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अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ाना या रहीम, एक मध्यकालीन कवि, सेनापति, प्रशासक, आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, एवं विद्वान थे। वे भारतीय सामासिक संस्कृति के अनन्य आराधक तथा सभी संप्रदायों के प्रति समादर भाव के सत्यनिष्ठ साधक थे। उनका व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न था। वे एक ही साथ कलम और तलवार के धनी थे और मानव प्रेम के सूत्रधार थे। जन्म से एक मुसलमान होते हुए भी हिंदू जीवन के अंतर्मन में बैठकर रहीम ने जो मार्मिक तथ्य अंकित किये थे, उनकी विशाल हृदयता का परिचय देती हैं। हिंदू देवी-देवताओं, पर्वों, धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं का जहाँ भी उनके द्वारा उल्लेख किया गया है, पूरी जानकारी एवं ईमानदारी के साथ किया गया है। वे जीवनभर हिंदू जीवन को भारतीय जीवन का यथार्थ मानते रहे। रहीम ने काव्य में रामायण, महाभारत, पुराण तथा गीता जैसे ग्रंथों के कथानकों को उदाहरण के लिए चुना है और लौकिक जीवनव्यवहार पक्ष को उसके द्वारा समझाने का प्रयत्न किया है, जो भारतीय संस्कृति की वर झलक को पेश करता है। उपर लिखी जानकारी विकिपीडिया से ली गई है फोटो www.thefamouspeople.com से ली गई है। रहीम के दोहे नियंत्रण पर (Rahim Ke Dohe On Control)रहिमन निज मन की ब्यथा
मन ही रारवो गोय अर्थ : अपने मन के दुख को अपने तन में हीं रखना चाहिये। दूसरे लोग आपके दुख को सुनकर हॅसी मजाक करेंगें लेकिन कोई भी उस दुख को बाॅटेंगें नही। अपने दुख का मुकाबला स्वयं करना चाहिये । एकै साधै सब सधै सब साधे सब जाय अर्थ : किसी काम को पूरे मनोयोग से करने से सब काम सिद्ध हो जाते हैं। एक हीं साथ अनेक काम करने से सब काम असफल हो जाता है। बृक्ष के जड़ को सिंचित करने से उसके सभी फल फूल पत्ते डालियाॅ पूर्णतः पुश्पित पल्लवित हो जाते हैं। ज्यों चैरासी लख में मानुस देह अर्थ : जिस तरह चैरासी लाख योनियों में भटकने के बाद मनुश्य का शरीर प्राप्त है उसी प्रकार इस जगत में सहजता सुगमता से स्नेह प्रेम प्राप्त करना भी दुर्लभ है। रहिमन मनहि लगाई कै देखि लेहु किन कोय अर्थ : किसी काम को मन लगा कर करने से सफलता निश्चित मिलती है। मन लगा कर भक्ति करने से आदमी को कया भगवान को बस में किया जा सकता है। रहिमन रहिला की भली जो परसै चित लाय अर्थ : यदि भोजन को प्रेम एवं इज्जत से परोसा जाये तो वह अत्यधिक सुरूचिपूर्ण हो जाता है। लेकिन मलिन मन से परोसा गया भोजन जले हुये मैदा से भी खराब होता है। मैदा के इस भोजन को जला देना हीं अच्छा है। स्वासह तुरिय जो उच्चरै तिय है निश्चल चित्त अर्थ : यदि घर का मालिक अपने पारिवारिक कत्र्तब्यों को साधना की तरह पूरा करता है और पत्नी भी स्थिर चित्त और बुद्धिवाली हो तथा पुत्र भी परिवार के प्रति समर्पित योग्यता वाला हो तो वह घर पवित्र तीनों देवों का वास बाला होता है। हित रहीम इतनै करें जाकी जिती बिसात अर्थ : हमें दूसरों की भलाई अपने सामथ्र्य के अनुसार हीं करनी चाहिये। छोटी छोटी भलाई करने बाले भी नहीं रहते और बड़े उपकार करने बाले भी मर जाते हैं-केवल उनकी यादें और बातें रह जाती हैं। रहिमन वे नर मर चुके जे कहुँ मॉगन जॉहि
अर्थ : जो किसी से कुछ मांगने याचना करने जाता है -वह मृतप्राय हो जाता है कयोंकि उसकी प्रतिश्ठा नही रह जाती। लेकिन जो मांगने पर भी किसी को देने से इन्कार करता है-वह समझो याचक से पहले मर जाता हैं। बड़ माया को दोस यह जो कबहुँ घटि जाय अर्थ : धनी आदमी के गरीब हो जाने पर बहुत तकलीफ होता है। इससे तो गरीबी अच्छा है। जो समस्त दुख सह कर भी वह जी लेता है।सासारिक माया से मोह करना ठीक नही है। चाह गई चिन्ता मिटी मनुआ बेपरवाह अर्थ : जिसकी इच्छा मिट गई हो और चिन्तायें समाप्त हो गई हों जिन्हें कुछ भी नही चाहिये और जिसके मन में कोई फिक्र न हो-वस्तुतःवही राजाओं का राजा शहंशाह हैं। खैर खून खॉसी
