फोन पर गाली देने पर कौन सी धारा लगती है? - phon par gaalee dene par kaun see dhaara lagatee hai?

फोन पर गाली देने पर कौन सी धारा लगती है? - phon par gaalee dene par kaun see dhaara lagatee hai?

हल्के में ना लें गाली गलौच और धमकियों को.

अक्सर विवाद होने की स्थिति में लोग बात बात पर गाली गलौच और अभद्रता करना शुरू कर देते हैं. जान से मारने या देख लेने की धमकी देते हैं लेकिन ये मानें कि कानून की नजर में ऐसे मामलों का कोई मतलब नहीं है बल्कि कानून की कई धाराएं ऐसे मामलों को बहुत गंभीरता से लेती हैं. इन्हें संगीन जुर्म ही नहीं माना जाता बल्कि जेल की सजा भी हो सकती है.

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  • News18Hindi
  • Last Updated : August 23, 2022, 12:48 IST

हाइलाइट्स

कालोनियों में हाल में हुई हैं गाली गलौच और बदसलूकी की कई घटनाएं
अभद्रता, अश्लील भाषा में बदसलूकी है संगीत अपराध
जान से मारने की धमकी देने पर हो सकती है कड़ी सजा

हाल ही में हमने नोएडा की दो सोसायटी में गाली गलौच के मामले देखे हैं. इसके बाद दोनों ही मामलों में आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा. इन मामलों ने काफी तूल भी पकड़ा. हमारे रोजाना के जीवन में गाली-गलौच, अभद्रता, बदसलूकी के बहुत से मामले आसपास देखने को मिलते हैं. कई बार ये इतने बढ़ जाते हैं कि इसमें अप्रिय स्थितियां और बड़ा विवाद पैदा हो जाता है. इन मामलों में धमकियां देना भी आम बात होती है.

अक्सर देखने में आता है कि एक ही कॉलोनी या अपार्टमेंट में रहने वाले लोग विवाद होने पर ना केवल एक दूसरे को गालियां देने लगते हैं बल्कि अपने परिचितों को बुलाकर मारने और मरवाने की धमकियां भी देने लगते हैं.

इस तरह की घटनाओं को या तो नजरंदाज कर दिया जाता है या फिर सुलह समझौते के बाद बात को खत्म करने की कोशिश की जाती है. अगर कानून की नजर से देखें तो अश्लील गालियां देना, बदसलूकी करना और जान से मारने की धमकी देना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसा करने वालों पर संगीन मुकदमा दर्ज हो सकता है.

क्यों है ये दंडनीय अपराध
ऐसे अपराधों पर सीधे पुलिस थाने से सीआरपीसी की धारा 154 के तहत एफआईआर दर्ज होती है. गाली गलौज करना एक दूसरे को अश्लील गालियां देना भारतीय दंड संहिता की धारा 294 में दंडनीय अपराध है. हालांकि ऐसे ज्यादातर मामलों में सुलह समझौते हो जाते हैं लेकिन धारा 294 राजीनामे के योग्य धारा नहीं होती. इस धारा में दोनों पक्ष राजीनामा भी नहीं कर सकते क्योंकि गालियां देने से केवल पीड़ित पक्षकार को तकलीफ नहीं होती है बल्कि इससे लोगों को ठेस भी पहुंचती है.

कितनी सजा हो सकती है
इस धारा के तहत आरोपियों को 3 महीने तक की सजा हो सकती है. वैसे इस तरह के मामलों में आरोपियों को किसी प्रकार का जेल का दंड नहीं दिया जाता है बल्कि जुर्माना भरवाया जाता है लेकिन मुकदमा कई वर्षों तक चलता है. आरोपियों को अदालत में हाजिरी के लिए जाना पड़ता है. बकायदा जमानत भी लेनी होती है.

जान से मारने की धमकी देना संगीन अपराध
विवादों में एक दूसरे को जान से मारने की धमकी देना आम बात हो चली है. सार्वजनिक स्थानों पर भी इस तरह की चीजें खूब होती हैं. रोडरेज में भी इस तरह की धमकियां लोग खूब देते हैं. अगर कोई भी इस तरह के विवादों में ऐसी धमकी देता है तो उसके खिलाफ तुरंत रिपोर्ट लिखवाकर कार्रवाई की जा सकती है.

