शिक्षा के मामले में भारत का कौन सा राज्य? - shiksha ke maamale mein bhaarat ka kaun sa raajy?

ये 10 राज्य हैं भारत में सबसे ज्यादा शिक्षित, जानें आप कौन से नंबर पर हैं? 

Highlights

  • केरल का लिटरेसी रेट पूरे देश में सबसे ज्यादा 93.91% है
  • लक्षद्वीप का लिटरेसी रेट 92.98% है
  • मिजोरम का लिटरेसी रेट 91.58% है

डिजिटल डेस्क । किसी भी देश के डेवलपमेंट के लिए उस देश का शिक्षित होना बहुत जरूरी है। अगर भारत की बात की जाए तो ये दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, लेकिन फिर भी हमारा देश उतनी तरक्की नहीं जकर पा रहा है जितनी उम्मीद आजादी के वक्त की गई थी। चलिए आज हम आपको भारत के उन 10 राज्यों के बारे में बताते हैं, जो एजुकेशन के मामले में सबसे आगे हैं। 

केरल- केरल का लिटरेसी रेट पूरे देश में सबसे ज्यादा 93.91% है। जो 2001 की जनगणना के अनुसार 3 प्रतिशत तक ज्यादा है। 

लक्षद्वीप- केरल के बाद लक्षद्वीप का नंबर आता है। जिसकी लिटरेसी रेट 92.98% है। ये 2001 के सेन्सस से 5.62% ज्यादा है। 

मिजोरम- मिजोरम का लिटरेसी रेट 91.58% है, जो 2001 के सेन्सस से 2.78% ज्यादा है,  लेकिन इस बार ये तीसरे नंबर पर आ गया है। 

त्रिपुरा- 2001 के सेन्सस में त्रिपुरा 13वें नंबर पर थे, लेकिन 2011 में ये चौथे नंबर पर आ गया। 2011 में त्रिपुरा का लिटरेसी रेट 87.75% है, जो 2001 से 14.59% ज्यादा है। 

गोवा- गोवा का लिटरेसी रेट 87.40% है, जो 2001 से 5.39% ज्यादा है। लेकिन 2001 में गोवा का नाम टॉप-4 में आता था। 

दमन और दीव- दमन और दीव का लिटरेसी रेट 2011 के सेन्सस के मुताबिक 87.07% है, जो 2001 से 8.89% ज्यादा है। पिछली जनगणना में दमन और द्वीव 9वें नंबर पर था।

पांडिचेरी- इस राज्य का लिटरेसी रेट 86.55% है, जो 2001 से 5.31% ज्यादा है। 2001 में पांडिचेरी 8वें नंबर पर आता था, जो 2011 में एक कदम ऊपर 7वें पर आ गया है। 

चंडीगढ़- इस राज्य की पॉजिशन गिरकर 5वें से 8वें पर आ गई। 2011 के आंकड़ों के मुताबिक, लिटरेसी रेट 86.34% है, जो 2001 से 4.49% ज्यादा है। 

दिल्ली- राजधानी दिल्ली के लिटरेसी रेट में भी गिरावट आ गई है। 2001 में जहां दिल्ली 6वें नंबर पर आता था, वहीं 2011 में 9वें नंबर पर आ गया। 2011 के मुताबिक, दिल्ली का लिटरेसी रेट 86.34% है, जो 2001 से 4.67% ज्यादा है। 

अंडमान-निकोबार आइसलैंड- इसका लिटरेसी रेट 86.27% है, जो 2001 से 4.97% ज्यादा है। 

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रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

डिजिटल डेस्क, भोपाल। भारत विश्व गुरु अपने दर्शन, सनातन संस्कृति और संस्कारों में विश्वास के कारण था। दुर्भाग्य से हमने अपने ज्ञान-परंपरा पर अविश्वास करना शुरू किया और शंकाओं पर आधारित पाश्चात्य ज्ञान-दर्शन हम पर आच्छादित हो गए। इसके साथ ही बाजारवाद ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को भारी नुकसान पहुंचाया। उक्त विचार आजादी के अमृत महोत्सव एवं धर्मपाल जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष में रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल में धर्मपाल: स्वदेशी और स्वराज की अवधारणा विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम में मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष एवं इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि गिरीश गौतम ने व्यक्त किए।

