वाहनों में अवतल दर्पण का उपयोग क्यों किया जाता है? - vaahanon mein avatal darpan ka upayog kyon kiya jaata hai?

अवतल दर्पण अपनी ओर आने बाली प्रकाश की किरणों को अपने मुख्य फोकस पर केंद्रित कर देता है तथा इसमें वस्तु का प्रतिविंब दर्पण के आगे वस्तु की स्थिति के अनुसार वस्तु से छोटा, बड़ा या बराबर भी होता है इसी प्रकार उत्तल दर्पण अपनी ओर आने बाली प्रकाश की किरणों को अपने मुख्य फोकस से फैला देता है तथा इसमें वस्तु का प्रतिविंब वस्तु से हमेशा छोटा बनता है ! इसलिए इन दर्पणों का उपयोग इनके गुणों के आधार पर अलग-अलग कार्यों के लिए किया जाता है जो निम्नलिखित है-

अवतल दर्पण के उपयोग

(a)  अवतल दर्पण का उपयोग टॉर्च, सर्च लाईट, तथा गाड़ियों के हेड लाईट आदि में किया जाता है। इनमें बल्ब को अवतल दर्पण के फोकस पर रखा जाता है, जिससे प्रकाश की किरणों का समानांतर बीम प्राप्त होता है, जिससे रोशनी दूर तक जाती है।

(b)  अवतल दर्पण का उपयोग हजामत बनाने के लिये दर्पण के रूप में किया जाता है। अवतल दर्पण के उपयोग से चेहरे का बड़ा प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है, तथा हजामत बनाने में सुविधा होती है।


वाहनों में अवतल दर्पण का उपयोग क्यों किया जाता है? - vaahanon mein avatal darpan ka upayog kyon kiya jaata hai?


(c)  अवतल दर्पण का उपयोग दाँतों के डॉक्टर द्वारा रोगी के दाँतों का बड़ा प्रतिबिम्ब देखने के लिये किया जाता है।

(d)  बड़े-बड़े अवतल दर्पणों का उपयोग सौर भट्ठी में किया जाता है ! बड़े अवतल दर्पण का द्वारक भी बड़ा होता है, जिसके कारण यह सूर्य के किरणों की बड़ी मात्रा को एक जगह केन्द्रित कर उष्मा की बड़ी मात्रा देता है !

उत्तल दर्पण के उपयोग  

(a)  उत्तल दर्पण का उपयोग वाहनों में पश्च दृश्य दर्पणों (Rear view mirror) के रूप में किया जाता है। पश्च दृश्य दर्पण वाहनों के पार्श्व (Side) में लगे होते हैं, जिसमें वाहन चालक पीछे आने वाले वाहनों को देख सकता है। उत्तल दर्पण के बाहर की ओर वक्रित होने के कारण इसका दृष्टि क्षेत्र बड़ा होता है तथा ये सीधा तथा सापेक्ष रूप से छोटा प्रतिबिम्ब बनाते हैं, जिसके कारण वाहन चालक उनके पीछे दूर तक आते वाहनों को आसानी से देख पाते हैं, जिससे वाहन चलान में सुविधा होती है।


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b)  उत्तल दर्पण का उपयोग तीक्ष्ण मोड़ पर दूसरी तरफ से आने वाले वाहनों को देखने में होता है। दूसरी तरफ से आने वाले वाहनों को देख लेने के बाद विपरीत दिशा से आने वाले वाहन चालक सतर्क हो जाते हैं तथा वाहन सुरक्षित रूप से चला पाते हैं।

