सवाक फिल्मों में अब कलाकारों के अभिनय के साथ कौन सा काम विशेषरूप से करना था? - savaak philmon mein ab kalaakaaron ke abhinay ke saath kaun sa kaam vishesharoop se karana tha?

View Full Version : फ़िल्मी दुनिया/ क्या आप जानते है?

rajnish manga

05-03-2013, 03:58 PM

मित्रो, इस नए सूत्र में मैं फिल्मों -विशेष रूप से हिंदी सिनेमा- के बारे में रोचक तथ्यों, इसके इतिहास,फिल्म निर्माण से जुड़े व्यक्तियों के अनुभव, गीत, संगीत और अन्य जाने-अनजाने विषयों के बारे में आपसे जानकारी शेयर करूंगा. आपसे गुज़ारिश है कि आप भी इस सूत्र में योगदान देते हुए इसे अधिक से अधिक मनोरंजक स्वरुप प्रदान करेंगे.

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05-03-2013, 04:01 PM

भारत की पहली फीचर फिल्म

क्या आप जानते है कि ‘राजा हरिश्चंद्र’ भारत की पहली कथा फिल्म है. यद्यपि इतिहास की दृष्टि से देखें तो आर.जी.तोरणे की फिल्म ‘भक्त पुंडलिक’ का प्रदर्शन पहले हुआ था. ‘भक्त पुंडलिक’ 18 मई 1912 को दिखाई गई थी जबकि ‘राजा हरिश्चंद्र’ का प्रदर्शन 3 मई 1913 को हुआ था. बाद में दिखाई गई फिल्म को पहली कथा फिल्म क्यों माना जाता है? वास्तव में उन दिनों भारत में विदेशी फ़िल्में ही दिखाई जाती थीं. एक विदेशी फिल्म ‘ए डैड में’स चाइल्ड’ नामक फिल्म के साथ पहली बार एक भारतीय फिल्म ‘भक्त पुंडलिक’ दिखाई गई थी. ‘भक्त पुंडलिक’ वास्तव में एक स्वतंत्र फिल्म नहीं थी. इसमें एक स्टेज नाटक का फिल्मांकन दिखाया गया था. यह फिल्मांकन भी विदेशी कैमरामैन द्वारा किया गया था. जबकि ‘राजा हरिश्चंद्र’ नामक फिल्म सम्पूर्ण रूप से भारतीय फीचर फिल्म थी जिसका कथानक, कलाकार, निर्देशक, तकनीशियन और लोकेशन सभी कुछ भारतीय था. यही कारण है कि ‘राजा हरिश्चंद्र’ को पहली भारतीय फीचर फिल्म कहलाने का हक़ प्राप्त हुआ.

khalid

05-03-2013, 04:32 PM

गुड वन कीप ईट अप बंधु :bravo:

rajnish manga

05-03-2013, 04:59 PM

क्या आप जानते हैं कि ‘राजा हरिश्चंद्र’ फिल्म के निर्माता निर्देशक धुंडीराज गोविंद फालके थे जिन्हें हम आदर से दादा साहेब फालके के नाम से संबोधित करते हैं. दादा साहेब फालके को भारतीय सिनेमा का जनक माना जाता है. इनके सम्मान में भारत सरकार ने सन 1969 में, जो इनके जन्म का शताब्दी वर्ष भी था, दादा साहेब फालके पुरस्कारों की घोषणा की थी. फिल्मों के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए दिया जाने वाला यह भारत का सर्वोच्च पुरस्कार है. हर वर्ष किसी एक विभूति को सिनेमा कला में उनके योगदान के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है. फालके साहब का जन्म 30 अप्रैल 1870 को महाराष्ट्र में त्रिंबकेश्वर नामक स्थान में हुआ था. उनके पिता दाजी फालके संस्कृत के बड़े विद्वान् थे. अपने जीवन के आरंभिक काल से ही दादा साहेब ने विभिन्न कलाओं का अच्छा ज्ञान हासिल कर लिया था जैसे – चित्रकारी, फ़ोटोग्राफ़ी, रंगमंच-संचालन व जादू कला इत्यादि. 1890 में उन्होंने अपना पहला कैमरा खरीदा जिससे वह फ़ोटोग्राफ़ी कला में योग्यता प्राप्त करने लगे. फिल्म निर्माण के क्षेत्र में आने से पहले उन्होंने ड्रामा कम्पनी के इश्तेहार भी बनाए तथा और भी कई काम किये.

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05-03-2013, 05:15 PM

सन 1910 में क्रिसमस के आसपास उन्होंने मुंबई के एक थियेटर में प्रभु यीशु के जीवन पर बनी फिल्म देखी जिससे प्रभावित हो कर उन्होंने भगवान् श्रीकृष्ण के जीवन पर भी उसी प्रकार की फिल्म बनाने का विचार बनाया. उनके परिवार वालों ने उनके इस विचार का विरोध किया किन्तु उनकी पत्नि श्रीमति सरस्वती काकी फ़ालके ने उन्हें प्रोत्साहित किया. कहते हैं कि अपनी बीमा पालिसी को गिरवी रख कर उन्होंने क़र्ज़ लिया और इस विषय में तकनीकी जानकारी प्राप्त करने स्वयं लंदन गए. वहां उनकी मुलाक़ात मशहूर फिल्मकार सेसिल हेपवर्थ से हुयी जिनसे उन्हें अमूल्य गाईडेंस प्राप्त हुई. इस बीच उन्होंने ‘ए.बी.सी. ऑफ़ सिनेमेटोग्राफी’ नामक पुस्तक का अध्ययन किया जिसने उनकी फिल्म निर्माण विषयक जानकारी को और तीक्ष्ण किया.

विदेश से बहुत से उपकरणों तथा बेहतर तकनीकी ज्ञान के साथ फालके साहब वापिस मुंबई आये. एक फाईनेंसर को विश्वास में ले कर और उससे क़र्ज़ ले कर वह फिल्म के निर्माण में अग्रसर हुये. जैसा हमने पहले बताया है वह भगवान् कृष्ण की लीलाओं पर फिल्म बनाना चाहते थे किन्तु अधिक धन की व्यवस्था न होने के कारण उन्होंने ‘राजा हरिश्चंद्र’ नामक विख्यात पौराणिक कथा नायक पर फिल्म बनाने का निर्णय लिया.

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05-03-2013, 05:29 PM

क्या आप जानते हैं कि उस समय पारसी थियेटर का ज़माना था जिसमे नारी पात्रों की भूमिका भी पुरुषों द्वारा निभायी जाती थी. साथ ही नाटकों और फिल्म के नए माध्यम में भले घर की महिलाओं द्वारा काम करने को अच्छा नहीं माना जाता था और इसी वजह से इनको इन माध्यमों में काम करने की इजाज़त नहीं दी जाती थी. अतः 'राजा हरिश्चंद्र' में भी महिला पात्रों की भूमिका पुरुषों ने निभायी. फिल्म में राजा हरिश्चंद्र की भूमिका तो स्वयं फालके साहब ने निभायी और तारामती का किरदार एक रेस्तरां के रसोइये के सहायक सालुंके ने निभाया.

आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि फालके साहब की एक अन्य फिल्म में राम और सीता दोनों की भूमिका सालुंके को ही निभानी पड़ी थी.

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05-03-2013, 09:56 PM

क्या आप जानते हैं कि -

इस फिल्म में फालके साहब ने फिल्म निर्माण से जुड़े बहुत से काम स्वयं किये जैसे - सेट लगाने का काम, दृश्य लेखन, फिल्म की डेवलपिंग और एडिटिंग आदि के काम.

बनने के बाद फिल्म की कुल लम्बाई 3700 फुट थी और चार रील तैयार हुयीं. इस फिल्म में उपदेशों, मेलोड्रामा तथा ट्रिक फोटोग्राफी का अच्छा सम्मिश्रण किया गया था. फिल्म छः माह में बन कर तैयार हुई.

3 मई 1913 को यह फिल्म मुंबई के कोरोनेशन थियेटर में प्रदर्शित की गई थी. जनता ने फिल्म को हाथों हाथ लिया और फिल्म को आशातीत सफलता प्राप्त हुई. उस थियेटर में यह फिल्म 23 दिनों तक सफलता पूर्वक चली जो उन दिनों के हिसाब से अनोखा ही कहा जाएगा.

फिल्म की अपार सफलता से प्रेरित हो कर फालके साहब परिवार सहित नासिक चले आये और वहां उन्होंने एक स्टूडियो की स्थापना की. उनका समूचा परिवार फिल्म निर्माण के काम में जुड़ गया. यहाँ रहते हुए उन्होंने सन 1913 में 'मोहिनी भस्मासुर' और सन 1914 में 'सत्यवान सावित्री' नामक पौराणिक विषयों वाली फिल्मे बनाई.

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05-03-2013, 11:15 PM

गाँव में फिल्म का प्रचार
ग्रामीण इलाकों में फिल्म को शुरू में इतनी सफलता नहीं मिली. जब फालके साहब अपनी फिल्म को ले कर एक गाँव में गए तो बहुत कम लोग फिल्म देखने आये. दादा ने मैनेजर से पूछा कि क्या बात है तो उसने उत्तर दिया, “इस गाँव के लोग लम्बे लम्बे नाटक देखने के आदि हैं. दो आने के टिकट में साढ़े छः घंटे अवधि वाला नाटक. आपकी फिल्म तो डेढ़ घंटे में ख़त्म हो जाती है. दूसरे दिन दादा ने गाँव में इस प्रकार प्रचार करवाया –

“राजा हरिश्चंद्र में देखिये सत्तावन हजार फोटो. दो मील लम्बी फिल्म सिर्फ तीन आने में.” इस प्रचार का मुनासिब असर हुआ और लोग उत्साहित हो कर सिनेमा स्थल की ओर आने लगे.

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05-03-2013, 11:59 PM

प्रमुख फ़िल्में
क्या आप जानते हैं कि दादा साहब फालके ने अपने करियर में कुल 20 फीचर फ़िल्में और 97 लघु फ़िल्में बनायीं. उनकी प्रमुख फीचर फ़िल्में थीं – ‘कालिया मर्दन’ (जिसमे उनकी पुत्री मंदाकिनी ने कृष्ण का रोल किया), ‘लाइफ ऑफ़ श्रीयाल’ (जिसमे उनकी पत्नि काकी फालके ने उनके साथ अभिनय किया), ‘द मैजिक ऑफ़ डॉ. केल्फा’ (जिसमें उन्होंने जादू की अपनी महारत और स्पेशल इफैक्ट्स का अच्छा प्रदर्शन किया था). इस फिल्म का नाम उन्होंने अपना नाम फालके उलट कर केलफा रख दिया था. ‘लंका दहन’ और ‘श्री कृष्ण जन्म’ फिल्मों को अपार सफलता प्राप्त हुई. प्रथम विश्व युद्ध छिड़ जाने से फिल्म उद्योग पर भी बुरा असर पड़ा था. उनकी अंतिम मूक फिल्म थी ‘सेतु बंधन’ जो सन 1931 में अर्देशिर ईरानी द्वारा निर्देशित और प्रदर्शित फिल्म ‘आलम आरा’ जो पहली बोलती फिल्म थी, के बाद यानि 1932 में आई थी जिसे बाद में सवाक फिल्म के रूप में प्रदर्शित करना पड़ा. 64 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने करियर की अंतिम फिल्म ‘गंगावतरण’ मराठी और हिन्दी दोनों में बनाई. निर्देशक के रूप में यही उनके जीवन की आख़िरी फिल्म थी और पहली सवाक फिल्म थी.
उनके जीवन के अंतिम वर्ष दादा साहब फालके ने गरीबी और गुमनामी में बिताये. 16 फरवरी, 1944 को नासिक में उनका देहांत हो गया. इस प्रकार भारतीय फिल्म उद्योग का पुरोधा सदा के लिए इतिहास के पन्नों में विलीन हो गया. अपनी मृत्यु से कुछ समय पहले उन्होंने कहा था –
“यदि मुझमे फिल्म निर्माण के लिए कलात्मक और तकनीकी प्रतिभा न होती और मुझमे साहस व कुछ कर दिखाने की लगन न होती तो भारत में 1912 में फिल्म उद्योग की स्थापना न हुई होती.”

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06-03-2013, 02:52 PM

:hello:
क्या आप जानते हैं कि भारत में सिनेमा का पहला प्रदर्शन 7 जुलाई, 1896 के दिन मुंबई (उस समय बम्बई या बॉम्बे) के वाटसन होटल में किया गया था

और

भारत का पहला सिनेमा हाल 'एल्फिन्सटन पिक्चर पैलेस' सन 1907 में जे.ऍफ़.मदान द्वारा कोलकाता (उस समय कलकत्ता) में बनाया गया.

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06-03-2013, 03:08 PM

क्या आप जानते हैं कि :

पहली बोलती फिल्म 'मेलोडी ऑफ़ लव' कोलकाता के एल्फिन्सटन पिक्चर पैलेस में सन 1929 में प्रदर्शित की गई थी

और

भारत की पहली बोलती फिल्म अर्देशिर ईरानी द्वारा निर्मित 'आलम आरा' थी जिसे 14 मार्च, 1931 को मुंबई के मैजेस्टिक सिनेमा हाल में प्रदर्शित किया गया (जैसा कि फोरम पर अन्यत्र किसी मित्र द्वारा बताया गया था कि अब न इस फिल्म का कोई प्रिंट बाकी है और न उस स्टूडियो का निशान बकाया है)

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06-03-2013, 03:36 PM

क्या आप जानते हैं कि:

भारतीय फिल्मों में काम करने वाले पहले अभिनेता दत्तात्रय दामोदर डबके थे जिन्होंने फालके साहब की पहली फीचर फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' में अभिनय किया था
और

भारतीय फिल्मों में काम करने वाली पहली अभिनेत्री कमला बाई गोखले थीं जिन्होंने दादा साहब फालके की फिल्म 'भस्मासुर मोहिनी' में अभिनय किया था. फिल्म 1914 में प्रदर्शित हुई थी. यह फिल्मों से जुड़े विक्रम गोखले की दादी और चंद्रकांत गोखले की माँ थी.

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06-03-2013, 03:49 PM

क्या आप जानते हैं कि:

'दे दे खुदा के नाम पर' नामक गीत को भारतीय फिल्मों का पहला गीत माना जाता है जो पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' का भी पहला गीत था

और

इस फिल्म के संगीत निर्देशक फ़िरोज़ शाह मिस्त्री को भारतीय फिल्मों का पहला संगीत निर्देशक माना जाता है

और

सन 1932 में प्रदर्शित होने वाली फिल्म 'इंद्र सभा' में 71 गाने थे जो अब तक का रिकॉर्ड है. यह फिल्म मदान थियेटर द्वारा बनायी गई थी.

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08-03-2013, 02:11 PM

क्या आप जानते हैं कि -

'हम दोनों' नाम से अब तक तीन बार फ़िल्में बन चुकी हैं? एक में देवानंद का डबल रोल था, दूसरी में राजेश खन्ना का डबल रोल था तथा तीसरी फिल्म में ऋषि कपूर और नाना पाटेकर ने अभिनय किया.

और

अमिताभ बच्चन ने फिल्म अदालत, डॉन, तूफ़ान और आख़िरी रास्ता में डबल रोल किया था. इसके अलावा, फिल्म महान में उनका ट्रिपल रोल था.

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08-03-2013, 03:20 PM

क्या आप जानते हैं कि -

संजय लीला भनसाली कभी निराशा को अपने पास नहीं फटकने देते. वह ऐसा मानते हैं कि उनके माता पिता का आशीर्वाद जब तक उनके साथ है तब तक उन्हें किस बात की चिंता हो सकती है? इस बात पर गौर करें तो इसमें आपको सच्चाई नज़र आयेगी. वे यानि संजय हमेशा अपनी माँ (लीला) और पिता (भनसाली)के संग ही रहते हैं. बाप का नाम उनकी औलाद के साथ जुड़ना तो एक आम बात है लेकिन माँ के नाम से भी अपना परिचय देना सचमुच एक क्रांतिकारी विचार है.

और

जब बालु महेंद्र ने तमिल क्लासिक फिल्म 'मुन्द्रम पिराई' को हिंदी में 'सदमा' के रूप में बनाने का निर्णय लिया तो उनकी पहली पसंद डिम्पल थी.लेकिन यह संभव न हो सका. बाद में उन्हें हिंदी में भी तमिल की मूल अभिनेत्री श्री देवी को ही लेना पड़ा. फिल्म देखने के बाद लगा कि 'सदमा' की भोली भाली मासूम लड़की श्री देवी के अतिरिक्त कोई और हो ही नहीं सकती थी.

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08-03-2013, 04:19 PM

क्या आप जानते हैं कि –

अभिनेता राज कुमार ने घरवालों को अपनी अर्थी के साथ फिल्मकारों को लेजाने की मुमानियत कर दी थी क्योंकि वे अपनी ज़िंदगी में हमेशा भीड़ भाड़ से दूर रहना पसंद करते थे. अपनी मौत के बाद भी वह भीड़ से दूर रहना चाहते थे इसलिए उन्होंने अपनी अर्थी से भीड़ को दूर रखने का अनुरोध अपने परिवार जनों से किया था.

और

एस.डी.बर्मन की बतौर संगीत निदेशक पहली फिल्म फिल्मिस्तान की ‘शिकारी’ थी. शायद आप में से बहुतों को यह नहीं पता होगा कि बर्मन साहब एक राज घराने से सम्बन्ध रखते थे. इसी फिल्म से किशोर कुमार ने बतौर एक बाल कलाकार अपने फिल्म करियर की शुरुआत की थी.