इसी क्रम में कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रामेश्वर मिश्र 'पंकज ' पूर्व निदेशक, धर्मपाल शोध पीठ स्वराज संस्थान, भोपाल ने अपने बीज वक्तव्य में कहा कि यूरोपीय न्यूटोनियन मॉडल प्रोपेगेंडा आधारित है जिसने भारतीय इतिहास को गलत तरीके से पेश किया है। उन्होंने आगे यह भी बताया कि लोगों में गलत धारणा है कि अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाया जबकि देखा जाए तो यूरोप ने उपनिवेशीकरण की नीति अपनाई। हमने पिछले 75 वर्षों में यूरोप का अनुसरण किया है। आज जरूरत है अपने इतिहास को बिना पूर्वाग्रह के अपने लोगों को केंद्र में रखकर देखे जाने की।

सच को बिना पूर्वाग्रह से स्वीकार करते हुए हम फिर से राजनीतिशास्त्र , समाजशास्त्र और धर्मशास्त्र की पुनर्स्थापना कर सकते हैं। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए दूर शिक्षा निदेशालय, वर्धा के समाज वैज्ञानिक और चिंतक डॉ अमित राय ने धर्मपाल के वैज्ञानिक सच को उद्घाटित करते हुए कहा की अंग्रेजी शासन में भारत के अभीजन मानस भी इंटेलेक्चुअल शिजोफ्रेनिया से ग्रसित रहे। उन्होंने कहा कि भारत के अभिजन भी इतिहास के पूर्वाग्रहों से मुक्त नहीं थे जबकि धर्मपाल जैसे इतिहासकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत को भारतीय दृष्टिकोण से देखा और शोधन किया। 

कार्यक्रम के सह वक्ता डॉ मुकेश कुमार मिश्रा, निदेशक दत्तोपंत पीठ स्वराज संस्थान , भोपाल ने अपने  उद्बोधन में कहा कि धर्मपाल ने यूरोप के मकड़जाल को सत्य के शोधन पर तोड़कर एक भागीरथ प्रयास किया। उन्होंने कहा कि धर्मपाल ने भारत क्या था और क्या है को एक स्केनर की तरह हम तक पहुंचाया है। इसके अलावा उन्होंने स्वदेशी और स्वराज्य पर बात रखते हुए कहा कि स्वजन से संवाद स्थापित द्वारा ही सच्चे अर्थों में हम स्वराज और स्वदेशी को स्थापित कर सकते हैं ।उन्होंने सोशल क्रिएटर्स को समझने की बात अपने उद्बोधन में की। 

इस अवसर पर रबीन्द्रनाथ  टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकृति और वैज्ञानिक सम्यक रही है। उन्होंने यूरोपीय ज्ञान- परंपरा और भारतीय ज्ञान -परंपरा को रिवर्स तरीके से देखने की बात कही ।उन्होंने भाषा के स्तर पर भी स्वदेशी, स्वराज और विऔपनिवेशीकरण को देखने की बात कहीं। इसी क्रम में उन्होंने आरएनटीयू द्वारा दार्शनिकता और चिंतन को केंद्र में रखकर किए जा रहे सतत कार्यकलापों को सभागार में उपस्थित लोगों से साझा किया। साथ ही कला, साहित्य और संस्कृति का वैश्विक मंच  विश्व रंग के बारे में विस्तृत जानकारी साझा किया। 

