भारतीय संविधान में नागरिकों के लिए कुछ मौलिक कर्तव्य वर्णित है. इन मौलिक कर्तव्यों को पालन करना, प्रत्येक भारतीय नागरिक का दायित्व होता है. नागरिकों के विकास के लिए मौलिक अधिकार जितना जरुरी होता है, उतना ही मौलिक कर्तव्य भी. मौलिक कर्तव्य और अधिकार का सम्बन्ध सदैव घनिष्ठ होता है. अधिकार और कर्तव्य एक सिक्के के दो पहलु है. यह जानने के बाद आपके मन में प्रश्न होगा कि
मौलिक कर्तव्य का अर्थ क्या है? तो आज हम आपसे Maulik Kartavya Kaun Kaun se Hai? के बारे में बात करेंगे. किसी कार्य को करने के दायित्व को कर्तव्य कहा जाता है. मौलिक कर्त्तव्य ऐसे बुनियादी कर्त्तव्य हैं, जो नागरिकों को अपनी उन्नति व विकास के लिए तथा समाज व देश की प्रगति के लिए अवश्य ही करनी चाहिए. भारतीय संविधान के 42वें संशोधन में मौलिक कर्तव्य का वर्णन है. मौलिक कर्तव्य
का अर्थ नागरिकों के मूल दायित्व होता है. मौलिक कर्त्तव्य ऐसे बुनियादी कर्त्तव्यों को कहते हैं, जो नागरिकों को अपनी उन्नति व विकास के लिए तथा समाज व देश की प्रगति के लिए अवश्य ही करनी चाहिए. प्रत्येक नागरिक को अपने अधिकार के साथ ही कर्तव्यों का भी ध्यान रखना चाहिए. यदि नागरिक केवल अपने अधिकार का ही ध्यान रखे एवं दूसरों के प्रति कर्त्तव्यों का पालन न करें, तो शीध्र ही किसी के लिए भी अधिकार नहीं रहेंगे. कर्तव्य का अधिकार के साथ सदैव धनिष्ठ सम्बन्ध रहता है. कर्त्तव्य और मौलिक अधिकार एक सिक्के
के दो पहलु हैं, एक बिना दुसरे का भी अस्तित्व नहीं रहता है. अधिकार के बिना कर्तव्य अस्तित्वहीन हो जाता है. कर्तव्यों का पालन किये बिना अधिकारों की माँग करना न्यायोचित नहीं है. नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों की संख्या 11 हैं. रूस के संविधान से मौलिक कर्तव्यों को लिया गया है. सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर भारतीय संविधान के 42वें संशोधन (1976) के द्वारा
मौलिक कर्तव्य को संविधान में जोड़ा गया. इसे संविधान के भाग 4 (क) में अनुच्छेद 51 (क) के तहत रखा गया है. संविधान में संशोधन करके नागरिकों के लिए कर्तव्यों का समावेश करके, संविधान की एक बहुत बड़ी कमी को पूरा किया गया है. भारतीय संविधान के भाग 4 में कुल 11 मौलिक कर्त्तव्यों का वर्णन है, जो इस प्रकार हैं, इसे भी पढ़ें: राष्ट्रपति का निर्वाचन कौन करता है? राष्ट्रपति के कार्य और शक्तियां मौलिक कर्तव्य का अर्थ
मौलिक कर्तव्य कितने हैं?
मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं?
हमारा आज का विषय है 11 मौलिक कर्तव्य, इस लेख के जरिये आपको 11 मौलिक कर्तव्यों के बारे में बतायंगे। इससे पहले आपको यह जानना जरुरी है की यह मौलिक कर्तव्य क्या है और कब लागू हुआ। तो चलिए लेख को आगे बढाते हुए आपको बतायंगे 11 मौलिक कर्तव्य कौन कौन से हैं कहाँ से लिया गया और यह किस अनुच्छेद में आता है।
- मौलिक कर्तव्य क्या है?
- 11 वां मौलिक कर्तव्य क्या है?
