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नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ मलक्का जलसन्धि में समुद्री जल का एक दृश्य समुद्री जल अथवा सागरीय जल सागरों एवं महासागरों में पाया जाने वाला पानी है। समुद्री जल का औसत खारापन 3.5% (35 g/L, 599 mM) होता है। इसका अर्थ है की प्रति किलोग्राम समुद्री जल में लगभग 35 ग्राम (1.2 औंस) सागरीय नमक घुला हुआ होता है (इस में मुख्य रूप से सोडियम (Na+) और क्लोराइड (Cl-) के आयन होते हैं।)।
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समुद्री जल को शुद्ध करने की विधि कौन सी है?इसे सुनेंरोकेंसमुंद्री जल से शुद्ध जल साधारण आसवन विधि द्वारा प्राप्त किया जाता हैं। समुद्री जल से नमक प्राप्त करने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?इसे सुनेंरोकेंसमुद्री जल से नमक प्राप्त करने की प्रक्रिया को वाष्पीकरण प्रक्रिया कहते है। समुद्री जल को लवण हीन कैसे किया जाता है?इसे सुनेंरोकेंसमुद्री पानी में नमक के स्तर को कम करने और खारे पानी को स्वच्छ बनाने में सबसे अधिक उपयोगी तकनीक है ‘रिवर्स ओस्मोसिस’ तकनीक, जबकि दूसरी तकनीक आसवन वाली है जिसमें पानी की वाष्प बनाकर उसे ठण्डा करने पर पानी प्राप्त होता है। समुद्री जल लवणता क्या है? इसे सुनेंरोकेंलवणता वह शब्द है, जिसका उपयोग समुद्री जल में घुले हुए नमक की मात्रा को निर्धारित करने में किया जाता है। इसका परिकलन 1000 ग्राम समुद्री जल में घुले हुए नमक की मात्रा के द्वारा किया जाता है। इसे प्रायः प्रति 1000 भाग (%) या PPT के रूप में व्यक्त किया जाता है। सागरीय जल पीने योग्य क्यों नहीं है? इसे सुनेंरोकेंसमुद्र के पानी में लवण सांद्रता अधिक होने के कारण समुद्र का जल पीने योग्य नहीं होता है। समुद्री जल क्या होता है?इसे सुनेंरोकेंसमुद्री जल अथवा सागरीय जल सागरों एवं महासागरों में पाया जाने वाला पानी है। समुद्री जल का औसत खारापन 3.5% (35 g/L, 599 mM) होता है। इसका अर्थ है की प्रति किलोग्राम समुद्री जल में लगभग 35 ग्राम (1.2 औंस) सागरीय नमक घुला हुआ होता है (इस में मुख्य रूप से सोडियम (Na+) और क्लोराइड (Cl-) के आयन होते हैं।) । समुद्र से नमक प्राप्त करने की विधि को क्या कहते हैं?समुद्र के जल में क्या पाया जाता है?इसे सुनेंरोकेंसमुद्र के पानी में मौजूद सबसे स्पष्ट वस्तु पानी ही है। पानी के अलावा, समुद्र के पानी में उच्च मात्रा में सोडियम क्लोराइड नमक मौजूद होते हैं। इसमें मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम जैसे तत्व भी होते हैं। तरल या ठोस पदार्थों के अलावा, समुद्र के पानी में ऑक्सीजन, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन जैसे कई गैसीय पदार्थ मौजूद होते हैं। समुद्री जल से हमें क्या प्राप्त होता है? इसे सुनेंरोकेंउत्तर : आयोडीन हमें समुद्री जल से प्राप्त होता है। समुद्री जल की लवणता क्या? इसे सुनेंरोकेंकुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य – औसत समुद्री लवणता 35 प्रति हजार है । इसका अर्थ है एक किलोग्राम जल में 35 ग्राम लवण की मात्रा का होना । समुद्री जल में प्रवेश करने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व है – कैल्शियम । समुद्र में सबसे अधिक मात्रा में क्या पाया जाता है?इसे सुनेंरोकेंसमुद्री जल में प्रति हजार क्लोरीन के 18.98 भाग , सोडियम के 10.56 भाग प्रति हजार और मैग्नीशियम के 1.27 भाग प्रति हजार होते हैं। समुद्री जल में सबसे भरपूर ‘तत्व’ नमक है । Samudri Jal Ko Shuddh Jal Me Kis Prakriya Dwara Badla Jaa Sakta HaiA. प्रवेदना Comments कपास on 25-03-2022 कपास विधि क्या है जिनेश्वर on 07-12-2021 उत्क्रम परासरण बिधि से आप यहाँ पर समुद्री gk, शुद्ध question answers, बदला general knowledge, समुद्री सामान्य ज्ञान, शुद्ध questions in hindi, बदला notes in hindi, pdf in hindi आदि विषय पर अपने जवाब दे सकते हैं। समुद्री जल को शुद्ध करने की विधि कौन सी है?Solution : समुंद्री जल से शुद्ध जल साधारण आसवन विधि द्वारा प्राप्त किया जाता हैं।
समुद्र के जल से नमक प्राप्त करने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?स्पष्टीकरण: वाष्पीकरण का उपयोग नमक और पानी के पृथक्करण की प्रक्रिया के रूप में किया जाता है। यह एक चीनी बर्तन में घोल रखकर एक बर्नर पर नमक और पानी के घोल को गर्म करके प्रयोगात्मक रूप से किया जा सकता है। चीनी बर्तन में पानी को गर्म करके वाष्पित किया जाता है और उसमें केवल नमक बचता है।
क्या समुद्र का जल शुद्ध पदार्थ है?एक शुद्ध पदार्थ एक ही प्रकार के कणों से मिलकर बना होता है । जब हम अपने चारों ओर देखते हैं तो पाते हैं कि सभी पदार्थ दो या दो से अधिक शुद्ध अवयवों के मिलने से बने हैं, उदाहरण के लिए, समुद्र का जल, खनिज, मिट्टी आदि सभी मिश्रण हैं।
जहाज पर समुद्री जल से पीने योग्य जल कैसे प्राप्त किया जाता है?डीसेलिनेशन (अ-लवणीकरण) अथवा डिस्टिलेशन (आसवन) की प्रक्रिया या तकनीक मानव के आदिकाल से ही चली आ रही है, और यह कम पानी वाले सूखे इलाकों में आज भी सबसे अधिक प्रसिद्ध है। प्राचीन काल में लोग समुद्र यात्रा के समय अपने जहाजों पर यही डिस्टिलेशन तकनीक अपनाकर समुद्री पानी को पीने लायक बनाते थे।
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