इस अवसर पर विश्व रंग के फोल्डर का भी लोकार्पण किया गया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देशभर से आए अन्य विशिष्ट वक्ता के रूप में कुमार मंगलम, सहायक प्राध्यापक, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय,जगन्नाथ दुबे, सहायक प्राध्यापक, खैर,अलीगढ़, डॉ आशुतोष, सहायक अध्यापक, हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर, डॉ राकेश कुमार मिश्रा, सह आचार्य, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, अवधेश मिश्र, सह आचार्य, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर और अरुणेश शुक्ल, सह आचार्य, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल ने अपनी बात मंच से रखी। कार्यक्रम का मंच संचालन वरिष्ठ कला समीक्षक, विनय उपाध्याय द्वारा किया गया। अतिथियों का आभार ज्ञापन मानविकी एवं कला उदार संकाय की अधिष्ठाता डॉ. संगीता जौहरी द्वारा किया गया। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का संयोजन मानविकी एवं उदार कला संकाय के इतिहास विभाग की डॉ. सावित्री सिंह परिहार द्वारा किया गया।

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सेक्ट महाविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय सेवा योजना का स्थापना दिवस मनाया गया

डिजिटल डेस्क, भोपाल। भोपाल सेक्ट महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा पूरे सप्ताहभर राष्ट्रीय सेवा योजना (रा.से.यो) स्थापना दिवस को मनाया गया। प्रथम दिवस स्वयं सेवकों द्वारा महाविद्यालय प्रांगण में साफ सफाई की गई। साथ ही पॉलिथिन मुक्त कैंम्पस के लिए सभी को जागरुक किया गया। महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी श्री नितिन कुमार ढ़िमोले द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के बारे में बताते हुए स्वच्छता का संदेश दिया गया। द्वितीय दिवस पर महाविद्यालय सहायक प्राध्यापिका डॉ॰ ऋचा वर्मा द्वारा पोषण आहार पर व्याख्यान दिया गया। जिसमें बताया गया कि हमे किस अवस्था और किस आयु में किस प्रकार का भोजन करना चाहिए, इसके बारे में बताया गया। तृतीय दिवस पर महाविद्यालय डीन एकेडमिक नितिन कुमार मोढ़ द्वारा नशा मुक्ति पर व्याख्यान दिया गया। जिसमें स्वंय सेवकों और शिक्षकगणो को नशे की आदत, नशे से बचाव, नशे से नुकसान से अवगत कराया गया। चतुर्थ दिवस पर माननीय डॉ.ए.आर मीना जी द्वारा क्राँति-कारी, वीर जवान और देश के लिए अपने योगदान की जानकारी दी गई।पाँचवे दिन रक्त दान शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें महाविद्यालय के सभी छात्र-छात्राऐं शिक्षक एवं शिक्षिकाओं ने रक्त दान किया। महाविद्यालय से लगभग 25 यूनिट रक्त दिया गया।छठवें दिन फिट इंडिया कार्यक्रम के अन्तर्गत छात्र एवं छात्राओं को योगाचार्य श्री नितिन कुमार ढ़िमोले द्वारा दौड़, योगा और पीटी कराई गई। जिसमें सभी विद्यार्थिओं ने आगे रह कर भाग लिया। सातवे दिन नेत्र परीक्षण शिविर लगया गया। जिसमें लगभग 200 लोगों ने अपनी आँखों की जाँच कराई। 

कार्यक्रम का समापन बहुत धूम-धाम से किया गया, जिसमें राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वंय-सेवक आदर्श दुबे और शिवानी कौशिक द्वारा मंच का संचालन करते हुए प्रारंभ किया गया। प्राचार्य डॉ. सत्येन्द्र खरे द्वारा माता सरस्वती जी का पूजन वंन्दन कर एवं दीप प्रज्वलन कर आरंभ किया गया। साथ ही स्वंय सेवकों द्वारा रा.से.यो लक्ष्य गीत को गाया गया,फिर रा.से.यो से जुडे़ सांस्कृतिक कार्यक्रम में नृत्य,गीत एवं भजन की प्रस्तुति रा.से.यो के स्वंय सेवक और सेविकाओं द्वारा दी गई। इसके पश्चात् पूर्व छात्र एवं छात्रओं का सम्मान माननीय प्राचार्य डॉ॰ सत्येन्द्र खरे, राष्ट्रीय सेवा योजना अधिकारी नितिन कुमार ढ़िमोले, नवीन खेर, डीन एकेडमिक नितिन कुमार मोढ़ द्वारा किया गया। 