खुसी बैर प्रीति मदपान अर्थ : कुशलता खैरियत हत्या खाँसी खुशी दुश्मनी प्रेम और शराब का पीना छिपाये नही छिपते। सारा संसार इन्हें जान जाता हैं। रहिमन छोटे नरन सों होत बडो नहि काम अर्थ : छोटे लोगो से कोई बड़ा काम नही हो सकता है।सौ चूहों के चमड़े से भी एक नगाड़े को नही मढा जा सकता है।अपने सामथ्य को पहचान कर ही काम करना चाहिये याते जान्यो मन भयो जरि बरि भसम बनाय अर्थ : रहीम जिससे भी मन हृदय लगाते हैं वही दगा धोखा दे जाता है। इससे रहीम का हृदय जलकर राख हो गया है। जो इश्या द्वेश से ग्रसित हो उससे कौन अपना हृदय देना चाहेगा । रहिमन रहिबो व भलो जौ लौ सील समूच अर्थ : किसी के यहॉ तभी तक रहें जब तक आपकी इज्जत होती है। मान सम्मान में कमी देखने पर तुरन्त वहाँ से प्रस्थान कर जाना चाहिये । गुनते लेत रहीम जन सलिल कूपते काढि अर्थ : प्यास लगने पर लोग रस्सी की मदद से कुआ से जल निकालते हैं। इसी तरह हृदय मन के भीतर से बात जानने के लिये विश्वास की रस्सी से मदद ली जाती है। दिब्य दीनता के रसहि का जाने जग
अंधु अर्थ : गरीबी में बहुत आनंद है।यह संसार में धन के लोभी अंधे नही जान सकते रहीम क को अपनी गरीबी प्रिय लगती है कयोंकि तब उसने गरीबों के सहायक दीनबंधु भगवान को पा लिया है। भावी या उनमान की पांडव बनहिं रहीम अर्थ : भवितब्य या होनी इश्वर की भयानक शक्ति है। इसने पांडवों जैसे शक्तिशाली को जंगल तें रहने को मजबूर कर दिया। महादेव की पत्नी गौरी पार्वती को बॉझ पुत्रहीन हीं रहना पड़ा। होनी से किसी दया की आशा ब्यर्थ है। जब लगि विपुन न आपनु तब लगि मित्त न कोय अर्थ : यदि आप धनी नहीं हैं तो आपका कोई मित्र नही होगा।धनी बनते ही मित्र बन जाते हैं। सूर्य के प्रकाश मे कमल खिलता है लेकिन तालाब का पानी सूख जाने पर वही सूर्य कमल को सुखा देता है।धन जाने पर मित्र शत्रु बन जाते हैं। जो रहीम होती कहूँ प्रभु गति अपने हाथ अर्थ : यदि लोग स्वयं अपने लाभ नुकसान; प्रतिश्ठा इत्यादि को मन मुताबिक कर पाते तो वे किसी को अपने से अधिक नही मानते। इसी कारण इश्वर ने मनुश्य को कमजोर बनाया है। ताकत के साथ सज्जनता आवश्यक है। जो रहीम मन हाथ है तो तन कहुँ किन जाहिं अर्थ : जिसको अपने मन पर नियंत्रण है उसका शरीर कहीं इधर ईधरनही जा सकता है। पानी में यदि परछाई पड़ता है तो उससे शरीर नही भीगता है। अतः मन को साधने-नियंत्रित करने से शरीर अपने आप नियंत्रित हो जाता है। ओछो काम बड़ो करै तौ न बड़ाई होय अर्थ : यदि कोई छोटा ब्यक्ति महान काम करता है तो उसका नाम नही होता-उसे बड़ा नही कहा जाता है। हनुमान ने पहाड़ ईखाड़ लिया नर उनका गुराा नही गाया जाता है पर कृश्राा ने गोबर्धन पहाड़ उठाया तो उन्हें गिरिधर कहा जाता है। गरज आपनी आप सों रहिमन कही न जाय अर्थ : सम्मानित ब्यक्ति अपने निकटतम ब्यक्ति से भी जरूरत पढ़ने पर याचना नहीं कर पाते हैं। उँचे कुल की खानदानी बहू जिस प्रकार किसी दूसरे के घर में जाने में लज्जा महसूस करती कहि रहीम धन बढि