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08-03-2013, 04:24 PM

क्या आप जानते है कि -

अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी ने फिल्म ज़ंजीर रिलीज़ होने के बाद 3 जून 1973 को और धर्मेन्द्र व हेमा मालिनी ने फिल्म दिल का हीरा के प्रदर्शन के बाद 2 मई 1980 को शादी कर ली.
और
मिथुन चक्रवर्ती ने फिल्म ‘रास्ते का पत्थर’ में बतौर एक्स्ट्रा फिल्मों में करियर शुरू किया था. बाद में नायक के रूप में भी उन्होंने लगभग 200 फिल्मों में काम किया किन्तु उनकी पहचान डिस्को डांसर और ऐक्शन स्टार से अधिक नहीं बन सकी. कुछ ही निर्देशक उनकी प्रतिभा का सही प्रदर्शन करवाने में सफल हुए. बहुत लोगों को मालूम नहीं होगा कि मिथुन चक्रवर्ती को एक नहीं बल्कि तीन तीन फिल्मों में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है. ये फ़िल्में थी – 1. मृगया 2. ताहादेर कथा 3. रामकृष्ण परमहंस

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08-03-2013, 04:58 PM

क्या आप जानते हैं कि –

अपने ज़माने की मशहूर अदाकारा सुरैया बचपन से ही अभिनेत्री-गायिका खुर्शीद से बहुत प्रभावित थीं. खुर्शीद उनकी माँ मुमताज उर्फ़ मलका की गहरी सहेली थी. 1940 के दशक में इन्हीं के गाये कुछ सदाबहार गीत हमेशा के लिए उनके प्रशंसकों / संगीत प्रेमियों के दिल में बस गए. इन्हीं गीतों में कुछ हैं – ‘पहले जो मोहब्बत से इंकार किया हो’ (फिल्म: परदेसी/ 1941), ‘घटा घनघोर’ व ‘बरसो रे’ (फिल्म: तानसेन/ 1943), ‘मधुर मधुर गा रे मनवा’ (फिल्म: भक्त सूरदास/ 1943). इन्हीं अभिनेत्री - गायिका खुर्शीद के गीतों के रिकॉर्ड सुन कर सुरैया ने बचपन से गाने का रियाज़ आरम्भ कर दिया था. सुरैया ने मुंबई रेडियो स्टेशन के बच्चों के कार्यक्रम में भाग ले कर गाना शुरू किया. इस कार्यक्रम में वे फिल्म परदेसी में खुर्शीद का गाया गीत ‘पहले जो मुहब्बत से इंकार किया होता’ अवश्य गाती थीं. सुरैया ने अपना फ़िल्मी सफ़र का आग़ाज़ एक बाल कलाकार के रूप में किया था. उन्होंने पहले पहल फिल्म ‘ताज महल’ और ‘स्टेशन मास्टर’ में अभिनय किया. बाद में उन्होंने और नर्गिस ने फणी मजुमदार के निर्देशन में बनी फिल्म ‘तमन्ना’ में बाल कलाकार के रूप में साथ साथ काम किया था. सुरैया के मामा ज़हूर फिल्मों में खलनायक की भूमिकाओं में आते थे. उन्हीं की वजह से सुरैया को फिल्मों में प्रवेश मिल पाया हालांकि सुरैया के पिता पहले उनके फिल्मों में काम करने के विरुद्ध थे. प्रसंगवश, यहाँ यह भी बताते चलें कि सुरैया की माँ भी बहुत सुन्दर थीं और एक बार महबूब खां ने उन्हें अपनी फिल्म में हीरोइन के रोल का प्रस्ताव किया था लेकिन पति की असहमति के चलते बात आगे नहीं बढ़ी.

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10-03-2013, 04:53 PM

क्या आप जानते है कि –
फातिमा बेग़म भारतीय फिल्मों की पहली महिला फिल्म निर्देशक थी. उन्होंने 1926 में मूक फिल्मों के युग में ‘बुलबुले परिस्तान’ नामक मूक फिल्म का निर्देशन किया. वहीँ से फिल्म निर्देशक के रूप में महिलाओं का योगदान शुरू हुआ.

और

फिल्मों के पोस्टर बनाने का काम मूक फिल्मों के दौर में सन 1923 में बनी फिल्म ‘वत्सला हरण’ से आरम्भ हुआ जिसके प्रचार के लिए बाबूराव पेंटर ने सर्वप्रथम पोस्टर बनाने का काम शुरू किया. बाद में तो पोस्टर बना कर पब्लिसिटी करना जैसे हर फिल्म के लिए अनिवार्य हो गया.

और

भारत की पहली नियमित फिल्म पत्रिका ‘मौज मजा’ गुजराती भाषा में सन 1944 में प्रकाशित हुयी. इसके सम्पादक जे. के. द्विवेदी थे.

rajnish manga

10-03-2013, 05:57 PM

क्या आप जानते है कि –
एक भाषा की फिल्म के संवाद को दूसरी भाषा में परिवर्तित करने के लिए डबिंग की मदद ली जाती है. इसके तहत होंटों के मूवमेंट के अनुसार मूल संवाद का भावार्थ ध्यान में रख कर दूसरी भाषा में डायलॉग तैयार करवाए जाते हैं और डबिंग आर्टिस्ट से संवाद रिकॉर्ड करवाए जाते हैं. इसी प्रक्रिया को ही डबिंग के नाम से जाना जाता है (कुछ वर्ष पूर्व भारत में ‘सा रे गा मा’ होम विडिओ ने वार्नर ब्रदर्स की 10 ऑस्कर पुरस्कार जीतने वाली सन 1939 की फिल्म ‘गॉन विद द विंड’ का हिंदी में डब किया गया संस्करण जारी किया गया जिसे देख कर ऐसा लगता है जैसे मूल फिल्म ही हिन्दी में बनायी गई हो).

और

भारतीय फिल्मों के इतिहास में कई गाने ऐसे भी हुए हैं जो एक से अधिक फिल्मों में गवाए गए लेकिन उनका परिणाम हर बार एक सा नहीं रहा. उदाहरण के लिए, फिल्म लावारिस का ज़बरदस्त हिट गीत ‘मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है’ इससे पहले फिल्म मजे ले लो में महेश कुमार ने गाया था लेकिन उस समय यह गाना लोकप्रिय नहीं हुआ था.

और

अचला सचदेव ने अपनी युवावस्था में अर्थात 1951 में प्रदर्शित फिल्म ‘काश्मीर’ में कमल कपूर, अल्नासिर व अरुण (गोविंदा के पिता) की माँ का रोल किया था. तब से ले कर करियर के अंत तक वह माँ का रोल ही करती रहीं.

pankaj bedrdi

10-03-2013, 08:10 PM

बहुत अच्छा लगे रहो

rajnish manga

17-03-2013, 05:22 PM

क्या आप जानते हैं –

पुराने ज़माने की प्रसिद्ध अभिनेत्री शकीला ने 1950 से लेकर 1963 तक लगभग 70 फिल्मों में काम किया. उनका जन्म 1939 में हुआ था और उनका वास्तविक नाम बादशाह जहाँ था. बाल कलाकार के रूप में 1950 में फिल्म दास्तान से अपना फ़िल्मी सफ़र शुरू करने वाली शकीला ने फिल्म ‘मदमस्त‘ से नायिका की भूमिकायें शुरू की. उनको देव आनंद (सी.आई.डी.), राज कपूर (श्रीमान सत्यवादी), और शम्मी कपूर (चाईना टाउन) जैसे दिग्गज अभिनेताओं के साथ भी काम करने का सुअवसर प्राप्त हुआ लेकिन उनकी इमेज स्टंट फिल्मों की हीरोइन के तौर पर अधिक रही. इन फिल्मों में ‘हातिमताई’, ‘खुल जा सिम सिम’ और ‘लाल परी’ आदि प्रमुख है. स्टंट फिमों में महिपाल के साथ उनकी जोड़ी बहुत हिट रही. अन्य प्रमुख फ़िल्में: आरपार/ नूर महल/ बेगुनाह/ काली टोपी लाल रुमाल/ रेशमी रुमाल/ नक़ली नवाब/ उस्तादों के उस्ताद आदि. उस्तादों के उस्ताद 1963 में प्रदर्शित उनकी अंतिम फिल्म थी.

और

हिंदी फिल्मों के जाने माने अभिनेता जगदीश राज ने अपने फ़िल्मी जीवन में लगभग 125 फिल्मों में एक पुलिस इंस्पेक्टर का किरदार निभाया. यह भी अपनी तरह का एक अनोखा रिकॉर्ड है. उन्होंने सन 1959 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘कंगन’ में सर्वप्रथम पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई थी.

rajnish manga

17-03-2013, 05:24 PM

क्या आप जानते हैं –

1975 में रमेश सिप्पी की बॉक्स ऑफिस पर ज़बरदस्त सफलता प्राप्त करने वाली और कई रिकॉर्ड बनाने वाली फिल्म ‘शोले’ से पहले भी इसी नाम से एक फिल्म 1953 में प्रदर्शित की गई थी. बी.आर.चोपड़ा की यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई ख़ास धमाल नहीं कर सकी. हाँ, इस फिल्म में अमीरबाई कर्नाटकी के गाये कुछ गीत बहुत लोकप्रिय हुए जैसे – जादूगर भगवान अनोखा जादूगर भगवान – आदि. इस फिल्म का संगीत दिया था धनीराम और नरेश ने. अपनी गायकी और अभिनय की यादें छोड़ कर अमीर बाई कर्नाटकी 7 मार्च 1965 को 53 वर्ष की उम्र में पक्षाघात की वजह से इस संसार को अलविदा कह गयीं.

और

हिंदी फिल्मों में अरुण कुमार नाम के एक गायक और संगीतकार हुए है जो हिंदी फिल्म संसार में प्यार और आदरपूर्वक दादामोनी के नाम से विख्यात अभिनेता अशोक कुमार के मौसेरे भाई थे. उन्होंने पहले फिल्मों में पार्श्व गायन भी किया जैसे 1938 में प्रदर्शित होने वाली बोम्बे टाकीज की फिल्म ‘निर्मला’ में गायन किया था और उसके बाद भी कंगन, झूला, किस्मत, ज्वारभाटा आदि में उन्होंने गीत गाये. 1953 में प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘परिणीता’ में उन्होंने संगीत निर्देशन भी किया. इस फिल्म में अशोक कुमार नायक की भूमिका कर रहे थे. इस फिल्म में कई गीत थे लेकिन निम्नलिखित दो गीत बहुत लोकप्रिय हुए :-

1. आशा भोंसले द्वारा गाया गीत ‘गोरे गोरे हाथों में मेहंदी लगाय के’
2. मन्ना डे द्वारा गाया हुआ गीत ‘चली राधे रानी, अखियों में पानी, अपने मोहन से मुखड़ा मोड़ के’

rajnish manga

17-03-2013, 06:59 PM

क्या आप जानते हैं कि –

हिंदी सिनेमा में अपने सशक्त अभिनय और प्रभावशाली उपस्थिति के कारण अपनी अलग पहचान बनाने वाली वरिष्ठ अभिनेत्री निरूपा रॉय ने हिंदी फिल्मों में अपने अभिनय का सूत्रपात 1946 में होमी वाडिया की फिल्म ‘अमर राज’ से किया था.
इससे पहले उन्होंने अभिनय की शुरुआत गुजराती फिल्म ‘रनक देवी’ से की थी जो उनके सौभाग्य से बॉक्स ऑफिस पर सफल रही और वे रातों रात स्टार बन गयीं.

और

निरूपा रॉय का जन्म 4 जनवरी 1937 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम भगा भाई था जो रेलवे में फिटर की नौकरी करते थे. निरुपा रॉय का बचपन का नाम कांता था जो शादी के बाद कोकिला हुआ और फिल्मों में आने के बाद निरूपा रॉय हो गया. 14 वर्ष की कांता का विवाह किशोर चन्द्र बलसारा से कर दिया गया जो नाम बदल लेने के बाद कमल रॉय के नाम से जाने गए. दरअस्ल, कमल खुद गुजराती फिल्मों में काम करना चाहते थे, अतः बी.एम.व्यास से मुलाक़ात की. बी.एम.व्यास ने उन्हें इंकार कर दिया लेकिन उनकी पत्नि यानि निरूपा रॉय को अपनी नयी फिल्म ‘रनक देवी’ में काम करने के लिए तैयार हो गए. इसके लिए उन्होंने 150 रूपए मासिक वेतन पर निरूपा रॉय को साइन किया.

abhisays

17-03-2013, 08:00 PM

बहुत ही रोचक जानकारियाँ हैं। रजनीश जी, इस सूत्र को लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद।

rajnish manga

17-03-2013, 11:08 PM

क्या आप जानते हैं कि –

निरूपा रॉय द्वारा अनेक धार्मिक और पौराणिक फिल्मों में काम करने के फलस्वरूप वे देवी के रूप में पहचानी जाने लगीं. इसी कड़ी में फिल्म ‘हर हर महादेव’ का नाम विशेष रूप उल्लेखनीय है. 1953 में ‘दो बीघा ज़मीन’ में अपने श्रेष्ठ अभिनय के कारण उनको अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुयी.बाद में 1955 में प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘मुनीम जी’ में पहली बार वे माँ की भूमिका में आयीं. उसके बाद तो उनके पास माँ के रोल वाले प्रस्ताव आने लगे. न चाहते हुए भी उन्होंने माँ और बहन के रोल करने शुरू कर दिए. फिल्म ‘जंजीर’ और ‘राम और श्याम’ में किये उनके अभिनय को कौन भुला सकता है.

और

निरूपा रॉय ने अपने पचास साल से अधिक के सक्रिय जीवन में लगभग 270 फिल्मों में काम किया जिनमे यह फ़िल्में उल्लेखनीय हैं –
हर हर महादेव/ दसावतार/ राम जन्म/ दो बीघा जमीन/ तीन बत्ती चार रास्ता/ गर्म कोट/ जनम जनम के फेरे/ अमर सिंह राठौर/ वीर दुर्गा दास/ लाल किला/ रानी रूपमति/ गुमराह/ पूर्व और पश्चिम/ दीवार/ मुकद्दर का सिकंदर आदि आदि.

rajnish manga

19-03-2013, 06:13 PM

क्या आप जानते हैं कि –
//myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=25891&stc=1&d=1363696086

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और अपने करोड़ों चाहने वालों के बीच स्वर कोकिला के नाम से विख्यात पार्श्व गायिका लता मंगेशकर अपनी आवाज़ को ईश्वर की देन मानती हैं. वे मानती हैं कि यह शायद उनके पूर्व जन्मों के कर्मों का फल था जो वे संगीत के महान ज्ञाता पं. दीना नाथ मंगेशकर के यहाँ पैदा हुयीं. नियति ने उनके सर से पिता का साया बहुत जल्द छीन लिया और उन्हें परिवार के भरण पोषण के लिए छोटी उम्र में ही संघर्ष के रास्ते पर चलना पड़ा. आज लता जी 82 वर्ष (जन्म 8 सितम्बर 1929) की आयु में भी संगीत के प्रति उतनी ही समर्पित और उत्साहित रहती हैं जितना 25 वर्ष की उम्र में थीं. हाँ अब शरीर की देखभाल की वजह से बाहर आना जाना कम हो गया है.

उनके पिता और भाई की वजह से संघर्ष के दिनों में भी लता जी में आत्म विश्वास कूट कूट कर भरा हुआ था. वे औपचारिक तौर पर किसी स्कूल या कॉलेज में जा कर पढाई नहीं कर सकीं. लेकिन उन्हें पढाई का बहुत शौक था. बचपन में वे डॉक्टर या प्रोफ़ेसर बनना चाहती थी लेकिन वे मानती हैं कि जिस क्षेत्र में भी वह जातीं शीर्ष पर रहतीं. उन्होंने कभी परिस्थितियों से हार नहीं मानी. जब उनके पिता चल बसे तो पिता के सर पर काफी क़र्ज़ था. जिम्मेदारियां व्यक्ति को सब सिखा देती हैं एक बार की बात है कि पिता का क़र्ज़ चुकाते हुए उनके पास कुछ न बचा. ऐसे में घर बचाए रखने के लिए उन्हें 270 रुपयों की जरुरत आ पड़ी. जिसका इंतजाम नहीं हो आ रहा था. उन्हें पिता की नाटक कम्पनी में अभिनय का कुछ अनुभव था और उन्हें लगा कि फिल्मों में काम कर के ही तुरन्त पैसा मिल सकता है. और ऐसा हुआ भी. उन्हें नव स्टूडियो की फिल्म ‘पहली मंगला गौर’ में काम अवसर मिला और उसके एवज में एडवांस के तौर पर 300 रुपये का भुगतान मिल गया. इन रुपयों से आई मुसीबत टल गई. वे मानती हैं कि उन्हें फिल्मों में अभिनय करना कभी अच्छा नहीं लगा.

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19-03-2013, 06:14 PM

लता जी विनायक राव जी (साठ व सत्तर के दशक की जानी मानी अभिनेत्री नंदा के पिता) की कम्पनी में नौकरी नौकरी करने लगीं. वे ही लता को 1943 में मुंबई ले कर भी आये. जल्द ही उनका स्वर्गवास हो गया और लता जी का अभिनय भी ऊसके साथ ही छूट गया. अगस्त 1947 में ही उनको फिल्मों म गाने का मौका भी मिल गया. उसके बाद तो गाने का सिलसिला शुरू हो गया और वक़्त उन पर हमेशा मेहरबान रहा. लता जी मानती हैं कि यदि व्यक्ति में सच्ची साधना, ईश्वर में आस्था और अपने आप में विश्वास हो तो आपको कोई ताकत आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती.

उन पर दोष लगाया जाता है कि उन्होंने नए कलाकारों को आगे आने से रोका. लता जी इस से सहमत नहीं हैं. वे यह मानती हैं कि यह इलज़ाम बिलकुल बेबुनियाद है. हाँ,प्रतिस्पर्धा हर क्षेत्र में होती है चाहे वो अभिनय का क्षेत्र हो या गायन का. वे कहती हैं कि संगीत से जुड़े हर व्यक्ति की वे इज्ज़त करती हैं और चाहती हैं के संगीत फलता फूलता रहे.

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19-03-2013, 06:17 PM

लता जी गायन में महान गायक-अभिनेता कुंदन लाल सहगल को अपना आअदर्श मानती हैं. उनको यह अफ़सोस है कि उन्हें सहगल साहब के साथ कोई गीत गाने का मौका नहीं मिला और न ही उनसे कभी मिल पायीं.

गाने से पहले वे अपनी चप्पल कमरे के बाहर उतार देती हैं. लता जी गायन को पूजा मानती हैं और केवल सफ़ेद साड़ी पहनती हैं. केवल हर दिन के अनुसार साड़ी का बार्डर अलग अलग रंग का होता है.

लता जी जीवन को एक उत्सव या संगीत मानती हैं; जीवन के हर क्षेत्र में संगीत व्याप्त है. सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रमा की शीतलता, नदियों की कल कल, झरनों का झर झर, कोयल की कूक, फसलें, दिन, रात, रोशनी, अंधकार आदि सभी परिवर्तनों में संगीत बसा हुआ है. प्रकृति की हर चीज में अलग अलग रूपों में व्याप्त इन भावों का समग्र ही संगीत है.

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19-03-2013, 06:19 PM

लता जी मानती हैं कि संगीत में कभी पूर्णता नहीं आ सकती. यह तो सागर की तरह अनंत है और पूरे जीवन की साधना के बाद इसकी कुछ बूँदें ही मिल पाती है. वे बिना किसी कोताही के आज भी रियाज़ करती हैं भले ही पहले के मुकाबले कुछ कम समय दे पाती हैं. वे बताती हैं कि स्वयं में ईश्वर को देखना ध्यान है, दूसरे में ईश्वर को देखना प्रेम है और सब में ईश्वर को देखना ज्ञान है. यही ज्ञान हमें अनेकता में एकता का दर्शन कराता है. यही हमें बताता है कि आने वाला कल बीते हुए कल से सुन्दर होगा. वे मानती हैं कि ध्यान, योग और चिंतन आदमी को प्रज्ञावान बनाते हैं. प्रज्ञावान व्यक्ति अधिक जानकारी के अभाव में भी सृजनात्मक हो सकता है. जैसे नदी में पानी को देखना एक बात है और पानी के चक्र या बदलते स्वरूपों में छुपे सौन्दर्य को देखना बिलकुल दूसरी बात है. वे यह भी मानती है कि प्रतिभा, अवसर और आत्म शक्ति इन तीनों के योग से आप अपनी मंजिल के नज़दीक पहुँच जाते हैं.