कार्यक्रम में उपस्थिति पूर्व छात्र विनय पात्रे यूनिट कैम्प और कैंपस एम्बेसेडर को “बी” प्रमाण पत्र और प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। फिर महाविद्यालय नेशनल कैम्प,स्टेट कैम्प यूनिट कैम्प और माननिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा सम्मानित बी.एड द्वितीय वर्ष की छात्रा मेघा परिहार,स्टेट कैम्पर,यूनिट कैम्पर विकास जाटव बी.कॉम तृतीय वर्ष,सलोनी सिंह यूनिट कैम्पर बी.बी.ए तृतीय वर्ष,आदर्श दुबे,स्वावलम्बन पाठक,राजा रघुवंशी एम.कॉम प्रथम वर्ष,मेहक खान बी.कॉम द्वितीय वर्ष, आयुशी विश्वकर्मा ,जय श्री,निशांत चौहान बी.बी.ए तृतीय वर्ष, अंकित साहू बी.बी.ए द्वितीय वर्ष,विजय यादव को महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अन्त में रा.से.यो अधिकारी नितिन कुमार ढ़िमोले ने स्वामी विवेकानंद जी के बारे में बताया और साथ ही रा.से.यो से नवीन विद्यार्थियों से अवगत कराया। महाविद्यालय उपप्राचार्य योगेन्द्र चौहान द्वारा उपस्थित सभी शिक्षकगण विद्यार्थियों को आभार व्यक्त किया गया।

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कृषि संकाय द्वारा विश्व खाद्य दिवस पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न

डिजिटल डेस्क, भोपाल। विश्व खाद्य दिवस के उपलक्ष में कृषि संकाय, आरएनटीयू के तत्वधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इस कॉन्फ्रेंस की मुख्य थीम कृषि में खाद्य सुरक्षा के वर्तमान परिदृश्य पर केंद्रित थी।

डीन, कृषि संकाय एवं उपस्थित समस्त विषय विशेषज्ञों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर सम्मेलन का विधिवत शुभारंभ किया गया । इसके पश्चात धनुका एग्रीटेक के  महाप्रबंधक श्री संजय सिंह द्वारा भारतीय कृषि का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था एवं खाद्य सुरक्षा में योगदान पर अत्यंत सारगर्भित प्रस्तुतीकरण दिया गया।

इसके पश्चात जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के पवारखेड़ा केंद्र के कृषि एवं बागवानी विशेषज्ञ डॉ.विजय अग्रवाल द्वारा मध्य प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का वर्तमान परिदृश्य एवं इसमें मूल्य संवर्धन गतिविधियों से स्वरोजगार की संभावनाओं पर उद्बोधन दिया। अंतिम विशेषज्ञ श्री संजीव सिंह क्षेत्रीय प्रबंधक, इफको द्वारा नैनो डी. ए. पी. रासायनिक खाद की विश्वविद्यालय परिसर में ली जा रही संतोषप्रद ट्रायल के  परिणामों से कृषकों एवं छात्रों को अवगत कराया। सम्मेलन के अगले दिन केंद्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान के नोडल ऑफिसर डॉ प्रकाश अंबालकर ने कृषि गतिविधियों में नई-नई तकनीकों तथा ए. आई एवं ड्रोन के उपयोग पर बहुमूल्य जानकारी दी। अगले वक्ता श्री संजीव सिंह द्वारा कृषि में नैनो यूरिया,  डी. ए. पी उर्वरक के लाभों की जानकारी दी। 

