र्ेल में कवि के रोने को भी गुनाि क्यों माना र्ाता था? - rel mein kavi ke rone ko bhee gunaai kyon maana raata tha?

कैदी और कोकिला 9th Class (CBSE) Hindi क्षितिज

प्रश्न: ‘जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है’ – ऐसा किसने कहा है और क्यों?

उत्तर: ‘जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है’ – ऐसा कवि ने कहा है क्योंकि कवि को स्वतंत्रता की माँग करने के कारण जेल में कैदकर दिया गया है। उसे वहाँ भरपेट भोजन नहीं दिया जाता है और मरने भी नहीं दिया जाता है। कवि एवं प्रसिद्ध क्रांतिकारियों की मृत्यु जेल में होने पर अंग्रेजों के विरुद्ध वातावरण बनने का भय था।

प्रश्न: कवि को हिमकर किस तरह निराश कर चला गया?

उत्तर: स्वतंत्रता सेनानी कवि को जेल में कैद कर दिया गया था। रात के सुनसान समय में वह चंद्रमा से बातें करते हुए उसके सहारे समय बिता रहा था परंतु रात बीतने से पहले ही चंद्रमा छिप गया। अब कवि अकेला पड़ गया। इस तरह हिमकर उसे निराश करके चला गया।

प्रश्न: कवि ने किसकी वेदना को बोझ के समान बताया है और क्यों?

उत्तर: कवि पराधीन भारत में रह रहे भारतीयों की वेदना को बोझ के समान बताया है क्योंकि पराधीन भारतीयों के साथ अंग्रेज़ नाना प्रकार की यंत्रनाएँ देते थे। वे निर्दोषों पर भी अत्याचार करते थे। अंग्रेजों का यह क्रूर व्यवहार भारतीयों की बोझ जैसी भारी वेदना बन गया था।

प्रश्न: कोयल असमय चीख पड़ी थी। उसके इस प्रकार चीखने के कारणों के बारे में कवि क्या-क्या कल्पनाएँ करता है।

उत्तर: कोयल के असमय चीखने के कारणों के बारे में कवि कई कल्पनाएँ करता है:

  1. कोयल ने भारतीय के आक्रोश रूपी दावनल की ज्वालाएँ देख ली हैं।
  2. कोयल अपने जिस मृदुल वैभव की रखवाली कर रही थी, शायद वह लूट लिया गया।

प्रश्न: ब्रिटिश राज का गहना किसे कहा गया है और क्यों? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: अंग्रेज़ सरकार ने क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों को जेल में रखकर हथकड़ियाँ पहना दी थी। इन हथकड़ियों को ब्रिटिश राज का गहना कहा गया है। ये हथकड़ियाँ भारतमाता को आजाद कराने के पवित्र उद्देश्य को पूरा करते हुए मिली। थी, इसलिए इन्हें गहना कहा गया है।

प्रश्न: कवि की उंगलियां किस पर गाने लिख रही थी और कैसे?

उत्तर: पराधीन भारत की जेलों में बंद कैदियों से पशुओं के समान काम लिया जाता था। उनसे मोट से पानी खिंचवाने, गिट्टियाँ तोड़ने जैसा काम लिया जाता था। गिट्टियाँ तोड़ने से उठने वाली आवाज़ों को सुन कर लगता था कि ये कवि की उँगलियों द्वारा लिखे गए गीत हैं।

प्रश्न: ‘तिस पर है गाली, ऐ आली!’ पंक्ति के आधार पर जेल के कर्मचारियों के व्यवहार का वर्णन कीजिए।

उत्तर: पराधीन भारत की जेलों में स्वतंत्रता की माँग करने वाले तथा क्रांतिकारियों के रूप में बंदी लोगों के साथ निर्मम व्यवहार किया जाता था। जेल के कर्मचारी उन्हें बात-बात पर गालियाँ देते थे और अपमानित करते थे। इस स्थिति में कैदी अपमान का चूंट पीकर रह जाते थे।

प्रश्न: जेल में कवि के रोने को भी गुनाह क्यों माना जाता था?

उत्तर: पराधीन भारत में अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के साथ अमानवीय व्यवहार किया था। वे निर्दोष भारतीयों को भी जेल में डाल देते थे। ऐसी ही दशा में स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाने वाले कवि को भी जेल में डाल दिया गया। यहाँ उसे रोने भी नहीं दिया जाता था। क्योंकि कवि का रोना सुनकर अन्य कैदियों के मन में कहीं उसके प्रति सहानुभूति और अंग्रेजों के प्रति आक्रोश भड़क सकता था।

प्रश्न: जेल में कैदी के रूप में कवि को क्या-क्या काम करना पड़ा?

