संस्कृत में गोबर को क्या कहते हैं? - sanskrt mein gobar ko kya kahate hain?

गोबर

  • गाय,भैंस आदि का मल या विष्ठा

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गोबरगणेश का चिंतन अर्थात गोबरवाद

संस्कृत में गोबर को क्या कहते हैं? - sanskrt mein gobar ko kya kahate hain?
... अपने मित्र, गोबरवाद शब्द के जनक और इस दर्शन के व्याख्याकार,  वरिष्ठ टीवी पत्रकार रवीशकुमार को यह पोस्ट समर्पित है। वे कहते है -“मैं गोबरवाद का प्रवर्तक हूं। गोबर को सम्मान दिलाने की लड़ाई लड़ूंगा। कहूंगा लीक को मत बदलो। लीक को गोबर से पोत कर नया कर दो।” इस दिशा में शब्दों का सफर ने गोबर शब्द के इर्दगिर्द ताकझांक करने की कोशिश की है...

गो बर की महिमा न्यारी है। हमारी संस्कृति गोबरमय है। धर्म से कर्म तक गोबर व्याप्त है। सड़कों चौराहों से लेकर दिमाग़ तक में गोबर पाया जाता है। विदेशी भी हमारा गोबरप्रेम जानते हैं इसलिए डेनमार्क जैसा बित्ते भर का देश अपना टनों गोबर जहाजों में भरकर भारत भेजने की पेशकश करता है। प्रचलित अर्थों में गाय के अपशिष्ट को गोबर कहा जाता है। हिन्दुओं में कोई भी मांगलिक कार्य पंचगव्य के बिना पूरा नहीं होता। गाय द्वारा प्रदत्त उत्पादों में पंचगव्य को सर्वाधिक  पवित्र और ओषधीय महत्व का माना जाता है। यह गोवंशीय उपहारों का समग्र रूप है जिसमें दूध, घी, दही, गोमूत्र और गोबर का मिश्रण होता है। भारतीय संस्कृति मे एक ओर तो गोबर का आयुर्वैदिक, ओषधीय और आनुष्ठानिक महत्व है वहीं गोवंशीय पशुओं द्वारा त्याज्य अपशिष्ट के रूप में इसमें विष्ठा से जुड़े हुए हीन भाव भी अभिव्यक्त होते हैं। होली के मौके पर उन्मुक्त और भदेस अभिव्यक्ति के नाम पर कई स्थानों पर गोबर होली भी खेली जाती रही है। आपटे के संस्कृत कोश में गोबर के लिए गोविष्ठा शब्द का उल्लेख है, पर वहां गोबर की व्युत्पत्ति नहीं मिलती। प्रसंगवश कंडा या जलावन के तौर पर गोईठा शब्द

संस्कृत में गोबर को क्या कहते हैं? - sanskrt mein gobar ko kya kahate hain?
दरअसल गोविष्ठा शब्द का ही देशज रूप है। गोविष्ठा > गोइट्ठा >  गोईठा के क्रम में इसका रूपांतर हुआ। गोबर शब्द की व्युत्पत्ति अनिश्चित है और शब्दकोशों में इसके बारे में ठोस जानकारी नहीं मिलती। गाय के प्रति सनातन कृतज्ञता का भाव रखने वाली भारतीय मनीषा ने गाय को माता का दर्जा दिया जिसके विविध आयाम कृषि आधारित सामाजिक संस्कृति में प्रकट हुए।

कुछ संदर्भों के अनुसार गोबर शब्द गो+वरः से बना है। संस्कृत की ध्वनि हिन्दी में में तब्दील होती है। संस्कृत में वर् धातु की व्यापक अर्थवत्ता है जिसमें उपहार, प्रदान करना, मनोकामना, अनुग्रह या परिपूर्ण करने जैसे भाव हैं। मोनियर विलियम्स के कोश में उक्त व्युत्पत्ति की पुष्टि होती है। वर् धातु में पदार्थ, वस्तु या पिण्ड का भाव भी है। इस रूप में ध्यान दें गोबर के रूपाकार पर।  गौरतलब है गो शब्द का अर्थ है गमन करना। संस्कृत की गो धातु में गाय का अर्थ बहुत बाद में स्थिर हुआ, प्रारम्भिक अवस्था में गो शब्द में सिर्फ पशु या चौपाए का भाव था जिसके मूल में उनका लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान पर चलते रहने का भाव था। गो का एक अर्थ पृथ्वी भी है क्योंकि पृथ्वी अपनी धुरि पर लगातार गतिमान रहती है। जॉन प्लैट्स की हिन्दुस्तानी उर्दू इंग्लिश डिक्शनरी में गोबर की व्युत्पत्ति गोवरः के अलावा गो + वट् से भी मानी गई है। वट् में पिंड, गोली, गेंद, वटिका या बट्टी का भाव है। जाहिर है विष्ठापिण्ड

