समझदार आदमियों ने लेखक को क्या सलाह दी? - samajhadaar aadamiyon ne lekhak ko kya salaah dee?

“मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।”
• लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?


पुलिया के ऊपर बस का टायर पंचर (फिस्स) हो गया। जिससे बस जोर से हिलकर रुक गई। अगर यह बस तेज गति से चल रही होती तो अवश्य ही उछलकर नाले में गिर जाती। ऐसे में लेखक ने कंपनी के हिस्सेदार की ओर श्रद्धाभाव से देखा। यह श्रद्धा इसलिए जागी क्योंकि हिस्सेदार केवल अपने स्वार्थ हेतु लाचार था। वह जानता था कि बस के टायर खराब हैं और कभी भी लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है। फिर भी निरंतर बस को सड़क पर दौड़ा रहा था। यात्रियों की चिंता किए बिना धन बटोरने पर लगा था।

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“ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।”
• लेखक को ऐसा क्यों लगा?


जब बस को चालक ने स्टार्ट किया तो सारी बस में अजीब-सी धड़कन उत्पन्न हुई। ऐसे में लेखक और उसके मित्रों को लगा कि जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के अंदर बैठ हैं। अर्थात् इंजन के स्टार्ट होने पर इंजन के पुर्जो की भाँति बस के यात्री हिल रहे थे और पूरी बस में इंजन का शोर गूँज रहा था।

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आप अपनी किसी यात्रा के खट्टे-मीठे अनुभवों को याद करते हुए एक लेख लिखिए।


पिछले वर्ष मैं अपने विद्यालय की ओर से जयपुर घूमने गया। हम पचास बच्चे थे व पाँच अध्यापिकाएँ हमारे साथ थीं। बड़ी खुशी-खुशी हमारी बस शाम को पाँच बजे जयपुर के लिए रवाना हुई। हमें कहा गया कि सुबह पाँच बजे तक हम लीग जयपुर पहुँच जाएँगे। जैसे ही बस चली ऐसा लगा कि जैसे मनचाही मुराद पूरी होने जा रही हो। हमने खूब खेल खेलने व नाच-गाना शुरू कर दिया। अध्यापिकाएँ भी बड़े आनंद भाव से हमारा साथ दे रही थीं। हमने नौ बजे अपने-अपने खाने के डिब्बे खोले और मजे से सब अपने मनपसंद भोजन का आनंद लेने लगे। फिर अध्यापिकाओं ने कहा कि हमें थोड़ी देर आराम करना चाहिए लेकिन हमें चैन, कहाँ हमने फिर अंताक्षरी खेलनी प्रारंभ कर दी। रात के दो बज गए लेकिन किसी की आँखो में नींद न थी। लगभग तीन बजे के करीब एकदम सुनसान जंगल में भरतपुर के पास अचानक हमारी बस का टायर पंचर हो गया। न चाहते हुए भी बस रोकनी पड़ी। हम सब डर गए थे। अचानक दो लुटेरे बस मै चढ़ आए उन्होंने हम सबसे नगदी बटोर ली। हम व हमारी अध्यापिकाएँ सभी डर गए। टायर के ठीक होते ही हम सोच में पड़ गए कि क्या करें? वापिस घरों की ओर जाएँ या जयपुर। तभी हमारी अध्यापिका ने प्रधानाचार्य को फोन किया तो उन्होंने कहा कि बच्चों का उत्साह बनाए रखो और सीधा जयपुर गोल्डन होटल में ही जाकर ठहरो। शाम तक वे स्वयं वहाँ आ रही हैं। उन्होंने शाम की वहाँ पहुँचकर जैसे सबके चेहरों को मुस्कुराहट दे दी और अगले दिन सुबह से लगातार तीन दिन तक हमें घुमाती रहीं और जिस बच्चे ने जो भी पसंद किया उन्होंने इसे लेकर दिया। हम लुटेरों की बात भूल भी गए और जयपुर का मजा लेन लगे।

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“हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है।”
ने, की. से आदि शब्द वाक्य के दो शब्दों के बीच संबंध स्थापित कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को कारक कहते हैं। इसी तरह जब दो वाक्यों को एक साथ जोड़ना होता है ‘कि’ का प्रयोग होता है।
• कहानी में से दोनों प्रकार के चार वाक्यों को चुनिए।


 

कारक शब्द से निर्मित वाक्य-
1. पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है।
2. यह बस पूजा के योग्य थी।
3. बस कंपनी के एक हिस्सेदार भी उसी बस में जा रहे थे।
4. नई नवेली बसों से ज्यादा विश्वसनीय है।

• कि योजक शब्द से बनने वाले वाक्य-
1 लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते।
2. हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है।
3. कभी लगता कि सीट को छोड्कर बॉडी आगे भागी जा रही है।
4. मालूम हुआ कि पेट्रोल की टंकी में छेद हुआ है।

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“लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते।”
• लोगों ने यह सलाह क्यों दी?


‘समझदार आदमी इस शाम वाली बस में सफर नहीं करते’ लोगों ने लेखक और उसके मित्रों को यह सलाह इसलिए दी क्योंकि वे जानते थे कि बस की हालत बहुत खराब है। रास्ते में बस कभी भी और कहीं भी धोखा दे सकती है।

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Solution : लोगों ने यह सलाह लेखक को इसलिए दी, क्योंकि वे यह जानते थे कि बस की हालत बहुत खराब है। रास्ते में बस कभी भी और कहीं भी धोखा दे सकती है। बस यात्रियों को गंतव्य तक ठीक से पहुँचा ही देगी यह कहना मुश्किल था।

पृष्ठ संख्या: 17

प्रश्न अभ्यास

कारण बताएं

1. "मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।"
• लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई ?

