श्रीलंका (आधिकारिक नाम श्रीलंका समाजवादी जनतांत्रिक गणराज्य) दक्षिण एशिया में हिन्द महासागर के उत्तरी भाग में स्थित एक द्वीपीय देश है। भारत के दक्षिण में स्थित इस देश की दूरी भारत से मात्र ३१ किलोमीटर है। 1972 तक इसका नाम सीलोन (अंग्रेजी:Ceylon) था, जिसे 1972 में बदलकर लंका तथा 1978 में इसके आगे सम्मानसूचक शब्द "श्री" जोड़कर श्रीलंका कर दिया गया। श्रीलंका का सबसे बड़ा नगर कोलम्बो समुद्री परिवहन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण बन्दरगाह है। श्री लंका में (वेदास) जनजाति पायी जाती है। पाक जलसंधि भारत-श्री लंका के मध्य में ही है । श्रीलंका और भारत के बीच राम सेतु भी है मौजूद है। इतिहास[संपादित करें]श्री लंका का पिछले 5००० वर्ष का लिखित इतिहास उपलब्ध है। 125,000 वर्ष पूर्व यहाँ मानव बस्तियाँ होने के प्रमाण मिले हैं।[3] यहाँ से २९ ईसापूर्व में चतुर्थ बौद्ध संगीति के समय रचित बौद्ध ग्रन्थ प्राप्त हुए हैं। [4][5] प्राचीन काल से ही श्रीलंका पर शाही सिंहल वंश का शासन रहा है। समय-समय पर दक्षिण भारतीय राजवंशों का भी आक्रमण भी इस पर होता रहा है। तीसरी सदी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र के यहां आने पर बौद्ध धर्म का आगमन हुआ। सोलहवीं सदी में यूरोपीय शक्तियों ने श्रीलंका में अपना व्यापार स्थापित किया। देश चाय, रबड़, चीनी, कॉफ़ी, दालचीनी सहित अन्य मसालों का निर्यातक बन गया। पहले पुर्तगाल ने कोलम्बो के पास अपना दुर्ग बनाया। धीरे-धीरे पुर्तगालियों ने अपना प्रभुत्व आसपास के इलाकों में बना लिया। श्रीलंका के निवासियों में उनके प्रति घृणा घर कर गई। उन्होंने डच लोगों से मदद की अपील की। १६३० ईस्वी में डचों ने पुर्तगालियों पर हमला बोला और उन्हें मार गिराया, लेकिन इसका असर श्रीलंकाई पर भी हुआ और उन पर डचों ने और ज्यादा कर थोप दिया। १६६० तक अंग्रेजों का ध्यान भी इस पर गया। नीदरलैंड पर फ्रांस के अधिकार होने के बाद अंग्रेजों को डर हुआ कि श्रीलंका के डच इलाकों पर फ्रांसिसी अधिकार हो जाएगा। तदुपरांत उन्होंने डच इलाकों पर अधिकार करना आरंभ कर दिया। १८०० ईस्वी के आते-आते तटीय इलाकों पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। १८१८ तक अंतिम राज्य कैंडी के राजा ने भी आत्मसमर्पण कर दिया और इस तरह सम्पूर्ण श्रीलंका पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ४ फरवरी १९४८ को देश को यूनाइटेड किंगडम से पूर्ण स्वतंत्रता मिली। भूगोल[संपादित करें]हिन्द महासागर के उत्तरी भाग मे स्थित इस द्वीप राष्ट्र की भूमि केन्द्रीय पहाड़ों तथा तटीय मैदानों से मिलकर बनी है। वार्षिक वर्षा २५०० से ५००० मि.मी. तक होती है। वार्षिक तापमान का औसत मैदानी इलाकों में २७ डिग्री सेल्सियस तथा नुवर एलिय (ऊंचाई - १८०० मीटर) के इलाके में १५ डिग्री सेल्सियस रहता है। इस देश का विस्तार ६-१० गिग्री उत्तरी अक्षांश के मध्य होने, तथा चारो ओर समुद्र से घिरे होने की वजह से यह एक उष्ण कटिबंधीय जलवायु क्षेत्र है। यहां की औसत सापेक्षिक आर्द्रता दिन में ७०% से लेकर रात के समय में ९०% तक हो जाती है। विभाग[संपादित करें]प्रशासकीय रूप से श्रीलंका ९ प्रान्तों में बंटा हुआ है। इन ९ प्रान्तों में कुल २५ जिले हैं। इन जिलों के तहत मंडलीय सचिवालय आते हैं और इनके घटक इकाईयों को ग्राम सेवक खंड कहते हैं।