(साभार: ‘आहा ज़िंदगी’ / सितम्बर 2005 के विवरण पर आधारित)

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20-03-2013, 05:07 PM

क्या आप जानते हैं कि -

मित्रो, इस बात से तो आप भली-भाँति अवगत होने कि लता मंगेशकर ने ओ. पी. नैयर के संगीत निर्देशन में एक भी गीत फिल्मों में नहीं गाया. लेकिन ओ. पी. नैयर के संगीत निर्देशन में तैयार होने वाली एक फिल्म ऐसी भी थी जिसमे लता जी ने एक नहीं, चार चार गीत गाये थे. यह किस प्रकार हुआ. आइये हम आपको बताते है.

के. अमरनाथ की 1954 में प्रदर्शित फिल्म 'महबूबा' के शुरुआती दौर में फिल्म का संगीत दे रहे थे जाने माने संगीत निर्देशक रौशन. वह इसके चार गीतों की रिकार्डिंग भी पूरी कर चुके थे. इसके बाद निर्माता के. अमरनाथ का रौशन के साथ कुछ मतभेद हो गया जिसके चलते रौशन ने यह फिल्म बीच में ही छोड़ दी थी. उसके बाद ओ. पी. नैयर द्वारा संगीत निर्देशन का जिम्मा सम्हाला गया. उन चार गीतों में कोई फेर बदल नहीं किया गया और फिल्म में उसी रूप में रखा गया. ओ. पी. नैयर ने भी अन्य पांच नए गीत इसमें तैयार करवाए लेकिन इनमे लता की आवाज में कोई गीत नहीं बना. इस प्रकार इस फिल्म के क्रेडिट्स में संगीत- निर्देशक के रूप में ओ.पी.नैयर का ही नाम आया लेकिन लता मंगेशकर के गाये हुए चारों गीत (तीन एकल गीत और एक तलत महमूद के साथ गाया युगल गीत) वास्तव में रौशन द्वारा स्वरबद्ध किये गए थे.

malethia

20-03-2013, 06:08 PM

क्या आप जानते हैं कि –

हिंदी सिनेमा में अपने सशक्त अभिनय और प्रभावशाली उपस्थिति के कारण अपनी अलग पहचान बनाने वाली वरिष्ठ अभिनेत्री निरूपा रॉय ने हिंदी फिल्मों में अपने अभिनय का सूत्रपात 1946 में होमी वाडिया की फिल्म ‘अमर राज’ से किया था.
इससे पहले उन्होंने अभिनय की शुरुआत गुजराती फिल्म ‘रनक देवी’ से की थी जो उनके सौभाग्य से बॉक्स ऑफिस पर सफल रही और वे रातों रात स्टार बन गयीं.

और

निरूपा रॉय का जन्म 4 जनवरी 1937 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम भगा भाई था जो रेलवे में फिटर की नौकरी करते थे. निरुपा रॉय का बचपन का नाम कांता था जो शादी के बाद कोकिला हुआ और फिल्मों में आने के बाद निरूपा रॉय हो गया. 14 वर्ष की कांता का विवाह किशोर चन्द्र बलसारा से कर दिया गया जो नाम बदल लेने के बाद कमल रॉय के नाम से जाने गए. दरअस्ल, कमल खुद गुजराती फिल्मों में काम करना चाहते थे, अतः बी.एम.व्यास से मुलाक़ात की. बी.एम.व्यास ने उन्हें इंकार कर दिया लेकिन उनकी पत्नि यानि निरूपा रॉय को अपनी नयी फिल्म ‘रनक देवी’ में काम करने के लिए तैयार हो गए. इसके लिए उन्होंने 150 रूपए मासिक वेतन पर निरूपा रॉय को साइन किया.
क्या आप जानते है की -

निरूपा राय जहां फिल्मों में एक आदर्श सास का रोल करती थी वहीँ निजी लाइफ में उनकी बहु ने उन पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाकर कोर्ट में उनके खिलाफ केस दायर कर दिया था !

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21-03-2013, 11:13 PM

क्या आप जानते हैं कि –

‘मदर इंडिया’ (2 बार)
‘मदर इंडिया’ नाम से दो बार फिल्म बनायी गई थी - पहली फिल्म 1938 में प्रदर्शित हुयी और दूसरी 1957 में.

‘आरज़ू’ (4 बार)
उक्त नाम से सबसे पहले 1944 में फिल्म बनी थी, दूसरी बार 1950 में, तीसरी बार 1965 में और चौथी बार 1999 में ‘आरज़ू’ नाम से फ़िल्में बनायी गई.

‘मिस्टर इंडिया’ (2 बार)
इसी प्रकार फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ भी दो बार बनायी गई – पहली बार 1961 और दूसरी बार 1987 में.

इसके अलावा ‘इंडिया’ नाम धारी फिल्म ‘फादर इंडिया’ (1930), मिस इंडिया’ (1957), ‘सन ऑफ़ इंडिया’ (1962) भी बनायी गयीं. इनके अतिरिक्त अनेकों ऐसी फ़िल्में भी बनायी गयीं जिनके नाम में ‘इंडिया’ शब्द जुड़ा हुआ था.

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23-03-2013, 05:17 PM

क्या आप जानते हैं कि -

1. एक ही कलाकार द्वारा एक फिल्म में अधिक से अधिक 10 रोल कमल हासन ने फिल्म ‘दशावतार’ में निभाये थे. इससे पहले संजीव कुमार ने फिल्म ‘नया दिन नयी रात में नौ रोल किये गए थे. यह हिंदी फिल्म तमिल में बनायी गई फिल्म ‘नवरात्री’ पर आधारित थी जिसमे शिवाजी गणेशन ने भी नौ रोल निभाये थे.

2. हिंदी फिल्मों में फ्लैश-बैक तकनीक (चलती फिल्म में भूतकाल की घटनाओं को इस प्रकार दिखाया जाना जिसके ज़रिये कहानी की पृष्ठभूमि की जानकारी मिलती है) का प्रयोग सर्वप्रथम 1937 में प्रदर्शित पी.सी.बरुआ की फिल्म ‘मुक्ति’ में किया गया था.

3. हिंदी में डब की जाने वाली पहली विदेशी फिल्म ‘थीफ ऑफ़ बग़दाद’ थी जिसे ‘बग़दाद का चोर’ नाम से 1948 में प्रदर्शित किया गया था.

4. पिछले कई बरसों से हिंदी की बहुत सी फ़िल्में अंग्रजी और अन्य विदेशी भाषाओं में डब की जा रही हैं लेकिन 1941 में प्रदर्शित जे.बी.एच. वाडिया की हिंदी फिल्म ‘राज नर्तकी’ वह पहली फिल्म थी जिसका अंग्रेजी में डब किया गया संस्करण ‘दी कोर्ट डांसर’ नाम से जारी किया गया था.

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23-03-2013, 11:45 PM

क्या आप जानते है की -

निरूपा राय जहां फिल्मों में एक आदर्श सास का रोल करती थी वहीँ निजी लाइफ में उनकी बहु ने उन पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाकर कोर्ट में उनके खिलाफ केस दायर कर दिया था !

उक्त जानकारी निरुपारॉय के बेदाग़ जीवन और करियर की दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी. लेकिन फ़िल्मी जीवन की अगर बात करें तो 1952 में प्रदर्शित फिल्म 'सिंदबाद जहाजी' में उन्होंने पौराणिक फिल्मों से बनी इमेज के उलट एक खलनायिका का किरदार निभाया था.

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03-04-2013, 06:19 PM

क्या आप जानते हैं कि –
दुश्मन नाम की अब तक पांच फिल्मे बन चुकी हैं:

1. 1939 में नितिन बोस के निर्देशन में
(कुंदन लाल सहगल-लीला देसाई अभिनीत)

2. 1957 में राज ऋषि के निर्देशन में
(देव आनंद-उषा किरण अभिनीत)

3. 1971 में दुलाल गुहा के निर्देशन में
(राजेश खन्ना-मुमताज अभिनीत)

4. 1990 में शक्ति सामंत के निर्देशन में
(मिठुन चक्रवर्ती- मंदाकिनी अभिनीत)

5. 1998 में तनुजा चन्द्र के निर्देशन में
(संजय दत्त-काजोल अभिनीत)

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04-04-2013, 12:38 AM

तीन तीन 'कंगन'
यह एक अजूबा ही कहा जाएगा कि “कंगन” नाम से अब तक तीन फिल्मों का निर्माण किया गया और तीनों फिल्मों में अशोक कुमार ने अभिनय किया. कंगन’ नाम की पहली फिल्म 1939 में बनी जिसमे अशोक कुमार ने बतौर नायक काम किया था. इसमें नायिका थीं – लीला चिटनिस. 1959 में दूसरी ‘कंगन’ बनायी गई. इसमें भी अशोक कुमार ने ही नायक का किरदार निभाया था, नायिका थीं निरूपा रॉय और निर्देशक थे नाना भाई भट्ट. तीसरी बार 1971 में ‘कंगन’ नाम से फिल्म बनायी गई जिसमे अशोक कुमार ने फिल्म की नायिका माला सिन्हा के पति का किरदार निभाया था. नायक थे संजीव कुमार और निर्देशक थे – के.बी.तिलक.

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04-04-2013, 12:44 AM

सुलोचना: नाम एक अभिनेत्री चार

हिंदी फिल्मों के इतिहास में ‘सुलोचना’ नाम से चार अभिनेत्रियों ने काम किया है. इनका पूरा नाम तथा पहली फिल्म इस प्रकार हैं:
1. सुलोचना (रूबी मेयर्स) = मूक फिल्म ‘वीरबाला’
2. सुलोचना चटर्जी = ‘शहंशाह बाबर’
3. सुलोचना = ‘चिमुकला संसार’ (मराठी)
4. राजा सुलोचना = ‘नया आदमी’

malethia

05-04-2013, 11:51 PM

क्या आप जानते है की -

नाना पाटेकर निर्देशित फिल्म प्रहार में किसी भी कलाकार ने मेक-अप नहीं किया था !

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17-04-2013, 10:19 PM

लता मंगेशकर और उनके संगीत-निर्देशक
लता मंगेशकर को फिल्म संगीत के क्षेत्र में एक महान शख्सियत के तौर पर पहचाना जाता है. पंडित जसराज के अनुसार वे योग्यता, स्वरों की मिठास और विनम्रता की ऐसी प्रतिमूर्ति हैं जो शताब्दियों में एक बार जन्म लेती हैं. अपने 70 वर्ष के सक्रिय पार्श्व-गायन काल में लता जी ने 10000 से अधिक गीत गाये. उनकी आवाज़ के जादू ने उनके लाखों करोड़ों सुनने वालों को इस हद तक प्रभावित किया है कि उनके मुकाबले अन्य गायक कलाकार उनकी धुंधली छाया के समान नजर आते हैं.

कहा जाता है कि लता मंगेशकर संगीत-निर्देशकों के लिए ईश्वर कर वरदान बन कर फिल्म इंडस्ट्री में आयीं. उनकी गायन शैली इतनी परिपक्व थी कि वे कठिन से कठिन बंदिश को भी बड़ी सरलता से आत्मसात कर लेती थीं और उसे अपने गीतों में उतार लेती थी. अतः इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि पार्श्व-गायकों में लता जी ने ही हमें सब से अधिक यादगार गीतों का उपहार दिया.

अपने ख़ास अंदाज़ में और विनम्रता से लता जी अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने संगीत-निर्देशकों को देती हैं. वे स्वर्गीय गुलाम हैदर और खेमचंद प्रकाश जैसे संगीत-निर्देशकों को आज भी याद करते हुए भावुक हो जाती हैं जिन्होंने उन संघर्ष के दिनों में लता को हौंसला दिया जब वे छोटी ही थीं और उनकी आवाज़ उस समय की हीरोइनों के लिए बहुत बारीक मानी जा रही थी.

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17-04-2013, 10:22 PM

उनका पहला हिंदी गीत “पांव लागूं कर जोरी” फिल्म ‘आपकी सेवा में’ के लिए सन 1947 में रिकॉर्ड किया गया था. लेकिन गायिका के रूप में मान्यता उन्हें 1948 में गाये कतिपय गीतों के बाद ही हासिल होनी शुरू हुयी. इनमें गुलाम हैदर के लिए ‘बेदर्द तेरे दर्द को’ (फिल्म: पद्मिनी), शाम सुन्दर के लिए ‘सुन लो सजन दिल की बात’ (फिल्म: लाहौर) और अनिल बिस्वास के लिए ‘मेरे लिए वो ग़में इंतज़ार छोड़ गए’ (फिल्म: अनोखा प्यार) आदि गीत शामिल हैं.

लता जी को आज भी याद है कि फिल्म ‘अंदाज़’ के गीत ‘उठाये जा उनके सितम और जिए जा’ की रिकार्डिंग के अवसर पर नर्गिस, राज कपूर और दिलीप कुमार भी मौजूद थे.वह बताती हैं, “रिकार्डिंग के बाद राज कपूर जी ने मुझे बुलाने के लिए एक नौजवान को हमारे घर भेजा. उस स्वस्थ और सुन्दर युवक को देख कर मैंने अपनी बहन स कहा ‘मीना, देख तो आर.के.स्टूडियो का यह संदेशवाहक भी अपने मालिक की भाँति ही हीरो मालूम होता है.’ लता जी जब राज कपूर के चेम्बूर कार्यालय में पहुंची तो उनका परिचय उस सुन्दर संदेशवाहक से करवाया गया. वह और कोई नहीं ‘जय किशन’ थे – फिल्म ‘बरसात’ की संगीत-निर्देशक जोड़ी ‘शंकर-जयकिशन’ में से एक. लता जी उनके बारे में बताती हैं, “शंकर-जयकिशन के संगीत में एक ताजगी थी. यद्यपि उनमे अनिल बिस्वास तथा नौशाद जैसी शास्त्रीय परिपक्वता नहीं थी, लेकिन उन्हें अपनी धुनों को जानते थे, वे गायकी में ताल की महत्ता से वाकिफ थे और ओर्केस्ट्रा संयोजन का उनका अलग ही स्टाइल था.

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17-04-2013, 10:27 PM

1949 में उनके गाये हुए गीत ज़बरदस्त रूप से कामयाब हुए. यह गीत फिल्म ‘बरसात’ ‘अंदाज़’ ‘बड़ी बहन’ ‘बाज़ार’ और ‘लाहौर’ से थे. लता जी बताती हैं कि फिल्म ‘महल’ के उस ऐतिहासिक गीत ‘आएगा आने वाला’ की रिकार्डिंग बहुत बड़े रिकार्डिंग स्टूडियो में की गई थी जिसके बीचो-बीच माईक रखा गया था और लता जी को एक कोने में खड़ा कर दिया गया. फिर गाने का आलाप (खामोश है ज़माना, चुप-चाप हैं सितारे) गाते हुए से उन्हें धीरे धीरे माइक की ओर आना था. इस प्रकार गाने में ऐसा प्रभाव’ पैदा किया गया जैसे कोई चलते हुए गीत को गा रहा हो.
लता जी बड़ी विनम्रता से यह स्वीकार करती हैं कि संगीतकार अनिल बिस्वास ने ही उन्हें यह बताया कि गाते हुए श्वाँस कब अन्दर लेना है और कब बाहर छोड़ना है. उन्होंने ही यह भी बताया कि गाते हुए बीच में कब रुकना है तथा गानों में ताल और काल का सही संतुलन कैसे बनाए. उनके गीत ‘आँखों से दूर जाके’ ‘जाना न दिल से दूर’ ‘कहाँ तक हम उठायें ग़म’ मेरा नरम करेजवा डोल गया’ इसी बात की निशानदेही करते हैं.
लता जी अपनी गायकी में संगीतकार सज्जाद हुसैन की देन को याद करते हुए बताती हैं कि सज्जाद ने ही उनकी आवाज़ को एक पैनापन दिया. सज्जाद हुसैन छोटी से छोटी बात का भी पूरा ध्यान रखते थे और 100% लगन से काम करते थे. लता जी धीमे स्वरों में आलाप की प्रभावशाली अदायगी दे पाने की अपनी क्षमता के लिए भी उन्हें ही श्रेय देती हैं.
लता जी मानती हैं कि संगीत-निर्देशक सचिन देव बर्मन को लोक गीतों की गहरी जानकारी व पकड़ थी. वह किसी गीत की सिचुएशन को समझने में विशेष महारथ रखते थे जिसमें गाना प्रस्तुत किया जाने वाला है. क्योंकि वो स्वयं एक अच्छे गायक थे इसलिए वे लता जी को बखूबी समझा सकते थे कि वे किसी अमुक गीत को उनसे कैसा गवाना चाहते है. “फिल्म ‘हाऊस नं. 44’ के जाने माने गीत ‘फैली हुयी हैं सपनों की बाहें, आजा चल दें कहीं दूर’ की सफल गायकी व रिकार्डिंग के बाद बर्मन दा इतने खुश थे कि उन्होंने मुझे एक पान भेंट किया जिसमें उनकी शाबाशी छुपी थी.”

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20-04-2013, 09:02 AM

जयदेव लम्बे समय तक एस.डी.बर्मन के सहायक के तौर पर काम कर चुके थे. उन्हें शास्त्रीय संगीत की अच्छी समझ थी. स्वतंत्र संगीत निर्देशक की हैसियत से देखे तो ‘हम दोनों’ उनके पहली फिल्म थी. पूर्व में लता जी और जयदेव का किसी बात को लेकर विवाद हो चुका था, अतः लता ने इस फिल्म में गाना गाने से मन कर दिया. तब देव आनंद ने लता से कहा कि यदि वे इस फिल्म में नहीं गायेंगी तो हो सकता है उन्हें जयदेव की जगह किसी और से काम करवाना पड़े. इस पर लता गाने के लिए सहमत हो गयीं. इस फिल्म में लता द्वारा गाये दोनों भजन ‘अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम’ और ‘प्रभु तेरो नाम, जो ध्याये फल पाए, सुख लाये तेरो नाम’ अप्रतिभ हैं तथा अपनी श्रेष्ठता व मिठास के कारण आज भी सुनने वालों को भक्तिभाव में भिगो देते हैं.

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20-04-2013, 09:04 AM

मदन मोहन की संगीत के प्रति प्रतिबद्धता के बारे लता जी बताती है कि मदन मोहन को खुश करना बड़ा विकट होता था. उनसे जुड़े एक प्रसंग का ज़िक्र करते हुए वह बताती हैं कि “फिल्म ‘मेरा साया’ के एक गीत ‘नैनो में बदरा छाये’ की रिकार्डिंग के अवसर पर मैं माइक पर रिहर्सल कर रही थी. मदन भैया ने देखा कि कुछ वादक कलाकार बेसुरे हो रहे हैं. उन्हें गुस्सा आ गया. वे तेजी से उन की ओर लपके बीच में एक दरवाजा था. दरवाजा खोने के बजाय उनका हाथ दरवाजे के शीशे से टकराया. हाथ बुरी तरह ज़ख़्मी हो गया और उसमे से खून निकलना शुरू हो गया मगर वो फिर भी कहते जा रहे थे, “बेसुरे बजाते हो, सुर के साथ बे-ईमानी करते हो, शर्म नहीं आती तुमको?” लता जी बड़े क्षोभ से बताती हैं कि महान संगीतकार मदन मोहन को अपने जीवनकाल में उस प्रकार की मान्यता नहीं मिल पायी जिसके वो हकदार थे. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वे खेमेबाजी में यकीन नहीं रखते थे.

