samajshastra arth paribhasha visheshta;ऑगस्त काॅम्टे को समाजशास्त्र का जन्मदाता कहा जाता हैं। ऑगस्त का विचार था कि जिस प्रकार भौतिकी वस्तुओं का अध्ययन करने के लिए भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र, जीवशास्त्र आदि विज्ञान हैं, ठीक उसी प्रकार सामाजिक जीवन का अध्ययन करने के लिए सामाजिक विज्ञान की आवश्यकता हैं। ऑगस्त कॉम्टे से इसे 'सामाजिक भौतिकशास्त्र का नाम दिया। इसके बाद सन् 1838 मे काॅम्टे ने ही इसे समाजशास्त्र के नाम दिया था। Show समाजशास्त्र का अर्थ (samajshastra kya hai)समाजशास्त्र समाज का विज्ञान हैं। इस शास्त्र के अन्तर्गत मुख्य रूप से समाज का अध्ययन किया जाता हैं। समाजशास्त्र की मुख्य विषय-वस्तु सामाजिक सम्बन्ध है। सामाजिक सम्बन्धों के अध्ययन के लिए ही समाजशास्त्र का जन्म और विकास हुआ हैं। मैकाइवर ने समाजशास्त्र को सामाजिक सम्बन्धों का जाल माना हैं। गिडिंग्स के शब्दों में, "समाजशास्त्र समग्ररूप से समाज का क्रमबद्ध वर्णन और व्याख्या हैं।" समाजशास्त्र सामाजिक विज्ञान के अन्य विषयों, जैसे अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान की अपेक्षा, एक नया विषय है। हम कह सकते हैं कि यह विषय लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुराना है, किन्तु इस विषय का तेजी से विकास पिछले 50-60 वर्षों में ही हुआ है। इसका एक कारण, खासतौर से द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की सामाजिक स्थितियों में लोगों के व्यवहार को समझना हो सकता है। सामाजिक विज्ञान के सभी विषयों का संबंध लोगों के व्यवहार से है, परन्तु इनमें से प्रत्येक विषय अलग-अलग पहलू का अध्ययन करता है। समाजशास्त्र का संबंध सामान्य रूप से सामाजिक संबंधों, सामाजिक समूहों और संस्थाओं के साथ होता है। समाजशास्त्र अंग्रेजी शब्द सोशियोलाॅजी का हिन्दी रूपान्तरण हैं। अंग्रेजी में सोशियोलाॅजी शब्द लैटिन के 'सोशियस' तथा ग्रीक के 'लोगस' शब्दों से मिलकर बना हैं। जिनका अर्थ क्रमशः 'साथी या समाज' और 'ज्ञान या विज्ञान' हैं। इस व्युत्पत्ति (ग्रीक एवं लैटिन) के कारण ही इस विज्ञान के नाम, सोशियोलाॅजी (समाजशास्त्र) को राबर्ट बीयर ने दो भाषाओं की अवैध संतान कहा हैं। वैसे सोशियोलाॅजी शब्द के रचियता और ज्ञान की एक शाखा के रूप में इसके जन्मदाता अगस्त कोम्त को भी सोशियोलाॅजी शब्द की संकरता से कुछ असंतोष था, किन्तु पाजिटिव फिलासफी नामक अपनी पुस्तक में उसने यह कहते हुए संतोष किया कि इस व्युत्पत्ति संबंधी दोष के लिए क्षति पूर्ति संभव हैं। यह दो ऐतिहासिक स्त्रोतों का स्मरण कराता हैं-- एक बौद्धिक और दूसरा सामाजिक, जिनसे आधुनिक सभ्यता का उदय हुआ हैं। कोम्त के ही समकालीन एक अन्य विचारक जान स्टुअर्ट मिल ने इसे नये विज्ञान के लिए एक अन्य नाम 'एथनोलाजी' प्रस्तुत किया। किन्तु इसे अन्य विद्वानों ने स्वीकार नहीं किया। अपनी पुस्तक 'प्रिंसपुल ऑफ सोशियोलाजी' में हर्बर्ट स्पेन्सर ने इस शब्द की व्युत्पत्ति संबंधी वैधता की उपेक्षा इसके प्रयोग में सहूलियत व निर्देशकता संबंधी गुणों को अधिक महत्वपूर्ण बताते हुए 'सोशियोलाजी' नाम को ही ग्रहण करना अधिक श्रेयस्कर माना। समाजशास्त्र की परिभाषा (samajshastra paribhasha)मैक्स वेबर के अनुसार, " समाजशास्त्र वह विज्ञान है जो कि सामाजिक क्रिया का उद्देश्यपूर्ण (व्याख्यात्मक) बोध कराने का प्रयत्न करता है।" समाजशास्त्र की विशेषताएं (samajshastra ki visheshta)विभिन्न विद्वानों द्धारा दी गई समाजशास्त्र की परिभाषा के आधार पर समाजशास्त्र की निम्नलिखित विशेषताएं स्पष्ट होती है-- 1. समाजशास्त्र समाज के अध्ययन से सम्बन्धित है।
ऑगस्त काॅम्टे के अनुसार," ने समाजशास्त्र को परिभाषित करते हुए लिखा हैं," समाजशास्त्र सामाजिक व्यवस्था और प्रगति का विज्ञान है।" 2. समाजशास्त्र समाज के अध्ययन से संबंधित हैं।
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