सिलीगुड़ी से ही कौन सी नदी बह रही थी? - sileegudee se hee kaun see nadee bah rahee thee?

सिलीगुड़ी की महानंदा नदी में आया सैलाब, मगर पानी का नहीं

Author: Rajesh PatelPublish Date: Sun, 09 Dec 2018 11:44 AM (IST)Updated Date: Sun, 09 Dec 2018 11:44 AM (IST)

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के बीच से बहनेवाली महानंदा नदी में अचानक सैलाब आ गया। चौंकिए मत, यह पानी का नहीं था। कैसा सैलाब था, जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर...।

सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। पश्चिम बंगाल के दूसरे प्रमुख व्यापारिक शहर सिलीगुड़ी के बीचोंबीच जीवनरेखा सी बहने वाली महानंदा नदी में शनिवार की दोपहर अचानक सैलाब उमड़ आया। यह सैलाब पानी का नहीं, जिंदा-मुर्दा बेशुमार मछलियों का था।  यह देख इलाके में कौतूहल का माहौल उत्पन्न हो गया।

सूर्यसेन पार्क के निकट, एयर व्यू महानंदा ब्रिज के निकट, संतोषी नगर, गंगा नगर आदि इलाकों में मछलियों को छानने-पकडऩे के लिए सैकड़ों लोग महानंदा नदी में उतर पड़े। जिसे जो मिला झोला, बोरा, डब्बा, बाल्टी, पॉलीथिन उसी में मछलियां पकड़ कर भरने लगा। हर तरह की मछलियां बह-बह कर आ रही थीं। छोटी-बड़ी सब। कुछ मरी हुईं तो कुछ जिंदा। लोग घंटों मछलियां पकडऩे में लगे रहे। इस बात की परवाह किए बिना कि मछलियां संड़ी व जहरीली भी हो सकती हैं।
संतोषी नगर में तो पूर्व वार्ड पार्षद अमरनाथ सिंह ने बाकायदा माइक से अनाउंस कर-कर के लोगों को रोकने की कोशिश की, मगर लोग नहीं माने। उन्होंने सबको समझाया कि किसी जहर की चपेट में भी ये मछलियां मर कर व बह कर आ सकती हैं। इसलिए इसे हरगिज न पकड़ें, न खाएं। ये स्वास्थ्य बिगाड़ सकती हैं। यहां तक कि जानलेवा भी साबित हो सकती हैं। मगर, लोगों ने एक न सुनी। माल-ए-मुफ्त, दिल-ए-बेरहम। सब लगे ही रहे, जब तक कि मछलियों का आना बंद नहीं हो गया।
ये मछलियां क्यों, कैसे व कहां से आईं, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। किसी ने नदी प्रदूषण के चलते मछलियों के मर जाने की बात कही तो किसी ने किसी अपराधी द्वारा नदी में जहर डाल देने का नतीजा बताया तो किसी ने कहा कि कहीं तीस्ता नदी के किसी नाले से ये मछलियां महानंदा नदी में तो नहीं आ पड़ी। वहीं, यह बात भी उड़ी कि मल्लागुड़ी स्थित रेग्यूलेटेड मार्केट में थोक मंडी में मछलियां नहीं बिक पाने व सड़ जाने के चलते थोक व्यापारियों ने महानंदा नदी में फेंक दी। वही मछलियां आ गईं। इनमें से किसी भी बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई।

Edited By: Rajesh Patel

सिलीगुड़ी: बलासन नदी का जलस्‍तर बढ़ने से वेदर ब्रिज हुआ ध्‍वस्‍त, जान लें यहां की ट्रैफिक व्‍यवस्‍था

Author: Sumita JaiswalPublish Date: Thu, 16 Jun 2022 04:08 PM (IST)Updated Date: Thu, 16 Jun 2022 07:21 PM (IST)

भारी बारिश से नदियों का जलस्तर काफी बढ़ा है। सिलीगुड़ी में बलासन नदी का जलस्तर बढ़ने से वेदर ब्रिज ध्‍वस्‍त हो गया है। जिसकी वजह से बलासन के ऊपर क्षतिग्रस्त ब्रिज पर लगे बैली ब्रिज पर ही इस रूट की पूरी ट्रैफिक निर्भर हो गई है।

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। भारी बारिश से नदियों का जलस्तर काफी बढ़ा है। सिलीगुड़ी में बलासन नदी का जलस्तर बढ़ने से वेदर ब्रिज ध्‍वस्‍त हो गया है। जिसकी वजह से बलासन के ऊपर क्षतिग्रस्त ब्रिज पर लगे बैली ब्रिज पर ही इस रूट की पूरी ट्रैफिक निर्भर हो गई है। भारी बारिश के कारण शहर से होकर गुजरी राष्ट्रीय राजमार्ग -31 पर भी जाम की समस्या फिर से गहरा गई है।

