दल-बदल का साधारण अर्थ एक-दल से दूसरे दल में सम्मिलित होना हैं। संविधान के अनुसार भारत में निम्नलिखित स्थितियाँ सम्मिलित हैं - Show
सारी स्थितियों पर यदि विचार करें तो दल बदल की स्थिति तब होती है जब किसी भी दल के सांसद या विधायक अपनी मर्जी से पार्टी छोड़ते हैं या पार्टी व्हिप की अवहेलना करते हैं। इस स्थिति में उनकी सदस्यता को समाप्त किया जा सकता है और उनपर दल बदल निरोधक कानून लागू होगा। पर यदि किसी पार्टी के एक साथ दो तिहाई सांसद या विधायक (पहले ये संख्या एक तिहाई थी)(2/3) पार्टी छोड़ते हैं तो उन पर ये कानून लागू नहीं होगा पर उन्हें अपना स्वतन्त्र दल बनाने की अनुमति नहीं है वो किसी दूसरे दल में शामिल हो सकते हैं। दल बदल के लिए एक प्रसिद्ध जुमला प्रयोग किया जाता है जो इस प्रकार है आया राम गया राम भारतीय इतिहास में यह जुमला हे दृष्टि से देखा जाता है इस स्लोगन का प्रतिपादन चौथे आम चुनावों के बाद हुआ था वर्तमान में भारतीय राजनीति में बहुत से दलों का निर्माण हो चुका है जो एक चिंता का विषय है अगर सभी लोग राजनीति में अपनी भागीदारी दिखाने लगेंगे तो जनता का विकास संभव नहीं हो पाएगा क्योंकि राजनीति में शिक्षित लोगों का होना आवश्यक है अथवा अनिवार्य तत्व है दल छोड़कर गये सदस्य के खिलाफ कार्रवाई करने अधिकार सदन के अद्यक्ष को होता हे। दल बदल करने के लिए 2/3 सदस्य कि आवश्यकता होती हैं I अपवाद
दल बदल कानून के तहत सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित व्यक्ति तब तक मंत्री बनने के लिए अयोग्य रहता है जब तब वह दुबारा चुन कर सदन का सदस्य न बन जाए| दल बदल क्या है इस पर नियंत्रण लगाने के लिए भारतीय संविधान में कौन स संविधान संशोधन किया गया है?किसी विधायक का किसी दल के टिकट पर निर्वाचित होकर उसे छोड़ देना और अन्य किसी दल में शामिल हो जाना। मौलिक सिध्दान्तों पर विधायक का अपनी पार्टी की नीति के विरुध्द योगदान करना। किसी दल को छोड़ने के बाद विधायक का निर्दलीय रहना। परन्तु पार्टी से निष्कासित किए जाने पर यह नियम लागू नहीं होगा।
भारतीय संसद द्वारा दल बदल विरोधी कानून कौन से संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा बनाया गया है?दल-बदल विरोधी विधेयक 1985 में संसद में पारित किया गया था लेकिन,यह 18 मार्च 1985 को लागू हुआ। दल-बदल विरोधी कानून का प्रावधान भारतीय संविधान की 10 वीं अनुसूची में दिया गया है और इसे 52वें संशोधन अधिनियम द्वारा सम्मिलित किया गया है।
भारत में दल बदल विरोधी कानून कब बना?भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री (1984-1989) राजीव गांधी ने दलबदल की बुराइयों को दूर करने के लिए एक विधेयक की परिकल्पना की थी। भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची को व्यापक रूप से 'दलबदल विरोधी कानून' के रूप में वर्णित किया गया था, जिसे 1985 में भारतीय संविधान के 52वें संशोधन द्वारा पेश किया गया था।
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