सत्ता की साझेदारी का क्या अर्थ है क्यों आवश्यक है? - satta kee saajhedaaree ka kya arth hai kyon aavashyak hai?

सत्ता की साझेदारी के रूप:

शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा: सत्ता के विभिन्न अंग हैं; विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका। इन अंगों के बीच सत्ता के बँटवारे से ये अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हैं। इस तरह के बँटवारे को सत्ता का क्षैतिज बँटवारा कहते हैं।

इस तरह के बँटवारे से यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी भी एक अंग के पास असीमित शक्ति नहीं रहती है। इससे विभिन्न संस्थानों के बीच शक्ति का संतुलन बना रहता है।

सत्ता के उपयोग का अधिकार कार्यपालिका के पास होता है, लेकिन कार्यपालिका संसद के अधीन होती है। संसद के पास कानून बनाने का अधिकार होता है, लेकिन संसद को जनता को जवाब देना होता है। न्यायपालिका स्वतंत्र रहती है। न्यायपालिका यह देखती है कि विधायिका और कार्यपालिका द्वारा सभी नियमों का सही ढ़ंग से पालन हो रहा है।

विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा: भारत एक विशाल देश है। इतने बड़े देश में सरकार चलाने के लिए सत्ता की विकेंद्रीकरण जरूरी हो जाता है। हमारे देश में सरकार के दो मुख्य स्तर होते हैं: केंद्र सरकार और राज्य सरकार। पूरे राष्ट्र की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर होती है, तथा गणराज्य की विभिन्न इकाइयों की जिम्मेदारी राज्य सरकारें लेती हैं। दोनों के अधिकार क्षेत्र में अलग अलग विषय होते हैं। कुछ विषय साझा लिस्ट में रहते हैं।

सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा: हमारे देश में विविधता भरी पड़ी है। इस देश में अनगिनत सामाजिक, भाषाई, धार्मिक और जातीय समूह हैं। इन विविध समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा जरूरी हो जाता है। इस प्रकार के बँटवारे का एक उदाहरण है, समाज के पिछ्ड़े वर्ग के लोगों को मिलने वाला आरक्षण। इस प्रकार के आरक्षण से पिछ्ड़े वर्ग का सरकार में सही प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाता है।


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सत्ता की साझेदारी एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें समाज के प्रत्येक समुदाय ओर नागरिक की हिस्सेदारी होती है। इसे सत्ता की साझेदारी के नाम से जानते हैं। सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र का आधार है। अर्थात लोकतंत्र का मूल तत्व है। जो भागीदारी के द्वारा संभव होती है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में उनसे सलाह ले जाने का अधिकार रहता है।

सत्ता की साझेदारी का क्या अर्थ है क्यों आवश्यक है? - satta kee saajhedaaree ka kya arth hai kyon aavashyak hai?
सत्ता की साझेदारी

सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है ?

समाज (society ) में सौहार्द्र अर्थात मित्रता और शांति बनाये रखने के लिये सत्ता की साझेदारी बहुत जरूरी है। इससे विभिन्न सामाजिक समूहों में टकराव की स्थिति बहुत काम होती हे और सत्ता की साझेदारी का समझदारी भरा कारण भी है। समाज में टकराव और बहु-संख्यक आतंक को रोकना है। सत्ता की साझेदारी का नैतिक कारण अर्थात नीति के साथ व्यवहार जिससे समाज में सहभागिता हो, लोकतंत्र की आत्मा को अक्षुण्ण यर्थात सदैव बना रहे।

सत्ता की साझेदारी class 10 notes

  • बेल्जियम की कहानी
  • सत्ता की साझेदारी क्यों जरुरी है?
  • श्रीलंका की कहानी
  • श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद
  • बेल्जियम की समझदारी
  • सत्ता की साझेदारी के रूप
  • Read more: लोकतंत्र के गुण तथा दोष लिखिए-
  • सत्ता की साझेदारी प्रश्न उत्तर।
  • लोकतंत्र के गुण तथा दोष बताइए।

इन्हें भी पढ़ें:- सत्ता की साझेदारी-

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1 Answer

Answered Jun 19, 2021 by AnjaliYadav (82.6k Points)

सत्ता में साझेदारी का अर्थ- सरकारी क्रियाकलापों में जनता की भागीदारी तथा सरकार के निर्णयों एवं नीति-निर्माण में भाग लेना। दूसरे शब्दों में कहें तो नागरिकों द्वारा सरकारी कामकाज में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से भाग लेने की क्रिया को सत्ता में साझेदारी की संज्ञा दी जाती है।

सत्ता में साझेदारी को लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक आवश्यक और महत्वपूर्ण आधार माना गया। आज का युग सत्ता के विकेंद्रीकरण का है। यह तभी संभव है, जब सत्ता में अधिक-से-अधिक लोगों की साझेदारी सुनिश्चित हो।

सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता

समाज में सौहार्द्र और शांति बनाये रखने के लिये सत्ता की साझेदारी जरूरी है। इससे विभिन्न सामाजिक समूहों में टकराव को कम करने में मदद मिलती है।

किसी भी समाज में बहुसंख्यक के आतंक का खतरा बना रहता है। बहुसंख्यक का आतंक न केवल अल्पसंख्यक समूह को तबाह करता है बल्कि स्वयं को भी तबाह करता है। सत्ता की साझेदारी के माध्यम से बहुसंख्यक के आतंक से बचा जा सकता है।

लोगों की आवाज ही लोकतांत्रिक सरकार की नींव बनाती है। इसलिये यह कहा जा सकता है कि लोकतंत्र की आत्मा का सम्मान रखने के लिए सत्ता की साझेदारी जरूरी है।

सत्ता की साझेदारी के दो कारण होते हैं। एक है समझदारी भरा कारण और दूसरा है नैतिक कारण। सत्ता की साझेदारी का समझदारी भरा कारण है समाज में टकराव और बहुसंख्यक के आतंक को रोकना। सत्ता की साझेदारी का नैतिक कारण है लोकतंत्र की आत्मा को अक्षुण्ण रखना।


सत्ता में साझेदारी का क्या अर्थ है?

सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है, जो भागीदारी के द्वारा संभव हो पाती है।

सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है?

Solution : (i) टकराव को रोकने के लिए- सत्ता की साझेदारी जरूरी इसलिए है क्योंकि इससे सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है। चूंकि सामाजिक टकराव आगे बढ़कर अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनैतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है।

सत्ता की साझेदारी क्या है इसके क्या क्या लाभ है?

जब बिना किसी भेदभाव के सभी जातियों के हितों को ध्यान में रखा जाता है और उनकी भावनाओं का आदर किया जाता है तो किसी भी प्रकार के संघर्ष की भावना समाप्त हो जाती है तथा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है। सत्ता की साझेदारी अपनाकर विभिन्न समूह के बीच आपसी टकराव तथा गृह युद्ध की संभावना को समाप्त किया जा सकता है।

सत्ता की साझेदारी में लोकतंत्र का क्या महत्व है?

Solution : सत्ता की साझेदारी एक नीति है, जिसके अंतर्गत देश के शासन में समाज के सभी प्रमुख समूहो को सत्ता का एक स्थाई भाग प्रदान किया जाता है। जातीय और सांस्कृतिक विभिन्नताओं के कारण विभाजित समाज में झगड़े सुलझाने का यह एक सामर्थ्य वान हथियार है।