक्रिया, प्रत्युत्तर, प्रतिवेदन, प्रतिनिधि, प्रतिपादन, प्रतिबंध, प्रतिमा, प्रतियोगी, प्रतिरक्षा आदि।

20. वि (भित्रता, हीनता, असमानता, विशेष)-

विपक्ष, विकास, विशेष, विज्ञान, विकराल, विदेश, विधवा, विवाद, विशेष, विस्मरण, विराम, वियोग, विख्यात, विभाग, विकार, विमुख, विनय, विनाश, विशुद्ध, विरुद्ध, विक्रय, विकार, विकीर्ण, विक्रम, विखंडन, विगत, विगलित, विग्रह, विजय, विजित, वितान, विनय, विपुल, विभिन्न, विभूषण, विमल, विराम, विलोम, व्यवहार, व्यापक, व्यक्ति, व्याकरण, व्यर्थ आदि।

21. सम् (अच्छी तरह, पूर्णता, संयोग, साथ)-

सम्मान, संपूर्ण, संकल्प, संग्रह, समन्वय, संतोष, संगम, संन्यास, संयोग, संस्कार, संरक्षण, संहार, समारोह, सम्मेलन, संस्कृत, सामर्थ, संगीत, सम्मुख, संसर्ग, समावेश, संबंध, संग्राम, समवेत, समवाय, समागम, समाचार, समाधि,  समाप्ति, समाहार, समास, समृद्धि, सम्पर्क, सम्प्रदान, संप्रेषण, संबंध, संभव, सम्भावना, सम्भोग, सम्मुख, सम्पूर्ण आदि।

22. सु (सुखी, अच्छा, सहज, सुंदर)-

सुशासन, सुपुत्र, सुकृति, सुकर्म, सुगम, स्वयं, स्वच्छ, सुदीर्घ, सूक्ति, सुलभ, सुदूर, स्वागत, सुयश, सुपात्र, सुभाषित, सुवास, सुलभ, सुमन, सुजन, सुकर, सुदर्शन, सुधार, सुकुमार, आदि।

संस्कृत के अन्य उपसर्ग

संस्कृत के कुछ पूरे शब्द, अव्यय तथा विशेषण भी उपसर्गों की भाँति प्रयुक्त होते हैं। जैसे-

1. अ (अभाव, नहीं)-

अज्ञान, अधर्म, अज्ञान, अपरिचित, अस्थिर, अप्रत्याशित, अमर्त्य, अस्वीकार, अक्षम्य, अजर, अभाव, अगम्य, अदम्य, अकाल, अजात, अकारण, अथाह, अटल, अगोचर, अलौकिक, अव्यय, अवैतनिक आदि।

2. अन् (अभाव, रहित)-

अनादि, अनंत, अनधिकार, अनेक, अनिच्छा, अनावश्यक, अनायास, अनुचित, अनंतर, अनन्य, अनभिज्ञ, अनर्थ, अनुपम, अनन्वय, अनुर्वर, अनिच्छुक आदि।

3. अध: (नीचे)-

अध:पतन, अधोमुख, अधोगति आदि।

4. अंत: / अंतर् / अंतर (भीतर, मध्य)-

अंत:करण, अंत:पुर, अंतरात्मा, अंतर्गत, अंतर्यामी, अंतर्मन, अंतर्देशीय, अंतरात्मा, अंतर्राष्ट्रीय, अंतर्राज्यीय, अंतरजातीय, अंतरिक्ष, अंतर्धान, अंतर्निहित आदि।

5. का (बुरा)-

कापुरुष, कातर, काजल आदि।

6. कु (बुरा)-

कुपुत्र, कुमति, कुकर्म, कुरूप, कुतर्क, कुपात्र, कुदृष्टि, कुरंग आदि।

7. चिर (देर का)-

चिरंजीवी, चिरस्थाई, चिरकाल, चिरकुमार, चिरपरिचित, चिरप्रतीक्षित, चिरायु, चिरयौवन आदि।

8. तत् (वही)-

तत्सम, तल्लीन, तन्मय, तत्काल तत्पश्चात आदि।

9. पर (दूसरा)-

पराधीन, परदेशी, परोपकार आदि।

10. पुन: / पुनर् (फिर)-

पुनर्जन्म, पुनरुक्ति, पुनरवलोकन, पुनरुद्धार पुनरावृति, पुनश्च, पुनरुत्थान, पुनर्भाव, पुनरागमन, पुनर्निर्माण, पुनर्वास, पुनर्मूल्यांकन, पुनर्विवाह, पुनर्विचार आदि।