लता जी संगीत निर्देशक चित्रगुप्त के बारे में एक रोचक घटना को याद करते हुए बताती हैं कि एक दफ़ा वह उनके साथ एक गाना रिकॉर्ड कर रही थीं कि उनकी नज़र चित्रगुप्त की टूटी हुयी चप्पल पर पड़ गई. लता जी ने उनका ध्यान इस ओर दिलाया तो वे कहने लगे कि मैं इस चप्पल को नहीं बदल सकता क्योंकि रिकार्डिंग के समय यह बड़ी शुभ रहती है. लता जी ने हंस कर चिरागुप्त जी से कहा, “क्यों चित्रगुप्त जी, आपको अपनी चप्पल पर इतना विश्वास है, हमारे गाने पर नहीं?”

(चित्रगुप्त जी फिल्मों में गीत भी गाते थे. गीत के गायक कलाकार के रूप में वह अपना नाम चितलकर उपयोग में लाते थे)

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22-04-2013, 12:18 AM

संगीत निर्देशक रोशन और लता मंगेशकर के मध्य बहुत मधुर सम्बन्ध रहे. जब रोशन बम्बई आये तो उन्होंने रहने के लिए एक गैराज किराए पर लिया जो लता जी के घर के पास ही था. रोशन के पुत्र राकेश रोशन का जन्म इस गैराज में ही हुआ था. रोशन के संगीत निर्देशन में लता जी के गाये निम्नलिखित गीत लता जी के दिल के बहुत नज़दीक रहे हैं:
1. ऐ री मैं तो प्रेम दिवानी मेरा दरद न जाने कोय
2. रहें न रहें हम महका करेंगे
3. रहते थे कभी जिनके दिल में

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22-04-2013, 12:19 AM

लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल का नाम आते ही लता जी को वह दिन याद आ जाता है जब वे उनके पास गाना गाने के लिए पहली बार आये थे. वह अपने साथ रू 101/- का चैक मुझे देने के लिए लाये थे. लता जी उस गीत को याद करते हुए बताती हैं कि गाना इतना अच्छा था कि यदि वे मुझे रू 1/- भी देते तो भी मुझे बड़ी ख़ुशी होती (उन्होंने 1963 से 1998 तक लगभग 635 फिल्मों में संगीत दिया था. उनकी पहली प्रदर्शित फिल्म ‘पारसमणि’ थी).

जानकार लोग बताते है कि लता जी ने सबसे अधिक गीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए गाये (700 से अधिक) और सबसे अधिक वेरायटी भी उन्हीं के संगीत बद्ध किये गए गीतों में आ सकी. इन यादगार गीतों में ‘मा मुझे अपने आँचल में छुपा ले’ से ले कर फिल्म ‘इन्तक़ाम’ में हैलन पर फिल्माए केबरे गीत ‘आ जाने जां’ तक को ले सकते हैं. उनके सभी गीतों में लता जी को अपनी गायन प्रतिभा का खुल कर प्रदर्शन करने का मौका मिला.

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22-04-2013, 12:22 AM

आर.डी.बर्मन ने स्वतंत्र संगीत निर्देशक के तौर पर सब से पहले नाज़िर हुसैन की फिल्म ‘बहारों के सपने’ से पहचान मिली. उन्होंने ही सबसे पहले ‘ओवर-लेपिंग ट्रैक्स’ के विचार की शुरुआत की. लता जी बताती हैं कि वह संगीतकारों के साथ मेरी रिकार्डिंग करते थे और फिर संगीतकारों को भेज देते थे. उसके बाद वह मुझसे ‘हैड फोन पर रिकॉर्ड किया हुआ गीत सुनने के लिए बोलते और तब मुझसे ‘ओवर-लैपिंग’ गीत गवाते. आर.डी.बर्मन जीवन भर इस प्रकार के बहुत से प्रयोग करते रहे.

खैय्याम के बारे में बात करते हुए लता जी बताती हैं कि वे पूरे तौर पर एक पूर्णतावादी थे. उनका एक विशेष स्टाइल था और उनके गीतों में एक ख़ास बात होती थी जिसकी वजह से उनके गीत अलग से पहचाने जा सकते थे.

rajnish manga

25-04-2013, 12:39 AM

नौशाद के बारे में लता जी बताती हैं कि वे हर गाने पर बहुत मेहनत करते थे और 10 से 15 दिन तक रिहर्सल करवाते थे. उसके बाद भी कई टेक और री-टेक करवाए आते. नौशाद ने एक बार बताया कि फिल्म ‘अमर’ में जब वे लता जी से ‘मेरे सदके बालम ...’ गीत रिकॉर्ड करवा रहे थे तो एक मुरकी में वह प्रभाव नहीं आ रहा था जो वो चाहते थे. 18 री-टेक के बाद लता जी रिकॉर्डिंग रूम में ही अचेत हो कर गिर पड़ीं. होश आने पर लता जी ने दोबारा गाया तो फिर गीत ओ.के. हुआ.

संगीत निर्देशक गुलाम मोहम्मद के बारे में लता जी बताती हैं कि वह हमेशा कुछ नया और ताजगी भरा संगीत देने की कोशिश करते थे. यही कारण है कि आज भी उनके स्वरबद्ध गीत संगीत प्रेमियों के कानों में गूंजते रहते हैं. उनकी रचनाओं में शास्त्रीय और लोक संगीत का ज़बरदस्त तालमेल देखने को मिलता है. फिल्म ‘पाकीज़ा’ के उनके गीतों ने फिल्म के रिलीज़ होने पर जैसे एक सनसनी पैदा कर दी थी. ये गीत आज भी अपने बोलों और संगीत के कारण दिलो दिमाग़ पर वही असर डालते हैं.

नए संगीतकारों जैसे ए.आर.रहमान और विशाल भारद्वाज आदि ने भी लता जी की आवाज से मेल खाने वाले कुछ गीत उनसे गवाए हैं. उम्र के इस मोड़ पर लता जी पार्श्वगायन से लगभग अलग हो चुकी हैं लेकिन संगीत से नहीं. उनका रियाज़ बदस्तूर जारी है. हम कह सके हैं कि लता जी द्वारा गाये हज़ारों गीत संगीत सुनने वालों पर अपना जादू बरसाते रहेंगे और उन्हें मदहोश करते रहेंगे.
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rajnish manga

25-04-2013, 12:44 AM

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हिंदी फिल्मों की मशहूर नृत्यांगना 'कुक्कू'

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25-04-2013, 12:51 AM

बीते हुए कल की लोकप्रिय तारिका-नर्तकी कुक्कू

एक बाल कलाकार के रूप में 1940 में हिंदी फिल्मों में प्रवेश करने वाली नर्तकी - अभिनेत्री कुक्कू को अपने समय में शोहरत और पैसा खूब मिला. 1940 के दशक में उनके नृत्य गीतों की बहुत मांग थी. वे उन दिनों एक एक गीत का पांच हजार रूपए पारिश्रमिक लिया करती थीं जो उस वक्त एक बड़ी रकम समझी जाती थी. बतौर बाल कलाकार उनकी पहली फिल्म थी ‘लक्ष्मी’ जो 1940 में प्रदशित हुयी. एंग्लो-इंडियन पृष्ठभूमि से आई कुक्कू के नृत्यों के तो दर्शक दीवाने थे. कहा जाता है कि दर्शक उनके नृत्य पर खुश हो कर तालियाँ ही नहीं मारते थे, बल्कि परदे पर पैसे भी फेंकते थे. ‘सोना चाँदी’ जैसी कुछ फिल्मों में कुक्कू को नायिका के तौर पर भी पेश किया गया लेकिन वह मूलतः नर्तकी के रोल में ही अपने को संतुष्ट समझती थीं. दर्शकों ने भी नर्तकी के रूप में उनको बहुत प्यार दिया. उस ज़माने में कुक्कू का खार जैसे इलाके में अपना बंगला था. उनके पास अपनी कई कारें थीं. वह अपने पति विभूति मित्रा के साथ सुख पूर्वक रहती थीं किन्तु आयकर विभाग के प्रति अपनी देनदारियों के चलते तथा बीमारी के कारण उनका आख़िरी समय बड़े कष्ट और अभाव में व्यतीत हुआ. कैंसर से जूझती हुयी, 1928 में जन्मी यह लोकप्रिय अदाकारा दिनांक 30 सितम्बर 1981 को इस दुनिया को अलविदा कह गयीं. आज भी दर्शक हिंदी सिनेमा में नृत्य की मलिका और रबड़ की गुड़िया के नाम से जानी जाने वाली इस नृत्यांगना के नृत्य को भूल नहीं पाए जैसे:

1. तू कहे अगर ... (फिल्म: अंदाज़)
2. पतली कमर है ... (फिल्म: बरसात)

अपने फ़िल्मी जीवन में कुक्कू ने लगभग 170 फिल्मों में काम किया था. उनकी कुछ मशहूर फिल्मों का नाम इस प्रकार है:

अनोखी अदा (1948)
अंदाज़, बरसात (1949)
बावरे नैन (1950)
आवारा (1951)
आन (1952)
बरादरी, मि. एण्ड मिसेज़ 55 (1955)
चलती का नाम गाड़ी, फागुन, यहूदी (1958)
मुझे जीने दो (1963) आदि.

*****

rajnish manga

25-04-2013, 11:23 PM

क्या आप जानते हैं कि: >

“माँ” नाम से हिंदी में अब तक चार फिल्मे बन चुकी हैं. प्रदर्शन का वर्ष और मुख्य भूमिकाएं इस प्रकार हैं:

1. 1936 (जाल मर्चेंट- जुबैदा)

2. 1952 (भारत भूषण-श्यामा)

3. 1976 (धर्मेन्द्र-हेमा मालिनी)

4. 1992 (जीतेन्द्र-जयप्रदा)

rajnish manga

26-04-2013, 12:24 AM

क्या आप जानते हैं कि:>

पहले राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सन 1953 में सेंसर बोर्ड द्वारा पास की गई भारतीय भाषाओं की फिल्मों से आरम्भ हुए. भारत के पहले फिल्म पुरस्कार सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में दिनांक 10 अक्टूबर 1954 को आयोजित किये गए जिसमे राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भी शिरकत की. इन पुरस्कारों का उद्देश्य उत्तम व तकनीकी रूप से श्रेष्ठ फिल्मों के साथ साथ उन फिल्मों के निर्माण को प्रोत्साहन देना भी था जिनसे शैक्षिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा मिलता हो.

पहले पहल वर्ष 1953 के लिए सर्वोत्तम फिल्म का पुरस्कार और राष्ट्रपति का पहला गोल्ड मैडल मराठी फीचर फिल्म ”शामची आई” नामक फिल्म को दिया गया था. इसके अतिरिक्त हिंदी फीचर फिल्म “दो बीघा ज़मीन’ को आल इंडिया सर्टिफिकेट ऑफ़ मेरिट दिया गया था. बच्चों की किसी फिल्म को प्रधान मंत्री का मैडल नहीं दिया गया.

सन 1967 से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और अभिनेत्री का पुरस्कार शुरू किया गया. उस साल फिल्म ‘नायक’ के लिए ‘उत्तम कुमार’ को तथा फिल्म ‘रात और दिन’ के लिए ‘नर्गिस’ को यह पुरस्कार दिया गया.

rajnish manga

12-06-2013, 12:29 PM

हिंदी फिल्मों के अग्रणी गीतकार > शकील बदायूंनी

शकील बदायूंनी का नाम हिन्दुस्तानी फिल्म इंडस्ट्री के उन शीर्षस्थ गीतकारों में शुमार किया जाता है जिन्होंने फिल्मों की मांग के अनुसार काम करते हए भी अपनी शायरी का स्तर कभी गिरने नहीं दिया. हिंदी फिल्म संगीत के क्षेत्र में जब भी गीतकारों की चर्चा होगी, उनका नाम और योगदान भुलाया नहीं जा सकता. 3 अगस्त 1916 को उत्तर प्रदेश के बदायूं नामक स्थान में जन्में दिल्ली में सप्लाई ऑफिस में काम करते हए मुशायरों में भाग लेने लगे थे. सन 1944 में वह अपना भाग्य आजमाने मुंबई आ गये जहां उनकी मुलाक़ात संगीतकार नौशाद और फिल्म निर्देशक कारदार से हुई. उन्होंने शकील को फिल्म ‘दर्द’ के गीत लिखने का अवसर प्रदान किये. इस फिल्म के गीत इतने लोकप्रिय हए कि उसके बाद शकील हिंदी फिल्मों से हमेशा के लिए जुड़ गये (इस फिल्म में उमा देवी, जो बतौर हास्य कलाकार टुनटुन के नाम से काम करने लगी थी, का गाया गीत ‘अफसाना लिख रही हूं, दिले-बेकरार का’ और शमशाद का गाया गीत ‘हम दर्द का अफसाना दुनिया को सुनायेंगे’). तब से ले कर मृत्यु पर्यंत उन्होंने लगभग 90 फिल्मों में काम किया और 19 संगीतकारों के लिए करीब 700 गीत इंडस्ट्री को दिये जिनमे से अधिकतर आज भी सुनने वालों के ज़हन में तरोताजा हैं और रेडिओ और टीवी में सुनाई देते रहते हैं. फिर भी यह कहा जा सकता है कि नौशाद के साथ उनकी जोड़ी सार्वाधिक सफल मानी जाती है. शकील बदायूंनी की प्रमुख फिल्मे निम्नलिखित हैं-

दर्द / अनोखी अदा / मेला / दुलारी / बाबुल /दीदार / आन / बैजू बावरा / लैला मजनू (1953) /अमर /मिर्ज़ा ग़ालिब / गंगा जमना / साहब बीवी और गुलाम घराना / लीडर / दो बदन तथा वो फ़िल्में जिनका इस लेख में ज़िक्र किया गया है.

चौदहवीं का चांद, घराना और बीस साल बाद के लिए उन्हें सर्श्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार भी दिया गया. फिल्म उद्योग में रहने के बावजूद वे शराब का सेवन नहीं करते थे लेकिन तम्बाकू खाने की उनकी आदत ने उन्हें टी.बी. जैसी बीमारी का शिकार बना दिया. 20 अप्रेल 1970 को मात्र 54 वर्ष की आयु में वे इस संसार को हमेशा के लिए अलविदा कह गये. आइये उनके कुछ यादगार गीतों पर एक नज़र डाल लेते हैं:-

1. ये ज़िन्दगी के मेले दुनिया में कम न होंगे (मेला – पुरानी)
2. ऐ दिल तुझे कसम है हिम्मत न हारना (दुलारी)
3. धरती को आकाश पुकारे (बाबुल)
4. मन तरपत (बैजू बावरा)
5. तू गंगा की मौज (बैजू बावरा)
6. ओ दूर के मुसाफ़िर (उड़न खटोला)
7. छोड़ बाबुल का घर (मदर इंडिया)
8. होली आई रे कन्हाई रंग बरसे (मदर इंडिया)
9. चोदहवीं का चांद हो (चोदहवीं का चांद)
10. दो सितारों का ज़मीं पर (कोहिनूर)
11. प्यार किया तो डरना क्या (मुगल-ए-आज़म)
12. मोहे पनघट पे (मुगल-ए-आज़म)
13. बेकस पे करम कीजिये (मुगल-ए-आज़म)
14. आज की रात मेरे (राम और श्याम)
15. कल रात ज़िन्दगी से (पालकी)
16. ये कहानी है दीये की और तूफ़ान की (सोहनी महिवाल)

उनकी गैर फ़िल्मी ग़जलें भी बहुत लोकप्रिय हुई हैं. बेग़म अख्तर द्वारा गाई हुई उनकी ग़ज़ल ‘ऐ मुहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया’ कभी भुलाई नहीं जा सकती.

और अधिक जानकारी के लिए आप शकील की पुण्यतिथि 20/04/2013 पर प्रकाशित अलैक जी का पोस्ट भी अवश्य देखें.

bindujain

12-06-2013, 04:34 PM

good information

rajnish manga

16-06-2013, 12:39 AM

अजय देवगन के बारे में मिनी क्विज

प्रश्न:

1. अजय देवगन की पहली फिल्म का नाम बतायें?
2. अजय देवगन की उक्त फिल्म की नायिका ने एक मलयालम फिल्म से अपना फ़िल्मी सफ़र शुरू किया था. हीरोइन का नाम बताएं?
3. अजय देवगन के पिता फिल्मों में एक्शन डायरेक्टर रह चुके हैं. उनका नाम बताएं?
4. अपनी पत्नि काजोल को ले कर उन्होंने कौन सी फिल्म डायरेक्ट की थी?
5. उनकी बेटी का नाम बताएं?
6. अपनी मां के कहने पर उन्होंने अपने सरनेम के अंग्रेजी स्पेलिंग बदल दिये थे. उनकी मां का नाम बताएं? (from Devgan to Devgn)
7. दो बार उन्हें बेस्ट एक्टर का राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. इनमे से पहली फिल्म कौन सी थी?

khalid

16-06-2013, 11:01 AM

अजय देवगन के बारे में मिनी क्विज

प्रश्न:

1. अजय देवगन की पहली फिल्म का नाम बतायें?उत्तर फुल और काँटे
2. अजय देवगन की उक्त फिल्म की नायिका ने एक मलयालम फिल्म से अपना फ़िल्मी सफ़र शुरू किया था. हीरोइन का नाम बताएं?उत्तर मधु
3. अजय देवगन के पिता फिल्मों में एक्शन डायरेक्टर रह चुके हैं. उनका नाम बताएं? उत्तर वीरु देवगन
4. अपनी पत्नि काजोल को ले कर उन्होंने कौन सी फिल्म डायरेक्ट की थी?ढोलक पुर का सुपर हीरो या राजु चाचा
5. उनकी बेटी का नाम बताएं?
6. अपनी मां के कहने पर उन्होंने अपने सरनेम के अंग्रेजी स्पेलिंग बदल दिये थे. उनकी मां का नाम बताएं? (from devgan to devgn)
7. दो बार उन्हें बेस्ट एक्टर का राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. इनमे से पहली फिल्म कौन सी थी?
शायद जख्म
था तो विशेष फिल्म महेश भट्ट निर्देशित

rajnish manga

16-06-2013, 11:37 AM

अजय देवगन के बारे में मिनी क्विज

प्रश्न:

1. अजय देवगन की पहली फिल्म का नाम बतायें?
2. अजय देवगन की उक्त फिल्म की नायिका ने एक मलयालम फिल्म से अपना फ़िल्मी सफ़र शुरू किया था. हीरोइन का नाम बताएं?
3. अजय देवगन के पिता फिल्मों में एक्शन डायरेक्टर रह चुके हैं. उनका नाम बताएं?
4. अपनी पत्नि काजोल को ले कर उन्होंने कौन सी फिल्म डायरेक्ट की थी?
5. उनकी बेटी का नाम बताएं?
6. अपनी मां के कहने पर उन्होंने अपने सरनेम के अंग्रेजी स्पेलिंग बदल दिये थे. उनकी मां का नाम बताएं? (from devgan to devgn)
7. दो बार उन्हें बेस्ट एक्टर का राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. इनमे से पहली फिल्म कौन सी थी?
खालिद जी ने कई प्रश्नों के उत्तर प्रेषित किये और उनके द्वारा प्रेषित चार उत्तर ठीक पाए गये. सहयोग के लिए धन्यवाद.

