Show कलराडो स्प्रिंग्स कंपनी का गार्डेन ऑफ् गॉड्स में स्थित संतुलित शैल कोस्टा रिका के ओरोसी के निकट की चट्टानें पृथ्वी की ऊपरी परत या भू-पटल (क्रस्ट) में मिलने वाले पदार्थ चाहे वे ग्रेनाइट तथा बालुका पत्थर की भांति कठोर प्रकृति के हो या चाक या रेत की भांति कोमल; चाक एवं लाइमस्टोन की भांति प्रवेश्य हों या स्लेट की भांति अप्रवेश्य हों, चट्टान अथवा शैल (रॉक) कहे जाते हैं। इनकी रचना विभिन्न प्रकार के खनिजों का सम्मिश्रण हैं। चट्टान कई बार केवल एक ही खनिज द्वारा निर्मित होती है, किन्तु सामान्यतः यह दो या अधिक खनिजों का योग होती हैं। पृथ्वी की पपड़ी या भू-पृष्ठ का निर्माण लगभग २,००० खनिजों से हुआ है, परन्तु मुख्य रूप से केवल २० खनिज ही भू-पटल निर्माण की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। भू-पटल की संरचना में ऑक्सीजन ४६.६%, सिलिकन २७.७%, एल्यूमिनियम ८.१ %, लोहा ५%, कैल्सियम ३.६%, सोडियम २.८%, पौटैशियम २.६% तथा मैग्नेशियम २.१% भाग का निर्माण करते हैं। प्रकारचट्टान मुख्यतः आग्नेय अवसादी एवं कायांतरित तीन प्रकार के होते हैं। आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के तप्त, पिघले मैग्मा के ठंडा होकर ठोस हो जाने से निर्मित होती हैं। हमारी पृथ्वी प्रारम्भ में गर्म एवं पिघली अवस्था में थी। अतः पृथ्वी के ऊपरी आवरण के ठंडा होने से पृथ्वी पर सर्वप्रथम आग्नेय चट्टानें ही बनीं। इसी से आग्नेय चट्टानों को प्रारम्भिक चट्टानें भी कहते हैं।[1] स्थिति के आधार पर ये अन्तर्निर्मित या बहिनिर्मित प्रकार की होती हैं। सूर्य-ताप, वर्षा, पाला आदि द्वारा चूर्ण किए गये पदार्थों को नदी या हिमनदी बहाकर अथवा हवा उड़ाकर किसी झील, समुद्र या अन्य निचले भागों में परत के ऊपर परत जमा कर देती हैं। इन जमा किए गये पदार्थों को 'अवसाद' तथा इनसे निर्मित चट्टानों को अवसादी चट्टानें कहते हैं। चूँकि इन चट्टानों में परते पायी जाती हैं अतः इन्हें परतदार चट्टानें भी कहते हैं। पृथ्वी के आन्तरिक ताप, दबाव अथवा दोनों के प्रभाव से आग्नेय, अवसादी अथवा अन्य परिवर्तित चट्टानों के मूल रूप में परिवर्तन हो जाने से बनने वाली चट्टानों को परिवर्तित या रूपान्तरित चट्टान कहते हैं। बेसाल्टबेसाल्ट एक ज्वालामुखी चट्टान होती है। यह चट्टान काले भूरे रंग की होती है। यह चट्टान सूक्ष्म कणों से बनी होती है। इस प्रकार की चट्टान मेंटल के पिघलने की वजह से बनती है। इसका प्रयोग मूर्तियाँ बनाने में होता है। बसाल्ट एक ज्वालामुखी चट्टान है ग्रेनाइटयह चट्टानें गुलाबी भूरे रंग की होती हैं। यह बहुत ही कठोर होती हैं, और इनका प्रयोग निर्माण कार्य में बहुत अधिक मात्रा में होता है। इन्हें हिन्दी में कणाश्म भी कहते हैं। सॅडिमॅन्टरी
शैलों का आर्थिक महत्वमनुष्य पृथ्वी तल पर विविध क्रियाकलाप लम्बे समय से कर रहा है। समय और तकनीकी विकास के साथ वह शैलों और खनिजों का विविध उपयोग करता रहा है। वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान जैसे-जैसे बढ़ता गया वैसे-वैसे मनुष्य की सुख-सुविधाओं के लिए शैलों और खनिजों की उपयोगिता बढ़ती गई। शैल और खनिज आर्थिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। ये सभी प्रकार की धातुओं, मूल्यवान पत्थर, उद्योगों के लिए माल और ईंधन के स्रोत हैं। शैलों के महत्व के संबंध में संक्षिप्त जानकारी नीचे दी गई है:
सन्दर्भ
टीका टिप्पणीक. ...rocks are the books of earth's history and fossils are the pages: S. W. Woolridge & R. S. Morgan 1959. . शैल का निर्माण कैसे होता है?बर्लिभेदी आग्नेय शैल का निर्माण – जब पृथ्वी पर ज्वालामुखी का उदगार होता है तब आग की तरह लाल द्रवित मैग्मा पृथ्वी के आंतरिक भाग से निकलकर सतह पर आता है। जब द्रवित लावा पृथ्वी की सतह पर आता है, तो यह तेजी से ठंडा होकर ठोस बन जाता है। पर्पटी पर इस प्रकार । से बने शैल को बर्लिभेदी आग्नेय शैल कहते हैं।
शैल कहाँ पाया जाता है?पृथ्वी की ऊपरी परत या भू-पटल (क्रस्ट) में मिलने वाले पदार्थ चाहे वे ग्रेनाइट तथा बालुका पत्थर की भांति कठोर प्रकृति के हो या चाक या रेत की भांति कोमल; चाक एवं लाइमस्टोन की भांति प्रवेश्य हों या स्लेट की भांति अप्रवेश्य हों, चट्टान अथवा शैल (रॉक) कहे जाते हैं।
शैल कितने प्रकार के होते हैं?मुख्य रूप से शैल तीन प्रकार की होती हैं - आग्नेय ( इग्नियस) शैल, अवसादी (सेडिमेंट्री) शैल एवं कायांतरित (मेटामोरफ़िक) शैल। द्रवित मैग्मा ठंडा होकर ठोस हो जाता है। इस प्रकार बने शैल को आग्नेय शैल कहते हैं।
शैल क्या है उत्तर?कायांतरित शैल क्या हैं?
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