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... हिंदी गद्य के विकास में महावीर प्रसाद द्विवेदी का क्या योगदान है?उन्होंने हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की। उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग 'द्विवेदी युग' (1900–1920) के नाम से जाना जाता है। उन्होंने सत्रह वर्ष तक हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिका सरस्वती का सम्पादन किया।
हिन्दी गद्य को आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी की सबसे बड़ी देन क्या है?हिन्दी गद्य को आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी की सबसे बड़ी देन क्या है? उत्तर : आचार्य द्विवेदी जी ने 'सरस्वती' पत्रिका के माध्यम से भाषा का परिमार्जन करके उसे व्याकरणसम्मत बनाया तथा नवीन विषयों पर गद्य रचना के लिए लेखकों को प्रोत्साहित किया।
भारतेंदु युग के गद्य भाषा हिंदी का द्विवेदी युग में क्या सुधार एवं विकास हुआ?द्विवेदी युग हिंदी साहित्य में भारतेंदु युग के बाद का समय है। इस युग का नाम महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम से रखा गया है। महावीर प्रसाद द्विवेदी एक ऐसे साहित्यकार थे, जो बहुभाषी होने के साथ ही साहित्य के इतर विषयों में भी समान रुचि रखते थे।
हिंदी गद्य के विकास में भारतेंदु युग का क्या महत्व है?इस काल में हिन्दी के प्रचार में जिन पत्र-पत्रिकाओं ने विशेष योग दिया, उनमें उदन्त मार्तण्ड, कवि वचन सुधा, हरिश्चन्द्र मैगजीन अग्रणी हैं। इस समय हिन्दी गद्य की सर्वांगीण प्रगति हुई और उसमें उपन्यास, कहानी, नाटक, निबन्ध, आलोचना, जीवनी आदि विधाओं में अनूदित तथा मौलिक रचनाएं लिखी गयीं।
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