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संपर्क एल.पी. 529, मुनेश्वर विहार कॉलोनी Sanatana Dharma Organization © Copyrights 2021 Design by Bolt Infotech Pvt. Ltd. लक्ष्मण के मूर्छित होने पर हनुमान उठा लाए संजीवनी पर्वतसंवाद सहयोगी, जालौन : रामलीला महोत्सव में लक्ष्मण शक्ति व कालनेम की माया का मंचन किया गया। जिसमें हनुमान-मेघनाद संवाद, लक्ष्मण मेघनाद संवाद के अलावा कालनेम की माया का दृश्य विशेष आकर्षण युक्त रहा। मंचन के प्रथम दृश्य में श्रीराम द्वारा लंका पर आक्रमण किए जाने की योजना बनाई गई। सभी वानरों ने लंका को चारों ओर से घेर लिया तभी रावण की आज्ञानुसार मेघनाद युद्ध करने के लिए आया। सर्वप्रथम उसकी मुलाकात हनुमान जी से होती है जहाँ दोनों के बीच जमकर संवाद होता है। बाद में लक्ष्मण के आने के बाद मेघनाद व लक्ष्मण संवाद प्रारंभ हो जाता है। दोनों के संवादों का बैठे दर्शकों ने आनंद लिया तथा तालियां बजाकर कलाकारों का उत्साहवर्धन भी किया। अंत में मेघनाद, लक्ष्मण पर ब्रहमास्त्र का प्रयोग करता है। जिसके फलस्वरूप लक्ष्मण मूर्छित होकर जमीन पर गिर जाते हैं। हनुमान जी उन्हें वहां से उठाकर भगवान श्रीराम के पास ले आते हैं। जहां प्रभु राम लक्ष्मण जी की हालत को देखकर बिलख-बिलख कर रो पड़ते हैं। रामजी का विलाप सुनकर दर्शक भी अपने आंसू नहीं रोक सके। इसी बीच जामवंत द्वारा लंका से सुखेन वैद्य को लाने की बात कही जाती है। जिस पर हनुमानजी लंका जाकर सुखेन वैद्य को ले आते हैं। सुखेन वैद्य संजीवनी बूटी द्वारा ही लक्ष्मण जी के उपचार करने की युक्ति बताने के साथ ही कहते हैं यदि सूर्योदय से पूर्व संजीवनी बूटी नहीं आई तो लक्ष्मण जी के प्राण बचाना असंभव होगा। उसी समय तत्काल हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने के लिए चले जाते हैं। रास्ते में कालनेम नामक अपनी तमाम माया फैलाकर राक्षस हनुमान जी का रास्ता रोकने का प्रयास करता है। वहीं कालनेम स्वयं एक साधु का रूप धारण कर हनुमान जी से गुरूमंत्र लिए जाने को कहता है। तभी तालाब में स्नान करने गए हनुमानजी को एक मछली कालनेम की माया के बारे में बता देती है। तब हनुमान जी कालनेम की माया को समाप्त करते हैं। और सुखेन वैद्य द्वारा बताए गए पर्वत पर संजीवनी बूटी लाने के लिए पहुंचते है और पूरा पर्वत लेकर रामदल की ओर चल देते हैं। जिसके बाद लक्ष्मण की संजीवनी बूटी खाकर जान बच जाती है। Edited By: Jagran लक्ष्मण जी जब युद्ध में मूर्छित हुए थे तो हनुमान जी कौन सा पर्वत उठा लाए थे?लक्ष्मण के मूर्छित होने पर हनुमान उठा लाए संजीवनी पर्वत
हनुमान जी कौन सा पर्वत उठा कर लाए थे?इतना ही नहीं हनुमान जी ने द्रोणागिरी पर्वत ले जाते समय पहाड़ देवता की दाईं भुजा भी उखाड़ दी थी। रामायण में संजीवनी बूटी द्वारा लक्ष्मण के प्राण बचाने के प्रसंग को हम सभी बखबूी जानते हैं। हनुमान लंका से संजीवनी लेने के लिए हिमालय पर्वत पर आए थे और यहीं से वो संजीवनी बूटी नहीं बल्कि पूरा पहाड़ ही उठाकर ले गए थे।
लक्ष्मण की मूर्छा दूर करने के लिए हनुमानजी जिस पर्वत को औषधि सहित उठाकर लाये थे उस पर्वत का नाम क्या था?जी हां यह उसी पहाड़ का टुकड़ा है जहां से लक्ष्मण के लिए हनुमानजी संजीवनी लाए थे। वेब दुनिया की खबर के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि श्रीलंका के सुदूर इलाके में मौजूद 'श्रीपद' नाम की जगह पर स्थित पहाड़ ही वह पहाड़ है जो द्रोणागिरी का एक टुकड़ा था और जिसे उठाकर हनुमानजी ले गए थे। इस जगह को 'एडम्स पीक' भी कहते हैं।
हनुमान ने पर्वत कैसे उठाया?कहा जाता है कि आज भी इस पर्वत पर संजीवनी बूटी पाई जाती है। इसी के साथ श्री लंका में दक्षिणी समुद्री किनारे पर कई स्थानों पर हनुमान जी द्वारा लाए गए पहाड़ के टुकड़े पड़े हैं। इतना ही नहीं, यह भी कहा जाता है कि जब हनुमान जी पहाड़ उठाकर ले जा रहे थे तो उसका एक टुकड़ा रीतिगाला में गिरा।
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