घटे जात धनिन की बात अर्थ : धनी आदमी को गरीब या धन की कमी होने पर बहुत कश्ट होता हैलेकिनजो प्रतिदिन घास काट कर जीवन निर्वाह करते हैं – उन पर धन के घटने बढने का कोई असर नही होता है। नाद रीझि तन देत मृग नर धन देत अर्थ : संगीत का मधुर राग सुनकर हिरण शिकारी का आसान शिकार हो जाता है। परन्तु कुछ लोग पशु से भी अधिक हृदयहीन होते हैं जो आपसे खुश होकर भी आपको मान सम्मान ;धन;प्रशंसा आदि कुछ नही देते हैं। बढत रहीम धनाढ्य धन धनी धनी को जाड अर्थ : धनी ब्यक्ति का धन बढता जाता है कारण धन ही धन को आकर्शित करता है। जो गरीब भीख मांग कर गुजारा करते हैं-उनका धन कभी घटता बढता नही हैं। रहिमन रीति सराहिए जो घट गुन सम होय अर्थ : घड़ा और रस्सी की सराहना करें जो कुए के दिवाल से रगड़ खाकर भी सेवा करना नही छोड़ते। अपने उपर कश्ट सहकर भी वे सब को शीतल जल पिलाते हैं। लोगों को घड़ा और रस्सी से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिये। रहिमन कहत स्वापेट सों कयों न भयो तू पीठ अर्थ : रहीम अपने पेट से कहते हैं कि तुम पेट के बजाय पीठ कयों नही हुआ। भूखा रहने पर पेट लोगों से गलत काम करने को बाध्य करता है और पीठ लोगों का बोझ ढोकर कश्ट दूर करता है। रहिमन राज सराहिए ससि सम सुखद जो होय । अर्थ : उस शासन की सराहना करनी चाहिये जिसमें छोटे साधारण लोग भी इज्जत और सुखसे जीवन जी सकते हों। जिसमें सभी सूर्य की भॉति चमक सकें और चॉद की तरह शीतलता और सुख प्राप्त कर सकें। जहॉ लोगों को किसी तरह की तपिश कशअ न हो। रूप कथा पद चारू पट कंचन दोहा लाल अर्थ : मोहक रूप; मानवीय कहानियॉरस भरे कविताओं के पद; सुगंधित केसर;महीन वस्त्र;स्वर्ण आभूशन;भावपूर्ण दोहे तथा मणि मोती को जितनी सुक्ष्मता से देखा जाता है उसका मूल्य उतना ही बढ जाता है। स्वारथ रचत रहीम सब औगुन हूँ जग मं हि । अर्थ : लोग अपने स्वार्थ में संसार के सब लोगों मे गुण अवगुण खेज लेते हैं। पहले जो रूके रथ की छाया को अशुभ मानते थे-अब वे ही लोग उस रथ की छाया में बैठ कर विश्राम और शांति का अनुभव कर रहे हैं। रूप बिलोकि रहीम तहं जहं तहं मन लगि जाय अर्थ : जहॉ सुन्दर रूप दिखाई देता है वहीं मन लग जाता है।आशक्ति बढ जाती है। उस सुन्दर रूप की आखें बहुत काल तक देखती ही रह जाती है। मन को वहाँ से हटाने पर वह फिर वहीं चला जाता है।रूप का जादू किस पर नहीं चलता। नैन सलोने अधर मधु कह रहीम घटि कौन अर्थ : सुन्दर आखों और मीठे अधरों में किसका स्वाद रसपान कम है-कहना अति कठिन मीठा खाने पर नमकीन औरनमकीन के बाद मीठा खाने का स्वाद अत्यंत रूचिकर होता हैं। रहिमन जा डर निसि परै ता दिन डर सब कोय
अर्थ : अधिक कठिनाई झेलने वाला भय के मारे न रात सो पाता है न दिन में भय से निश्चिंत रह पाता है। वह प्रत्येक क्षण डरा रहता है कि पता नही कहॉ से कौन सी विपत्ति आ जाये। इस हालत को कोई भुक्तभोगी हीं समझ सकता है। ये रहीम फीके दुवौ जानि महा संताप अर्थ : आत्म प्रशंसा एक बीमारी है। यदि नवयुवती अपने हाथों अपने उरोज को मर्दन करने लगे तो समझें कि वह काम से अतृप्त आत्म प्रशंसा हार का लक्षण है। एक उदर दो चोंच है पंछी एक कुरंड अर्थ : कारंडव पक्षी को एक पेट और दो चोंच है।इसलिये वह पेट भरने के लिये निश्चिंत है। लेकिन रहीम कहते हैं कि अगर किसी को दो पेट और एक चोंच हो तो वह कैसे जीवित रह सकेगा। कमाने बाला रहीम एक और कई पेट।वह आर्थिक तंगी से बेहाल हो गया है। संपति भरम गंवाइ कै हाथ रहत कछु नाहि अर्थ : जो आदमी भ्रम में पड़कर अपना धन संपत्ति गॅवा देता है-उसके पास कुछ नहीं रह जाता है। उसका सब कुछ लुट जाता है।दिन में चन्द्रमा कांतिहीन अनदेखा आकाश में कहीं कोने में छिपा रहता हैं। यों रहीम सुख होत है बढत देखि निज गोत अर्थ : अपने बंश खानदान की बृद्धि देखकर उसी तरह सुख का अनुभव होता है जैसे युवती की सुन्दर आखें देखकर पुरूश को आनन्द प्राप्त होता है। प्रत्येक आदमी को अपनी बृद्धिसे सुख प्राप्त होता है। मन से कहा रहीम प्रभु दृग सों कहा दिवान अर्थ : मन जैसा उदार राजा और आखों जैसा तुरंत प्रसन्न होने बाला मंत्री होने से यदि दीवान मंत्री को आदर सम्मान देकर प्रसन्न कर लिया जाता है तो राजा उस चतुर आदमी के हाथों बिक जाता है। मंत्री हीं सब राजकाज चलाता है। रहिमन अपने गोत को सबै चहत उत्साह अर्थ : सभी अपने कुल की बृद्धि चाहते हैं । बंश परम्परा में वृद्धि से सब उत्साहित होते हैं। हिरण अपने बंश की बृद्धि पर उपर की ओर उछलते हैं और सूअर जमीन खोदने लगता है। खीरा के मुख काटि के मलियत लोन लगाय अर्थ : खीरा के तिक्त स्वाद को दूर करने के लिये उसके मुँह को काट कर उसे नमक के साथ रगड़ा जाता है । इसी तरह तीखा वचन बोलने बालें को भी यही सजा मिलनी चाहिये।