स्वरों के वर्गीकरण के कितने प्रकार हैं? - svaron ke vargeekaran ke kitane prakaar hain?

स्वरों के वर्गीकरण के कितने प्रकार हैं? - svaron ke vargeekaran ke kitane prakaar hain?

स्वरों के वर्गीकरण के छः आधार || जिह्वा के व्यवहृत, ओठों, कोमल तालु, स्वरतन्त्रिय, मात्रा काल के आधार पर

  • BY:RF Temre
  • 5774
  • 0
  • Copy
  • Share

इसके पूर्व के लेख में स्वर और व्यन्जनों के बारे में जानकारी दी गई है। इस लेख में स्वरों का प्रकारों (वर्गीकरण) की जानकारी दी गई है।

स्वरों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधार पर किया जाता है-
(क) जिह्वा के व्यवहृत भाग के आधार पर।
(ख) जिह्वा के व्यवहृत भाग की ऊँचाई के आधार पर।
(ग) ओठों की स्थिति के आधार पर।
(घ) कोमल तालु की स्थिति के आधार पर।
(ङ) स्वरतंत्रिय आधार पर।
(च) काल के आधार पर

(क) जिह्वा के व्यवहृत भाग के आधार पर-

मुख विवर में जीभ किसी वर्ण के उच्चारण करने में प्रमुख सहायक अङ्ग है। स्वरों के उच्चारण में जिह्वा की तीन अवस्थाएँ होती हैं। ये अवस्थाएँ जिह्वा के भागों के आधार पर हैं। इसी आधार पर स्वरों को इस प्रकार विभाजित किया जा सकता है।
(i) अग्र स्वर - इ, ई, ए, ऐ।
(ii) मध्य स्वर - अ, आ।
(iii) पश्च स्वर - उ, ऊ, ओ औ

ध्वनि एवं वर्णमाला से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. ध्वनि का अर्थ, परिभाषा, लक्षण, महत्व, ध्वनि शिक्षण के उद्देश्य ,भाषायी ध्वनियाँ
2. वाणी - यन्त्र (मुख के अवयव) के प्रकार- ध्वनि यन्त्र (वाक्-यन्त्र) के मुख में स्थान
3. हिन्दी भाषा में स्वर और व्यन्जन || स्वर एवं व्यन्जनों के प्रकार, इनकी संख्या एवं इनमें अन्तर

(ख) जिह्वा के व्यवहृत भाग की ऊँचाई के आधार पर -

जिह्वा के व्यवहृत भाग की ऊँचाई के आधार पर स्वरों के वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जाता है-
(i) संवृत (बिल्कुल सँकरा) - जब जिह्वा का व्यवहृत भाग स्वरों के उच्चारण में अधिकतम ऊँचाई पर होगा, तब मुख रन्ध्र संवृत होने के कारण वे संवृत कोटि में होते हैं। जैसे- इ, ई, उ, ऊ।
(ii) अर्ध संवृत्त (कुछ सँकरा) - इसमें जिह्वा का व्यवहृत भाग कम ऊँचाई पर होता है। इस स्थिति में उच्चारित स्वर अर्द्धसंवृत्त होते हैं। जैसे- ए, ओ।
(iii) विवृत्त (बिल्कुल खुला) - जब जिह्वा का व्यवहृत भाग निम्नतम् अवस्था में रहता है तब स्वर की उत्पत्ति विवृत अवस्था में होती है। जैसे- आ।
(iv) अर्ध विवृत्त (कुल खुला) - जब जिह्वा का व्यवहृत भाग संवृत की अवस्था में कुछ कम ऊँचाई पर होगा, तब अर्द्धसंवृत्त स्वरों का निर्माण होगा। जैसे - अ, ऐ औ।

चित्र देखें

स्वरों के वर्गीकरण के कितने प्रकार हैं? - svaron ke vargeekaran ke kitane prakaar hain?

(ग) ओठों की स्थिति के आधार पर

स्वरों के उच्चारण में ओठों की दो स्थितियों बनती हैं -
(अ) वृताकार
(ब) अवृताकार

(अ) वृताकार - जिन स्वरों के उच्चारण में ओंठ वृत्ताकार हो जाते हैं, उन्हें वृताकार स्थिति में रखते हैं। जैसे - ओ, औ,उ, ऊ
(ब) अवृताकार - ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में ओठों की स्थिति सामान्य रहती हो, वृत के समान गोल न बनती हो, उन्हें अवृत्ताकार स्वर कहा जाता है। जैसे- अ, आ, इ, ई, ऋ, ए, ऐ।

हिन्दी भाषा के इतिहास से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. भाषा का आदि इतिहास - भाषा उत्पत्ति एवं इसका आरंभिक स्वरूप
2. भाषा शब्द की उत्पत्ति, भाषा के रूप - मौखिक, लिखित एवं सांकेतिक
3. भाषा के विभिन्न रूप - बोली, भाषा, विभाषा, उप-भाषा
4. मानक भाषा क्या है? मानक भाषा के तत्व, शैलियाँ एवं विशेषताएँ
5. देवनागरी लिपि एवं इसका नामकरण, भारतीय लिपियाँ- सिन्धु घाटी लिपि, ब्राह्मी लिपि, खरोष्ठी लिपि