- 11 मौलिक कर्तव्य कौन कौन से हैं?
- संविधान का पालन,राष्ट्र ध्वज तथा राष्ट्रगान का आदर:
- स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो का सम्मान करें:
- भारत की एकता और अखंडता की रक्षा:
- देश की रक्षा:
- सामान भावना निर्माण
- सामाजिक संस्कृति और गौरवशाली:
- प्रत्येक संपदा का संरक्षण करना:
- वैज्ञानिक मानदंडो को अपनाना:
- सार्वजनिक संपत्ति:
- राष्ट्र के विकास हेतु सामाजिक कार्यो में अपना योगदान:
- प्रत्येक माता-पिता का उत्तरदायित्व:
- मौलिक कर्तव्यों की विशेषताएं:
- निष्कर्ष:
- FAQ:
- 11वां मौलिक कर्तव्य संविधान में कब शामिल हुआ?
- मौलिक कर्तव्यों को किसके संविधान से लिया गया है?
- सबसे पहले संविधान कहा लागू हुआ?
- भारत के संविधान में कितने भाग है?
- भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्य को कब शामिल किया गया?
मौलिक कर्तव्य क्या है?
किसी कार्य को करने के दायित्व को कर्तव्य कहते है, मौलिक कर्तव्य ऐसी बुनियादी कर्तव्यो को कहते है जो व्यक्ति को अपनी उन्नति व विकास के लिए तथा समाज व देश को प्रगति के लिए अवश्य करने चाहिए। मूल अधिकार राज्य निति के निदेशक तत्व ओए मूल कर्तव्य भारत के संविधान के अनुच्छेद है जिनमे अपने नागरिको के प्रति राज्य के दायित्वों और राज्य नागरिको के कर्तव्य का वर्णन किया गया है।
संविधान में 11वां मौलिक कर्तव्य 86 वें संविधान संशोधन 2002 के द्वारा जोड़ा गया है, जिनमे से 10 को 42वें संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया था जबकि 11वां मौलिक कर्तव्यों को वर्ष 2002 में 86वें संविधान संशोधन के जरिये संविधान में शामिल किया गया था। सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशासन पर ही संविधान के 42वें संशोधन 1976 ई. के द्वारा मौलिक कर्तव्य को संविधान में जोड़ा गया। मौलिक कर्तव्यो को रूस के संविधान से लिया गया।
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- 6 मौलिक अधिकार कौन-कौन से हैं?
11 मौलिक कर्तव्य कौन कौन से हैं?
11 मौलिक कर्तव्य इस प्रकार निम्नलिखित है:
संविधान का पालन,राष्ट्र ध्वज तथा राष्ट्रगान का आदर:
प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा की वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शो, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें। संविधान में यह भी उल्लेख किया गया है की यदि कोई नागरिक राष्ट्रध्वज या राष्टगान का अन्नादार या सम्मान नही करता है तो संविधान के प्रति वह दंड का भागीदार होगा।
स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो का सम्मान करें:
स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को अपने ह्रदय में संजोय रखे और उनका पालन करें। एक समाज का निर्माण और स्वतंत्रता, समानता, अहिंसा, भाईचारा और विश्व शान्ति के लिए एक सय्न्क्त राष्ट्र का निर्माण हमारे आदर्श है।
भारत की एकता और अखंडता की रक्षा:
भारत की समप्रभुता, एकता, और अंखडटा की रक्षा करे। इसका उल्लेख पहले भी किया गया है और मौलिक अधिकारों की धारा 19 (2) के तहत भारत की सुम्प्र्भुता और अखंडता के हित में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उचित प्रतिबंधो की अनुमति प्रदान की गई है।
देश की रक्षा:
देश की रक्षा करें और आह्वन किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करें। राष्ट्र की विचारधारा और राष्ट्र के आदर्श मूल्यों की रक्षा करना।
सामान भावना निर्माण