उत्तर:
1. फूल और कांटे (खालिद जी का उत्तर सही है)
2. मधुबाला (खालिद जी का उत्तर सही है)
3. वेरु देवगन (खालिद जी का उत्तर सही है)
4. यु मी और हम
5. निसा
6. वीना
7. ज़ख्म (खालिद जी का उत्तर सही है)

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16-06-2013, 01:09 PM

फिल्म मुगल-ए-आज़म, उसके निर्देशक व पात्रों से जुड़ी मिनी क्विज़

प्रश्न:

1. निर्देशक के.आसिफ के इस महान शाहकार में गीत ‘प्यार किया तो डरना क्या’ 105 बार लिखा गया तब कहीं संगीतकार नौशाद ने उसे ओके किया. इसके गीतकार का नाम बतायें?
2. मधुबाला की जगह फिल्म में पहले किसे लिया जाना तय किया गया था?
3. 9 वर्ष में बन कर तैयार होने वाली इस फिल्म का संपादन किसने किया?
4. 1971 में के. आसिफ की मृत्यु हो गई. उस समय उनकी दो फ़िल्में अधूरी पड़ी थीं. एक थी ‘लव एण्ड गॉड’. दूसरी फिल्म का नाम बताएं?
5. फिल्म में सलीम के बचपन का किरदार किसने निभाया था?
6. अभिनेता युसूफ खान को दिलीप कुमार नाम देने वाले हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक का नाम बतायें?

bindujain

16-06-2013, 09:23 PM

Nice ...

rajnish manga

17-06-2013, 04:40 PM

फिल्म मुगल-ए-आज़म, उसके निर्देशक व पात्रों से जुड़ी मिनी क्विज़

प्रश्न:

1. निर्देशक के.आसिफ के इस महान शाहकार में गीत ‘प्यार किया तो डरना क्या’ 105 बार लिखा गया तब कहीं संगीतकार नौशाद ने उसे ओके किया. इसके गीतकार का नाम बतायें?
2. मधुबाला की जगह फिल्म में पहले किसे लिया जाना तय किया गया था?
3. 9 वर्ष में बन कर तैयार होने वाली इस फिल्म का संपादन किसने किया?
4. 1971 में के. आसिफ की मृत्यु हो गई. उस समय उनकी दो फ़िल्में अधूरी पड़ी थीं. एक थी ‘लव एण्ड गॉड’. दूसरी फिल्म का नाम बताएं?
5. फिल्म में सलीम के बचपन का किरदार किसने निभाया था?
6. अभिनेता युसूफ खान को दिलीप कुमार नाम देने वाले हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक का नाम बतायें?

:hello:
उत्तर:

1. शकील बदायूंनी
2. नर्गिस
3. धर्मवीर
4. सस्ता खून महंगा पानी
5. जलाल आगा
6. भगवती चरण वर्मा

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18-06-2013, 12:20 AM

सुप्रसिद्ध पार्श्वगायिका आशा भोंसले के सम्बन्ध में मिनी क्विज़
प्रश्न:
1. आशा जी का जन्म कहाँ और कौन से साल में हुआ?
2. उन्होंने अपना पहला गीत 1943 में एक मराठी फिल्म में गाया था. गीत के बोल और फिल्म का नाम बताएं?
3. आशा जी को दो बार बेस्ट सिंगर का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. दूसरी बार कब मिला था?
4. 2006 में उन्होंने जवाद खां के साथ एक पाकिस्तानी फिल्म में गाना गाया था. फिल्म का नाम बतायें?
5. 2006 में उन्होंने ब्रेट ली के साथ कौन सा गीत रिकॉर्ड किया था?

rajnish manga

18-06-2013, 10:58 PM

सुप्रसिद्ध पार्श्वगायिका आशा भोंसले के सम्बन्ध में मिनी क्विज़
प्रश्न:
1. आशा जी का जन्म कहाँ और कौन से साल में हुआ?
2. उन्होंने अपना पहला गीत 1943 में एक मराठी फिल्म में गाया था. गीत के बोल और फिल्म का नाम बताएं?
3. आशा जी को दो बार बेस्ट सिंगर का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. दूसरी बार कब मिला था?
4. 2006 में उन्होंने जवाद खां के साथ एक पाकिस्तानी फिल्म में गाना गाया था. फिल्म का नाम बतायें?
5. 2006 में उन्होंने ब्रेट ली के साथ कौन सा गीत रिकॉर्ड किया था?

लीजिये उक्त प्रश्नों के उत्तर प्रस्तुत हैं:
उत्तर:
1. 1933 (सांगली, महाराष्ट्र)
2. ‘चला चला नव बाला’ फिल्म ‘मझा बल’
3. 1986
4. मैं एक दिन लौट के आऊंगा
5. यू आर द वन फॉर मी

rajnish manga

18-06-2013, 11:00 PM

अभिनेता रजनीकांत / मिनी क्विज़

1. रजनीकांत का असली नाम बतायें ?

2. फिल्मों में आने से पहले वह क्या करते थे ?

3. रजनीकांत की पहली फिल्म कौन सी थी ?

4. उनकी सबसे पहली हिंदी फिल्म कौन सी थी ?

5. उन्होंने अभिनय का प्रशिक्षण कहाँ से प्राप्त किया ?

rajnish manga

19-06-2013, 09:30 PM

अभिनेता रजनीकांत / मिनी क्विज़

1. रजनीकांत का असली नाम बतायें ?

2. फिल्मों में आने से पहले वह क्या करते थे ?

3. रजनीकांत की पहली फिल्म कौन सी थी ?

4. उनकी सबसे पहली हिंदी फिल्म कौन सी थी ?

5. उन्होंने अभिनय का प्रशिक्षण कहाँ से प्राप्त किया ?

:hello:

आइये एक निगाह उत्तरों पर डालते हैं:

उत्तर
1. शिवाजी राव गायकवाड़
2. बस कंडक्टर थे
3. 1975 में प्रदर्शित “अपूर्व रानांगल”
4. अँधा क़ानून
5. मद्रास फिल्म इंस्टीच्यूट

rajnish manga

19-06-2013, 09:34 PM

आमिर खान / मिनी क्विज़

प्रश्न

1. आमिर खान ने 1988 में रिलीज़ हुई एक फिल्म की कहानी भी लिखी थी. फिल्म का नाम बतायें ?

2. फिल्म यादों की बारात में आमिर ने बतौर बाल कलाकार काम किया था. उन्होंने बड़े होने पर किस फिल्म में पहले काम किया ?

3. आमिर खान किस प्रमुख स्वतंत्रता सैनानी और विद्वान् व्यक्ति के रिश्तेदार भी थे ?

4. किरण राव के साथ 2005 में उन्होंने शादी की. उनकी पहली पत्नि का क्या नाम था ?

abhisays

19-06-2013, 09:51 PM

आमिर खान / मिनी क्विज़

प्रश्न

1. आमिर खान ने 1988 में रिलीज़ हुई एक फिल्म की कहानी भी लिखी थी. फिल्म का नाम बतायें ?

2. फिल्म यादों की बारात में आमिर ने बतौर बाल कलाकार काम किया था. उन्होंने बड़े होने पर किस फिल्म में पहले काम किया ?

3. आमिर खान किस प्रमुख स्वतंत्रता सैनानी और विद्वान् व्यक्ति के रिश्तेदार भी थे ?

4. किरण राव के साथ 2005 में उन्होंने शादी की. उनकी पहली पत्नि का क्या नाम था ?

सवाल नंबर ३ का उत्तर है मौलाना अबुल कलाम आज़ाद।
सवाल नंबर २ का उत्तर है क़यामत से क़यामत तक.

rajnish manga

20-06-2013, 01:00 AM

आमिर खान / मिनी क्विज़

प्रश्न

1. आमिर खान ने 1988 में रिलीज़ हुई एक फिल्म की कहानी भी लिखी थी. फिल्म का नाम बतायें ?

2. फिल्म यादों की बारात में आमिर ने बतौर बाल कलाकार काम किया था. उन्होंने बड़े होने पर किस फिल्म में पहले काम किया ?

3. आमिर खान किस प्रमुख स्वतंत्रता सैनानी और विद्वान् व्यक्ति के रिश्तेदार भी थे ?

4. किरण राव के साथ 2005 में उन्होंने शादी की. उनकी पहली पत्नि का क्या नाम था ?

सवाल नंबर ३ का उत्तर है मौलाना अबुल कलाम आज़ाद।
सवाल नंबर २ का उत्तर है क़यामत से क़यामत तक.

अभिषेक जी ने जो उत्तर दिये हैं उनमे से एक उत्तर ठीक हैं. पूरे उत्तर इस प्रकार हैं:

उत्तर

1. क़यामत से क़यामत तक
2. केतन मेहता की फिल्म ‘होली’ में
3. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (अभिषेक जी का उत्तर बिलकुल ठीक है)
4. रीना दत्त

rajnish manga

21-06-2013, 12:14 AM

अभिनेता से नेता बने / मिनी क्विज़

1. 2004 लोकसभा चुनाव में मुंबई उत्तर से बीजेपी के राम नाइक को हरा कर कौन विजयी हुआ था ?
2. तेलुगु अभिनेता चिरंजीवी (यूपीए सरकार में मंत्री) कांग्रेस में मिलने से पहले तीन वर्ष तक किस पार्टी में थे ?
3. 2009 लोक सभा चुनाव में राज बब्बर ने फिरोजाबाद (उ.प्र.) में किसे हराया था ?
4. विनोद खन्ना बीजेपी के टिकट पर 2009 से पहले कौन से लोकसभा क्षेत्र से तीन बार जीते थे ?
5. सन 2009 में बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ते हुये शत्रुघ्न सिन्हा ने कौन से लोकसभा क्षेत्र से अभिनेता शेखर सुमन को हराया था ?

rajnish manga

22-06-2013, 12:44 AM

अभिनेता से नेता बने / मिनी क्विज़

1. 2004 लोकसभा चुनाव में मुंबई उत्तर से बीजेपी के राम नाइक को हरा कर कौन विजयी हुआ था ?
2. तेलुगु अभिनेता चिरंजीवी (यूपीए सरकार में मंत्री) कांग्रेस में मिलने से पहले तीन वर्ष तक किस पार्टी में थे ?
3. 2009 लोक सभा चुनाव में राज बब्बर ने फिरोजाबाद (उ.प्र.) में किसे हराया था ?
4. विनोद खन्ना बीजेपी के टिकट पर 2009 से पहले कौन से लोकसभा क्षेत्र से तीन बार जीते थे ?
5. सन 2009 में बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ते हुये शत्रुघ्न सिन्हा ने कौन से लोकसभा क्षेत्र से अभिनेता शेखर सुमन को हराया था ?

उत्तर

1. गोविंदा
2. प्रजा राज्यम
3. डिम्पल यादव
4. गुरदासपुर (पंजाब)
5. पटना साहिब (बिहार)

rajnish manga

23-06-2013, 12:36 AM

बोलीवुड फिल्मों में किसिंग सीन / मिनी क्विज़

1. यशराज बैनर की कौन सी फिल्म में ऋतिक रोशन और ऐश्वर्या राय का किसिंग दृश्य था ?
2. ‘हे राम’ में एक किसिंग सीन में अभिनेता कमल हासन के साथ कौन सी अभिनेत्री है ?
3. फिल्म ‘ख्वाहिश’ में मल्लिका शेरावत के कितने किस दिखाए गये हैं ?
4. सीरियल किस्सर के नाम से किस अभिनेता को पहचाना जाता है ?
5. किस फिल्म में अमृता अरोरा और ईशा कोपिकर का किसिंग सीन था ?

rajnish manga

24-06-2013, 12:29 AM

बोलीवुड फिल्मों में किसिंग सीन / मिनी क्विज़

1. यशराज बैनर की कौन सी फिल्म में ऋतिक रोशन और ऐश्वर्या राय का किसिंग दृश्य था ?
2. ‘हे राम’ में एक किसिंग सीन में अभिनेता कमल हासन के साथ कौन सी अभिनेत्री है ?
3. फिल्म ‘ख्वाहिश’ में मल्लिका शेरावत के कितने किस दिखाए गये हैं ?
4. सीरियल किस्सर के नाम से किस अभिनेता को पहचाना जाता है ?
5. किस फिल्म में अमृता अरोरा और ईशा कोपिकर का किसिंग सीन था ?

:hello:
उत्तर
1. धूम 2
2. रानी मुखर्जी
3. 17
4. इमरान हाशमी
5. गर्ल फ्रेंड

rajnish manga

31-05-2014, 12:44 AM

क्या आप जानते हैं कि:-

1. किसी किसी सेंसर सर्टिफिकेट में तिकोन का निशान दिखाई देता है. इसका तात्पर्य यह है कि उस फिल्म पर सेंसर बोर्ड की कैंची चलाई गई है अर्थात उसके कुछ विवादास्पद दृश्यों को निकाल दिया गया है. जिस फिल्म को बिना काट छांट के पास किया गया है उसके सर्टिफिकेट में ऐसा निशान नहीं होता.

2. हास्य रस से भरपूर पहली हिंदी कॉमेडी फिल्म का नाम था “चार चक्रम” जो सन 1932 में बन कर प्रदर्शित हुई.

3. एस. डी. बर्मन ने अपने बेटे आर. डी. बर्मन के संगीत निर्देशन में केवल एक गीत गाया था. शक्ति सामंत की यह फिल्म थी “अमर प्रेम” जिसमे सीनियर बर्मन दा का गाया गीत था .... “डोली में बिठाई के कहार”

4. अभिनेता जीतेन्द्र ने फिल्म “धरम अधिकारी” नामक फिल्म में दिलीप कुमार के साथ काम किया था. यह फिल्म 1980 में रिलीज़ हुयी थी.

5. वहीदा रहमान और अमिताभ बच्चन ने सात फिल्मों में साथ साथ काम किया था. ये फिल्मे थीं - रेशमा और शेरा, कभी-कभी, कुली, नमक हलाल और त्रिशूल अदालत व महान. इनमे से फिल्म कुली, नमक हलाल और त्रिशूल में वे अमिताभ की माँ के रोल में थीं तथा अदालत व महान में वे अमिताभ की बीवी और माँ के रूप में दिखाई दीं थी.

rajnish manga

31-05-2014, 12:51 AM

क्या आप जानते हैं कि:

1. अभिनेता राजेन्द्र कुमार (20 जुलाई 1929 – 12 जुलाई 1999) जुबली कुमार के नाम से भी जाने जाते थे क्योंकि उनकी लगभग हर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बहुत कामयाब रही और सिल्वर जुबली मना चुकी थी. उन्होंने अपने कैरियर में कुल 83 फिल्मों में बतौर अभिनेता काम किया. उन्होंने माला सिन्हा के साथ 4 फ़िल्में की > गहरा दाग, गीत, ललकार और सुनहरा संसार. वैजयंतीमाला के साथ भी उन्होंने 4 फ़िल्में की थीं > आस का पंछी, संगम, साथी और गंवार. अभिनेत्री साधना के साथ उन्होंने मेरे महबूब, आरज़ू और आप आये बहार आयी नामक तीन फिल्मों में काम किया था. इनके अतिरिक्त सायरा बानू के साथ भी उनकी जोड़ी बहुत सफल रही जिनके साथ उन्होंने आयी मिलन की बेला, अमन और झुक गया आसमान फिल्मों में काम किया.

2. अभिनेत्री ललिता पवार को हमने माँ या झगड़ालू सास के रूप में ही फिल्मों में देखा है. आज यह सोच कर हैरानी होती है कि ललिता पवार फिल्मों में हिरोइन भी रह चुकी हैं. सन 1935 में बनी फिल्म ‘हिम्मत-ए –मर्दां’ में वे पहली बार हिरोइन के रूप में रुपहले परदे पर दिखाई दी थीं.

3. अभिनेता रंधीर कपूर ने कुछ फिल्मों का निर्देशन भी किया. ये फिल्मे थीं – ‘कल आज और कल’ ‘धरम करम’ और ‘हिना’.

4. बहुत कम लोगों को पता होगा कि अभिनेता और शो मैन के नाम से मशहूर निर्माता-निर्देशक राज कपूर ने फिल्म ‘दिल की रानी’ और ‘जेल यात्रा’ में अपने गाने स्वयं गाये थे.

5. शशि कपूर और नीतू सिंह ने अपने कैरियर के दौरान - दीवार, शंकर दादा, दुनिया मेरी जेब में, कालापानी और एक और एक ग्यारह - नामक पाँच फिल्मों में साथ काम किया.

rajnish manga

01-06-2014, 12:51 AM

nice info

उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, दीपू जी.

rajnish manga

01-06-2014, 01:02 AM

मिथुन चक्रवर्ती

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मिथुन चक्रवर्ती ने फिल्म ‘रास्ते का पत्थर’ में बतौर एक्स्ट्रा फिल्मों में करियर शुरू किया था. बाद में नायक के रूप में भी उन्होंने लगभग 200 फिल्मों में काम किया किन्तु उनकी पहचान डिस्को डांसर और ऐक्शन स्टार से अधिक नहीं बन सकी. कुछ ही निर्देशक उनकी प्रतिभा का सही इस्तेमाल करने में सफल हुए. कई लोगों को मालूम नहीं होगा कि मिथुन चक्रवर्ती को एक नहीं बल्कि तीन तीन फिल्मों में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है. ये फ़िल्में थी – 1. मृगया 2. ताहादेर कथा 3. रामकृष्ण परमहंस

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01-06-2014, 01:12 AM

राजेश खन्ना और शर्मीला टैगोर

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सुपरस्टार राजेश खन्ना और शर्मीला टैगोर ने अपने कैरियर में 10 फिल्मों में एक साथ काम किया. ये फ़िल्में थीं –

आराधना (1969)
सफर (1970)
बदनाम फरिश्ते (1971)
छोटी बहू (1971)
अमर प्रेम (1971)
मालिक (1972)
आविष्कार (1973)
दाग (1973)
राजा रानी (1973)
त्याग (1976)

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01-06-2014, 01:21 AM

रेखा और रंधीर कपूर

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अभिनेत्री रेखा और अभिनेता-निर्देशक रंधीर कपूर ने एक दो नहीं बल्कि पूरी नौ फिल्मों में एक साथ काम किया था. ये फ़िल्में हैं

रामपुर का लक्ष्मण (1972)
दफा तीन सौ दो (1975)
धरम करम (1975)
आज का महात्मा (1976)
खलीफा (1976)
राम भरोसे (1977)
कच्चा चोर (1977)
आखिरी डाकू (1978)
खजाना (1987)

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01-06-2014, 01:35 AM

ओम प्रकाश

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मशहूर चरित्र अभिनेता ओम प्रकाश ने 1944 में प्रदर्शित फिल्म “दासी” से अपने फ़िल्मी सफ़र का आग़ाज़ किया था. उन्होंने फिल्म ‘आई बहार’ और ‘घुंघरू’ में नायक की भूमिका भी निभायीं.
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आशा पारेख
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अभिनेत्री आशा पारेख ने 1954 में प्रदर्शित फिल्म ‘बाप बेटी’ से अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत की थी जिसमे उन्होंने बतौर बाल कलाकार काम किया था. सन 1959 में नायिका के रूप में उनकी पहली फिल्म ‘दिल दे के देखो’ परदे पर आयी.