कठोर वचन बोलने बालों का त्याग और नम्र बचन बाले लोगों का स्वागत करना चाहिये। अनुचित बचन न मानिये जदपि गुराइसु गाढि अर्थ : बहुत जोर जबर्दस्ती या दबाब के बाबजूद अनुचित बात मानकर कोइरू काम न करें। यदि आपका हृदय नही कहे या कोई बड़ा आदमी भी गलत कहे तो उसे कभी न मॉनें। रहिमन ब्याह वियाधि है सकहुँ तो जाहु बचाय अर्थ : शादी ब्याह एक सामाजिक रोग है-संभव हो सके तो इससे बचना चाहिये। यह एक तरह का पॉव में बेड़ी है।बस घर परिवार का ढोल बजाते रहो। रहिमन तीर की चोट ते चोट परे बचि जाय अर्थ : रहीम कहते हैं कि तीर की चोट पड़ने पर कोई ब्यक्ति बच सकता है किंतु नयनों की मार से कोई नही बच सकता। नयन वाण की चोट से मरना-समर्पण अवश्यंभावी है। रहिमन मन की भूल सेवा करत करील अर्थ : करील कॉटे बाला पौधा है।इसकी सेवा करना ब्यर्थ है। इसमें फूल और फल की इच्छा बेकार है। इसके डाल पर तो पत्ते भी नही होते हैं।दुर्जन से सज्जनता की इच्छा करना बेकार जो रहीम ओछो बढे तो अति ही इतराय अर्थ : नीच ब्यक्ति का स्वभाव नही बदलता। उन्नति के साथ उसकी नीचता बढती जाती है। शतरंज में प्यादा जब मंत्री बन जाता है तो उसकी चाल टेढी हो जाती है। रहिमन चाक
कुम्हार को मांगे दिया न देई अर्थ : कुम्हार के चाक से दीया मांगने पर वह नही देता है। जब कुम्हार उसके छेद में डंडा डालकर चलाता है तो वह दीया के बदले नाद भी दे देता है। दुर्जन ब्यक्ति नम्रता को कमजोरी मानता है। तब उस पर दंड की नीति अपनानी पड़ती है। रहिमन जिह्वा बाबरी कहिगै सरग पाताल अर्थ : जीभ पागल होती है।शब्द कमल और तीर दोनों होता है। अंट संट बोल कर खुद तो जीभ अंदर रहती है और सिर को जूते खाने पड़ते हैं। वाणी पर नियंत्रण रख कर सोच समझ कर बोलना चाहिये। रहिमन असमय के परे हित अनहित है जाय अर्थ : बुरे दिन में हित की बात भी अहित कर देती है। शिकारी के तीर से घायल हरिण जान बचाने के लिये जंगल में छिप जाता है पर उसके खून की बूंदें उसका स्थान बता देता है। उसका खून हीं उसका जानलेवा हो जाता है।समय पर मित्र शत्रु और अपना पराया हो जाता है। रहिमन याचकता गहे बड़े छोट है जात अर्थ : भिक्षा मॉगने बाला बड़ा ब्यक्ति भी छोटा हो जाता भगवान विश्नु को भी मांगने के लिये महाराज बलि के पास बाबन अंगुली का बौना-बामन अवतार लेना पड़ा था। रहिमन वित्त अधर्म को जरत न लागै बार अर्थ : अधर्म से कमाया गया धन के विलुप्त होने में देर नही लगती। होलिका दहन के लिये लोग चोरी करके लकड़ियाँ जमा करते हैं जो तुरंत हीं जलकर राख हो जाता है। बेईमानी से अर्जित धन राख की ढेरी के समान हैं। रहिमन सूधी चाल में प्यादा होत उजीर अर्थ : शतरंज में सीधे सीधे चलने से प्यादा भी वजीर हो जाता है पर टेढे टेढे चलने का फल है कि मंत्री कभी भी बादशाह नही बन पाता है। उच्च पद पाने हेतु सीधापन होना चाहिये।कपट से कोई बड़ा नही बन सकता हैं। कागद को सो पूतरा सहजहि में घुलि जाय अर्थ : कागज पानी में आसानी से तुरंत घुल जाता है और घुलते घुलते भी पानी के अंदर से भी हवा को खीचता है। मनुश्य का शरीर भी इसी प्रकार मरते समय भी माया मोह और घमंड को नहीं छोड़ता है। करत निपुनई गुन बिना रहिमन निपुन