उत्तर

लेखक के मन में बस कंपनी के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा इसलिए जाग गई कि वह इतनी खटारा बस को चलाने का साहस जुटा रहा था। कंपनी का हिस्सेदार अपनी पुरानी बस की खूब तारीफ़ कर रहा था| ऐसे व्यक्ति के प्रति श्रद्धा भाव ही उमड़ता है।

2. "लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते।"

• लोगों ने यह सलाह क्यों दी ?

उत्तर

लोगों ने लेखक को यह सलाह इसलिए दी क्योंकि इस बस का कोई भरोसा नहीं है कि यह कब और कहाँ रूक जाए, शाम बीतते ही रात हो जाती है और रात रास्ते में कहाँ बितानी पद जाए, कुछ पता नहीं रहता। उनके अनुसार यह बस डाकिन की तरह है।


3. "ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।"

• लेखक को ऐसा क्यों लगा ?


उत्तर

जब बस का इंजन स्टार्ट हुआ तब सारी बस झनझनाने लगी। लेखक को ऐसा प्रतीत हुआ कि पूरी बस ही इंजन है। मानो वह बस के भीतर न बैठकर इंजन के भीतर बैठा हुआ हो।

4.''गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।''
• लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?

उत्तर

लेखक को बस की स्थिति देखकर लग रहा था की बस नही चल पाएगी परन्तु जब उसने बस के हिस्सेदार से पूछा तो उसने कहा चलेगी ही नही, अपने आप चलेगी। एक तो खास्ता-हालत बस ऊपर से अपने आप आप इस कारण लेखक को हैरानी हुई।

5. "मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।"

• लेखक पेड़ों को अपना दुश्मन क्यों समझ था ?


उत्तर

लेखक को पेड़ों से डर लग रहा था कि कहीं उसकी बस किसी पेड़ से टकरा न जाए। एक पेड़ निकल जाने पर वह दूसरा पेड़ का इंतज़ार करता था कि बस कहीं इस पेड़ से न टकरा जाए। यही वजह है कि लेखक को हर पेड़ अपना दुश्मन लग रहा था।

पाठ से आगे

1. 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' किसके नेतृत्व में, किस उद्देश्य से तथा कब हुआ था? इतिहास की उपलब्ध पुस्तकों आधार पर लिखिए।

उत्तर

'सविनय अवज्ञा आंदोलन' गांधीजी के नेतृत्व में, भारत को पूर्ण स्वाधीनता दिलाने के लिए 1930 ई. में हुआ था।

पृष्ठ संख्या: 18

भाषा की बात

1.बस, वश, बस तीन शब्द हैं-इनमें बस सवारी के अर्थ में, वश अधीनता के अर्थ में, और बस पर्याप्त (काफी) के अर्थ में प्रयुक्त होता है, जैसे-बस से चलना होगा। मेरे वश में नहीं है। अब बस करो। उपर्युक्त वाक्य के समान तीनों शब्दों से युक्त आप भी दो-दो वाक्य बनाइए।

उत्तर

(1) बस - वाहन
(i) हमारी स्कूल बस हमेशा सही वक्त पर आती है।
(ii) 507 नंबर बस ओखला गाँव जाती है।

(2) वश - अधीन
(i) मेरे क्रोध पर मेरा वश नहीं चलता।
(ii) सपेरा अपनी बीन से साँप को वश में रखता है।

(3) बस - पर्याप्त (काफी)
(i) बस, बहुत हो चुका।
(ii) तुम खाना खाना बस करो।

2. ''हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है।'' ने, की, से आदि शब्द वाक्य के दो शब्दों के बीच संबंध स्थापित कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को कारक कहते हैं। इसी तरह जब दो वाक्यों को एक साथ जोड़ना होता है 'कि' का प्रयोग होता है।
• कहानी में से दोनों प्रकार के चार वाक्यों को चुनिए।

उत्तर

(i)  बस कंपनी के एक हिस्सेदार भी उसी बस

से जा रहे थे।
(ii)  बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गाँधी जी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य चलती होगी।
(iii)  यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं।
(iv)  ड्राइवर ने तरह-तरह की तरकीबें की पर वह नहीं चली।

3. ''हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। चाँदनी में रास्ता टटोलकर वह रेंग रही थी।'' 'सरकना' और 'रेंगना' जैसी क्रिया दो प्रकार की गति बताती है। ऐसी कुछ और क्रियाएँ एकत्र कीजिए जो गति के लिए प्रयुक्त होती हैं, जैस-घूमना इत्यादि। उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर

► रफ्तार - बस की रफ्तार बहुत ही तेज़ थी। ► चलना - बस का चलना ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो हवा से बातें कर रही हो।
► गुज़रना - वह उस रास्ते से गुज़र रहा है।

5. भाषा की दृष्टि से देखें तो हमारी बोलचाल में प्रचलित अंग्रेजी शब्द फर्स्ट क्लास में दो शब्द हैं-फर्स्ट और क्लास। यहाँ क्लास का विशेषण है फर्स्ट। चूँकि फर्स्ट संख्या है, फर्स्ट क्लास संख्यावाचक विशेषण का उदाहरण है। महान आदमी में किसी आदमी की विशेषता है महान। यह गुणवाचक विशेषण है। संख्यावाचक विशेषण और गुणवाचक विशेषण के उदाहरण खोजकर लिखिए।

उत्तर

(i) गुणवाचक विशेषण - हरी घास, छोटा आदमी

(ii) संख्यावाचक विशेषण - चार संतरे, दूसरी बिल्ली

Courtesy : CBSE