गोबरवाद- गोबर हमारे टाइम का सबसे बड़ा आइडिया/ हगने के तुरंत बाद नरम रहता है/ सूखने पर सख्त हो जाता है/ जब यह नदी गंगा सूख जाएगी/ एक दिन उसकी तलछटी को गोबर से ही लीपा जाएगा/ रेमण्ड के सूट में पन्डी जी,ग्लब्स पहिन कर/ बिसलेरी के पानी को अंजुरी में भर कर छिड़क देंगे तलछटी पर [रवीशकुमार की पूरी पोस्ट पढ़ें यहां]

के रूप में यह व्युत्पत्ति भी तार्किक है मगर वट् का बट तो हो सकता है किन्तु ध्वनि का में रूपांतर कुछ मुश्किल है।

क अन्य संदर्भ के अनुसार गोबर शब्द का मूल संस्कृत रूप गोर्वरः है। मराठी में गोबर आधारित पदार्थ जैसे कंडा के लिए गोवरी शब्द है। इसकी व्युत्पत्ति गोर्वरः से मानी गई है।  गो अर्थात गाय अपने अपशिष्ट से भूमि की उर्वराशक्ति को स्थायी बनाती थी। ब्रज प्रदेश में गोवर्धन पर्वत का धार्मिक महत्व है। गोवर्धन नाम से स्पष्ट है कि प्राचीनकाल में यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर था जिसकी वजह से यहां पशुधन की बहुतायत थी। गो+वर्धन का अर्थ है जहां गोवंश वृद्धि प्राप्त करे। गो के व्यापक स्वरूप अर्थात समस्त चौपायों के संदर्भ में भी गोवर्धन शब्द को समझा जा सकता है। हरियाली भरा यह क्षेत्र सिर्फ गोवंश नही बल्कि सभी पशुओं के लिए समृद्ध  आश्रयस्थली था। भाषा के विकास में शब्दों में अर्थविकास के साथ अर्थ संकोच भी होता है। गोवर्धन कालांतर में गोबरधन हो गया। गोबर को सुखा कर, उपले पाथ कर आजीविका चलानेवालों के लिए इस तरह गोबरधन शब्द भले ही अर्थवान होता हो पर यह है शुद्ध शब्दविलास ही। प्रेमचंद के कालजयी उपन्यास के नायक होरी के पुत्र गोबर का नाम उपहास के रूप में नई पीढ़ी के हिन्दीभाषियों की स्मृति में है जो इसमें छुपे गोवर्धन को शायद पहचान नहीं पाई है।

रामचंद्र वर्म्मा के वृहत प्रामाणिक कोश के मुताबिक गोबर शब्द फारसी मूल का है और गो + बअर का युग्मरूप है। संस्कृत का गो अवेस्ता में भी इसी रूप में विद्यमान है जो फारसी में भी कायम रहा। फारसी में भी गाय समेत अन्य पशुओं के लिए गो शब्द है। कोश के मुताबिक अरबी में बअर का अर्थ गोबर होता है। खोजने पर अरबी में बअर तो नहीं बअर्र, बरर या बर्र शब्द ज़रूर मिलते हैं, जिनका अर्थ है गाय, भेड़ या अन्य पशुओं की विष्ठा। हिन्दू संस्कृति में गोवंश की महत्ता को देखते हुए यह व्युत्पत्ति तार्किक तो है, मगर प्रामाणिक नहीं लगती। भारतीय भाषाओं में गोबर से बने कई देशज शब्द है जिनके आधार पर इतना कहा जा सकता है कि फारसी और अरबी से बना गोबर शब्द हिन्दी में समाया विदेशज शब्द नहीं है। हिन्दी शब्दसागर के मुताबिक गोबर शब्द गोमल का देशज रूप है जिसकी व्युत्पत्ति गो + मल से हुई है अर्थात गाय का अपशिष्ट। यह व्युत्पत्ति भी विश्वसनीय नहीं लगती क्योंकि म-ल ध्वनियों से ब-र ध्वनियों का निर्माण एक विरल उदाहरण है। भारतीय संस्कृति में गोवंश के महत्व को देखते हुए गोबर शब्द की व्युत्पत्ति गोवरः या गोर्वरः से मानी जानी चाहिए।