 कांफ्रेंस के अंत में डॉ अशोक वर्मा विभागाध्यक्ष द्वारा आभार व्यक्त किया गया।

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Orane International देता है ब्यूटी & वेलनेस की नई परिभाषा, इंटरनेशनल लेवल पर मिल रही है सराहना

डिजिटल डेस्क, भोपाल। आज के टाइम में सुंदरता का मतलब सिर्फ शारीरिक सुंदरता नहीं होता है, बल्कि ये इससे कई बढ़कर है। लीडिंग इंस्टिट्यूट, ओरेन इंटरनेशनल (Orane Internetional), अपनी यूनीक क्लास के इमर्सिव लर्निंग मेथड्स के साथ प्रोफेशनल ब्यूटी और वेलनेस की दुनिया को और मॉडर्न बना रहा है। अपने अत्याधुनिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों और पाठ्यक्रम के साथ, वे अपने छात्रों को सर्वश्रेष्ठ पेशेवरों के रूप में विकसित होने के लिए तैयार करते हैं।

युवा प्रतिभाशाली पीढ़ी को प्रोफेशनल ब्यूटी एक्सपर्ट में बदलने के मकसद से ओरेन इंटरनेशनल की शुरुआत की गई थी। इस सपने को साकार करने के लिए, इसके सह-संस्थापकों ने इंटरनेशनल ट्रेंड्स, प्रोफाइलिंग और सौंदर्य और कल्याण की अन्य बारीकियों पर रिसर्च करने के लिए दुनिया भर की यात्रा की। इसके बाद उन्होंने 2009 में अपने तीन ब्यूटी स्कूलों के माध्यम से अनेक अवसरों के दरवाज़े खोले। इंस्टिट्यूट ने अपने छात्रों को ब्यूटी प्रैक्टिसेज के इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स को प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

उन्होंने बिज़नेस की ज़रूरतों के मुताबिक अपने सिलेबस को सावधानीपूर्वक तैयार किया है। उनके कुछ पाठ्यक्रम की लिस्ट में आयुर्वेद, ब्यूटी कोर्स, कॉस्मेटोलॉजी, बाल, मेकअप, मेहंदी, नेल आर्ट, पोषण, लेजर थेरेपी, स्पा, सैलून मैनेजमेंट आदि हैं। इन वर्षों में ये इंस्टिट्यूट भारत और उसके बाहर 100 से अधिक ब्यूटी स्कूलों के अपने नेटवर्क में शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कोर्सेज की पेशकश करके ब्यूटी & वेलनेस में क्वालिटी एजुकेशन प्रदान की है। यूके में सबसे महत्वपूर्ण सौंदर्य मान्यता प्राधिकरण (beauty accreditation authority), CIBTAC, और दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित सौंदर्य संबद्धता संगठन (beauty affiliation organization), CIDESCO, दोनों ने स्किल ट्रांसफर के तरीके की तारीफ की है।

आज, ओरेन इंटरनेशनल टॉप इंस्टिट्यूट में से एक है जो सालाना 25,000 से अधिक व्यक्तियों को टॉप लेवल का गाइडेंस प्रदान करता है। इंस्टिट्यूट यूथ को खासतौर पर आर्थिक और सामाजिक रूप से कमज़ोर लोगों के जीवन को बेहतर बनाता है। इंस्टिट्यूट मैनेजमेंट का मोटो है कि सभी को जीवन में आगे बढ़ने और उनके सपनों को साकार करने का समान मौका दिया जाना चाहिए। इंस्टिट्यूट बेस्ट-इन-क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर, industry-experienced फैकल्टीज और इन्क्लूसिव टीचिंग के तरीकों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करता है।

इस प्रयासों में, ओरेन इंटरनेशनल सेंटर और राज्य सरकारों के साथ-साथ The National Skill Development Corporation (NSDC), Beauty & Wellness Sector Skill Council (B&W SSC), State Skill Livelihood Missions (SSDMs), आदि जैसे संगठनों के साथ सहयोग कर रहे है। इसके अलावा, वे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY), दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना (डीडीयू-जीकेवाई), कौशल विकास पहल (एसडीआई) योजना के तहत मॉड्यूलर रोजगार योग्य कौशल (एमईएस) और अन्य प्रमुख कौशल में सक्रिय रूप से योगदान करते हैं।