हजूर अर्थ : गुरााहीन ब्यक्ति जब अपनी चतुराई दिखाने का प्रयास करता है तो उसकी कलई खुल जाती है। ऐसा प्रतीत होता है कि वह पेड़ पर चढकर अपने पाखंड की उद्धाशना कर रहा हो । तैं रहीम अब कौन है एती बँचत बाय अर्थ : तुम कौन हो? झूठे घमंड में मत रहो।यह जीवन कागज का पुतला है जो तनिक पानी पड़ने पर गल जायेगा। यह जीवन हीं क्षणिक है।अभिमान त्याग दो। रहिमन अति न कीजिये गहि रहिए निज कानि अर्थ : किसी बात का अति खराब है।अपनी सीमा के अन्दर इज्जत बचा कर रहें। सहिजन के पेड़ में यदि अत्यधिक फूल लगता है तो उसकी डाल और पत्ते सब टूट जाते हैं। अपनी शक्ति का अतिक्रमण नही करें। लिखि रहीम लिलार में भई आन की आन
अर्थ : भाग्य के लेख को मिटाया नही जा सकता। किसी ने काशी में मरकर मोक्ष पाने के लिये अपने हाथ पैर काट लिये-पर वह किसी प्रकार मगहर पहुंच गया। कहते हैं कि मगहर में प्राण त्यागने से गदहा में जन्म होता है।भाग्य के आगे ब्यक्ति की समस्त युक्तियाँ ब्यर्थ हो जाती है। उरग तुरग नारी नृपति नीच जाति हथियार अर्थ : सॉप;घोड़ा;स्त्री;राजा;नीच ब्यक्ति और हथियारां को हमेशा संभालकर रखना चाहिये और इनसे सर्वदा होशियार रहना चाहिये। इन्हें पलट कर वार करने में देर नही लगती है। रहिमन घटिया रहॅट की त्यों ओछे की डीढ अर्थ : रहट का पानी का पात्र और निकृशअ ब्यक्ति का आचरण समान होता है। नीच ब्यक्ति जरूरत पड़ने पर सामने आ जाता है और काम पूरा हो जाने पर वह पीट दिखाकर भाग जाता है। इसी तरह रहट का पात्र खाली रहने पर सामने से और भरा रहने पर पीछे से दिखाई पड़ता रहिमन ठठरी धार की रही पवन ते पूरि अर्थ : यह शरीर हड्डी मॉस का ढॉचा है जो हवा पृथ्वी आकाश आग और जल के पंच तत्व से बना है। शरीर से इन तत्वों के निकल जाने नर केवल धूल राख हीं बच जाता है। इस क्षाभंगुर शरीर पर अभिमान नही करना चाहिये। खीरा
को मुँह काटि के मलियत लोन लगाय अर्थ : खीरा का मुँह काटकर उसपर नमक मला जाता है ताकि उसका खराब स्वाद मिट जाये। करूवे वचन बोलने बाले को भी इसी प्रकार की सजा देनी चाहिये। जो रहीम पगतर परो रगरि नाक अरू सीस अर्थ : यदि निश्ठुर हृदयहीन के चरणों पर तुम अपना नाक और सिर भी रगड़ोगे तब भी वह तुम पर दया नही करेगा। उनके आगे अपना आसू बहाकर उसे बर्बाद मत करो। दुरदिन परे रहीम कहि भूलत सब पहिचानि अर्थ : दुख दुर्दिन के समय अपने लोग भी पहचानने से भूल जाते हैं। ऐसे समय में धन की हानि तो होती है-हमारे शुभचिंतक भी साथ छोड़ देते हैं। रहिमन अॅसुवा नयन ढरि जिय दुख प्रगट करेई अर्थ : अनेक प्रयास के बाबजूद आखों के आसू ढुलक कर हृदय के दुख को प्रगट कर हीं देते हैं। यदि घर के रहस्य को जानने बाले बाहर निकाले जाते हैं-वे उसे अन्य लोगों को प्रगट कर देते हैं जिससे नुकसान का भय रहता है। रहसनि बहसनि मन हरै घोर घोर तन लेहि अर्थ : रसिक स्त्री सबों के मन को हर लेती है। प्रत्येक ब्यक्ति उसकी ओर आकर्शित हो जाता वह प्रेमी लोगों के मन चित्त चुरा लेती है परन्तु अपना मन हृदय किसी को नही देती है। अतः रसिक स्त्रियों के फेर में नही पड़ना चाहिये। रहीमन थोड़े दिनन को कौन करे मुँह स्याह अर्थ : इस संसार में बहुत कम दिन रहना है। अब बाल काला रंग करके किसी गरीब की बेटी से छलावा करके विवाह करना उचित नही है। ढलती उम्र में जब वासना जोर मारती है तो लोग धन पद के बल पर गलत रास्ता अपनाता अनकीन्ही बातें करै सोबत जागै जोय अर्थ : लोग अपने को ज्ञानी दिखाने हेतु आदर्श बघाड़ते हैं किंतु स्वयं अपने जीवन में उसे नही अपनाते हैं। वह आदमी जागते हुये भी सोया हुआ है।उस घमंडी को जगाना;सिखाना;समझाना ब्यर्थ है। रहिमन अपने पेट सों बहुत कह्यो समुझाय अर्थ : भूखा आदमी कूकर्म करने को तैयार हो जाता है। रहीम ने बहुत समझाकर अपने पेट से कहा कि तुम अपने भूख को नियंत्रित करो ताकि तुम बिना खाये रह सको तो किसी को भी बुरा काम करने को मजबूर नही होना पड़ेगा। रहिमन जाके बाप को पानी पियत न कोय अर्थ : जिसके पिता का पानी नहीं कोई पीता था-जो कंजूसी;बेईमानी;दुश्टता; नीचता पर रहता है-उसका प्रभाव उसके संतान पर भी अवश्य पड़ता है। आकाश के काले बादलों ने पूरे आकाश को काला कर दिया है।भूतकाल का प्रभाव बर्तमान और भविश्य पर पड़ता ळे मनसिज माली कै उपज कहि रहीम नहि जाय अर्थ : कामदेव ने राधा के हृदय वक्ष स्थल पर फल लगा दिये और माली रूपी श्याम के वक्ष पर कोमल फूल। भला कामदेव जैसे माली ने ऐसा कयों किया ? यह रहीम मानै नहीं दिल से नवा जो