07 साल तक की सजा
जान से मारने की धमकी देना साधारण अपराध समझा जाता है लेकिन ये साधारण अपराध नहीं है. भारतीय दंड संहिता की धारा 506 स्पष्ट रूप से यह कहती है कि अगर धमकी जान से मारने की दी जा रही है तो ऐसा करना अपराध माना जाएगा और उस व्यक्ति को 07 वर्ष तक की सजा हो सकती है. इसमें पक्की रिपोर्ट दर्ज होगी. मुकदमा बनाकर संबंधित मजिस्ट्रेट को भेजा जाएगा. हालांकि ऐसे मामलों में जमानत आसानी से मिल जाती है और फिर मुकदमा चलाया जाता है.

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Tags: Crime report, Criminal Laws, Jail, Threatens

FIRST PUBLISHED : August 23, 2022, 11:31 IST

गाली गलौज और जान से मारने की धमकी देना आए दिन देखने को मिलता है। हमारे सामाजिक जीवन में अनेक व्यवहार होते हैं। ऐसे व्यवहारों में कई बार हमारे विवाद भी हो जाते हैं। व्यापारिक व्यवहार, सामाजिक व्यवहार या पारिवारिक व्यवहार। किसी भी परिस्थिति में हमारे छुटपुट विवाद हो जाते हैं, जहां लोग एक दूसरे को गाली गलौज या फिर जान से मारने की धमकियां देते हैं।

देखने में आता है कि एक ही कॉलोनी में रहने वाले लोग विवाद होने पर एक दूसरे को अश्लील गालियां देने लगते हैं और इसी के साथ अपने रिश्तेदारों या दोस्तों को बुलवाकर जान से खत्म करवा देने की धमकियां भी देते हैं।

साधारण तौर पर हम इस प्रकार की घटनाओं को दरगुजर कर देते हैं और आरोपियों को किसी प्रकार की कोई सजा नहीं होती है। हालांकि भारतीय कानून में जान से मारने की धमकी देना और अश्लील गालियां देना दोनों ही दंडनीय अपराध है और इन पर संगीन मुकदमा दर्ज होता है। अर्थात ऐसे अपराधों पर सीधे पुलिस थाने से सीआरपीसी की धारा 154 के तहत एफआईआर दर्ज होती है, जिसे आम बोलचाल में पक्की रिपोर्ट कहा जाता है।

गाली गलौज करना

एक दूसरे को अश्लील गालियां देना भारतीय दंड संहिता की धारा 294 में दंडनीय अपराध है। धारा 294 राजीनामे के योग्य धारा भी नहीं है, अर्थात इस धारा में दोनों पक्ष का राजीनामा भी नहीं कर सकते क्योंकि गालियां देने से केवल पीड़ित पक्षकार को तकलीफ नहीं होती है अपितु समस्त समाज को तकलीफ होती है। इसलिए इस धारा में राजीनामा भी नहीं किया जा सकता।

संहिता की इस धारा के तहत आरोपियों को 3 महीने तक की सजा हो सकती है। हालांकि साधारण तौर पर इस अपराध में आरोपियों को किसी प्रकार का जेल का दंड नहीं दिया जाता है बल्कि जुर्माना भरवाया जाता है लेकिन यह मुकदमा कई वर्षों तक चलता है और इतने ही वर्षों तक आरोपियों को अदालत में हाजिरी के लिए जाना पड़ता है।

बकायदा जमानत भी लेना होती है। एक संक्षिप्त मुकदमे की प्रक्रिया से यह मुकदमा चलता है। भारतीय दंड संहिता में इस धारा को गाली गलौज के तौर पर उल्लेखित नहीं किया गया है, अपितु अश्लील शब्द या अश्लील गाने से उल्लेखित किया गया है। आमतौर पर जब लोगों के बीच किसी व्यवहार को लेकर कोई विवाद होता है तब एक दूसरे को अश्लील शब्दों में गालियां भी दी जाती है।

जान से मारने की धमकी देना

छोटे-मोटे विवादों में जान से मारने की धमकी देना एक आम बात हो चली है। हालांकि ऐसी धमकियां देना भी कानून की निगाह में एक संगीन जुर्म है। लोगों ने संगीन जुर्म को कोई छोटी मोटी बात समझ लिया है। इसलिए आए दिन कोई भी किसी को जान से मारने की धमकियां दे देता है। आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि ऐसी धमकियां लोग सरेराह चौक चौराहों पर एक दूसरे को दिया करते हैं।

