सिंचाई के लिए कौन कौन से साधन है? - sinchaee ke lie kaun kaun se saadhan hai?

सिंचाई 

भारत में सिंचाई की आवश्यकता

सभी प्रकार की खेती में कृत्रिम साधनों से पानी देने की पद्धति को सिंचाई कहते हैं।

सिंचित क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान है तथा यहां सिंचाई के विस्तार की आवश्यकता बनी रहती है क्योंकि भारत की निरंतर बढ़ती हुई विशाल आबादी के लिए खाद्यान्नों की पूर्ति कृषि उत्पादन को बढ़ाकर किया जा सकता है। कृषि क्षेत्र के विस्तार की संभावना तो बहुत कम है क्योंकि यहां शायद ही कोई ऐसी भूमि बची है जो अब कृषि कार्य में प्रयुक्त हो सके।

उच्च कृषि उत्पादन हेतु जल की पर्याप्त एवं समय उक्त पूर्व आवश्यक है यदि सिंचाई की सुविधाएं हो तो एक ही खेत में वर्ष में दो-तीन फसलें ली जा सकती है ।

सिंचाई के लिए कौन कौन से साधन है? - sinchaee ke lie kaun kaun se saadhan hai?
सिंचाई

हमारे देश में जल का मुख्य स्रोत मानसूनी वर्षा है मानसूनी वर्षा अनिश्चित और अनियमित ही नहीं इसका वितरण भी असमान है। तीन चौथाई से भी अधिक वर्षा ग्रीष्म ऋतु के तीन चार महीनों में ही हो जाती है। फलता अधिकांश जल भाप बनकर उड़ जाता है। मूसलाधार वर्षा के कारण कुछ जल बेकार बेकार चला जाता है।

वर्षा की मात्रा भी निश्चित नहीं है। मानसून द्वारा कभी इतनी अधिक वर्षा होती है कि विनाशकारी बाढ़ आ जाते हैं और कभी इतनी कम वर्षा होती है कि सूखा और अकाल भी घोषित हो जाता है।

वर्षा का वितरण भी असमान है जैसे कि पहले उल्लेख किया जा चुका है कि देश के केवल 10% देश क्षेत्र ऐसे हैं जहां 200 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा होती है जबकि 33% क्षेत्र में 0 से 75 सेंटीमीटर तक ही वर्षा होती है इस प्रकार स्पष्ट है कि हमें अपने उपलब्ध जल का विवेकपूर्ण प्रयोग करें।

भारत में सिंचाई की आवश्यकता वाले क्षेत्र

भारत में कम वर्षा के क्षेत्र पंजाब हरियाणा राजस्थान गुजरात मध्य प्रदेश पूर्वी महाराष्ट्र तेलंगना रायलसीमा आंध्र प्रदेश व कर्नाटक का पठार है वहीं असम हुआ केरल ऐसे क्षेत्र हैं जहां सिंचाई की आवश्यकता महसूस नहीं की जा सकती है क्योंकि असम में उसकी अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के निकट स्थित होने के कारण यह वर्ष के अधिकांश समय वर्षा थोड़ी बहुत होती रहती है। दूसरी ओर हिमालय का पर्वत क्षेत्र है जहां बारहमासी नदियां के होते हुए भूमि के आसमान होने के कारण बहुत कम सिंचाई हो पाती है। जम्मू कश्मीर के लद्दाख की शीत मरुस्थल एवं राजस्थान के उष्ण मरुस्थल के क्षेत्र में जल का बहुत अधिक अभाव है।

हालांकि देश में कृषि उत्पादन हेतु अधिकांश जल का उपयोग सिंचाई के रूप में किया जाता है। वास्तविक सिंचित क्षेत्र का लगभग 39% भाग नेहरू द्वारा 8% भाग तलाब द्वारा 48% भाग गड्ढा एवं नलकूप द्वारा खींचा जाता है।

सिंचाई के स्रोत

तालाब

धरातल पर स्थित है जल पूर्ण गड्ढे को तलाब कहते हैं। तालाब दो प्रकार के होते हैं। पहले बड़े तालाब जिन्हें बनाने में सरकार द्वारा बहुत सा धन खर्च किया जाता है। इसे बनाने में समय बहुत अधिक लगता है और किसान समय पर पानी के लिए इस पर निर्भर निर्धारित नहीं रह सकता। किंतु कुछ किसान अपने लिए स्वयं छोटे छोटे तालाब बना लेते हैं। इसके लिए वे भूमि में प्राकृतिक गड्ढों का प्रयोग करते हैं। इसमें समय एवं धन दोनों की बचत होती है। इन तालाबों का प्रयोग किसान जब आवश्यकता को सिंचाई कर सकता है। भारत के दक्षिणी राज्यों में तालाब अधिक मिलते हैं। तालाबों द्वारा सबसे अधिक सिंचाई आंध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु में की जाती है।

कुआं

वर्षा का जल मिट्टी में संचित होता है जिसे जल भी कहते हैं जिसे जमीन में गहरा गड्ढा खोदकर निकाला जा सकता है या निकाला जाता है। कई बार भूजल दबाव के कारण खोदे गए कुएं से स्वता जल निकलने लगता है। जिसे पाताल तोड़ कुआं कहते हैं। में दो प्रकार की होती हैं कच्चे और पक्के जिसमें की दीवारें ईटा पत्थर की बनी हो सकती है उसे पक्का कुआं कहा जाता है और दूसरा कुआं जिसमें कच्ची दीवारें होती है तो उसे कच्चा कुआं कहा जाता है वर्तमान समय में विद्युत चलित पंपों का प्रयोग किया जाता है।