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01-06-2014, 01:52 AM

अभिनेत्री साधना (शिवदसानी)
(जन्म: 2 सितम्बर 1941)

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भारत में सिन्धी भाषा में बनी पहली फिल्म थी ‘अबाना’ (1958) जिसमे नायिका की भूमिका में थीं – अभिनेत्री साधना (शिवदसानी) जो स्वयं सिन्धी परिवार से थीं. इत्तफाक़ से यह साधना की भी पहली फिल्म थी. इस फिल्म में उनके शानदार अभिनय के लिये उन्हें बहुत प्रशंसा मिली. इसके बाद उन्हें हिंदी फिल्मों के ऑफर मिलने शुरू हो गये. साधना ने कपड़ों के फैशन के नये ट्रेंड शुरू किये. उनका हेयर स्टाइल तो ‘साधना कट’ के नाम से मशहूर हो गया था, लड़कियां जिसके लिये क्रेज़ी थीं. साधना की सुपर हिट फिल्मों के कुछ नाम इस प्रकार हैं: लव इन शिमला, वह कौन थी, आरज़ू, मेरे महबूब, मेरा साया (डबल रोल में) आदि. .

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01-06-2014, 12:19 PM

स्क्रीन राइटर सलीम खान

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जावेद अख्तर और सलीम खान (सलीम-जावेद की जोड़ी)
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सुपरस्टार सलमान खान के पिता सलीम खान (जन्म: 24 नवम्बर 1935) जाने माने फिल्म लेखक हैं. उन्होंने कई हिट फिल्मों की कहानी और पटकथा लिखे थे. इनमे शोले, जंजीर, दीवार, त्रिशूल, यादों की बारात आदि बहुत सी फ़िल्में हैं जिसमें उनके साथी थे – जावेद अख्तर (उनकी टीम “सलीम – जावेद” के नाम से जानी जाती थी). सलीम खान के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे कि वह फिल्मों में बतौर एक्टर काम करने के लिये मुंबई आये थे. 1960 में बनी फिल्म ‘बरात’ में उन्होंने अभिनय कर के अपने फ़िल्मी जीवन की शुरुआत की. बाद में उन्होंने रामू दादा, प्रोफेसर और तीसरी मंज़िल जैसी कुछ और फिल्मों में अभिनय किया.

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01-06-2014, 01:04 PM

Raj Kapoor & Madhubala

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राज कपूर और मधुबाला

राज कपूर और मधुबाला ने कई फिल्मों में एक साथ काम किया लेकिन इनके बारे में लोगों को अधिक जानकारी नहीं है. सबसे पहले इस जोड़ी ने फिल्म ‘नील कमल’ में नायक – नायिका के रूप में काम किया. उसके बाद उन्होंने चित्तौड़ विजय, दिल की रानी, अमर प्रेम, राधाकृष्ण और दो उस्ताद में भी एक साथ काम किया. इन दोनों ने अंतिम बार फिल्म ‘चालाक’ में एक साथ काम किया लेकिन मधुबाला की बीमारी के कारण यह फिल्म अधूरी ही रह गई. अपनी आसन्न मृत्यु से पहले इसी फिल्म के लिये मधुबाला ने अंतिम बार मेकअप किया और राज कपूर के साथ ही आखिरी शूटिंग में भाग लिया था.

राज कपूर: जन्म> 14 दिसम्बर 1924, मृत्यु> 2 जून 1988

मधु बाला: जन्म > 14 फरवरी 1933 मृत्यु > 23 फरवरी 1969

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09-10-2014, 04:34 PM

जब नूतन ने संजीव कुमार को चांटा मारा

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यह सारी घटना करीब लगभग 45 साल पुरानी है। उन दिनों नूतन एक बेहतरीन अभिनेत्री के रूप में प्रतिष्ठित हो चुकी थीं। कुछ फिल्मों ने तो उन्हें महज अभिनेत्री के रूप में सम्मान भी दिला दिया था। हालांकि अभिनेताओं में संजीव कुमार भी तब तक एक कुशल कलाकार के रूप में अपनी जगह बना चुके थे।

दक्षिण भारत के एक निर्माता ए.वी. सुब्बानारायण राव ने ए. मधुसूदन के निर्देशन में एक हिंदी फिल्म बनाने की घोषणा की। नाम था “देवी”। मुख्य भूमिका में संजीव कुमार और नूतन को लिया गया था। दोनों को फिल्मों में काम करते कई साल हो गए थे। नूतन की छोटी बहन तनुजा के साथ आधा दर्जन फिल्में करने वाले संजीव कुमार ने देवी से पहले नूतन के साथ कोई भी फिल्म नहीं की थी।
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09-10-2014, 04:36 PM

जब नूतन ने संजीव कुमार को चांटा मारा

उन्हीं दिनों की बात है कि कुछ फ़िल्मी पत्रिकाओं में नूतन-संजीव कुमार के रोमांस की खबरें आने लगी थीं. नूतन इन अफवाहों से आहत हुईं. वह मानती थीं कि इन अफवाहों को खुद संजीव कुमार ने ही हवा दी है ताकि उन्हें सुर्ख़ियों में जगह मिलती रहे. इससे उनकी (नूतन की) पारिवारिक ज़िंदगी में उथल पुथल मच गयी थी. कहा जाता है कि नूतन के पति भी इन ख़बरों से बहुत दुखी थे. उन्होंने नूतन से कहा कि जब इन ख़बरों में कोई सच्चाई नहीं है तो वह फिल्म की पूरी यूनिट के सामने संजीव कुमार की बेइज्ज़ती करें।

देवी की शूटिंग मजे से चल रही थी, तभी एक दिन सेट पर एक चांटे की गूंज ने कैमरा, साउंड और ऐक्शन सबको ब्रेक लगा दिया। कुछ को तो समझ में ही नहीं आया कि किसने किसको यह चांटा रसीद किया! कुछ ने समझा, किसी असिस्टेंट ने स्पॉट ब्वॉय की पिटाई कर दी, तो कोई समझा कि लाइट्समैन को किसी ने चपत लगाया है, लेकिन जब रहस्य खुला, तो सभी स्तब्ध रह गए। कैमरामैन ने बताया, मैडम ने हीरो को चांटा मारा और बिना कुछ बोले अपनी कार में बैठकर चली गई।
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09-10-2014, 04:39 PM

जब नूतन ने संजीव कुमार को चांटा मारा
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नूतन ने संजीव कुमार को क्यों चांटा मारा, यह बात किसी की समझ में नहीं आई। प्रोड्यूसर और डायरेक्टर ने नूतन और संजीव कुमार से बात की। उनके समझाने का परिणाम यह हुआ कि देवी की शूटिंग फिर शुरू हो गई। हालांकि नूतन और संजीव में बोलचाल बंद हो गई थी, लेकिन इसकी वजह से फिल्म को कोई नुकसान नहीं हुआ।

इस घटना की सबसे बड़ी बात यह रही कि नूतन ने चांटा क्यों मारा, इस रहस्य से आज तक पर्दा नहीं उठा। लोगों ने खूब अटकलें लगाई। किसी ने कहा कि नूतन ने अपने प्यार का इजहार किया और संजीव द्वारा ठुकरा दिए जाने पर नूतन ने आक्रोश में चांटा मार दिया। किसी ने कहा, कुंवारे संजीव कुमार द्वारा विवाहित नूतन से मोहब्बत का इजहार करने पर नूतन ने संजीव कुमार के गाल पर चांटा जड़ दिया। सच्चाई क्या थी, यह आज तक पता नहीं चला। इस बारे में न कभी नूतन ने जुबां खोली और न ही संजीव कुमार ने कभी किसी से कुछ कहा। चांटे की सच्चाई उन दोनों के साथ ही दफन हो गई। देवी के बाद नूतन और संजीव कभी किसी फिल्म में साथ नहीं आए।

(आलेख आभार: बच्चन श्रीवास्तव)

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18-10-2014, 11:09 PM

मेरा बचपन
(आमिर खान के इंटरव्यूज से)

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बचपन में मुझे कॉमिक्स पढने का बड़ा शौक था. जेब खर्च के बीस रुपये महीने के मिलते थे. सबके सब कॉमिक्स को चले जाते थे. अपने कमरे में बिस्तर पर लेट कर कॉमिक्स पढ़ता और पढ़ते पढ़ते सैंडविच खाता. जब प्यास लगती तो अपनी बहनों को आवाज लगा कर कहता: कौन दौड़ कर पहले पानी पहले लाएगा? इस तरह हुक्म चलाने में बड़ा मजा आता था. बचपन में कृष्ण-कन्हैया रहा हूँ. घर के पास लड़कियों के स्कूल में पांचवीं क्लास तक पढ़ा था. हमेशा लड़कियों की चोटी खींचना और उन्हें परेशान करना मुझे अच्छा लगता था.

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18-10-2014, 11:13 PM

मेरा बचपन
(आमिर खान के इंटरव्यूज से)

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एक टीचर ने तो घर आ कर शिकायत कर दी कि इसे इस स्कूल से निकाल कर दूसरे स्कूल में भरती कर दो. बारहवी करने के बाद मैंने अपने पिता से कहा कि मैं पुणे फिल्म इंस्टिट्यूट जाना चाहता हूँ. इस पर पिता जी ने कहा कि पुणे जाने की क्या जरुरत है. चाचा नासिर हुसैन की फिल्म कंपनी घर में ही है. इसके साथ ही मुझको मेरे चाचा के साथ ही असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में अटैच कर दिया गया. मुझे अच्छी किताबें पढने का और चीजों को समझने का शौक रहा है. चीजों को देखने का मेरा नज़रिया अन्य लोगों से अलग था.

एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह रही कि मैंने अधिक फ़िल्में साइन करना बंद कर दिया. इसका परिणाम यह हुआ कि मुझे अच्छी फिल्मे और अच्छे किरदार मिले. मुझे इस बात की भी ख़ुशी है कि दर्शकों का फीडबैक सदा मिलता रहा और मुझे अपने रोल को समझने का काफी समय मिल जाता था. फीडबैक के लिए मैं अपने दर्शकों को भी धन्यवाद देता हूँ.

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27-10-2014, 08:31 AM

सदाशिव आम्रपुरकार की हालत नाज़ुक

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27-10-2014, 08:33 AM

सदाशिव आम्रपुरकार की हालत नाज़ुक

आज अखबारों में पढ़ा कि स्टेज और फिल्मों के मंजे हुए कलाकार सदाशिव आम्रपुरकार की हालत नाज़ुक है. उन्हें फेफड़ों के इन्फेक्शन के इलाज के लिए मुंबई के एक अस्पताल में गत 24 अक्तूबर को दाखिल करवाया गया था. 25 को उनकी हालत काफी बिगड़ गई थी.

64 वर्षीय अभिनेता सदाशिव ने बॉलीवुड में 1979 में पदार्पण किया और लगभग 200 छोटी बड़ी फिल्मों में काम किया. इन फिल्मों में प्रमुख हैं – अर्ध-सत्य (1983) सड़क (1991) मोहरा (1994) गुप्त (1997) और आखरी रास्ता (1986).

मेरी नज़र में सदाशिव आम्रपुरकार की सबसे ज़बरदस्त और यादगार भूमिका लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के रूप में थी जो उन्होंने एक थिएटर नाटक में की थी. मैंने इस नाटक का टीवी रूपांतर दूरदर्शन पर देखा था. जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ और सदाशिव द्वारा अभिनीत अनेक भूमिकाओं पर विचार करता हूँ तो यह पाता हूँ कि वह अपनी किसी भी फ़िल्मी भूमिका में इतने सशक्त और प्रभावशाली नहीं दिखाई दिये जितने तिलक की भूमिका में. इस किरदार को भूलना आसान नहीं है. यूँ फिल्मों में उन्होंने नेगेटिव रोल अधिक किये हैं. हास्य भूमिकाओं में भी उन्होंने दर्शकों को खासा प्रभावित किया.

हम उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं.

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12-11-2014, 10:26 AM

सदाशिव आम्रपुरकार (या अमरापुरकर) नहीं रहे.

मित्रो, गत 3 नवम्बर को इस प्रतिभासंपन्न कलाकार का निधन हो गया. उनके निधन पर डॉ. श्री विजय द्वारा तैयार किया गया सचित्र आलेख आप नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक कर के पढ़ सकते हैं:

//myhindiforum.com/showthread.php?t=14096

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12-11-2014, 10:53 AM

शैलेन्द्र का अंतिम ख्व़ाब “तीसरी कसम”
साभार: अरविन्द कुमार

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प्रख्यात पत्रकार-सम्पादक व कोशकार अरविन्द कुमार और कवि गीतकार शैलेन्द्र

माधुरी नाम की फ़िल्म पत्रिका का आरंभ और संपादन करने मैँ बंबई पहुँचा 1963 के अंत मेँ. पहले ही कुछ दिनों मेँ मैँ ने तीसरी क़सम के निर्माता रूप मेँ कवि शैलेंद्र के जीवन के अंतिम तीन साल का कठिन संघर्ष बेहद पास से देखा. देखा कैसे भावुक कवि व्यवसाय की पेचीदगियाँ न समझ पाने के कारण अवश्यंभावी दुःखांत की ओर बढ़ रहा था.

रेणु जी की कहानी पर फ़िल्म बनाना शैलेंद्र की अपनी पसंद और ज़िद थी. कुछ और ज़िदें भी थीँ—

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12-11-2014, 11:01 AM

शैलेन्द्र का अंतिम ख्व़ाब “तीसरी कसम”
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फिल्म तीसरी कसम का एक दृष्य

फ़िल्म बार बार अटक जाती, धक्के मार कर चलाई जाती, फिर रुक जाती. मुझे पता है कि अंत मेँ गायक मुकेश के इसरार पर किस तरह राज कपूर ने फ़िल्म के शूट किए गए सारे बेतरतीब टुकड़े अपने हाथोँ मेँ कर लिए, दिन रात एक कर के आर.के. स्टूडियो मेँ उन्हेँ कुछ रूप आकार ढंग दे कर अंतिम रूप दिया. आर.के. के प्रीव्यु थिएटर मेँ संपूर्ण फ़िल्म के शो मेँ इस शाम शैलेंद्र के साथ मैँ भी था. तितरबितर माल को राज ने उसे एक उत्कृष्ट कृति बना दिया था. लेकिन डिस्ट्रीब्यूटरोँ ने अपनी लागत जैसे तैसे भुनाने की कोशिश मेँ मूर्खतावश बिना किसी प्रचार के, बिना एक भी विज्ञापन दिए, दिल्ली मेँ गोलचा मेँ रिलीज़ कर दिया. हाल ख़ाली होने पर एक ही शो के बाद उतार भी दिया! फ़िल्म को फ़्लाप मान लिया गया. फ़िल्म तो गई ही, शैलेंद्र को ले साथ ले गई. ”96 की 14 दिसंबर की सुबह कोलाबा के नर्सिंग होम मेँ शकुंतला भाभी सूनी आँखोँ से शैलेंद्र का लेटा शव ताक रही थीँ, अवसन्न राज कपूर ऐसे खड़े थे जैसे ज़मीन पर वह स्वयं लेटे होँ.

बाद मेँ तो फ़िल्म ख़ूब चली. अब तक टीवी चैनलोँ पर दिखाई जाती है. उस के गीत सदाबहार सिद्ध हुए और आय का निरंतर स्रोत बने. लेकिन तब जब शैलेंद्र नहीँ रहे.
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25-01-2015, 06:16 PM

क्या आप जानते हैं कि =>

1. दादा साहब फ़ाल्के (30 अप्रेल 1970 - 16 फरवरी 1944) भारतीय फिल्मों से जुड़ी वह पहली हस्ती थे जिनकी याद में भारत सरकार द्वारा कोई डाक टिकट जारी किया गया. 1970 में उनकी जन्म शताब्दी मनाई गयी थी.

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2. अभिनेता प्राण ने बहुत सी फिल्मों में बतौर नायक काम किया था. ऐसी फिल्मों में खानदान (पुरानी), बिरहन, बरसात की एक रात, आरसी, अपराधी आदि उल्लेखनीय हैं. यहाँ हम आपको बताना चाहेंगे कि फिल्म खानदान में उनकी नायिका थीं नूरजहाँ और फिल्म अपराधी में थीं मधुबाला.

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3. आपने सुना होगा कि फ़िल्में कई खानों में शामिल की जाती है जैसे हिट, सुपर हिट, जुबली, सिल्वर तथा गोल्डन जुबली, फ्लॉप आदि. इसे आखिर किस आधार पर तय किया जाता है? तो दोस्तो इसका एकमात्र आधार है फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर सफलता, कमाई और वह कितने दिनों तक लगातार सिनेमा घरों में चलती है.

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rajnish manga

25-01-2015, 07:00 PM

क्या आप जानते हैं कि =>

1. आपने कई देशी विदेशी फिल्मों में पशु कलाकारों के करतब देखे होंगे. बहुत सी फिल्मों की कहानी उन्हीं के चारों ओर घूमती है. हम आपको बताना चाहते हैं कि भारत में सन 1937 में एक फिल्म प्रदर्शित हुई थी “सिम्बो द ऐपमैन”. यह अपनी तरह की पहली भारतीय फिल्म थी जिसमे एक गुरिल्ला द्वारा काम किया गया था और फिल्म की कहानी उसके आसपास ही केन्द्रित रही. इस फिल्म के निर्माता थे एम्. भवनानी.

2. यह जानना दिलचस्प होगा कि 32 वर्ष के अंतराल पर तीन फिल्मे एक ही कहानी पर बनी और तीनों में ही अपने ज़माने के प्रख्यात कलाकार अशोक कुमार ने अभिनय किया था. इनमे से पहली फिल्म सन 1950 में ‘संग्राम’ नाम से प्रदर्शित हुई. इस फिल्म में अशोक कुमार नायक थे. सन 1968 में इसी कहानी पर एक फिल्म बनी ‘दिल और मुहब्बत’ इसके नायक तो जॉय मुखर्जी थे लेकिन उनके पिता की भूमिका अशोक कुमार ने ही निभाई थी. संग्राम फिल्म की कहानी पर ही 1982 में एक और फिल्म बनी जिसका नाम था ‘शक्ति’ इस फिल्म में उन्होंने एक चरित्र अभिनेता के तौर पर काम किया था.