उत्तर: कैदी के रूप में कवि को:

  1. पेट पर जूआ रखकर मोट खींचना पड़ा।
  2. उसे पत्थर के टुकड़े तथा गिट्टियाँ तोड़नी पड़ीं।
  3. बैलों की जगह कोल्हू में उसे जुतकर काम करना पड़ा।

प्रश्न: ‘कैदी और कोकिला’ कविता के आधार पर कोयल और कवि की स्थिति में अंतर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कोयल और कवि की स्थिति में अंतर यह है कि:

  1. कोयल हरी-भरी डालियों पर कैंक-कूककर लोगों का ध्यान खींच रही है, जबकि कवि की किस्मत में जेल की काली कोठरी लिखी है।
  2. कोयल आज़ादी से आकाश में उड़ती-फिर रही है जबकि कवि की दुनिया दस फुट की कोठरी में सिमटकर रह गई
  3. कोयल के गीतों पर लोग वाह-वाह कह उठते हैं जबकि कवि का रोना भी अपराध समझा जाता है।

प्रश्न: कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?

उत्तर: कोयल की कूक सुनकर कवि को लगता है कि कोयल कोई संदेश लेकर आई है। संदेश विशेष है तभी वह अर्द्धरात्रि में आई है नहीं तो सुबह की प्रतीक्षा करती।

प्रश्न: कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई?

उत्तर: कवि ने कोकिला के बोलने के निम्नलिखित कारणों की संभावनाएँ बताई हैं:

  1. कोकिला कोई संदेश देना चाहती है।
  2. उसे कोई समस्या है।
  3. समस्या अत्यंत गंभीर है। इसलिए वह सुबह होने की प्रतीक्षा नहीं कर पाती।
  4. कोकिला को लेखक की जंजीरों को देखकर दया आती है और वह उन्हें खोलना चाहती है।
  5. रात की कालिमा के सहारे अपने काले कष्ट को दूर करना चाहती है।

प्रश्न: किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों?

उत्तर: अंग्रेज़ी शासन की तुलना कवि ने अंधकार के प्रभाव से की है क्योंकि अंग्रेज़ी सरकार की कार्य प्रणाली अंधकार की तरह काली है। यहाँ अन्याय अंधकार का प्रतीक है क्योंकि अंग्रेज़ों की शासन प्रणाली अन्यायपूर्ण थी।

प्रश्न: कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर: कविता के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि तत्कालीन समाज में अंग्रेज़ों द्वारा भारतीय कैदियों को तरह-तरह की यातनाएँ दी जाती थी; जैसे – उन्हें अंधेरी कोठरी में जंजीरों से बाँधकर रखा जाता था, उस कोठरी का क्षेत्र बहुत सीमित था, वहाँ कैदियों का रहना मुश्किल था तथा इस काल कोठरी में रोना भी गुनाह था। ऐसा करने से अंग्रेज़ों द्वारा सज़ा दी जाती थी।

प्रश्न: भाव स्पष्ट कीजिए:

  1. मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो!
  2. हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कुँआ।

उत्तर:

  1. मृदुल वैभव की रखवाली से यहाँ कवि का तात्पर्य कोयल की मीठी तथा कोमल आवाज़ से है। उसकी आवाज़ में मिठास होने के बाद भी जब वह वेदना पूर्ण आवाज़ में चीख़ उठती है तो कवि उससे उसकी वेदना का कारण पूछता है।
  2. अंग्रेज़ी सरकार कवि से पशुओं के समान परिश्रम करवाते हैं। कवि के पेट पर जुआ बाँधकर कुँए से पानी निकाला जाता है। परन्तु इससे भी वे दु:खी नहीं होते तथा अंग्रेज़ी सरकार के षड़यंत्र को विफल कर उनकी अकड़ को समाप्त कर देना चाहते हैं।

प्रश्न: अर्द्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है?

उत्तर: आधी रात में कोकिला की चीख से कवि को यह आशंका होती है कि कोकिला को किसी प्रकार का कष्ट है। कवि को लगता है कि वह किसी डाकू की कैद में है जोकि उसे पेट भर खाने को नहीं देता, उसे तरह-तरह की मानसिक तथा शारीरिक यातनाओं को सहना पड़ता है।

प्रश्न: कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है?

उत्तर: कवि को कोयल से ईर्ष्या हो रही है इसका सबसे बड़ा कारण कोयल की स्वतंत्रता तथा कवि की पराधीनता है। कवि अंग्रेज़ी सरकार की काल-कोठरी में कैद है परन्तु कोयल हरियाली डाली पर रहती है। वह पूरे आकाश में स्वतंत्र उड़ सकती है परन्तु कवि की दुनिया काल-कोठरी के अंधकारमय जीवन में सिमटकर रह गई है। कोयल गीत गाकर अपनी खुशी ज़ाहिर कर सकती है परन्तु कवि के लिए रोना भी गुनाह है जिसकी उसे सज़ा मिल सकती है।

प्रश्न: कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कौन सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है?

