भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI - Security Exchange Board Of India )- भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है। इसकी स्थापना 12 अप्रैल 1988 में हुई तथा सेबी अधिनियम 1992 के तहत वैधानिक मान्यता 30 जनवरी 1992 को प्राप्त हुई।[1] सेबी का मुख्यालय मुंबई में बांद्रा कुर्ला परिसर के व्यावसायिक जिले में हैं और क्रमश: नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी व पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय हैं। Show इतिहास[संपादित करें]इसकी स्थापना आधिकारिक तौर पर वर्ष 1988 में भारत सरकार द्वारा की गई और भारतीय संसद द्वारा पारित सेबी अधिनियम, 1992 के साथ 1992 में इसे वैधानिक अधिकार दिया गया था। सेबी के अस्तित्व में आने से पहले पूंजी निर्गम नियंत्रक नियामक प्राधिकरण था, जिसे पूंजी मुद्दे (नियंत्रण) अधिनियम, 1947 के अंतर्गत अधिकार प्राप्त थे। कार्य[संपादित करें]सेबी का प्रमुख उद्देश्य भारतीय स्टाक निवेशकों के हितों का उत्तम संरक्षण प्रदान करना और प्रतिभूति बाजार के विकास तथा नियमन को प्रवर्तित करना है। सेबी को एक गैर वैधानिक संगठन के रूप में स्थापित किया गया जिसे SEBI ACT1992 के अन्तर्गत वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है। 25 जनवरी 1995 को सरकार द्वारा पारित एक अध्यादेश के द्वारा पूंजी के निर्गमन, प्रतिभूतियों के हस्तांतरण तथा अन्य संबंधित मामले के सम्बन्ध में सेबी को नियंत्रक शक्ति प्रदान कर दिया गया है। वर्तमान कानूनों तथा नियंत्रणों में परिवर्तन के सम्बन्ध में सेबी अब एक स्वायत्त संस्था है और अब उसे सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं। इसके निर्धारित कार्य निम्नलिखित हैं-
सेबी (संशोधन) अधिनियम, 2002[संपादित करें]यह संसद में पारित होकर 29 अक्टूबर 2002 से लागू हुआ जो शेयर बाजार में गड़बड़ियों के दोषियों को अधिक कठोर सजा के लिए सेबी को व्यापक अधिकार उपलब्ध कराता है। इस अधिनियम के अंतर्गत इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए सेबी द्वारा 25 करोड़ रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है। लघु निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामलों में एक लाख रुपये प्रतिदिन की दर से, एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान भी इस अधिनियम में है। किसी भी शेयर बाज़ार को मान्यता प्रदान करने का अधिकार सेबी को प्रदान किया गया है। इसके बाद १८ जुलाई २०१३ को सेबी की नियामक शक्तियों में वृद्धि करने के लिए राषट्रपति द्वारा एक अध्यादेश जारी किया गया जिसके महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं–
सेबी के विभाग[संपादित करें]सेबी अपने २० विभागों के द्वारा भारतीय वित्त बाजार पर नियन्त्रण रखता है।[3] ये विभाग निम्नलिखित हैं-
सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
सेबी की स्थापना क्यों की गई थी?सेबी की स्थापना शेयर मार्केट में होने वाली गतिविधयों की निगरानी करने के मकसद से किया गया था। इसे सीधे तौर पर कहें तो सेबी की स्थापना का मुख्य कारण भारत के पूंजी बाजार में होने वाली धोखाधड़ी को रोकना और पूंजी बाजारों के विकास को बढ़ावा देना था।
सेबी का पूरा नाम क्या है?Ans:- सेबी की फुल फॉर्म SEBI – Security Exchange Board Of India हैं।
सेबी के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?सेबी के प्रथम अध्यक्ष डॉक्टर एस ए दुबे थे ।
सेबी के मालिक कौन है?बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 'द एपेक्स ग्लोबल' और उसके मालिक यदुनाथ सिंह ठाकुर के प्रतिभूति बाजार *securities market) में लेनदेन करने पर चार साल के लिए रोक लगा दी है।
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