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Deep_

25-01-2015, 11:35 PM

रजनीश जी द्वार प्रस्तुत सारी जानकारीयां काफी रोचक है, लेकिन रोचकता से बढ़ कर यह जानकारीयां महत्वपुर्ण है। उन दिनो फिल्मों को कला के रुप में देखा जाता था, जब की आज ईसे एन्टरटेईन्मेन्ट के साथ जोडा जाने लगा है। कारणवश शायद ही कोई आज कल की फिल्मों को याद करना चाहेगा।

ईन महत्वपुर्ण जानकारीयों का कारवां एसे ही जारी रखियेगा।

rajnish manga

26-01-2015, 09:12 PM

क्या आप जानते हैं कि =>
बॉलीवुड के रोमांस

Shobhna Samarth and Moti Lal
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अभिनेत्री काजोल की नानी शोभना समर्थ (उनकी माँ तनूजा और मौसी नूतन की माता) ने अपने पति से तलाक़ ले लिया था. इसके बाद वह अभिनेता मोतीलाल और उनकी चार पुत्रियों के साथ अगले दस वर्ष तक रहीं. जब वो अलग हुये तो मोतीलाल का अभिनेत्री नादिरा से सम्बन्ध रहा जो उनकी (मोतीलाल की) आखिरी सांस तक बना रहा.

rajnish manga

26-01-2015, 09:19 PM

क्या आप जानते हैं कि =>
बॉलीवुड रोमांस
Ashok Kumar and Nalini Jayawant

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अभिनेता अशोक कुमार और नलिनी जयवंत (वे काजोल की नानी शोभना समर्थ की कज़िन थी) ने कुल 11 फिल्मों में एक साथ काम किया और उनमें काफी समय तक अफेयर भी चलता रहा. अशोक कुमार की पत्नी ड्रिंक करती थी और उन दोनों के सम्बन्धों में कटुता आ गयी थी. अशोक कुमार अपना घर छोड़ कर उस मार्ग पर रहने लगे जिसमें नलिनी रह रही थी. बाद में नलिनी ने सब से मिलना जुलना छोड़ दिया, यहाँ तक कि अशोक कुमार से भी. सन 1980 के दशक के शुरुआती वर्षों में पूर्ण विरक्ति की हालत में उसकी मौत हो गई.

rajnish manga

02-02-2015, 08:10 PM

क्या आप जानते हैं कि =>
बॉलीवुड रोमांस
Meena Kumari

मीना कुमारी ने कमाल अमरोही से निकाह किया था. कहते हैं कि वे तमाम उम्र मोहब्बत की तलाश करती रहीं लेकिन शायद मोहब्बत नाम की चीज उनके मुकद्दर में ही नहीं लिखी थी. राजेन्द्र कुमार, राज कुमार, प्रदीप कुमार और धर्मेन्द्र सरीखे कलाकारों से मीना कुमारी की नजदीकियां व अफेयर्स भी चर्चा में रहे.

rajnish manga

02-02-2015, 08:12 PM

क्या आप जानते हैं कि =>
बॉलीवुड रोमांस
Prem Nath

प्रेमनाथ ने मधुबाला के सामने शादी का प्रस्ताव रखा था जिसे मधुबाला ने नामंजूर कर दिया. मधुबाला के सामने प्रदीप कुमार तथा भारत भूषण ने भी शादी का प्रस्ताव रखा था. लेकिन हृदय रोग से पीड़ित मधुबाला ने किशोर कुमार के सामने स्वयं शादी का प्रपोज़ल रखा जिसे किशोर कुमार अस्वीकार न कर सके.

rajnish manga

02-02-2015, 08:15 PM

क्या आप जानते हैं कि =>
बॉलीवुड रोमांस
Raj Kapoor - Vaijayantimala

राज कपूर वैजयंतीमाला से डेटिंग करते थे लेकिन वैजयंतीमाला ने इसे खुल कर कभी स्वीकार नहीं किया. राज कपूर तब पीछे हट गये जब उनकी पत्नी ने, जो नरगिस वाले प्रसंग की भुक्तभोगी थी, साफ़ शब्दों में अपने पति से ऐसा न करने की ताकीद की. तत्पश्चात, वैजयंतीमाला ने अपने व्यक्तिगत डॉक्टर बाली से विवाह कर लिया जो पहले से शादीशुदा थे. डॉक्टर बाली ने इस शादी के लिये अपनी पत्नी तथा परिवार तक को छोड़ दिया.

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03-02-2015, 09:01 PM

क्या आप जानते हैं कि =>
किशोर कुमार और मीना कुमारी

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rajnish manga

03-02-2015, 09:07 PM

क्या आप जानते हैं कि =>
किशोर कुमार और मीना कुमारी

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मीना कुमारी और किशोर कुमार ने एक साथ कई फिल्मों में काम किया. उन्होंने सबसे पहले आर. सी. तलवार के निर्देशन में बनी फिल्म तथा ‘इलज़ाम’ (1954) ‘रुखसाना’ (1955) और उसके बाद ‘मेम साहेब’ (1956) एच. एस. रवेल के निर्देशन में फिल्म ‘शरारत’ (1959) तथा के. अमरनाथ के निर्देशन में ‘नया अंदाज़ (1956) इन सभी फिल्मों में मीना कुमार व किशोर कुमार ने हीरो हीरोइन के तौर पर काम किया. एल. वी प्रसाद के निर्देशन में भी एक फिल्म बनी थी- ‘मिस मेरी’ (1957) जिसमें इन दोनों कलाकारों ने काम ज़रूर किया मगर ये उसमें हीरो- हीरोइन नहीं थे. यह जानना दिलचस्प होगा कि इस फिल्म में मीना कुमारी के नायक थे जेमिनी गणेशन (अभिनेत्री रेखा के पिता) और किशोर कुमार के सम्मुख नायिका के रोल में थीं- दक्षिण की उस वक़्त की प्रसिद्ध अभिनेत्री यमुना.

rajnish manga

03-02-2015, 10:11 PM

क्या आप जानते हैं कि =>
Nasir khan / नासिर खान
जन्म: 1924
मृत्यु: 3 मई, 1974

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अभिनेता नासिर खान व उनकी पत्नी अभिनेत्री बेग़म पारा

rajnish manga

03-02-2015, 10:36 PM

क्या आप जानते हैं कि =>
Nasir khan / नासिर खान

यह नासिर खान साहब कौन हैं? आपको यह जानकर शायद हैरानी होगी कि ट्रेजेडी किंग के नाम से मशहूर वरिष्ठ अभिनेता दिलीप कुमार (असली नाम युसुफ़ खान) के भाई नासिर खान भी हिंदी फिल्मों में काम कर चुके हैं. फिल्मों में इन दोनों भाइयों का आगमन लगभग साथ साथ ही हुआ. दिलीप कुमार की पहली फिल्म थी बॉम्बे टाकीज़ की ‘ज्वार भाटा’ (1944), जबकि नासिर खान की पहली फिल्म थी फिल्मिस्तान की ‘मजदूर’ (1945) जिसमें वो नायक की भूमिका में थे. उनकी पत्नी बेग़म पारा भी अपने ज़माने की प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं. उनका बेटा अयूब खान कई टीवी सीरियलों में काम कर चुका है (जैसे ‘उतरन’ आदि). उनके द्वारा अभिनीत फिल्मों में प्रमुख थीं:

शहनाई
आसमान 1952
नगीना 1951
अंगारे
नाज़नीन 1951
आदमी
आग़ोश
हंगामा 1952

नूतन के साथ उनकी जोड़ी काफी हिट रही. निम्नलिखित फिल्मों में दोनों ने एक साथ काम किया था:

शत्रु ध्वंस (1999) – Bengali Film
आगोश (1953)
हंगामा (1952)
शीशम (1952)
नगीना (1951)

Deep_

15-03-2015, 08:30 PM

हिन्दी फिल्म ईन्डस्ट्री के रोचक ईतिहास से भरा यह सुत्र चीपचीपा होना चाहिए! मेरा मतलब है की "स्टीकी" होना चाहिए।

rajnish manga

07-06-2015, 06:55 PM

क्या आप जानते है कि = >

1. 1933 में बनी फिल्म “आवारा शहज़ादा” में हिंदी बोलती फिल्मों का पहला डबल रोल रखा गया था. यह रोल उस ज़माने के मशहूर अभिनेता शाहू मोडक द्वारा अभिनीत था. मास्टर विट्ठल इस फिल्म के निर्देशक थे.

2. “शारदा” नाम से अब तक तीन फ़िल्में बन चुकी हैं.

- पहली फिल्म 1942 में बनी जिसमें वास्ती और महताब नायक-नायिका थे.

- दूसरी फिल्म 1957 में बनी जिसमें राज कपूर व मीना कुमारी नायक-नायिका थे.

- तीसरी “शारदा” 1981 में बनी जिसमें जीतेंद्र व रामेश्वरी नायक-नायिका थे.

3. सन 1954 में पुरानी फिल्म “नास्तिक” प्रदर्शित हुयी जिसमें अजीत व नलिनी जयवंत नायक और नायिका थे. दूसरी बार फिल्म “नास्तिक” 1983 में बनाई गई. इस फिल्म में भी हालांकि अभिनेत्री नलिनी जयवंत ने काम किया था लेकिन इसमें उन्होंने फिल्म के नायक अमिताभ बच्चन की माँ की भूमिका अदा की थी.

Deep_

07-06-2015, 11:18 PM

मुझे श्वेत-श्याम फिल्में देख कर बहुत सुकुन मिलता है ।

rajnish manga

08-06-2015, 11:19 AM

मुझे श्वेत-श्याम फिल्में देख कर बहुत सुकुन मिलता है ।

उन फिल्मों में इतनी तड़क-भड़क और ग्लैमर नहीं होता था, सादगी होती थी. आमतौर पर उनमे कोई संदेश होता था. गीत संगीत पर बहुत मेहनत की जाती थी.

rajnish manga

09-06-2015, 07:41 PM

ललिता पवार (मूल नाम: अम्बा लक्ष्मण राव सगुन)

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जन्म: 18 अप्रेल 1916
मृत्यु: 24 फरवरी 1998

rajnish manga

09-06-2015, 08:42 PM

ललिता पवार

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सन 1932 में उन्होंने “कैलाश” नामक एक फिल्म (बतौर सह-निर्माता) बनाई थी जिसमे उन्होंने अभिनय भी किया था. आपको यह जान कर हैरानी होगी कि इस फिल्म में उनका ट्रिपल रोल था.
सन 1942 में फिल्म जंग-ए-आज़ादी में काम करते हुये, सह कलाकार मास्टर भगवान, जो बाद में भगवान दादा के नाम से विख्यात हुये, ने उनके बायें गाल पर इतने जोर से थप्पड़ मारा कि उनके चेहरे पर लकवा हो गया जिसे ठीक होने में तीन वर्ष लग गए. लकवे का असर तो दूर हो गया लेकिन उनकी बायीं आँख सदा के लिए क्षतिग्रस्त हो गई. इस दुर्घटना के बाद ललिता पवार को नायिका के रोल तो मिलने बंद हो गए लेकिन चरित्र अभिनेत्री के तौर पर वे लगातार सक्रिय रहीं. फिल्म अनाड़ी में मिसेज़ डी’सूज़ा के रोल को कौन भूल सकता है. इस दौर में उन्होंने कई पारिवारिक फिल्मों में गुस्सैल सास का रोल निभाया. रामानंद सागर के सीरियल “रामायण” में उन्होंने मंथरा की भूमिका निभाई थी.

ललिता पवार ने अपने 70 वर्ष के करियर में लगभग 700 हिंदी और मराठी फिल्मों में काम किया.

manishsqrt

10-06-2015, 04:56 PM

Kya aap jante hai ki shahrukh khan ka kala jagat se juda pahla mehnatana 25 rs tha, iske liye unhe pankaj udhas ke ek show me logo ko apni seat par baithane ki jimmedari mili thi.aaj agar we ye kaam kare to shayad uske liye 25 crore ki rakam le.

Rajat Vynar

10-06-2015, 05:19 PM

अगर आप कोल्ड फ्यूज़न के बारे में कुछ जानकारी देते तो बडी खुशी होती।

rajnish manga

10-06-2015, 08:34 PM

Kya aap jante hai ki shahrukh khan ka kala jagat se juda pahla mehnatana 25 rs tha, iske liye unhe pankaj udhas ke ek show me logo ko apni seat par baithane ki jimmedari mili thi.aaj agar we ye kaam kare to shayad uske liye 25 crore ki rakam le.

:hello:
उक्त रोचक जानकारी को हमसे शेयर करने के लिए आपका धन्यवाद, मित्र.

rajnish manga

10-06-2015, 08:41 PM

अगर आप कोल्ड फ्यूज़न के बारे में कुछ जानकारी देते तो बडी खुशी होती।

रजत जी, हमारे पास इस तकनीक बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है. यदि इस बारे में कोई सदस्य हमें बता सकें तो उनका स्वागत है.

manishsqrt

24-06-2015, 06:30 PM

kya aap jante hai ki mashoor film kalakar aamir khan film jagat me aane se purv, ek achche nirdeshak ke putra hone ke bawjood sikhne ke liye theatres pe jake box office ke ankde ikatthe karne ka kaam karte the.Unke pita ne unhe film vyavasai ka jameeni anubhav jutane ke liye ye nirdesh diya tha.

Rajat Vynar

25-06-2015, 02:07 PM

रजत जी, हमारे पास इस तकनीक बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है. यदि इस बारे में कोई सदस्य हमें बता सकें तो उनका स्वागत है.

मेरा मतलब था- मनीश जी जो प्रोग्रामर हैं, फिल्मी ज्ञान के साथ-साथ यदि कोल्ड फ्यूज़न पर भी कुछ जानकारी देते तो अच्छा रहता।

emptymind

25-06-2015, 09:07 PM

अगर आप कोल्ड फ्यूज़न के बारे में कुछ जानकारी देते तो बडी खुशी होती।
ColdFusion is a rapid development platform for building modern web applications. ColdFusion is designed to be expressive and powerful. The expressive characteristic allows you to perform programming tasks at a higher level than most other languages. The powerful characteristic gives you integration with functionality important to web applications like database access, MS Exchange access, PDF form creation and more.
The ColdFusion platform is built on Java and uses the Apache Tomcat J2EE container. While you have full access to Java and Tomcat, you need not worry about these details. You'll interact with ColdFusion and the user friendly ColdFusion Mark-up Language (CFML) to write your programs. Your ColdFusion files will use the file extension '.cfc' for objects and '.cfm' for pages. CFML requires much less ceremony and infrastructure than typical java while offering a significantly faster development experience than Java.
After taking this CF in a Week series, you'll have the basics necessary to begin making dynamic web sites, building intranet applications, or even working on the next Facebook competitor!

(Source : //www.learncfinaweek.com/week1/What_is_ColdFusion_/)

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18-07-2015, 11:23 AM

संगीतकार नौशाद के बारे में

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1944 में प्रदर्शित फिल्म “रतन” ने नौशाद को रातों-रात स्टार बना दिया था और उन्हें देशव्यापी ख्याति प्राप्त हुयी. मात्र 75 हजार रूपए में केवल 3 माह में तैयार हुई इस फिल्म के गीतों ने ज़बरदस्त हंगामा मचा दिया था. लेकिन उनके घर वालों को भी नहीं पता था कि नौशाद फिल्मों में संगीत दे रहे हैं. नौशाद जब अपने विवाह के लिए गए और बारात निकली तो बाजे वाले फिल्म रतन के गानों की धुनें बजा रहे थे. नौशाद अपने पिता और ससुर से नहीं कह पाये कि इन गीतों के संगीतकार वे स्वयं हैं. उन्होंने घर पर यही बताया था कि वे बम्बई में टेलर मास्टर हैं. नौशाद बताते थे कि उस ज़माने में संगीतकार की बजाये टेलर मास्टर की कीमत कहीं ज्यादा थी.

नौशाद बताया करते थे कि बिहार की जेल में मौत की सज़ा पा चुके एक कैदी से पूछा गया, “कल तुम्हें फांसी की सजा दी जायेगी. तुम्हारी कोई अंतिम इच्छा है?” हाँ, मुझे फाँसी देने के वक़्त फिल्म बैजू बावरा का गीत “ओ दुनिया के रखवाले.... बजाया जाये और जब उसमें ‘जीवन अपना वापस ले ले, जीवन देने वाले’ पंक्ति आएगी तो मुझे फाँसी दे देना.”

rajnish manga

20-07-2015, 12:05 AM

नायक भी हूँ खलनायक भी हूँ

क्या आप ऐसे कलाकारों का नाम बता सकते हैं जिन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीतने के साथ साथ सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरस्कार भी अपने नाम किया है? यदि नहीं, तो हम आपको बताते हैं.

1. शाहरुख़ खान को फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का तथा फिल्म ‘अंजाम’ के लिए सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरस्कार दिया गया.

2. मिठुन चक्रवर्ती को फिल्म ‘मृगया’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार तथा फिल्म ‘जल्लाद’ के लिए सर्वश्रेष्ठ खलनायक का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार दिया गया.

3. नाना पाटेकर को फिल्म ‘क्रांतिवीर’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार तथा फिल्म ‘परिंदा’ के लिए सर्वश्रेष्ठ खलनायक का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया था.

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20-07-2015, 11:58 PM

अमजद खान और चम्बल

शोले फिल्म में गब्बर का रोल पहले डेनी डेन्जोंगपा को ऑफर किया गया था जिसे बाद में अमजद खान ने निभा कर एक कल्ट रोल में तब्दील कर दिया.

अमजद खान गब्बर के रोल के बारे में कितने गंभीर थे, यह इस बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने अपने किरदार को और डाकुओं के परिवेश को समझने के लिए काफी कुछ पढ़ा. इसमें एक किताब ऐसी भी शामिल थी जिसके लेखक स्व. श्री तरुण कुमार भादुड़ी थे (श्रीमति जया बच्चन के पिता). क्या आप इस किताब का नाम बता सकते हैं?

उत्तर: अभिशप्त चम्बल

rajnish manga

31-10-2015, 08:33 PM

अभिनेत्री रेखा ने एक इंटरव्यू में युवा कलाकारों को यह सन्देश दिया था:-

//media2.intoday.in/indiatoday/images/stories//march09/090807092721_rekha200.jpg

मैं युवा कलाकारों को कहना चाहती हूँ कि उन्हें अपने लिए कुछ नियम तय करने चाहियें. सब से पहले तो खुद में विश्वास रखो. खूब मेहनत करो. खास तौर पर तब जब आपकी लव लाइफ बिखर चुकी हो तो अपने काम में ध्यान लगाओ. मेरे कहने का अर्थ यह है कि अपने शरीर को मंदिर की तरह संजो कर रखो. सेहत सबसे बड़ी संपत्ति है. चुस्ती के बहाव में मत बहो. भूल तो कभी भी हो सकती है, किंतु उसके बोझ तले मत दब जाओ. आज के लिए जिओ. इस पल का लुत्फ़ उठाओ. ज़िन्दगी में व्यावसायिक खतरे तो उठाने ही पड़ेंगे. अगर आगे बढ़ना है तो इतना अवश्य करना ही चाहिये.

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31-10-2015, 10:28 PM

क्या आप जानते हैं कि:-

//c.isha.ws/wp-content/uploads/2014/07/juhi-200x116.jpg

सुप्रसिद्ध अभिनेत्री जूही चावला को संगीत और गायन से बहुत लगाव है. उनकी आवाज़ बहुत अच्छी है और वे लता मंगेशकर से बहुत प्रभावित रही हैं. उन्होंने बाकायदा गायन की ट्रेनिंग भी ले रखी है. उनकी इच्छा पार्श्वगायिका बनने की थी. लेकिन अभिनय में व्यस्त हो जाने के कारण संगीत का उनका शौक आगे नहीं बढ़ सका.

rajnish manga

31-10-2015, 11:02 PM

क्या आप जानते हैं कि:-

//media.movietalkies.com/images/bollywood/stock/raveenatandon/raveenatandon-58.jpg

रवीना टंडन किसी समय फिल्म का निर्देशक बनना चाहती थीं. वह बताती हैं, “जब मैं छोटी थी तब मैं हर शूटिंग में पापा के साथ होती थी. मैं उनसे पूछती कि 18 के लेंस में डायरेक्टर कितना हिस्सा पकड़ पाता है और 40 के लेंस में कितना हिस्सा दिखाई देता है. लेंस, क्लोज़ अप और लॉन्ग शॉट के बारे में भी मैं पिता जी से प्रश्न करती रहती थी. पापा को भी लगता था कि मुझमे अच्छे डायरेक्टर के सभी गुण मौजूद हैं.