भारत के सभी लोगो में समरसता और समान की भावना निर्माण करे। ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सामान के विरोध हो. प्रत्येक नागरिको को एकसमान आदर एवं सम्मान देना।
सामाजिक संस्कृति और गौरवशाली:
हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझे और उसका परिक्षण करें। भारतीय संस्कृति का संरक्षण और उसे बढ़ावा देना।
प्रत्येक संपदा का संरक्षण करना:
प्राक्रतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन करें। प्राकृतिक संपदा का संरक्षण करना और उसकी वृद्धि हेतु अनेको प्रयत्न करना।
वैज्ञानिक मानदंडो को अपनाना:
वैज्ञानिक दुष्टिकोर्, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा की भावना विकास करें और नविन ज्ञान के क्षेत्र में वृद्धि करना।
सार्वजनिक संपत्ति:
सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।सार्वजनिक सम्पत्ति की प्रत्येक परिस्थति में रक्षा करें उसे हानि न पहुंचाएं।
राष्ट्र के विकास हेतु सामाजिक कार्यो में अपना योगदान:
व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रो में उत्कर्ष की और बढ़ने सत्त्त प्रयास करे, जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की ऊँचाइयों को छू लें।
प्रत्येक माता-पिता का उत्तरदायित्व:
6-14 वर्ष के आयु के बच्चो के माता पिता या संरक्षक बच्चो को शिक्षा दिलाने का अवसर प्रदान करें। यह प्रत्येक माता पिता का उत्तरदायित्व होगा की वह अपने बच्चो को प्राथमिक निः शुल्क शिक्षा प्रदान करवाए 6-14 वर्ष के आयु के बच्चो को।
मौलिक कर्तव्यों की विशेषताएं:
- यह नैतिक उत्तरदायित्वों और नागरिको कर्तव्यो का मिश्रण है जो स्वतंत्रता सग्राम के आदर्शो को प्रदर्शित करते है और जो संविधान का सम्मान करते है।
- नागरिको को उनके कर्तव्यो का का स्मरण कराते है जब नागरिक अधिकार का उपयोग करता है ताकि लोकतंत्र को मजबूत बनाया जा सके।
- संविधान 42 संशोधन द्वारा नागरिको के लिए कर्तव्यों का समावेश करके हमारे संविधान की बहुत बड़ी कमी को पूरा किया गया है।
- मूल अधिकार भारत में रहने वाले हर व्यक्ति पर लागू होते है।
- मूल कर्तव्य देश के नागरिको को राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य के सम्बन्ध में जानकारी देतें है।
- मौलिक कर्तव्यों को देशभक्ति की भावना का बढ़ावा देने तथा भारत की एकता को बने रखने के लिए भारत के सभी नागरिको के नैतिक दाय्तित्व के रूप में परिभाषित किया गया है।
- यह भारत में विभिन्न संस्कृतियों के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते है।
निष्कर्ष:
भारत में मोलिक अधिकार पर मौलिक कर्तव्यो का देश में बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभाव है। भारत के भारतीय संविधान ने भारतीय नागरिको के मौलिक कर्तव्यों को 1976 में जोड़ा. स्वर्ण सिंह समिति का गठन पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी ने किया था। मौलिक कर्तव्य प्रत्येक भारतीय नागरिक के कर्तव्य है।
मौलिक कर्तव्य का यह उद्देश्य है की प्रत्येक नागरिको को यह एहसास कराया जाये की सर्वप्रथम राष्ट्र की स्वतंत्रता एवं संप्रभुता है,अर्थात प्रत्येक कार्य एवं प्रत्येक लक्ष्य के आगे राष्ट्रहित होना चाहिए।
FAQ:
11वां मौलिक कर्तव्य संविधान में कब शामिल हुआ?
86वें संविधान 2002 के द्वारा जोड़ा गया।
मौलिक कर्तव्यों को किसके संविधान से लिया गया है?
रूस के।
सबसे पहले संविधान कहा लागू हुआ?
अमेरिका मे।
भारत के संविधान में कितने भाग है?
22
भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्य को कब शामिल किया गया?
1976.