Solution : दर्पण के उपयोग निम्नलिखित हैं- <br> 1. समतल दर्पण के उपयोग- (1) समतल दर्पण का प्रयोग घरों में चेहरा देखने के लिए किया जाता है, (2) कपड़े की दुकानों तथा अन्य दुकानों पर सजावट के लिए समतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है, (3) मोटरों में ड्राइवर अपने पीछे बैठी सवारियों को देखने के लिए समतल दर्पण का प्रयोग करते हैं, (4) बाल काटते समय हज्ज़ाम (नाई) पीछे के बाल दिखाने के लिए समतल दर्पण का प्रयोग करते हैं, (5) पनडुब्बियों में प्रयुक्त पेरिस्कोप में समतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है। <br> 2. अवतल दर्पण के उपयोग-(1) डॉक्टर अवतल दर्पण का प्रयोग मुँह, कान तथा नाक से भीतरी भाग का निरीक्षण करने के लिए करते हैं, (2) टॉर्च में अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है, (3) मोटरगाड़ी अथवा ट्रैक्टर की बत्तियों में बल्ब के पीछे अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है, (4) अवतल दर्पण का उपयोग शेविंग के लिए दर्पण के रूप में किया जाता है, (5) अवतल दर्पण का उपयोग दूरबीनों में किया जाता है, (6) बड़े-बड़े अवतल दर्पणों का प्रयोग सोलर कुकर की किरणों को अभिसारित करने के लिए किया जाता है। <br> 3. उत्तल दर्पण के उपयोग-(1) स्कूटरों, कारों, बसों तथा ट्रकों के सामने पीछे से आ रहे वाहनों को देखने के लिए उत्तल दर्पण का प्रयोग किया जाता है, (2) लाफिंग गैलरियों (Laughing Galleries) में लोगों को दर्पण के सामने खड़े करके उनके विचित्र आकार के प्रतिबिंब दिखाकर हँसाने के लिए उत्तल दर्पण का प्रयोग किया जाता है।

अवतल दर्पण के उपयोग 

अवतल दर्पण का उपयोग मुख्य रूप से टॉर्च, सर्च लाईट, तथा गाड़ियों के हेड लाईट आदि में किया जाता है। जिसमे की ब्लब को अवतल दर्पण के फोकस पर रखा जाता है। इस ब्लब से प्रकाश की किरणों का समानांतर बीम प्राप्त होता है जिसकी वजह से रौशनी दूर तक फैलती है। अवतल दर्पण का उपयोग दर्पण के रूप में हजामत बनाने के लिये किया जाता है। अवतल दर्पण का उपयोग चेहरे का बड़ा प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनाने के लिए किया जाता है तथा हजामत बनाने में सुविधा होती है।

दाँतों के डॉक्टर द्वारा रोगी के दाँतों का बड़ा प्रतिबिम्ब देखने के लिये अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है।बड़े अवतल दर्पण का उपयोग सौर भट्ठी में किया जाता है और बड़े अवतल दर्पण का द्वारक भी बड़ा होता है, जिसकी वजह से यह सूर्य के किरणों की बड़ी मात्रा को एक जगह पर केन्द्रित कर उष्मा की बड़ी मात्रा देता है।

उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनाना

उत्तल दर्पण का मुख्य फोकस तथा वक्रता केन्द्र दर्पण के पीछे स्थित होता है इसी वजह से बिम्ब को केवल दो ही स्थिति में रख सकते है

1.जब बिम्ब एक अनंत दूरी पर हो

2.जब बिम्ब दर्पण के ध्रुव तथा अनंत दूरी के बीच हो

1. जब बिम्ब अनंत दूरी पर स्थिति हो इस स्थिति में उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना 

जब बिम्ब को अनंत दूरी पर रखा जाता है तो इससे आने वाली किरणें दर्पण के फोकस से अपसरित होती हुई प्रतीत होती है और इसका प्रतिबिम्ब उत्तल दर्पण के मुख्य फोकस पर बनता है।

वाहनों में अवतल दर्पण का उपयोग क्यों किया जाता है? - vaahanon mein avatal darpan ka upayog kyon kiya jaata hai?

प्रतिबिम्ब की स्थिति : फोकस पर, दर्पण के पीछे

प्रतिबिम्ब का आकार : अत्यधिक छोटा, बिन्दु के आकार का

प्रतिबिम्ब की प्रकृति : आभासी तथा सीधा

2. जब बिम्ब को उत्तल दर्पण के ध्रुव तथा अनंत दूरी के बीच रखा जाता है उस स्थिति में प्रतिबिम्ब का बनना 

जब बिम्ब को उत्तल दर्पण के ध्रुव तथा अनंत के बीच कहीं भी रखा जाये तो इसका प्रतिबिम्ब दर्पण के ध्रुव तथा फोकस के बीच में, जो कि दर्पण के पीछे होता है, बनता है।

वाहनों में अवतल दर्पण का उपयोग क्यों किया जाता है? - vaahanon mein avatal darpan ka upayog kyon kiya jaata hai?

