ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुसार क्यों है? - dhvani tarangon kee prakrti anusaar kyon hai?


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ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर...

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लिखित उत्तर

Solution : जब ध्वनि तरंग वायु में संचरण करती हैं, तो वायु के अणु तरंग कि गति कि दिशा के अनुदिश कंपन करते हैं । इसलिए ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें होती हैं ।

उत्तर

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ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुसार क्यों है? - dhvani tarangon kee prakrti anusaar kyon hai?

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ध्वनि तरंगों की प्रकृति कैसे होती है?

ध्वनि तरंग : एक प्रत्यास्थ माध्यम में अनुदैर्ध्य तरंग जो श्रव्य संवेदना पैदा करती है उसे ध्वनि तरंग कहते हैं। जैसे ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें होती हैं , वायु के कण ध्वनि के प्रसार की दिशा में कंपन करते हैं। यह संपीड़न और विरलीकरण की एक तरंग है। संपीडन और विरलीकरण एक ध्वनि तरंग का हिस्सा हैं।

ध्वनि तरंगों की प्रकृति अंधेरी क्यों है?

ये तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें कहलाती हैं। इन तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समांतर होता है। कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते लेकिन अपनी विराम अवस्था से आगे-पीछे दोलन करते हैं। ठीक इसी प्रकार ध्वनि तरंगें संचरित होती हैं, अतएव ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें हैं।

ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्घ्य क्यों है?

Solution : जब ध्वनि तरंग वायु में संचरण करती हैं, तो वायु के अणु तरंग कि गति कि दिशा के अनुदिश कंपन करते हैं । इसलिए ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें होती हैं ।

ध्वनि की प्रकृति क्या है?

ध्वनि की प्रकृति (nature of sound) ध्वनि सदैव किसी न किसी वस्तु के कम्पन करने से उत्पन्न होती है । जब हम किसी घण्टे पर चोट मारते हैं तो हमें ध्वनि सुनाई पड़ती है तथा घण्टे को हल्का सा छूने पर उसमें झनझनाहट (कम्पनों) का अनुभव होता है । जैसे ही घण्टे के कम्पन बन्द हो जाते हैं, ध्वनि का सुनाई देना भी बन्द हो जाता है ।