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Solution : जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर शासन में जो खलबली और बदहवासी दर्शाता है इससे संकेत मिलता है कि आज हम स्वतन्त्र देश में गुलामों की तरह जी रहे हैं। गुलामी आज भी हमारी मानसिकता पर अपनी छाप बनाए हुए हैं। सरकारी तंत्र उस जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर चिंतित दिखाई दे रही है जिसने हमारे भारत पर राज करते हुए कहर ढाए। उसके द्वारा किये गये अत्याचारों को भूलकर उसके सम्मान में जुट जाता है। ये तो मूर्खता, अयोग्यता और अदूरदर्शिता को दर्शा रहा है। परतंत्रता की मानसिकता से अब भी मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। अतिथि का सम्मान करने के लिए अपने सम्मान को दाब पर लगाना कहाँ तक तर्कसंगत हो सकता है। वे केवल अपनी नाक बचाना चाहते थे। अपने देश व देशवासियों को महत्व न देकर जॉर्ज पंचम की नाक को इतना महत्व देना, उनकी नीच, क्रुर, स्वार्थी तथा संकुचित सोच का परिणाम है। 4 जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर शासन में खलबली क्यों थी इसमें निहित व्यंग को स्पष्ट कीजिए?Solution : जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर शासन में जो खलबली और बदहवासी दर्शाता है इससे संकेत मिलता है कि आज हम स्वतन्त्र देश में गुलामों की तरह जी रहे हैं। गुलामी आज भी हमारी मानसिकता पर अपनी छाप बनाए हुए हैं। सरकारी तंत्र उस जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर चिंतित दिखाई दे रही है जिसने हमारे भारत पर राज करते हुए कहर ढाए।
जार्ज पंचम की नाक लगाने वाले दिन अखबार चुप क्यों थे?जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों. थे? Solution : उस दिन सभी अखबार इसलिए चुप थे क्योंकि भारत में न तो कहीं कोई अभिनंदन कार्यक्रम हुआ, न सम्मान-पत्र भेंट करने का आयोजन हुआ। न ही किसी नेता ने कोई उद्घाटन किया, न कोई फीता काटा गया, न सार्वजनिक सभा हुई ।
जॉर्ज पंचम की नाक में निहित व्यंग को स्पष्ट करते हुए बताइए कि मानसिक पराधीनता से मुक्ति पाना क्यों आवश्यक है?Solution : जॉर्ज पंचम की नाक. पाठं एक सटीक व्यंग्य है हमारे शाही तंत्र की गुलामी की मानसिकता पर जब रानी एलिजाबेथ द्वितीय भारत दौरे पर आ रही थी तो बड़े-बड़े हुक्कामों ने दिल्ली का काया पलट कर दिया। वे भूल चुके हैं कि इसी महारानी के देश ने ही उन्हें कभी गुलाम बनाया था। इस निबंध में सरकारी कार्यप्रणाली पर भी व्यंग्य है।
जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर आंदोलन क्यों और किसके द्वारा हुए थे इनका परिणाम क्या हुआ?Solution : आजादी के बाद जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर राजनीतिक दलों ने आंदोलन किए थे। किसी दल का मत था कि जॉर्ज की नाक काट देनी चाहिए। कोई दल उसे सुरक्षित रखना चाहता था। इस पर सभी दलों के लोग पक्ष और विपक्ष में बँटे हुए थे।
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