होय अर्थ : जो झुक कर नम्रता से बातें करता है-कोई जरूरी नहीं कि वह हृदय दिल से भी नम्र प्रकृति का हो। चीता शिकार के वक्त;चोर चोरी के समय;तीर धनुश पर चढाने समय झुके रहते हैं। इस तरह के दुश्टों से सावधान रहना अच्छा है। भूप गनत लघु गुनिन को गुनी गुनत लघु भूप अर्थ : राजा गुणी के गुण को कम करके आकते हैं और गुणी लोग राजा के गुण को कम समझते हैं। संसार में पहाड़; भूमि;गढ्ढे;खाई ;मैदान;जंगल सीी एक रूप हैं। सब इश्वर निर्मित है।हमारा भेदभाव करना अनचित है। कहि रहीम इक दीप तें प्रगट सबै दुति होय अर्थ : एक दीपक की रोशनी में सब साफ साफ दिखाई देता है। आखों के दो दीपक से कोई अपने प्रेम स्नेह को कैसे छिपा सकता है। आखें प्रेम को स्पश्अ कर देता हैं। जे अनुचितकारी तिन्हें लगे अंक परिनाम अर्थ : अनुचित काम का अंतिम परिणाम कलंकित होना है। जो युवती के उन्नत उरोजों को देखकर काम वासना से पीड़ित होगा-उसका मुंह काला होगा। अन्याय का फल सबको मिलता है। मंदन के मरिह गए अबगुन गुन न सराहि अर्थ : बुरे लोगों के मरने पर वे अपने दुर्गुण अपने साथियों के पास छोड़ जाते हैं। बाघ द्वारा मारे गये दुश्अ ब्यक्ति भूत-प्रेत के रूप में जन्म लेकर अधिक कश्अ तकलीफ देते रहते हैं। माघ मास लहि टेसुआ मीन परे थल और अर्थ : माघ महीना आने पर टेसू का फूल झई कर एजाड़ हो जाता है। मछली भी जल से अलग हो कर जमीन पर आ जातीहै। इसी तरह संसार से भी एक दिन आपका स्थान छूट जाता है।यह संसार माया और क्षणभंगुर है। कहि रहीम इक दीप तें प्रगट सबै दुति होय अर्थ : एक दीपक की रोशनी में सब साफ साफ दिखाई देता है। आखों के दो दीपक से कोई अपने प्रेम स्नेह को कैसे छिपा सकता है। आखें प्रेम को स्पश्अ कर देता हैं। रहीम के दोहे दान पर (rahim ke dohe on Donation)देनहा कोई और है भेजत सो दिन रात अर्थ : देने वाला तो कोई और प्रभु है जो दिन रात हमें देने के लिये भेजता रहता है लेकिन लोगों को भ्रम है कि रहीम देता है।इसलिये रहीम आखें नीचे कर लोगों को देता है। इश्वर के दान पर रहीम अपना अधिकार नहीं मानते । तबहीं लो जीबो भलो दीबो होय न धीम अर्थ : दानी को दान देने में आनन्द होता है।जीना तभी तक अच्छा लगता है जबतक दान देने की ताकत बनी रहे।बिना कुछ दान दिये रहीम को जीना अच्छा नहीं लगता। रहिमन दानि दरिद्रतर तउ
जांचिवे योग अर्थ : यदि दानी ब्यक्ति अत्यधिक गरीब हो जाये तब भी वह याचना करने योग्य रहता है। इश्वर उसके पास कुछ न कुछ देने के योग्य रहने देते हैं।यदि नदी सूख जाता है तो लोग उसमें कुआगडढा खोदकर जल प्राप्त कर लेते हैं। तब हैं । लो जीबो भलो दीबो होय न धीम जग में रहिबो कुचित गति उचित न होय रहीम। रहीम के दोहे मित्रता पर (rahim ke dohe on Friendship)मथत मथत माखन रहै दही मही बिलगाय अर्थ : दही को बार बार मथने से दही और मक्खन अलग हो जाते हैं। रहीम कहते हैं कि सच्चा मित्र दुख आने पर तुरंत सहायता के लिये पहुंच जाते हैं। मित्रता की पहचान दुख में ही होता है। जो रहीम दीपक दसा तिय राखत पट ओट अर्थ : जिस प्रकार वधु दीपक को आचल की ओट से बचाकर शयन कक्ष में रखती है उसे हीं मिलन के समय झपट कर बुझा देती है।बुरे दिनों में अच्छा मित्र भी अच्छा शत्रु बन जाता टूटे सुजन मनाइये जो टूटे सौ बार