सी कड़ी से जुड़े कुछ अन्य शब्द और मुहावरे भी हिन्दी में प्रचलित हैं जैसे गोबरगणेश। मूर्ख, भोंदू, भद्दा या नालायक के अर्थ में गोबरगणेश मुहावरा हिन्दी में खूब प्रयोग होता है। गौरतलब है कि गोबरगणेश का संदर्भ पुराणों से जुड़ा है। गौरतलब है कि देवों-दानवों में हुए अमृतमंथन के दौरान नंदा, सुभद्रा, सुरभि, सुशीला और बहुला पांच कामधेनुएं भी निकली थीं। देवों को दानवों के संत्रास से मुक्ति दिलाने के लिए आदिशक्ति दुर्गा ने सुरभि गाय के गोबर से गणेश की रचना की और उन्हें

संस्कृत में गोबर को क्या कहते हैं? - sanskrt mein gobar ko kya kahate hain?
विभिन्य शक्तियां प्रदान कर अपना वाहन सिंह प्रदान किया। गणेश ने दानवों का संहार किया और इस तरह गणनायक या गणपति की उपाधि प्राप्त की।  गोबरगणेश मुहावरे में दरअसल यह संदर्भ छिपा रह जाता है पर अर्थवत्ता पूरी तरह उभर रही है। गोबर से गणेश की रचना एक महान उद्धेश्य के निमित हुई। देवी दुर्गा ने अपनी शक्तियों का संचार कर उसे समर्थ बनाया। लौकिक अर्थों में किसी व्यक्ति को गोबरगणेश कहने के पीछे यही आशय है कि वह मूर्ख है और पौराणिक गोबरगणेश की तरह उसमें अलौकिक क्षमता  नहीं हैं। वह निरा मिट्टी का माधौ है। कुछ लोग देसी गाय के गोबर में उभरी रेखाओं में नजर आती विभिन्न आकृतियों में भी गणेश का रूपाकार देखते हुए गोबरगणेश को इससे जोड़ते हैं। गुड़गोबर करना मुहावरा भी इसी मूल से आ रहा है। यहां भी गोबर के प्रति नकारात्मक भाव सामने आ रहा है। बना बनाया काम बिगड़ना के अर्थ में इसका प्रयोग होता है। गुड़ के निर्माण की प्रक्रिया बड़ी जटिल होती है। निर्माण के विभिन्न चरणों में अगर सावधानी न बरती जाए तो गुड़ ठोस आकार नहीं ले पाता है और पतला रह जाता है। इसीलिए कहा जाता था कि सब गुड़, गोबर कर दिया। बाद में गुड़ से विराम हट गया और गुड़गोबर एक शब्द बन गया।

राठी में कंडे या उपले को गोवरी कहा जाता है, पूर्वी बोलियों में इसके लिए गोबरी शब्द है। अन्न के भंडारण के लिए गोबर मिट्टी मिलाकर बड़ी टंकियां बनाई जाती हैं, उस पर गोबर की मोटी परत चढ़ाई जाती है जिसे गोबरी कहते हैं। विष्ठा पर पलनेवाले एक कीट को गुबरैला या गोबरैला कहते हैं। यह जीव गोबर के कण को लगातार भूमि पर धकेलता-लुढ़काता रहता है। पूर्वी भारत के गंगा-जमनी इलाके को गोबर पट्टी भी कहा जाता है। इस इलाके को अंग्रेजी में काऊबैल्ट कहते हैं जिसमें गोबरपट्टी का ही भाव है। यह गोबर प्रतीक है यहां की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का, गोबर प्रतीक है यहां की गरीबी से उपजे पिछड़ेपन और दीनता का, गोबर प्रतीक है निम्नवर्ग पर दबंगों के वर्चस्व का। गोबर प्रतीक है दूध उत्पादकों, यदुवंशियों और घोसियों की बहुलता का।  इसी संस्कृति से उपजता है गोदान का गोबर। उम्मीद है कि गोबरवाद शब्द भी जल्दी ही हिन्दी में प्रचलित हो जाए।

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गोबर शब्द का अर्थ क्या होता है?

गोबर संज्ञा पुं॰ [सं॰ गोमल] गाय का विष्ठा । गौ का मल । मुहा॰—गोबर करना = (१) गौ बैल आदि का विष्ठा त्याग करना । (२) गौ बैल आदि के नीचे का गोबर हटाना ।

कंडे को संस्कृत में क्या कहते हैं?

तत्सम शब्द सिविल सर्विसेज परीक्षा में भी पूछे जाते है अतः इनको याद करना जरूरी है आप यहां से तत्सम शब्द सीख सकते हैं। एक संदर्भ के अनुसार गोबर शब्द का मूल संस्कृत रूप गोर्वरः है। मराठी में गोबर आधारित पदार्थ जैसे कंडा के लिए गोवरी शब्द है।

भाला को संस्कृत में क्या कहते हैं?

भाला संज्ञा पुं० [सं० भल्ल] वरछा नाम का हथियार । साँग । नेजा ।