किसी परिवार में लोगों के बीच कोई विवाद हो जाते हैं और विवाद होने के बाद एक दूसरे को जान से मारने की धमकी दे देते हो। जैसे कि किसी व्यक्ति को यह कहना कि तुझे काट डालूंगा या खत्म कर दूंगा। इस प्रकार के शब्द कहना जान से मारने की धमकी देने की कोटि में आता है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 506 जान से मारने की धमकी देने से संबंधित है। जान से मारने की धमकी देना एक साधारण अपराध समझा जाता है लेकिन यह साधारण अपराध नहीं है। भारतीय दंड संहिता की धारा 506 स्पष्ट रूप से यह कहती है कि अगर धमकी जान से मारने की दी जा रही है या फिर आग से किसी संपत्ति को नष्ट करने की दी जा रही है या फिर कोई धमकी ऐसी दी जा रही है जिस अपराध के लिए 7 वर्ष तक की सजा है तब आरोपियों को 7 वर्ष तक का कारावास हो सकता है।

ऐसी जान से मारने की धमकी देने पर 7 वर्ष तक के कठोर कारावास से व्यक्ति को दंडित किया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति को जान से मारने की धमकी दी जा रही है या फिर उसके साथ गाली गलौज किया जा रहा है तब फौरन संबंधित थाना क्षेत्र पर जाकर इस बात की सूचना थाने के भार साधक अधिकारी को दे सकता है। थाने का भार साधक अधिकारी ऐसी सूचना को लेने के बाद तत्काल आरोपियों पर पक्की रिपोर्ट दर्ज करेगा। उन पर मुकदमा बनाकर उन्हें संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष भेजा जाएगा। जहां इस मुकदमे पर विचारण चलाया जाता है।

हालांकि यह धारा जमानतीय धारा है तथा इसमें सरलता से आरोपियों को जमानत मिल जाती है, लेकिन इसका विचारण एक सामान्य अपराध की तरह ही चलता है।

फोन पर गाली गलौज करने पर कौन सी धारा लगती है?

गाली गलौज करना एक दूसरे को अश्लील गालियां देना भारतीय दंड संहिता की धारा 294 में दंडनीय अपराध है। धारा 294 राजीनामे के योग्य धारा भी नहीं है, अर्थात इस धारा में दोनों पक्ष का राजीनामा भी नहीं कर सकते क्योंकि गालियां देने से केवल पीड़ित पक्षकार को तकलीफ नहीं होती है अपितु समस्त समाज को तकलीफ होती है।

गाली देने पर क्या सजा मिलती है?

इस धारा के तहत आरोपियों को 3 महीने तक की सजा हो सकती है. वैसे इस तरह के मामलों में आरोपियों को किसी प्रकार का जेल का दंड नहीं दिया जाता है बल्कि जुर्माना भरवाया जाता है लेकिन मुकदमा कई वर्षों तक चलता है. आरोपियों को अदालत में हाजिरी के लिए जाना पड़ता है. बकायदा जमानत भी लेनी होती है.

अगर कोई गाली दे तो क्या करना चाहिए?

यह आर्टिकल २६,२१२ बार देखा गया है। किसी भी बुरी आदत की तरह, गालियां देने की आदत भी आसानी से लग जाती है और बहुत मुश्किल से छूटती है। कभी कभी तो आपको पता भी नहीं चलता कि आप यह कर रहे हैं। वैसे यह भी सच है कि यह एहसास करके, कि यह एक समस्या है और ईमानदारी से इसे सही करने के प्रयासों से, इस आदत को बदला भी जा सकता है।

जान से मारने की धमकी देने पर कौन सी धारा लगती है?

जान से मारने की धमकी (धारा 506) और आर्म्स एक्ट (धारा 25) के जिला कोर्ट में लंबित प्रकरण इस बार वापस नहीं होंगे। इस संदर्भ में इंदौर जिला अभियोजन कार्यालय ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश को पत्र लिखकर अवगत करा दिया है। शासन के इस निर्णय जिला कोर्ट में केसों की पेंडेंसी बढ़ेगी।