जनवृत्त[संपादित करें]
यह देश एक बहुजातीय तथा बहुधार्मिक है। यहां के निवासियों में ७४% सिंहली, १८% तमिल, ७% ईसाई तथा १% अन्य जातिमूल के हैं। जातीय संघर्ष[संपादित करें]श्रीलंकाई गृहयुद्ध श्रीलंका में बहुसंख्यक सिंहला और अल्पसंख्यक तमिलो के बीच 23 जुलाई, 1983 से आरंभ हुआ गृहयुद्ध है। मुख्यतः यह श्रीलंकाई सरकार और अलगाववादी गुट लिट्टे के बीच लड़ा जाने वाला युद्ध है। 30 महीनों के सैन्य अभियान के बाद मई 2009 में श्रीलंकाई सरकार ने लिट्टे को परास्त कर दिया।[1] लगभग 25 वर्षों तक चले इस गृहयुद्ध में दोनों ओर से बड़ी संख्या में लोग मारे गए और यह युद्ध द्वीपीय राष्ट्र की अर्थव्यस्था और पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हुआ। लिट्टे द्वारा अपनाई गई युद्ध-नीतियों के चलते 32 देशों ने इसे आतंकवादी गुटो की श्रेणी में रखा जिनमें भारत[2], ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ[3] के बहुत से सदस्य राष्ट्र और अन्य कई देश हैं। एक-चौथाई सदी तक चले इस जातीय संघर्ष में सरकारी आँकड़ों के अनुसार ही लगभग 80,000 लोग मारे गए हैं। . सन्दर्भ[संपादित करें]
यह भी देखिए[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
श्रीलंका का पहला नाम क्या था?भारत के दक्षिण में स्थित इस देश की दूरी भारत से मात्र ३१ किलोमीटर है। 1972 तक इसका नाम सीलोन (अंग्रेजी:Ceylon) था, जिसे 1972 में बदलकर लंका तथा 1978 में इसके आगे सम्मानसूचक शब्द "श्री" जोड़कर श्रीलंका कर दिया गया।
त्रेता युग में श्रीलंका का क्या नाम था?देश की दूरी भारत से मात्र 32 किलोमीटर है। 1972 तक इसका नाम सीलोन था, जिसे बदलकर लंका तथा 1978 में इसके आगे सम्मानसूचक शब्द श्री जोड़कर श्रीलंका कर दिया गया।
लंका की उत्पत्ति कैसे हुई?भगवान शिव ने बनवाई थी लंका रावण ने लंका नहीं बनाई थी, बल्कि लंका का निर्माण भगवान शिव के कहने पर देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा और कुबेर ने मिलकर समुद्र के मध्य त्रिकुटाचल पर्वत पर इसका निर्माण किया था. त्रिकुटाचल के बारे में कहा जाता है कि त्रि यानि तीन और अकुटाचल यानि पर्वत.
लंका का नाम कैसे पड़ा?श्रीलंका का पुराना “सीलोन” नाम है। 1972 के पहले तक इस देश को इसी नाम से जाना जाता था। पर सन 1972 में सीलोन नाम बदलकर इसे “लंका” नाम दिया गया। परन्तु 1978 में इसके आगे सम्मान सूचक शब्द “श्री” जोड़कर इसे श्रीलंका कर दिया गया।
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