स्व प्रत्यय का अर्थ क्या है? - sv pratyay ka arth kya hai?

विषयसूची

  • 1 स्व या आत्म से आप क्या समझते हैं?
  • 2 आत्म प्रत्यय से क्या आशय है?
  • 3 आत्म जागरूकता क्या है जीवन में इसका महत्व लिखिए?
  • 4 कैसे आत्म सम्मान और आत्म नियंत्रण किशोरावस्था के विकास को प्रभावित?
  • 5 आत्म की समझ क्या है?
  • 6 व्यक्तित्व क्या है व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक?
  • 7 समझ से आप क्या समझते हैं?
  • 8 स्व प्रबंधन की मूल बातें क्या है?
  • 9 स्व के विभिन्न पक्ष की संख्या कितनी है?

स्व या आत्म से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकें__ ‘स्व’ या आत्म की अवधारणा का अर्थ है स्वयं के बारे में ज्ञान हासिल करने की योग्यता और इसे अपनी भाषा में और अपनी शैली में हासिल करना। भले ही इसके लिए कोई व्यक्ति दूसरों के द्वारा सुझाए गए रास्तों का प्रयोग कर सकता है। ‘स्व’ का मतलब होता है स्वयं की पहचान, स्वयं का व्यक्तित्व अर्थात् जो कुछ कोई व्यक्ति है।

आत्म प्रत्यय से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंआत्म-प्रत्यय का अर्थ आत्म-प्रत्यय का सामान्य अर्थ है- अपने बारे में धारणा या विचार। यह व्यक्ति का अपने स्वयं के बारे में दृष्टिकोण या प्रत्यक्षीकरण है।

आत्म जागरूकता क्या है जीवन में इसका महत्व लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंआत्म-जागरूकता (कभी-कभी आत्मा-ज्ञान या आत्मनिरीक्षण के रूप में भी जाना जाता है) आपकी अपनी जरूरतों, इच्छाओं, असफलताओं, आदतों, और अन्य सभी चीजों को समझने के बारे में है जो आपको एक अद्वितीय व्यक्ति बनाता है। जितना अधिक आप अपने बारे में जानते हैं, उतना ही बेहतर आप जीवन के परिवर्तनों को स्वीकार करते हैं।

स्व विकास से क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंस्व-विकास की अवधारणा: हेनरी सिम्स के अनुसार, “आत्म-नियंत्रण उन व्यवहारों को संदर्भित करता है जो एक व्यक्ति जानबूझकर आत्म-चयनित परिणामों को प्राप्त करने के लिए करता है। व्यक्तिगत कर्मचारी लक्ष्यों का चयन करता है और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रक्रियाओं को लागू करता है। ”

व्यक्तित्व और आत्म अवधारणा व्यवहार को कैसे प्रभावित करते है समझाइये?

इसे सुनेंरोकेंवास्तव में आत्म व्यक्तित्व के मूल रूप में स्थित होता है। आत्म एवं व्यक्तित्व का अध्ययन न केवल यह समझने में कि हम कौन हैं अपितु हमारी अनन्यता और दूसरों से हमारी समानताओं को भी समझने में हमारी सहायता करता है। आत्म एवं व्यक्तित्व की समझ के द्वारा हम स्वयं के और दूसरों के व्यवहारों को भिन्न परिस्थितियों में समझ सकते हैं।

कैसे आत्म सम्मान और आत्म नियंत्रण किशोरावस्था के विकास को प्रभावित?

इसे सुनेंरोकेंबचपन और किशोरावस्था में आत्म-सम्मान और आत्म-अवधारणा आवश्यक महत्व का एक और पहलू जो इन वर्षों के दौरान विकसित होता है, प्रतिनिधित्व का एक संपूर्ण नक्षत्र का गठन होता है, जो सामाजिक वातावरण और पेरेंटिंग पैटर्न के चर से बहुत प्रभावित होता है, अपनी प्रतियोगिताओं और प्रदर्शनों को बदलने की संभावना या नहीं के बारे में।.

आत्म की समझ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंआत्म अवधारणा में हम खुद को जहां देखते हैं, उसका प्रभाव जीवन पर पड़ता है। जैसे कि एक सकारात्मक और स्वस्थ प्रकाश में खुद को देखते हैं तो जीवन के अनुभव सकारात्मक और स्वस्थ होते हैं। इससे हमारे जीवन की चुनौतियों से हमें आगाह करता है और विपरीत परिस्थितियों में काम करने के लिए हमें आवश्यक दृष्टिकोण प्रदान करता हैं।

व्यक्तित्व क्या है व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक?