11. पुर: (सामने, आगे)-

पुरस्कार, पुरोधा, पुरोहित आदि।

12. पूर्व (पहला)-

पूर्वंनिश्चित, पूर्वार्ध, पूर्वपक्ष आदि।

13. बहि: (बाहर)-

बहिष्कृति, बहिर्गमन, बहिरंग, बहिर्ज्ञान आदि।

14. बहु (बहुत)-

बहुमूल्य, बहुमत, बहुवचन आदि।

15. स (साथ)-

सजातीय, सगुण, सस्वर, सजीव, सरस, सोदाहरण, सपत्नीक, सादर, सशक्त, सरकार, सावधान, साष्टांग, सोल्लास आदि।

16. सत् (अच्छा)-

सज्जन, सत्संग, सदगति, सद्धर्म, सत्कर्म, सद्भावना, सदाचार आदि।

17. सह (साथ)-

सहचर, सहयोग, सहपाठी, सहयात्री, सहकर्मी, सहायक, सहधर्मिणी, सहगान, सहज, सहोदर, सहचिन्तन आदि।

18. साक्षात् (सामने)-

साक्षात्कार, साक्षाद्धर्म आदि।

19. सम् (साथ, समान, अत्यंत)-

समादर, संभाषण, समाधान, समाज, समागम, समान, समापन, समारम्भ, समाविष्ट, समारोह, समास आदि।

20. स्व (अपना)-

स्वराज्य, स्वतंत्रता, स्वतंत्र, स्वधीन, स्वदेश, स्वभाव, स्वरूप, स्वधर्म, स्वचलित, स्वरचित,  स्वस्थ आदि।

ग. उर्दू उपसर्ग और उससे बनने वाले शब्द

हिंदी में कई सारे उर्दू के उपसर्गों का प्रयोग होता है जो अरबी/ फारसी से आयें हैं। नीचे उर्दू के उपसर्ग और उसके अर्थ के साथ इन उपसर्गों से बनने वाले प्रमुख शब्द भी दिए जा रहें हैं-

1. अल् (निश्चित)-

अलबिदा, अलमस्त, अलबत्ता, अलबेला, अलगरज आदि।

2. ऐन (ठीक, पूरा)-

ऐनवक्त, ऐनआदमी, ऐनहिकमत आदि।

3. कम (थोड़ा, हीन)-

कमजोर, कमसिन, कमउम्र, कामखयाल, कमज़ोर, कमसमझ, कमदिमाग, कम-अकल आदि।

4. खुश (श्रेष्ठता के अर्थ में)-

खुशनुमा, खुशगवार, खुशमिज़ाज, खुशकिस्मत, खुशखबरी, खुशबू, खुशदिल, खुशहाल आदि।

5. ग़ैर (भिन्न, निषेध, विरुद्ध)-

गैर-मुल्क, गैरकानूनी, गैर-जरूरी, गैरहाज़िर, गैरवाजिब, गैर-सरकारी, आदि।

6. दर (में)-

दरबार, दरअसल, दरकार, दरकिनार, दरवेश, दरमियान, दरहकीकत, दरख्वास्त आदि।

7. ना (अभाव, बिना)-

नापाक, नाउम्मीद, नामुराद, नासमझ, नाकाम, नाराज, नालायक, नाखुश, नामुमकिन, नाचीज, नादान, नापसंद, नाबालिक, नाइंसाफी आदि।

8. नेक (अच्छा)-

नेकदिल, नेकी, नेकचलन, नेकलेस आदि।

9. फिल्/फी (में, प्रति)-

फिलहाल, फी फैशन, फीआदमी, फी मैदान आदि।

10. ब (और, अनुसार)-

बकौल, बनाम, बमुश्किल, बदौलत, बदस्तूर, बगैर, बखूबी, बजाय, बतौर आदि।

11. बद (बुरा, खराब)-

बदौलत, बदजात, बदजबान, बदचलन, बदसूरत, बदनाम, बदतमीज, बददिमाग, बदहवास, बदबू, बदहजमी, बदमाश, बदनसीब, बदकिस्मत, बदमिजाज आदि।