बता दें कि बीते कई दिनों से सिलीगुड़ी समेत उत्तर बंगाल और सिक्किम में भारी बारिश हो रही है। बारिश की वजह तीस्ता, महानंदा समेत सभी नदियों का जल स्तर बढ़ा है। बीते नवंबर महीने में इसी तरह की भारी बारिश के दौरान माटीगाडा में बलासन नदी के ऊपर राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर बना बलासन ब्रिज का मध्य का पिलर धंस गया था। ब्रिज धंसने का मुख्य कारण अवैध खनन बताया गया था। करीब एक महीने तक इस रूट से यातायात बंद रखने के बाद क्षतिग्रस्त ब्रिज पर बैली लगाकर छोटे वाहनों की आवाजाही शुरू कराई गई। कुछ दिन बाद सिलीगुड़ी से शिव मंदिर की ओर जाने वाले वाहनों के लिए बलासन नदी में वेदर ब्रिज बनाकर एक वैकल्पिक डायवर्जन की व्यवस्था की गई। इस डायवर्जन की वजह से वर्दमान रोड-नौकाघाट-मेडिकल रुट पर ट्रैफिक का कुछ भार हल्का हुआ। लेकिन बीते बुधवार की रात भारी बारिश की वजह से नदियों के जल स्तर फिर से काफी बढ़ गया है। तीस्ता नदी के बढ़ते जल स्तर को ध्यान में रखते हुए यलो अलर्ट जारी कर दिया गया है।

वेदर ब्रिज पर भारी वाहनों की आवाजाही बंद

वहीं बलासन नदी का पानी वेदर ब्रिज के ऊपर से बह रहा है। जिसकी वजह से वेदर ब्रिज क्षतिग्रस्त हुआ है। वेदर ब्रिज की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन की ट्रैफिक विभाग ने वैकल्पिक डायवर्जन को तत्काल बंद कर दिया है।  पुलिस कमिश्नर गौरव शर्मा ने जल स्तर घटने के बाद वेदर ब्रिज की मरम्मती करवा कर फिर से ट्रैफिक मूवमेंट शुरू कराने का आश्वासन दिया है। वेदर ब्रिज के क्षतिग्रस्त होते ही इस रूट से भारी वाहनों की आवाजाही पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया गया है। मोटर साइकिल, कार, चार पहिया वाले सिटी ऑटो और छोटे स्कूल बस को ही बैली ब्रिज से होकर गुजरने की अनुमति है। जिसकी वजह से मेडिकल मोड़-नौकाघाट एशियन हाइवे और वर्दमान रोड पर ट्राफिक मूवमेंट का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है। स्वाभाविक रुप से इस रूट पर जाम की समस्या बढ़ी है।

इस तरफ निकलने के पहले जान लें ट्रैफिक व्‍यवस्‍था

इधर, मौसम विभाग ने अगले पांच दिनों तक सिलीगुड़ी समेत दार्जिलिंग और सिक्किम में रोजाना सात से 10 मिली मीटर बारिश होने का पूर्वानुमान जताया है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, अगले पांच दिनों तक नदियों  जलस्तर घटने की संभावना ना के बराबर है। जलस्तर घटने के बाद ही वेदर ब्रिज की मरम्मती भी संभव होगी। इससे भारी बारिश के साथ शहर में जाम की समस्या गहराने के आसार हैं।

हालांकि पुलिस कमिश्नर गौरव शर्मा ने कहा कि मेडिकल मोड़ से नौकाघाट तक एशियन हाइवे पर सुबह 9 बजे से रात के 10 बजे तक भारी वाहनों के लिए नो एंट्री लगा दिया गया है। वहीं इस रूट पर पोराझार इलाके में एक ट्रैफिक बूथ भी लगाया है। इस रूट पर ट्राफिक मूवमेंट सामान्य रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल को कार्य पर लगाया गया है।

Edited By: Sumita Jaiswal

सिली गुड़ी से ही कौन सी नदी बह रही थी?

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के बीच से बहनेवाली महानंदा नदी में अचानक सैलाब आ गया। चौंकिए मत, यह पानी का नहीं था।

सिलीगुड़ी के पास कौन सी नदी है?

यह महानन्दा नदी के किनारे हिमालय के चरणों में स्थित है और जलपाईगुड़ी से ४२ किमी दूरी पर स्थित है। यह उत्तरी बंगाल का प्रमुख वाणिज्यिक, पर्यटक, आवागमन, तथा शैक्षिक केन्द्र है।

सिलीगुड़ी क्यों प्रसिद्ध है?

पश्चिम बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर, पूर्वोत्तर भारत का यह प्रवेश द्वार है, जोकि चाय, लकड़ी, पर्यटन और परिवहन के लिए जाना जाता है। भौगोलिक दृष्टि से, एक ओर सिलीगुड़ी नेपाल की सीमा से जुड़ा है और दूसरी ओर बांग्लादेश की सीमा से जुड़ा है। सिलीगुड़ी के गलियारें भारत को अपने विभिन्न पूर्वोत्तर राज्यों के साथ जोड़ती हैं।