इसे सुनेंरोकेंउसे अपनी भाषा, रहन-सहन के ढंग, खाने-पीने की विधि, दूसरों के साथ व्यवहार करने के प्रतिमान, धार्मिक एवं नैतिक विचार आदि अनेक बातें समाज से प्राप्त होती है। इस प्रकार, समाज उसके व्यक्तित्व का निर्माण करता है।

व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?

(ब) वातावरणीय कारक

  1. परिवार परिवार के विभिन्न सदस्यों के व्यक्तित्व और उनकी परस्पर अन्तर्क्रिया का बालक के व्यक्तित्व पर जन्म से ही प्रभाव पड़ना प्रारंभ हो जाता हैं।
  2. पास-पड़ोस जैसे-जैसे बालक का विकास होता जाता है उसका सामाजिक दायरा बढ़ता जाता हैं।
  3. आर्थिक स्थिति
  4. विद्यालय
  5. जनसंचार माध्यम
  6. धर्म व संस्कृति

आत्म प्रत्यय से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंआत्म-प्रत्यय का अर्थ आत्म-प्रत्यय का सामान्य अर्थ है- अपने बारे में धारणा या विचार। यह व्यक्ति का अपने स्वयं के बारे में दृष्टिकोण या प्रत्यक्षीकरण है। वस्तुतः आत्मप्रत्यय उन सब का कुल योग है जिसे वह अपना कह सकता है।

समझ से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंसमझ एक ज़िन्दगी का वह हिस्सा है, जो हर वक्त काम आता है। हम समझदार हैं ,तभी तो पानी बचाने की बात करते ,हम समझदार हैं तभी तो पेड़ लगाने की बात करते है। समझ ही मानव शरीर का शांतुलन बना के रखती है। चाहे वह परिवार का मसला हो चाहे वह राजनीतिक मसला हो हर जगह समझदारी ही काम आती है।

स्व प्रबंधन की मूल बातें क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसरल शब्दों में कहा जाए तो स्व-प्रबंधन किसी संस्थान या किसी व्यवसाय में आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता स्वयं-प्रबंधित करने के संबंध में है। स्व- प्रबंधन से अपने लक्ष्य को निर्धारित कर तथा अनुकूल परिणाम करने में सहायता प्राप्त होती है और अपने इच्छित लक्ष्यों का एक विस्तृत खाका तैयार किया जा सकता है।

स्व के विभिन्न पक्ष की संख्या कितनी है?

इसे सुनेंरोकेंस्व संप्रत्यय के दो पक्ष कौन-से हैं? उत्तर: व्यक्ति स्वयं के बारे में स्वयं की योग्यताओं, क्षमताओं, भावनाओं आदि के बारे में जो विचार रखता है, वे उसके स्व संप्रत्यय का निर्माण करते हैं। व्यक्तिगत अनन्यता से तात्पर्य व्यक्ति के वे गुण शामिल होते हैं जो उसे दूसरों से अलग पहचान दिलाते हैं।

स्व प्रत्यय से आप क्या समझते हैं?

आत्म-प्रत्यय का सामान्य अर्थ है- अपने बारे में धारणा या विचार। यह व्यक्ति का अपने स्वयं के बारे में दृष्टिकोण या प्रत्यक्षीकरण है। वस्तुतः आत्मप्रत्यय उन सब का कुल योग है जिसे वह अपना कह सकता है।

स्वयं संकल्पना का क्या अर्थ है?

स्व-संकल्पना एक व्यक्ति का विवरण है । यह "मैं कौन हूँ" ?, प्रश्न का उत्तर देता है । हमारी इस बात की संकल्पना में हमारी विशेषताएँ, अनुभूतियाँ और विचार और हम क्या करने में सक्षम हैं, शामिल होते हैं। स्व-संकल्पना का एक महत्वपूर्ण पक्ष स्वाभिमान है।

स्वयं से आप क्या समझते हैं?

स्व की संरचना व्यक्ति को अपनी अनुभूतियों एवं दूसरों के बारे में प्राप्त अनुभूतियों के आलोक में परिवर्तित होता है। स्व के उन गुणों की एक सूची होती है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने आप का वर्णन करता है। इन्हीं गुणों के आधार पर व्यक्ति की अपनी पहचान तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक पहचान स्थापित हो पाती है।

स्व विकास से आप क्या समझते हैं?

स्व-विकास की अवधारणा: हेनरी सिम्स के अनुसार, "आत्म-नियंत्रण उन व्यवहारों को संदर्भित करता है जो एक व्यक्ति जानबूझकर आत्म-चयनित परिणामों को प्राप्त करने के लिए करता है। व्यक्तिगत कर्मचारी लक्ष्यों का चयन करता है और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रक्रियाओं को लागू करता है। ”