12. बर (ऊपर, पर, बाहर)-

बरखा, बरबाद, बरखास्त, बरदाश्त, बरवक्त आदि।

13. बा (सहित, अनुसार)-

बामुलाहिजा, बाकायदा, बाइज्जत, बाअदब, बामौक़ा आदि।

14.बिल (साथ, से, में)-

बिलकुल, बिलइरादा, बिल्मुक्ता, बिल्फर्ज आदि।

15. बिला (बिना)-

बिलावजह, बिलाशर्त, बिलाकानून, बिलाशक आदि।

16. बे (बिना)-

बेगुनाह, बेशक, बेहद, बेजान, बेदर्द, बेवक्त, बेशकीमती, बेकाम, बेसमझ, बेवकूफ, बेअक्ल, बेअसर, बेचारा, बेतरतीब, बेइज्जत, बेईमान, बेमानी, बेइंसाफी, बेबुनियाद, बेघर, बेरहम, बेहिसाब, बेवजह, बेधड़क, बेचैन, बेडौल, बेखौफ, बेवफा, बेसहारा, बेलाग आदि।

17. ला (बिना)

लाजिम, लाचार, ला-पता, लाइलाज, लाजवाब, लापरवाह, लापता आदि।

18. सर (मुख्य, श्रेष्ठ)-

सरहद, सरताज, सरदार, सरपंच, सरकार आदि।

19. हम (बराबर, समान)-

हमवतन, हमउम्र, हमदम, हमराह, हमसफर, हमदर्द, हमदर्दी, हमजोली, हमशक्ल, हमपेशा आदि।

20. हर (प्रत्येक)

हरवक्त, हरदिन, हरदम, हरतरफ, हररोज, हरसाल, हरघड़ी, हरकोई, हरआदमी, हरएक, हरबार आदि।

अंग्रेजी के उपसर्ग

हिंदी, संस्कृत और उर्दू के अलावा अंग्रेजी के उपसर्ग भी हिंदी में प्रयुक्त होते हैं। कुछ महत्वपूर्ण अंग्रेजी उपसर्ग और उनसे बनने वाले शब्द निम्नलिखित हैं-

1. सब (अधीन, नीचे)-

सब-जज, सब-कमेटी, सब-इंस्पेक्टर आदि।

2. डिप्टी (सहायक)-

डिप्टी-कलेक्टर, डिप्टी-रजिस्ट्रार, डिप्टी-मिनिस्टर आदि।

3. वाइस (सहायक)-

वाइसराय, वाइस-चांसलर, वाइस-पप्रेसीडेंट आदि।

4. जनरल (प्रधान)-

जनरल मैनेजर, जनरल सेक्रेटरी आदि।

5. चीफ (प्रमुख)-

चीफ-मिनिस्टर, चीफ-इंजीनियर, चीफ-सेक्रेटरी आदि।

6. हेड (मुख्य)-

हेडमास्टर, हेडक्लर्क आदि।

दो उपसर्गो से निर्मित शब्द

कभी-कभी दो या तीन उपसर्ग एकसाथ ही एक शब्द के पहले ही लगा दिए जाते हैं, जैसे-

  1. निर् + आ + करण = निराकरण
  2. सु + सम् + कृत = सुसंस्कृत
  3. अन् + आ + हार = अनाहार
  4. अ + सु + रक्षित = असुरक्षित
  5. सु + सम् + गठित = सुसंगठित
  6. अति + आ + चार = अत्याचार
  7. वि + आ + करण= व्याकरण
  8. प्रति + उप + कार = प्रत्युपकार
  9. अन् + आ + हार = अनाहार
  10. अन् + आ + सक्ति = अनासक्ति
  11. सम् + आ + लोचना= समालोचना
  12. अ + नि + यंत्रित = अनियंत्रित
  13. अ + प्रति + अक्ष = अप्रत्यक्ष

[1] आधुनिक हिंदी व्याकरण और रचना- डॉ. वासुदेवनंदन प्रसाद, भारती भवन प्रकाशन, पटना- 2017, पृष्ठ- 161

[2] वही

विमुख शब्द का उपसर्ग क्या है?

विमुख शब्द में उपसर्ग विमुख शब्द वि उपसर्ग के योग से बना है। विमुख का अर्थ दिया गया है।

विजय शब्द का उपसर्ग क्या है?

संस्कृत के उपसर्ग (तत्सम).

स्वदेश में उपसर्ग क्या है?

उत्तर 'स्व' उपसर्ग बनने वाले शब्द स्वतंत्र, स्वदेश, स्वराज्य ।

स्वार्थ का मूल शब्द क्या है?

स्व + अर्थ = स्वार्थ अर्थात खुद का लाभ।