अपने स्वभाव के बारे में वह कहतीं- पापा (फिल्म निर्देशक रवि टंडन) ने चवन्नी की दाल-रोटी खा कर अपने करियर की शुरूआत की थी. यही खुद्दारी (स्वाभिमान) मुझमे भी है. यही वजह है कि मैं अपने पापा की पूजा करती हूँ. मैंने उनसे वचन ले लिया था कि वे किसी भी निर्माता या निर्देशक से मुझे काम देने के लिए कोई सिफारिश नहीं करेंगे.

rajnish manga

31-10-2015, 11:37 PM

क्या आप जानते हैं कि:-

फिल्म "आखिरी रास्ता" (1986) में अभिनेत्री श्री देवी नायिका थीं किंतु उनके डायलाग रेखा की आवाज में डब किये गए थे. फिल्म के नायक अमिताभ बच्चन थे.

फिल्म "सोलवाँ सावन" (1979) श्री देवी की पहली हिंदी फिल्म थी. इस फिल्म के नायक अमोल पालेकर थे.

हास्य अभिनेता जगदीप (वास्तविक नाम: सैयद इश्तियाक़ अहमद जाफ़री / जन्म: 29 मार्च, 1939) ने बतौर नायक कई फिल्मों में काम किया जैसे- बरखा, बिंदिया, प्यार की बाज़ी, राजा, बैण्ड मास्टर, नूर महल और रूप रुपैया आदि. अभिनेता जावेद जाफ़री इन्हीं के सुपुत्र हैं.

internetpremi

01-11-2015, 09:46 AM

रोचक जानकारी।
पता नहीं था।

आगे भी ऐसी जानकारी देते रहिए|

धन्यवाद
gv

rajnish manga

02-11-2015, 04:11 PM

ऋषि कपूर

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मैं खुशनसीब हूँ कि आज इंडस्ट्री में आने के 43 वर्ष बाद भी मैं यहाँ टिका हुआ हूँ.

विशेष और अद्भुत किरदार की जगह मैं आम आदमी की भूमिका करना ज्यादा पसंद करता हूँ.

आज मेरे पास जितनी फ़िल्में हैं वे मेरी प्रतिभा के कारण हैं. यदि मुझमे प्रतिभा नहीं होती तो बहुत पहले मैं बाहर हो चुका होता. यूँ मुझे घर से बुलवा कर काम के लिए आमंत्रित न किया जाता.

जिसमें असुरक्षा की भावना न हो, वह अच्छा कलाकार नहीं बन सकता. मैं भी इससे अछूता नहीं हूँ. कला के क्षेत्र में व्यक्ति को संतुष्ट न रहते हुये कुछ न कुछ नया सोचना व करना चाहिये.

काम के समय मैं नशा नहीं करता. या यूँ कहिये कि नशा कर के मुझे काम करना पसंद नहीं है. अपने लिए अपनी मनपसंद जॉनी वाकर ब्लैक लेबल स्कॉच व्हिस्की तैयार करते हुए ऋषि बताते हैं कि भविष्य में भी मेरी कई फ़िल्में आने वाली हैं. मैं अपने काम से और जीवन से संतुष्ट हूँ.

rajnish manga

05-11-2015, 09:52 PM

अभिनेता ओम प्रकाश और उनकी "जहांआरा"

//myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33761&stc=1&d=1446742304^//myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33762&d=1446742305

अभिनेता ओम प्रकाश ने सन 1964 में एक फिल्म बनी थी “जहाँआरा”. इस दौरान उन्होंने रूपतारा स्टूडियो में एक कमरा ऑफिस के लिए किराए पर ले लिया था. यह फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हो गयी. इसके बाद ओम प्रकाश ने किसी अन्य फिल्म का निर्माण नहीं किया. फिल्म के फ्लॉप होने के बाद भी उन्होंने रूपतारा स्टूडियो का वह कमरा छोड़ा नहीं. यदि उन्होंने किसी को मुलाक़ात के लिए वहाँ बुलाना होता था तो उसे यही कहते, “यदि आपको मुझसे मिलना है तो “जहांआरा” के मकबरे पर आ जाइयेगा.”

rajnish manga

05-11-2015, 10:13 PM

फ़िल्मी पोस्टरों की शुरूआत

//encrypted-tbn1.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcQ8BMan_RSxHzhfNYIl0CqYgGo6zSjC0 A2lFQM48N76bCeP7IY3

बाबुराव पेंटर

अक्सर पूछा जाता है कि भारत में फिल्मों के पोस्टर बनाने की शुरूआत कब हुई? तो इस बारे में हम आपको बताना चाहते हैं कि मूक फिल्मों के ज़माने में सन 1923 में बाबुराम पेंटर द्वारा एक फिल्म बनायी गयी थी जिसका नाम था “वत्सला हरण”. यहीं से फिल्मों के पोस्टर बनाने की शुरूआत हुयी. बाबुराम पेंटर इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक भी थे. इस फिल्म के सारे पोस्टर स्वयं बाबुराम पेंटर ने ही बनाये थे. इसके बाद तो पोस्टर का चलन आम हो गया.

rajnish manga

05-11-2015, 10:58 PM

जगदीश राज
(1928 से 2013)

//i.ndtvimg.com/mt/2013-07/jagdish-big.jpg

जगदीश राज का जन्म सन 1928 में सरगोधा (अब पाकिस्तान में) हुआ था. कहा जाता है कि अपने समय के प्रसिद्ध चरित्र अभिनेता जगदीश राज ने लगभग 144 फिल्मों में पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई. यह अपनी तरह का एक विश्व रिकॉर्ड है जिसे गिनिस बुक में स्थान प्राप्त है. सन 1959 में प्रदर्शित फिल्म “कंगन” में उन्होंने पहली बार पुलिस इंस्पेक्टर का रोल किया था. लोहा, पाप का अंत और नाइंसाफ़ आदि फिल्मों में उन्होंने पुलिस कमिश्नर का रोल किया. तब उन्होंने मज़ाक में कहा कि अब मेरा प्रमोशन हो गया है. 1992 में उन्होंने फिल्मों से अवकाश ले लिया था. 28 जुलाई 2013 को 85 बर्ष की आयु में उनका स्वर्गवास हुआ. उनकी पुत्री अनीता राज भी फिल्मों में कुछ समय तक अभिनय करती रहीं.

Deep_

05-11-2015, 11:30 PM

जगदीश राज
(1928 से 2013)

//i.ndtvimg.com/mt/2013-07/jagdish-big.jpg

जगदीश राज का जन्म सन 1928 में सरगोधा (अब पाकिस्तान में) हुआ था. कहा जाता है कि अपने समय के प्रसिद्ध चरित्र अभिनेता जगदीश राज ने लगभग 144 फिल्मों में पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई. यह अपनी तरह का एक विश्व रिकॉर्ड है जिसे गिनिस बुक में स्थान प्राप्त है. सन 1959 में प्रदर्शित फिल्म “कंगन” में उन्होंने पहली बार पुलिस इंस्पेक्टर का रोल किया था. लोहा, पाप का अंत और नाइंसाफ़ आदि फिल्मों में उन्होंने पुलिस कमिश्नर का रोल किया. तब उन्होंने मज़ाक में कहा कि अब मेरा प्रमोशन हो गया है. 1992 में उन्होंने फिल्मों से अवकाश ले लिया था. 28 जुलाई 2013 को 85 बर्ष की आयु में उनका स्वर्गवास हुआ. उनकी पुत्री अनीता राज भी फिल्मों में कुछ समय तक अभिनय करती रहीं.

ओह, मुझे लगता था की यह रेकोर्ड ईफ्तेखार खान के नाम होगा! क्यूं की उन्हों ने भी बहुत फिल्मों में पुलिस के रोल किए है।
अनीता राज उस जमाने की बोल्ड एण्ड ब्युटीफुल हीरोईनों में से एक लगती है। फारुक शेख के साथ उनकी एक फिल्म 'अब आएगा मज़ा' मुझे पसंद है!

rajnish manga

16-11-2015, 10:43 PM

क्या आप जानते हैं कि:-

//myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33787&stc=1&d=1447695746^//myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33786&stc=1&d=1447695746

हिंदी फिल्म अभिनेताओं में दिलीप कुमार को सब से अधिक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए पुरस्कृत किया गया. उन्हें आठ बार यह पुरस्कार प्रदान किया गया. यह फ़िल्में थीं:

दाग़ / आज़ाद / देवदास / नया दौर / कोहिनूर / लीडर / राम और श्याम / शक्ति

अभिनेत्रियों में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए यह पुरस्कार सबसे अधिक यानि पाँच बार नूतन को प्राप्त हुआ. उनको पुरस्कार दिलाने वाली फ़िल्में इस प्रकार है:

सीमा / सुजाता / बंदिनी / मिलन / मैं तुलसी तेरे आँगन की

rajnish manga

16-11-2015, 11:24 PM

क्या आप जानते हैं कि:-

डाकुओं के जीवन पर बनने वाली पहली हिंदी फिल्म थी "शमशेर" जिसे 1953 में प्रदर्शित किया गया था. इसे ज्ञान मुखर्जी ने बनाया था. इस फिल्म की कहानी डाकू भूपत सिंह से प्रेरित थी. इस फिल्म के प्रमुख कलाकार इस प्रकार थे: अशोक कुमार, भानुमती, भगवान दादा, स्मृति बिस्वास, नाना पलसीकर और महमूद आदि.

everdeenkatniss257

19-11-2015, 12:58 PM

How I right in hindi.. .

rajnish manga

23-11-2015, 10:37 PM

How I right in hindi.. .

गूगल से आप हिंदी सॉफ्टवेयर download कर सकते हैं. यह सरल है और निशुल्क है. इसकी सहायता से आप इंगलिश keyboard पर टाइप कर के हिंदी का output ले सकते हैं. मैं भी यही प्रयोग करता हूँ. धन्यवाद.

rajnish manga

23-11-2015, 11:13 PM

Films turned down by Devanand

//musicworldofindia.com/images/dev_anand.jpg

शायद इस बारे में आप न जानते हों कि देवानंद ने कुछ ऐसी फिल्मों में काम करने के प्रस्ताव ठुकरा दिए थे और कालांतर में बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने में कामयाब रहीं. यही नहीं ये फ़िल्में जिन कलाकारों द्वारा स्वीकार की गयीं, उनके करियर में भी मील का पत्थर साबित हुईं. आइये इनके बारे में आपको बताते हैं.

//www.rudrasofttech.com/rockying/art/bollywood/Cult-classics-3/zanjeer-collage.jpg

उन फिल्मों में से पहली फिल्म थी 'ज़ंजीर' जिसने अमिताभ बच्चन को कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचा दिया था. इसके अलावा सुबोध मुखर्जी की फिल्म 'जंगली' और नासिर हुसैन की फिल्म 'तीसरी मंज़िल' भी देवानंद के द्वारा ठुकरा दी गयी थीं और बाद में दोनों फिल्मों में शम्मी कपूर ने काम किया और दोनों ही ने शम्मी कपूर को सफलततम अभिनेताओं की श्रेणी में पहुंचा दिया था.

//s-media-cache-ak0.pinimg.com/236x/33/f7/d3/33f7d3c82c4aaed9568b2e03c76f37bb.jpg^//im.rediff.com/movies/2011/aug/18slid3.jpg

bollywoodawaaz

29-11-2015, 12:04 PM

Very Nice Post

rajnish manga

31-01-2018, 05:16 PM

ऋतिक किससे कर रहे हैं दूसरी शादी?

साल 2014 में जब ऋति रोशन ने पत्नी सुजैन खान से तलाक लिया, तो ये खबर ऋतिक के साथ उनके फैंस के लिए भी बेहद निराशाजनक थी. उसके बाद ऋतिक का नाम कई एक्ट्रेस के साथ जुड़ा, लेकि*न बात शादी तक नहीं पहुंची. मगर अब इस बात की चर्चा जोरों पर है कि उन्होंने एक बार फिर सात फेरे लेने का फैसला किया है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक ऋतिक रोशन जिससे शादी करने जा रहे हैं, उनका नाम जानकार आपको थोड़ी सी हैरानी जरूर होगी.

ऐसे में आपको ज्यादा दिमाग लगाने की ज़रूरत नहीं है क्योकि ऋतिक रोशन किसी और से नहीं बल्कि अपनी एक्स वाइफ सुजैन खान से ही दोबारा शादी करने वाले हैं.

//i.ytimg.com/vi/hh4jIDzD4cg/maxresdefault.jpg

rajnish manga

01-02-2018, 05:18 PM

क्या आप जानते है?

//bp1.blogger.com/_IuJiUk8XX1U/SIDzGs4hClI/AAAAAAAAApw/oahYhXHCJCI/s320/Mughal-E-Azam-8.jpg

हिंदी सिनेमा के शिखर पुरुष स्व. पृथ्वीराज कपूर ने अपना करियर लायलपुर, पेशावर (अब पाकिस्तान में) में थिएटर अभिनय से शुरू किया था. 1928 में उन्होंने कर्ज़ ले कर बंबई का सफ़र किया और फिर यहीं के हो कर रह गए. यहाँ उन्होंने इम्पीरियल फिल्म्स कं. में नौकरी कर ली और अपनी पहली फिल्म 'दोधारी तलवार' में बतौर एक एक्स्ट्रा काम कर के बॉलीवुड में अभिनय की शुरुआत की.

rajnish manga

01-03-2018, 11:52 PM

क्या आप जानते है?
//2.bp.blogspot.com/_rAG846UtDDg/SZcm0AaQUzI/AAAAAAAAAPM/SFj2txmq7DQ/s320/2-Sridevi-b.jpg
श्रीदेवी / Sridevi
13 August 1963 - 24 February 2018

मित्रो, श्रीदेवी अब हमारे बीच नहीं हैं. बॉलीवुड में अपने दमदार अभिनय से लोगों के दिल में एक न मिटने वाली जगह बना लेने वाली अभिनेत्री श्रीदेवी ने 1967 में मात्र 4 वर्ष की आयु में सिनेमा जगत में अपनी अभिनय यात्रा शुरू की थी. उन्होंने अपने 54 वर्ष की आयु में 50 वर्ष फिल्मों के नाम कर दिए जिसमें उन्होंने लगभग 300 फिल्मों में काम किया. ये फिल्में दक्षिण भारतीय भाषाओं तमिल, तेलुगु, कन्नड़ तथा मलयालम के अतिरिक्त हिंदी में बनाई गई थीं.

श्रीदेवी ने दक्षिण के प्रमुख कलाकारों यथा एम जी रामचंद्रन, जयललिता, एन टी रामाराव, कमल हासन, रजनीकांत आदि के साथ यादगार फिल्मों में काम किया. साथ ही हिंदी फिल्मों में उन्होंने अपने समय के सभी बड़े कलाकारों, निर्देशकों के साथ काम किया और अपने अभिनय की गहरी छाप छोड़ी. अमिताभ बच्चन, जीतेन्द्र, ऋषि कपूर, अनिल कपूर, राज बब्बर, रजनीकांत, कमल हासन जैसे अग्रणी कलाकारों के साथ हिंदी फिल्मों में काम किया.

श्रीदेवी को उनकी दक्षिण की फिल्मों के साथ साथ हिंदी फिल्मों के लिए भी अनेकों बार पुरस्कृत किया गया था.

आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि मात्र 13 वर्ष की आयु में श्रीदेवी ने तमिल फिल्म 'मून्द्रू मुडिचु' में सुपरस्टार रजनीकांत की सौतेली मां का किरदार निभाया था. बाद में यानी 1989 में श्रीदेवी फ़िल्म 'चालबाज़' में वे रजनीकांत की नायिका के रूप में भी दिखाई दीं.

rajnish manga

22-04-2018, 12:51 AM

क्या आप जानते है?
//a10.gaanacdn.com/images/playlists/77/4299577/crop_175x175_4299577_1443353540.jpg

क्या आप जानते हैं कि सन 1957 में लता मंगेशकर का संगीतकार सचिन देव बर्मन के साथ कुछ मतभेद हो गया. तब उन्होंने सचिन दा के लिए गाने से इंकार कर दिया. उन दिनों ओ पी नय्यर और बाद में रवि को छोड़ कर सभी संगीत निर्देशक व निदेशक लता की आवाज़ को फिल्म की सफलता के लिए जरुरी मानते थे. लता जी व सचिन दा का यह झगड़ा सन 1962 में जा कर सुलझा. फिल्म बंदिनी (1963) में लता के गाये दो गीत बहुत मशहूर हुए थे- ‘मोरा गोरा रंग लई ले मोहे श्याम रंग दई दे’ तथा ‘जोगी जब से तू आया मोरे द्वारे’. गीतकार के रूप में गुलज़ार के करियर की यह पहली फिल्म थी. 1959 की फ़िल्म ‘सुजाता’ में लता का गाया कोई गीत नहीं था.

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सवाक् फिल्मों में कलाकारों को अभिनय के अलावा और कौन सा काम करना पड़ता था?

मूक फिल्मों के दौर में तो पहलवान जैसे शरीरवाले, स्टंट करनेवाले और उछल-कूद करनेवाले अभिनेताओं से काम चल जाया करता था। अब उन्हें संवाद बोलना था और गायन की प्रतिभा की कद्र भी होने लगी थी। इसलिए 'आलम आरा' के बाद आरंभिक 'सवाक्' दौर की फिल्मों में कई 'गायक-अभिनेता' बड़े पर्दे पर नज़र आने लगे।

सवाक फिल्मों में कैसे कलाकारों की आवश्यकता थी?

जब भारत में सवाक फिल्मों का दौर शुरू हुआ तो सवाक फिल्मों के नए दौर के लिए पढ़े-लिखे कलाकारों की आवश्यकता पड़ने लगी। सवाक फिल्मों से पहले मूक फिल्मों का दौर था, जिसमें बोलने की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती थीसवाक फिल्मों में संवादों को बोलने की आवश्यकता पड़ने के कारण पढ़े-लिखे अभिनेता अभिनेत्रियों की आवश्यकता पड़ने लगी।

सवाक फ़िल्मों में कैसे कलाकारों की आवश्यकता थी 1 Point सुंदर पढ़े लिखे बलिष्ठ अनपढ़?

भारत में पहली सवाक् फिल्म 14 मार्च, 1931 को प्रदर्शित हुई। प्रश्न 2: पहली सवाक् फिल्म आलमआरा में विट्ठल के अलावा कौन-कौन से प्रसिद्ध कलाकारों ने काम किया? उत्तर: पहली सवाक् फिल्म आलमआरा में विट्ठल ने नायक के रूप में काम किया।

फ़िल्म आलमआरा में अभिनय करने वाले कौन से अभिनेता आगे चल कर फ़िल्म उद्योग के स्तम्भ बने?

Answer: (d) अर्देशिर एम. ईरानी।

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