प्रतिबिम्ब की स्थिति : फोकस तथा ध्रुव के बीच, दर्पण के पीछे

प्रतिबिम्ब का आकार : छोटा

प्रतिबिम्ब की प्रकृति : आभासी तथा सीधा

उत्तल दर्पण के उपयोग 

1. उत्तल दर्पण का उपयोग वाहनों में पश्च दृश्य दर्पणों के रूप में किया जाता है। पश्च दृश्य दर्पण वाहनों के साइड  में लगे होते हैं, जिसकी मदद से वाहन चालक पीछे आने वाले वाहनों को देख सकता है। उत्तल दर्पण का दृष्टि क्षेत्र बड़ा होता है क्योकि उत्तल दर्पण बाहर की ओर वक्रित होता है तथा ये सीधा तथा छोटा प्रतिबिम्ब बनाते हैं, जिसके कारण वाहन चालक उनके पीछे दूर तक आते वाहनों को आसानी से देख पाते हैं, जिससे वाहन को चलाने में सुविधा होती है।

2. उत्तल दर्पण का उपयोग तीक्ष्ण मोड़ पर दूसरी तरफ से आने वाले वाहनों को देखने में होता है। दूसरी तरफ से आने वाले वाहनों को देख लेने के बाद विपरीत दिशा से आने वाले वाहन चालक सतर्क हो जाते हैं तथा वाहन सुरक्षित रूप से चला पाते हैं।

गोलीय दर्पणों द्वारा परावर्तन के लिए चिन्ह परिपाटी

गोलीय दर्पणों द्वारा प्रकाश के परावर्तन पर विचार करने के लिए एक निश्चत चिन्ह परिपाटी तैयार की गई है, जिसे नयी कार्तीय चिन्ह परिपाटी कहते हैं।

गोलीय दर्पणों द्वारा प्रकाश के परावर्तन पर विचार करने के लिये नयी कार्तीय चिन्ह परिपाटी के नियम

1. बिम्ब को हमेशा दर्पण के बाईं तरफ रखा जाता है अर्थात गोलीय़ दर्पण पर बिम्ब से प्रकाश की किरणे बाईं ओर से आपतित होती है।

2. दर्पण के ध्रुव से ही मुख्य अक्ष के समांतर सभी दूरियाँ मापी जाती है।

3. मूल बिन्दु अर्थात ध्रुव के दाईं ओर मापी गई सभी दूरियाँ धनात्मक (+) मानी जाती हैं जबकि मूल बिन्दु के बाईं ओर के अनुदिश मापी गई दूरियाँ ऋणात्मक (-) मानी जाती हैं।

4. मुख्य अक्ष के लंबबत तथा उपर की ओर मापी जाने वाली दूरियाँ धनात्मक (+) मानी जाती हैं।

5. मुख्य अक्ष के लंबबत तथा नीचे की ओर मापी जाने वाली दूरियाँ ऋणात्मक (-) मानी जाती हैं।

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दर्पण सूत्र तथा आवर्धन

ध्रुव से बिम्ब की दूरी (u), मुख्य फोकस (f) तथा ध्रुव से प्रतिबिम्ब की दूरी (v) के बीच संबंध को इस प्रकार से दर्शाया जाता है:

1/v+1/u=1/f

जहाँ, u = बिम्ब की ध्रुव से दूरी [इसे बिम्ब दूरी कहते हैं।]

v = प्रतिबिम्ब ध्रुव से की दूरी [इसे प्रतिबिम्ब दूरी कहते हैं।]

f = मुख्य फोकस की ध्रुव से दूरी

बिम्ब दूरी (u), प्रतिबिम्ब दूरी (v) तथा फोकस दूरी (f) के बीच इस संबंध को दर्पण सूत्र कहा जाता है।

इस प्रकार का संबह सभी प्रकार के गोलीय दर्पणों के लिये बिम्ब की सभी स्थितियों के लिये मान्य है।

आवर्धन

आवर्धन से यह ज्ञात होता है की कोई प्रतिबिम्ब बिम्ब की अपेक्षा कितना गुना आवर्धित है।आवर्धन को अक्षर (m) से निरूपित किया जाता है।

आवर्धन (m) को प्रतिबिम्ब की उँचाई (h’) तथा बिम्ब की उँचाई (h) के अनुपात में व्यक्त किया जाता है।

m= h’/h ——-(i)

आवर्धन (m) तथा बिम्ब दूरी (u) तथा प्रतिबिम्ब दूरी (v) में संबंध

आवर्धन (m)= h’/h = −v/u —–(ii)

अत: उपरोक्त समीकरण (i) और समीकरण (ii) की मदद से किसी भी दो का मान ज्ञात होने पर तीसरे के मान की गणना की जा सकती है।