उत्तर: कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कुछ मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं। कोयल हरी डाली पर बैठकर अपनी मधुर वैभवशाली आवाज़ से संपूर्ण सृष्टि को अलंकृत करती है, उसके मधुर गीतों से उसकी खुशी झलकती है, वह स्वतंत्रता पूर्वक अपना गीत गाती है परन्तु अब वह अपनी इन विशेषताओं को नष्ट करने पर तुली है। वह बावली-सी प्रतीत हो रही है।

प्रश्न: हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है?

उत्तर: कवि ने हथकड़ियों की तुलना गहनों से की है क्योंकि भले ही यह कवि के लिए हथकड़ी है परन्तु यह ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गई पराधीनता है। यह ब्रिटिश राज का प्रतीक है, जो अंग्रेज़ों द्वारा पहनाया गया है।

प्रश्न: ‘काली तू …. ऐ आली!’ – इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।

उत्तर: इन पंक्तियों में कवि ने कुल नौ बार काली शब्द का प्रयोग किया है। यहाँ काली शब्द का प्रयोग कई अर्थों में किया गया है। कहीं इसकी तुलना ब्रिटिश सरकार की काली करतूत से की गई है, कहीं यह वातावरण की कालिमा का प्रतीक है तो कहीं इसका अर्थ निराशा के रुप में किया गया है।

प्रश्न: कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है?

उत्तर: यहाँ कोकिला भारत माता का प्रतीक है। कोकिला रात के समय नहीं बोलती है। उसकी आवाज़ से कवि को वेदना की अनुभूति होती है। अत: रात को उसका इस प्रकार से करुण स्वर में गाना आने वाले किसी संकट का प्रतीक है। कोकिला की आवाज़ अन्य पक्षियों से अधिक मधुर तथा भिन्न है। इसलिए कवि ने कोकिला की ही बात कही है।

प्रश्न: आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा?

उत्तर: ब्रिटिश सरकार स्वतंत्रता सेनानियों तथा अपराधियों में कोई अंतर नहीं समझती थी। ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों के अधिकार को छीन लिया था। अत: अपने अधिकारों की प्राप्ति तथा भारत वासियों को आज़ादी दिलाने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने बहुत संघर्ष किया। भारतीयों पर अपना वर्चस्व कायम रखने तथा स्वतंत्रता सेनानियों के मनोबल को तोड़ने के लिए वे स्वतंत्रता प्रेमियों तथा अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार करते थे।

प्रश्न: काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए:

  1. किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?
  2. तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह!
    देख विषमता तेरी-मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी!

उत्तर:

  1. यहाँ कवि कोयल की वेदना पूर्ण आवाज़ पर अपनी आशंका व्यक्त कर रहा है। अपनी प्रश्नात्मक शैली से कवि कोयल के कष्ट का अनुमान लगा रहा है। कवि ने विम्बात्मक शैली का प्रयोग किया है, भाषा में सहजता तथा सरलता है।
  2. प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में कवि ने अपने तथा कोयल के जीवन की विषमताओं की ओर संकेत किया है। कवि ने यहाँ तुकबंदी का प्रयोग किया है, अपनी तथा कोयल के जीवन की तुलना की है तथा सरल भाषा का प्रयोग किया है।

प्रश्न: कवि को जेल क्यों भेजा गया होगा, अपनी कल्पना के आधार पर लिखिए।

उत्तर: स्वतंत्रता सभी को प्रिय होती है। कवि भी स्वतंत्र रहना चाहता था। दुर्भाग्य से उस समय देश अंग्रेज़ों का गुलाम था। कवि ने लोगों को अपनी खोई आज़ादी पाने की प्रेरणा देते हुए देश प्रेम बढाने एवं मातृभूमि को स्वतंत्र कराने के लिए अपना तन-मन-धन समर्पित करने वाली कविताएँ लिखी होंगी। यह बात अंग्रेज़ों को नागवार गुजरी और उन्होंने कवि की रचनाएँ जब्त कर ली होगी। उन्होंने कवि को ऐसी कविताएँ लिखने से मना किया होगा पर स्वाभिमानी कवि ने मौखिक रूप से लोगों में देश प्रेम जगाने तथा स्वतंत्रता की चिनकारी भड़काने का काम किया होगा। इससे क्रुद्ध अंग्रेजों ने कवि को जेल भेज दिया होगा।

प्रश्न: अंग्रेजों ने कवि को बौधिक रूप से अशक्त करने का प्रयास क्यों किया और कैसे?

