अमरीकी अंतरिक्ष यान स्टारडस्ट ने अंतरिक्ष से धूल के कण लेकर धरती पर छोड़े हैं. ये यान सात साल से अंतरिक्ष में था. अंतरिक्ष यान ने धूल के ये कण उस वक्त छोड़े जब वो 4.7 अरब किलोमीटर का चक्कर लगाने के बाद धरती के पास से गुज़रा. स्टारडस्ट यान ने धूल के कणों से भरा बक्सा 0557 जीएमटी पर छोड़ा. इस बक्से का वज़न 45 किलोग्राम था. उड़ान भरने के चार घंटे बाद अंतरिक्ष यान ने धरती के वायुमंडल में प्रशांत महासागर के ऊपर से प्रवेश किया. यान ने 46 हज़ार 660 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार पकड़ी और इसे अमरीका के कुछ हिस्सों में आसमान पर रोशनी की किरण के रूप में देखा गया. करीब 32 किलोमीटर की ऊँचाई पर यान से पैराशूट छोड़ा गया और करीब 3 किलोमीटर की ऊँचाई पर पैराशूट खोला गया जिसके बाद धूल के कणों से भरा बक्सा यूटा रेगिस्तान पर 1012 जीएमटी पर पहुँचा. विश्लेषण धूल के बक्से के धरती पर पहुँचने के एक घंटे बाद उसे हेलिकॉप्टर के ज़रिए ढूँढा गया. प्रारंभिक विशलेषण के लिए इस बक्से को एक सैनिक इमारत में ले जाया गया है. अगले कुछ दिनों में इस बक्से को ह्यूस्टन में नासा के जॉन्सन अंतरिक्ष केंद्र भेजा जाएगा जहाँ वैज्ञानिक इसका पूरा विशलेषण करेंगे. वैज्ञानिकों का मानना है कि अंतरिक्ष से लिए गए धूल के इन कणों से सौर मंडल की उत्पत्ति के बारे में पता चल पाएगा. माना जा रहा है कि इस बक्से में करीब दस लाख धूल के कण हैं जो धूमकेतु से लिए गए हैं या फिर सौर मंडल की उत्पत्ति के बाद पीछे छूट गए हैं. अंतरिक्ष यान स्टारडस्ट 2004 में वाइल्ड 2 नाम के पुच्छल तारे से जा टकराया था. भूमंडलीय और अंतरिक्ष विज्ञान शोध संस्थान पीएसएसआरई की मोनिका ग्रेडी ने कहा है कि स्टारडस्ट ने धूल के जो कण भेजे हैं उनका विशलेषण करना तकनीक और विज्ञान के ज़रिए से काफ़ी चुनौतीपूर्ण होगा. वहीं पीएसएसआरई के डॉक्टर साइमन ग्रीन ने बताया," धूमकेतु बर्फ़ से बने होते हैं और बहुत ठंडे होते हैं. इसके चलते जिस धूमकेतु का मूल पदार्थ गर्मी से बचा रहता है. सो जब से धूमकेतु बने हैं वो ज्यों के त्यों हैं." ये पहली बार है जब किसी अंतरिक्ष अभियान के तहत धूल के कण धरती पर भेजे गए हैं. इस पहले 1976 में पूर्व सोवियत संघ के एक मानवरहित यान चाँद से मिट्टी के नमूने लेकर वापस लेकर आया था. |