इंस्टिट्यूट अपने नए और मॉडर्न करिकुलम और ट्रेनिंग टेक्नीक के माध्यम से एडवांस्ड ब्यूटी ट्रेनिंग देता है। वे उभरती इंडस्ट्री की मांगों को पूरा करने के लिए नए जमाने की तकनीक का उपयोग करते हैं और अपने स्टूडेंट्स को ब्यूटी & वेलनेस की इस कॉम्पिटिव वर्ल्ड के लिए तैयार करते हैं।

इस बात में कोई आश्चर्य नहीं कि इंस्टिट्यूट ने अपनी 'बेस्ट -इन-क्लास' सीखने की स्ट्रेटेजी से एक अलग पहचान बनाई है। लगभग एक दशक में, उन्होंने unorganized ब्यूटी एजुकेशन को एक अच्छे डोमेन में सफलता दिलाई है। इस काम के लिए इस संस्था को कई सम्मान मिले हैं, जिनमें स्किल ट्रेनिंग के लिए दुनिया का सबसे अच्छा ब्रांड, एशिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्रांड और अन्य उपलब्धियाँ शामिल हैं। इसके अलावा, ब्यूटीपोलिस, पीडब्ल्यूसी, एशियावन और अन्य कई प्रसिद्द सम्मान ओरेन इंटरनेशनल स्कूल ऑफ हेयर, स्किन और मेकअप को मिले  हैं।
 

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शिक्षाविद पीएचडी डीलिट् मध्य प्रदेश के विद्वान डॉ. सुरेंद्र कुमार राय द्वारा लिखित,युद्ध में शांति का प्रचार करती पुस्तक

डिजिटल डेस्क, भोपाल। डॉ. सुरेंद्र कुमार राय मध्य प्रदेश के उन गिने चुने विद्वानों में से हैं जिन्होने राजनीति शास्त्र में एक अलग पहचान बनायी है और डीलिट्- डॉक्टर ऑफ़ लिटरेचर की डिग्री प्राप्त की है । डीलिट्, पीएचडी उपाधि अर्जित कर लेने के बाद की उपाधि है । डॉ राय के पचास से भी अधिक शोध पत्र देश के उच्च स्तरीय पत्र पत्रिकाओ में प्रकाशित हुए हैं जैसे की धर्मयुग। जबलपुर आकाशवाणी से उनके चिंतन, परिचर्चा एवं वार्ताए भी प्रसारित हुई हैं। उनकी लिखी हुई किताब "गुट निर्पेक्ष आंदोलन एवं  निःशस्त्रीकरण" जो इस समय अमेज़ॉन पे उपलभ्द है, एक अप्रतिम शोधपूर्ण एवं रुचिकर दस्तावेज़ है। यह किताब विश्व युद्ध में परमाणु प्रयोग की दास्तान बताती है और शांति स्थापित करने के लिए तरीके भी बताये गए हैं। आज के परिप्रेक्ष्य में जब यूक्रेन और रूस में युद्ध चल रहा है, उत्तर कोरिया भी मिसाइल परीक्षण कर रहा है, विश्व में बढ़ती हुई शक्तियो से युद्ध का माहौल बना हुआ है | इन्ही तत्समयिक समस्याओं का समाधान असंलग्न आंदोलन के मध्यम से निःशस्त्रीकरण की नीति लागू कर खोजा गया था, आज ये किताब फिर से वही कहानी दोहराती है | "मैंने अपने करियर में काई शोध पत्र और अपनी डी. लिट थीसिस और इस पुस्तक के ज़रीये विश्व में शांति स्थापना करने के तारीके बताए हैं  | मेरा पूरा जीवन काल जबलपुर, कटनी, भोपाल में शोध में, छात्रों को राजनीति शास्त्र की बारीकियां बताने में और बतौर गाइड उन्हें पीएचडी की डिग्री प्रदान कराने में समर्पित रहा है | मुझे फक्र है की मेरे छात्र देश और विदेश के कोने में कहीं न कहीं इस ज्ञान का प्रयोग कर रहे हैं।" डॉ राय बताते हैं |