(घ) कोमल तालु के आधार पर

इसे ही अनुनासिका या कौवे की स्थिति भी कहते है। उच्चारण के समय कोमल तालु/ कौवे की दो स्थितियों होती है। इस स्थिति में स्वर उच्चारण दो प्रकार से होते हैं -
(अ) निरनुनासिक
(ब) अनुनासिक

(अ) अनुनासिक - उच्चारण के समय जब कौवा बीच में लटकता रहता है और इसी के फलस्वरूप वायु का कुछ भाग नाक से निकलता है। अतः इस स्थिति से उच्चारित स्वर अनुनासिक कहलता है। जैसे- अँ, आँ, ॐ, एँ आदि।
(ब) निरनुनासिक - जब किसी स्वर के उच्चारण में कोमल तालु अपनी स्वाभाविक स्थिति में रहकर वायु के सम्पूर्ण प्रवाह को मुख विवर से जाने देता है, तब स्वर का उच्चारण निरनुनासिका होता है। जैसे - अ, आ, इ, ई ओ औ आदि।

(ङ) स्वरतन्त्रिय आधार पर या माँसपेशियों की स्थिति) -

माँसपेशियों की स्थिति में होने वाली शिथिलता और दृढ़ता के आधार पर स्वर के दो भेद है-
(अ) शिथिल स्वर और (ब) दृढ स्वर।
(अ) शिथिल स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में मुखाङ्गों की मांसपेशियों में शिथिलता महसूस होती है, उन्हें शिथिल स्वर कहा जाता है। जैसे- अ, इ, उ
(ब) दृढ़ स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में मुख अङ्गों की मांसपेशियों में दृढ़ता महसूस होती है, ऐसे स्वरों को दृढ़ स्वर कहा जाता है। जैसे - ई, ऊ

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. व्याकरण क्या है
2. वर्ण क्या हैं वर्णोंकी संख्या
3. वर्ण और अक्षर में अन्तर
4. स्वर के प्रकार
5. व्यंजनों के प्रकार-अयोगवाह एवं द्विगुण व्यंजन
6. व्यंजनों का वर्गीकरण
7. अंग्रेजी वर्णमाला की सूक्ष्म जानकारी

(च) काल (मात्राकाल) के आधार पर

स्वर के उच्चारण में लगने वाले समय को मात्रा कहते हैं। अतः मात्रा के समय (काल) को ध्यान में रखते हुए स्वर दो हस्व और दीर्घ हैं।
(अ) ह्रस्व स्वर - वे स्वर जिनके उच्चारण में बहुत कम समय अर्थात एक मात्रा काल का समय लगता हो, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। उदाहरण- अ, इ, उ, ऋ
(ब) दीर्घ स्वर - वे स्वर जिनके उच्चारण में बहुत अपेक्षाकृत ज्यादा अर्थात दो मात्रा काल का समय लगता हो, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। उदाहरण-आ, ई, उ, ए, ऐ, ओ, औ

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. लिपियों की जानकारी
2. शब्द क्या है
3. लोकोक्तियाँ और मुहावरे
4. रस के प्रकार और इसके अंग
5. छंद के प्रकार– मात्रिक छंद, वर्णिक छंद
6. विराम चिह्न और उनके उपयोग
7. अलंकार और इसके प्रकार

I Hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfhindi.com

other resources Click for related information

Watch video for related information
(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)

स्वरों का वर्गीकरण कितने प्रकार से होता है?

स्वरों का वर्गीकरण (swar ka vargikarn).
(i) ह्रस्व स्वरः जिनके उच्चारण में कम समय लगता है। ... .
(ii) दीर्घ स्वर : जिनके उच्चारण में ह्रस्व स्वरों की तुलना में दुगुना समय लगता होते हैं । ... .
(iii) प्लुत् स्वरः ... .
(i) अग्र स्वरः ... .
(ii) मध्य स्वरः ... .
(iii) पश्च स्वरः ... .
(i) वृत्ताकार स्वरः ... .
(ii) अवृत्ताकार स्वरः.

स्वर कितने प्रकार के होते हैं उनके नाम बताइए?

हिंदी में स्वरों की संख्या 11 होती है जो इस प्रकार हैं – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, ऋ । भारत सरकार द्वारा स्वीकृत हिंदी के मानक वर्णमाला में स्वरों की संख्या ग्यारह है जिसमें ॠ को भी शामिल किया गया है। हिंदी में ॠ को अर्ध स्वर माना जाता है।

स्वरों का वर्गीकरण प्रमुखतः कितने आधारों पर किया जाता है?

मात्रा के आधार पर स्वर उच्चारण काल के आधार पर स्वरों के तीन भेद हैं - ह्रस्व और दीर्घ । ह्रस्व स्वर के उच्चारण में कम समय लगता है और दीर्घ स्वर के उच्चारण में अपेक्षाकृत अधिक। अ, इ, उ, ए, ओ हस्व स्वर हैं। इसी प्रकार आ, ई, ऊ, ऐ, औ दीर्घ स्वर हैं।