अर्थ : शुभेच्छु हितैशी को रूठने पर उसे अनेक प्रकार से मना लेना चाहिये। ऐसे प्रेमी को मनाने मेंहार जीत का प्रश्न नही होना चाहिये। मोती का हार टूटने परउसे पुनः पिरो लिया जाता है।वह मोती अत्यधिक मूल्यबान है। ये रहीम दर दर फिरहिं मांगि मधुकरी खाहिं अर्थ : अब रहीम दर दर फिर रहा है और भीख मांगकर खा रहा है।अब दोस्तों ने भी दोस्ती छोड़ दिया है और अब वे पुराने रहीम नही रहे। गरीब रहीम अब मित्रता नही निबाह सकता रहिमन तुम हमसों करी करी करी जो तीर अर्थ : कठिनाई के दिनों में मित्र गायब हो जाते हैं और अच्छे दिन आने पर हाजिर हो जाते केवल प्रभु ही अच्छे और बुरे दिनों के मित्र रहते हैं।मैं अब अच्छे और बुरे दिनों के मित्रों को पहचान गया हूँ। रहिमन कीन्ही प्रीति साहब को भावै अर्थ : रहीम ने अपने मालिक से प्रेम किया किंतु वह प्रेम मालिक को भाया नही-अच्छा नही लगा।स्वाभाविक है कि जिनके अनगिनत मित्र होते हैं-पे गरीब की मित्रता को कयों महत्व देंगें। वरू रहीम कानन बसिय असन करिय फल तोय अर्थ : जंगल में बस जाओ और जंगली फल फूल पानी से निर्बाह करो लेकिन उन भाइयों के बीच मत रहो जिनके साथ तुम्हारा सम्पन्न जीवन बीता हो और अब गरीब होकर रहना पड़ रहा हो। जलहिं मिलाई रहीम ज्यों कियो आपु सग छीर अर्थ : दूध पानी को अपने में पूर्णतः मिला लेता है पर दूध को आग पर चढाने से पानी उपर आ जाता है और अन्त तक सहता रहता है।सच्चे दोस्त की यही पहचान है। कहि रहीम संपति सगे बनत बहुत बहु रीत अर्थ : संपत्ति रहने पर लोग अपने सगे संबंधी अनेक प्रकार से खोज कर बन जाते हैं। लेकिन विपत्ति संकट के समय जो साथ देता है वही सच्चा मित्र संबंधी है। धनि रहीम जलपंक को लघु जिय पियत अघाय अर्थ : कीचड़ युक्त जल धन्य है जिसे छोटे जीव जन्तु भी पीकर तृप्त हो जाते हैं। समुद्र का कोई बड़प्पन नहीं कयोंकि संसार की प्यास उससे नही मिटती है। सेवाभाव वाले छोटेलोग ही अच्छे हैं। तरूवर फल नहि खात है सरवर पियत नहि पान अर्थ : बृक्ष अपना फल स्वयं नहीं खाता है और सरोवर अपना पानी स्वयं नही पीता है।ज्ञानी और सज्जन दूसरों के हित के लिये धन संपत्ति का संग्रह करते हैं। रहिमन पर उपकार के करत न
यारी बीच अर्थ : परोपकार करने में स्वार्थ; अपना पराया मित्रता आदि नही सोचना चाहिये। राजा शिवि ने कबूतर की प्राण रक्षा हेतु अपने शरीर का मॉस और दधीचि ऋशि ने अपनी हड्डियाँ दान दी थी। परोपकार में जीवन का बलिदान करने से भी नही हिचकना चाहिये। रहीम के दोहे मदद पर (rahim ke dohe on help)सवे रहीम नर धन्य हैं पर उपकारी अंग अर्थ : वह मनुश्य धन्य है जिसका शरीर परोपकार में लगा है जैसे मेंहदी पीसने बाले को हाथ में लग कर उसे सुन्दर बना देती है। संतत संपति जानि कै सबको सब कुछ देत अर्थ : धनी लोगों की मदद सब करता है कयोंकि जरूरत के समय वे उनकी मदद कर सकते हैं ।किंतु गरीब की मदद दीनबंधु भगबान के सिबा कोई नहीं करता है । परजापति परमेश्वरी गंगा रूप समान अर्थ : समस्त जीवों का पालन करने वाली मॉ का रूप गंगा की तरह निर्मल और पतित पाविनी है।वह समस्त पापों का नाश करती है। उनके दर्शन से आखों को तृप्ति;मन को शान्ति और हृदय को निर्मलता प्राप्त होती है। जैसी परै सो सहि रहै कहि रहीम यह देह अर्थ : यह शरीर सब कुछ सह लेता है।इसके उपर जो भी कश्अ आता है उसे यह सहन कर लेता है। धरती पर सर्दी गर्मी और वर्शा पड़ने पर वह सह लेता है। इस शरीर को दूसरों की भलाई में लगाना ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिये । गति रहीम बड़ नरन की ज्यों तुरंग व्यबहार अर्थ : अच्छे लोग दूसरों की सेवा करना अपना धर्म मानते हैं।