डॉ राय ने प्रोफेसर पद पर कार्य किया है और वह आज भी सोशल मीडिया पर सक्रीय रहते हुए अपने छात्रों और अन्य प्रोफेसर से देश के राजनीतिक अर्थशास्त्र पर बात करते रहते हैं | उनकी धर्मपत्नि अनीता राय भी आकाशवाणी से जुडी रही हैं, और वह अस्सी के दशक में अखबारों में कॉलम भी लिखती थी | “मेरे पिता ने हमें बचपन से ही राजनीति शास्त्र से जोड़े रखा। टीनएज में जब मेरी उमर के बच्चे फैशन पत्रिका पढ़ते थे, वही मैं और मेरा भाई 'फ्रीडम एट मिडनाइट', ‘1857 की क्रांति’ पढ़ा करते थे। इस सबका हमारे जीवन पर एक अभूतपूर्व प्रभाव पड़ा है।" डॉ. राय की पुत्री और डायवर्स सिनेमा की संस्थापक सीईओ स्वेता राय बताती हैं। डॉ. राय के जन्म दिवस 12 अक्टूबर पर उनकी पुत्री स्वेता राय जो की एक हॉलीवुड फिल्म निर्माता भी हैं, भारत आई हुई हैं, एवं उनके पुत्र युगश्रेष्ठ और बहू सोनल जो हैदराबाद में वरिष्ठ सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं वह भी अपने पिता पर गोरानवित हैं |

डॉ राय की वेबसाइट www.drskrai.in भी १२ अक्टूबर को लांच हो रही है जिसके माध्यम से वो कम आय वाले छात्रों को शोध से आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगे। इस वेबसाइट के ज़रिये उनसे जुड़कर आप अपने शोध से जुड़े प्रश्न पूछ सकते हैं। डॉ राय जैसे बिरले शिक्षाविद देश और समाज को उन्नति का पथ प्रदर्शित करते हैं और उभरती हुई प्रतिभाओं को विकसित करने में इनका विशेष योगदान रहता है।

भारत में सर्वाधिक शिक्षा वाला राज्य कौन सा है?

केरल : केरल भारत के सबसे शिक्षित राज्य हैं। यहां की साक्षरता दर 93.9 1% है।.
लक्षद्वीप : शिक्षित राज्य के इस लिस्ट में लक्षद्वीप दूसरे नंबर पर हैं। यहां की साक्षरता दर 92.28% है।.
मिजोरम : आपको बता दें की इस लिस्ट में मिजोरम तीसरे नंबर पर हैं।.

शिक्षा में कौन सा राज्य नंबर वन पर है?

भारत का सबसे शिक्षित राज्य केरल है क्योंकि वहां की साक्षरता सबसे अधिक है । भारत में कौन सा राज्य ज्यादा शिक्षित है? केरल भारत का सबसे शिक्षित राज्य माना जाता है। जहां के 93 प्रतिशत लोग शिक्षित है।

पढ़ाई में सबसे आगे कौन सा राज्य है?

Highlights.
केरल का लिटरेसी रेट पूरे देश में सबसे ज्यादा 93.91% है.
लक्षद्वीप का लिटरेसी रेट 92.98% है.
मिजोरम का लिटरेसी रेट 91.58% है.

शिक्षा के मामले में भारत कौन से स्थान पर है?

विश्व बैंक ने 2020 ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स में 174 देशों की शिक्षा और स्वास्थ्य का डाटा लिया है. ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स (Human Capital Index) में भारत को 116वीं रैंकिंग दी है. भारत को 174 देशों की रैंकिंग में यह स्थान दिया गया है. नई दिल्ली.