उत्तर: अंग्रेजों की दृष्टि में आजादी की माँग करना सबसे बड़ा अपराध था। वे इसे राजद्रोह से कम नहीं समझे थे। ऐसे क्रांतिकारियों का दमन करने के लिए वे तरह-तरह के हथकंडे अपनाते थे। कवि लेखक, एवं विचारशील लोगों के साथ वे इस तरह अत्याचार करते थे कि बौधिक रूप से कमज़ोर या अशक्त हो जाएँ और उनकी वैचारिक क्षमता शून्य हो जाय। उन्होंने कवि को जेल की उस कोठर में बंद कर दिया जिसमे डाकू, चोर, लुटेरे बटमार आदि बंद थे। ऐसे में कवि को विचारविमर्श करने के लिए ऐसे लोग मिलते थे जो चोरी-छीना झपटी से आगे की बात सोच ही नहीं सकते थे। इस तरह वे कवि को बौधिक रूप से अशक्त करने का प्रयास कर रहे थे।

प्रश्न: ‘मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना’ के आलोक में बताइए कि अंग्रेज़ कवि जैसे कैदियों को मरने भी नहीं देते थे, क्यों?

उत्तर: पराधीन भारत की जेलों में बंद स्वतंत्रता सेनानियों एवं क्रांतिकारियों पर अंग्रेज़ तरह-तरह के अत्याचार करते थे। उन्हें बैलों की जगह कोल्हू चलाने और मोट खींचने जैसे काम करने को विवश कर देते थे। ऐसे कठोर शारीरिक श्रम के बाद भी वे न उन्हें पेट भर खाना देते थे और न मरने देते थे। कवि जैसे कैदियों को न मरने देने का कारण यह था कि ये क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी अपने कार्यों से प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय होते थे। जेल में इनकी मृत्यु होने पर भारतीय जन का आक्रोश भड़क सकता था, जिसे नियंत्रित करना कठिन हो जाता था। ऐसे में उनके विरुद्ध घृणा का वातावरण बनने का भय था।

9th Class (CBSE) Hindi क्षितिज

गद्य – खंड

  • Chapter 01: दो बैलों की कथा
  • Chapter 02: ल्हासा की ओर
  • Chapter 03: उपभोक्तावाद की संस्कृति
  • Chapter 04: साँवले सपनों की याद
  • Chapter 05: नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया
  • Chapter 06: प्रेमचंद के फटे जूते
  • Chapter 07: मेरे बचपन के दिन
  • Chapter 08: एक कुत्ता और एक मैना

काव्य – खंड

  • Chapter 09: साखियाँ एवं सबद
  • Chapter 10: वाख
  • Chapter 11: सवैये
  • Chapter 12: कैदी और कोकिला
  • Chapter 13: ग्राम श्री
  • Chapter 14: चंद्र गहना से लौटती बेर
  • Chapter 15: मेघ आए
  • Chapter 16: यमराज की दिशा
  • Chapter 17: बच्चे काम पर जा रहे हैं

कवि के लिए रोना क्यों गुनाह है?

'कवि का रोना भी गुनाह है' से पता चलता है कि तत्कालीन परतंत्र भारत में स्वाधीनता सेनानियों और क्रांतिकारियों पर बहुत अत्याचार किए जाते थे। उन्हें आपस में मिलने भी नहीं दिया जाता था। उन्हें चोरों-लुटेरों के साथ एक की काल कोठरी में बंदी बनाकर रखा जाता था। बात-बात पर उन्हें गालियाँ दी जाती थीं।

कैदी कवि को जेल में क्या क्या काम करने पड़ रहे हैं?

पेट पर जूआ रखकर मोट खींचना पड़ा। उसे पत्थर के टुकड़े तथा गिट्टियाँ तोड़नी पड़ीं। बैलों की जगह कोल्हू में उसे जुतकर काम करना पड़ा।

कवि को कोयल की आवाज में वेदना का बोझ क्यों महसूस होता है?

प्रश्न (ग) कवि ने कोयल की 'कूक' को 'हूक' क्यों कहा है? उत्तरः कवि ने कोयल की कूक अर्थात् मधुरवाणी को सुना है जो मनमोहिनी व अच्छे मौसम का प्रतीक होती है। परन्तु यहाँ कोयल की वाणी में वेदना व व्याकुलता है जो आधी रात को भी उसे बेचैन किए हुए है। वह अत्याचारों से दुःखी है, अतः कूक न होकर हूक बन गई है।

मरने भी देते नहीं तड़प रह जाना के आलोक में बताइए कि अंग्रेज़ कवि जैसे कैदियों को मरने भी नहीं देते थे क्यों?

उन्हें बैलों की जगह कोल्हू चलाने और मोट खींचने जैसे काम करने को विवश कर देते थे। ऐसे कठोर शारीरिक श्रम के बाद भी वे न उन्हें पेट भर खाना देते थे और न मरने देते थेकवि जैसे कैदियों को न मरने देने का कारण यह था कि ये क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी अपने कार्यों से प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय होते थे