नलकूप

भूमि को गैर आवेदन करने पानी को हैंडपंप या बिजली पंप द्वारा बाहर निकाला जाता है बिजली से चलने वाले इस प्रकार के गहरे पर वे दिन हुए को नलकूप कहते हैं उन्हें एवं नलकूप सबसे अधिक पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश बिहार एवं झारखंड राज्य में मिलते हैं। यहां की भूमि नरम और फल स्वरुप भूमिगत जल का ऊंचा बना रहता है। पूर्ण द्वारा सिंचाई में उत्तर प्रदेश अग्रणी है।

नहर

नहर सिंचाई का महत्वपूर्ण साधन है। तालाब झील अथवा नदी के जल को छोटी-छोटी जल धाराओं द्वारा खेतों में पहुंचाया जाता है इन जल धाराओं को नहर कहते हैं। कुछ नैहरे मौसमी होती है उसके रितु ने इसका जल सूख जाता है। यह नहर बड़ों के नियंत्रण में उपयोगी होती है। इनसे केवल वर्षा ऋतु में सिंचाई की जा सकती है। मौसमी होने के बाद भी यह न हारे उत्तर पश्चिम भारत में लाभदायक है। वहां वर्षा कम तथा अधिक अनिश्चित रहती है। वह नहर वर्ष भर जल पूर्ति रहती है स्थाई या बारहमासी नहरें कहते हैं।

भारत में सिंचाई वाली नहर का घना जाल है विभाजन के बाद अधिकांश भाग पाकिस्तान में चला गया। एवं पंजाब एवं हरियाणा में नहरों की पुनर चर्चा करनी पड़ी वर्तमान में यहां की नहर प्रणाली सबसे सुगठित है। पंजाब एवं हरियाणा की मुख्य नहर ए पश्चिमी यमुना नहर रिहंद नाहर ऊपर वादी दोआब नहर एवं भाखड़ा नहर है।

हमारे देश में नदियों के महत्वपूर्ण या संपूर्ण जल प्रभाव का लगभग एक तिहाई भाग सिंचाई के लिए प्रयोग में लाया जाता है। हिमालय पर्वत से निकलने वाली नदियों एवं प्रयास द्वीप पठार से निकलने वाली नदियों की प्रकृति में बहुत अंतर है। हिमालय पर्वत से निकलने वाली नदियों को ही एवं वर्षा दोनों से जल प्राप्त होता है। फल स्वरुप में वर्ष भर जल बना रहता है। सिंचाई हेतु इनके तालों में आर-पार विशाल बांध बनाने की आवश्यकता पड़ती है। इन के ऊपरी भाग में बहाव तेज होता है। यही यह जलप्रपात बनाती है जो कि जलविद्युत के विकास में सहायक होता है।

इसके विपरीत प्रायद्वीप पठार भारत की नदियां मानसूनी वर्षा पर निर्भर करती है। फैलता है संस्कृत में यह चीन हो जाती है या सूख जाती है। यह समानता चट्टानी एवं आसमान धरातल वाले क्षेत्रों में बहती है। सिंचाई एवं जल विद्युत शक्ति उत्पन्न करने के लिए इनके जल को विशाल बांध बनाकर एकत्र करना आवश्यक है जो कि बहुत खर्चीली है। यही कारण है कि दक्षिण भारत में बांध बहुत मजबूत टिकाऊ एवं पत्थरों से बने हैं। पत्थरों से बने बांध का पाषाण बांध कहते हैं।

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सिंचाई की कौन कौन से साधन उपलब्ध है?

कुल सिंचित क्षेत्रफल के लगभग आधे से अधिक भाग पर सिंचाई छोटे साधनों, जैसे - कुएँ, नलकूपों, तालाबों, झीलों, जलाशयों आदि की सहायता से की जाती है, जबकि शेष भाग की सिंचाई नहर जैसे बड़े साधनों के माध्यम से की जाती है।

भारत के सिंचाई के प्रमुख साधन कौन कौन से हैं?

भारत में सिंचाई के प्रमुख साधन.

भारत में सिंचाई का सबसे महत्वपूर्ण साधन क्या है?

नहर द्वारा सिंचाई भारत में सिंचाई का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है तथा नलकूप के बाद इसका दूसरा स्थान है, परंतु सिंचाई का यह माध्यम दक्षिण भारत की अपेक्षा उत्तर भारत में अधिक प्रचलित है, क्योंकि यह प्रणाली उन्हीं क्षेत्रों में विस्तृत है, जहाँ बड़े समतल मैदान हैं तथा मिट्टी गहरी एवं उपजाऊ है और सदावाहिनी नदियाँ बहती हैं।

सिंचाई का सबसे सस्ता साधन कौन सा है?

नहर सिंचाई का महत्वपूर्ण साधन है। तालाब झील अथवा नदी के जल को छोटी-छोटी जल धाराओं द्वारा खेतों में पहुंचाया जाता है इन जल धाराओं को नहर कहते हैं।