घोडे को अधिक कशअ देकर दाग दिया जाता था और घुड़सवार उस पर सवारी करके अपनी जीविका कमाता था। अच्छे लोग अपना धर्म निर्बाह हेतु सहर्श कशअ उठाने के लिये तत्पर रहते हैं। काह कामरी पागरी जाड़ गये से काज अर्थ : जिस कपड़ा से जाड़ा चला जाये-वही सबसे अच्छा चादर या कम्बल कहा जायेगा। जिस आज से भूख मिट जाये वह जहॉ से जैसे भी मिले-पही उत्तम है। को रहीम पर द्वार पै जात न जिय सकुचात अर्थ : कोई भी ब्यक्ति किसी के भी दरवाजे पर मॉगने के लिये जाने में संकोच करता है। लेकिन लोग कश्अ में धनवान के यहॉ हींजाते हैं और विपत्ति ही उन्हें याचना के लिये ले जाती है।धनवान को कशअ में पड़े ब्यक्ति का आदर करना चाहिये। जो घर हीं में घुसि रहै कदली सुपत सुडील अर्थ : केला का पौधा केबल घर आगन की शोभा बढाता है। उनसे तो बेर बबूल के कांटे बाले पौधे अच्छे हैं जो रास्ते पर राहगीर और पक्षियों को आश्रय देते हैं। धनि रहीम गति मीन की जल बिछुरत जिय जाय अर्थ : मछली का प्रेम धन्य है जो जल से बिछड़ते ही मर जाती है। भौरा का प्रेम छलावा है जो एक फूल का रस ले कर तुरंत दूसरे फूल पर जा बसता है। जो केवल अपने स्वार्थ के लिये प्रेम करता है वह स्वार्थी है। सबको सब कोउ करै कै सलाम कै राम अर्थ : सबको सब लोग हमेशा राम सलाम करते हैं।परन्तु जो आदमी कठिन समय में रूके कार्य में मदद करे वही वस्तुतः अपना होता है। रहिमन प्रीत न कीजिये जस खीरा ने कीन अर्थ : खीरा बाहर से एक दिखता है पर भीतर वह तीन फॉक में रहता है।प्रेम बाहर भीतर एक जैसा होना चाहिये।प्रेम में कपट नही होना चाहिये।वह बाहर भीतर से एक समान पवित्र और निर्मल होना चाहिये।केवल उपर से दिल मिलने को सच्चा प्रेम नही कहते। रहीम के दोहे प्रेम (rahim ke dohe on love)रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाये अर्थ : प्रेम के संबंध को सावधानी से निबाहना पड़ता है। थोड़ी सी चूक से यह संबंध टूट जाता है। टूटने से यह फिर नहीं जुड़ता है और जुड़ने पर भी एक कसक रह जाती है। जे सुलगे ते बुझि गये बुझे तो सुलगे नाहि अर्थ : सामान्यतः आग सुलग कर बुझ जाती है और बुझने पर फिर सुलगती नहीं है । प्रेम की अग्नि बुझ जानेके बाद पुनः सुलग जाती है। भक्त इसी आग में सुलगते हैं। रहिमन खोजे ईख में जहाँ रसनि की खानि अर्थ : इख रस की खान होती है पर उसमें जहॉ गॉठ होती है वहॉ रस नहीं होता है। यही बात प्रेम में है। प्रेम मीठा रसपूर्ण होता है पर प्रेम में छल का गॉठ रहने पर वह प्रेम नहीं रहता है। जेहि रहीम तन मन लियो कियो हिय बेचैन अर्थ : जिसने हमारा तन मन ले लिया है और हमारे हृदय में अपना निबास स्थान बना लिया अब उससे अपना सुख दुख कहने की कया जरूरत है।अब उससे कया बात कहना बच गया है।शरणागत भक्त सभी चिन्ताओं से मुक्त हो जाता हैं। रहिमन बात अगम्य की कहन सुनन की नाहि अर्थ : परमेश्वर अगम्य अथाह वर्णन से परे है और वह कहने सुनने की चीज नही है।उसे जो जानता है वह कहता नही है और जो उसके बारे में बोलता है वह वस्तुतः उसे जानता नही है। ईश्वर केवल प्रेम के द्वारा ह्दय में अनुभव की चीज है। अंतर दाव लगी रहै धुआन प्रगटै सोय अर्थ : हृदय में अंदर आग लगी हुई है-उसका धुआ भी दिखाई नही देता है।इसका दुख वही स्वयं जानता है जिसके उपर सह बीत रही हो। प्रेम की आग तड़प केवल प्रेमी हीं अनुभव कर सकता है। रहिमन मारग प्रेम को मर्मत हीन मझाव अर्थ : प्रेम का मार्ग अत्यंत खतरनाक खाईयों वाला वीहड़ है। यदि कोई इस रास्ते से डिग गया-पथ भ्रश्अ हो गया तो उसे पुनः पैर रखने को भी स्थान नहीमिलता है। प्रेम के पथ में प्राण बलिदान करने को तैयार रहना चाहिये। रहिमन रिस को छाडि कै करो गरीबी भेस अर्थ : क्रोध छोड दो सादगी में रहो।प्रेम से मीठा बोलो। नम्रता युक्त चालचलन रखो।सम्पूर्ण संसार में तुम्हारी प्रतिश्ठा रहेगी। कहि
रहीम या जगत तें प्रीति गई दै टेर अर्थ : रहीम को लगताहै कि इस संसार में प्रेम समाप्त हो गया है। निकृशअ लोगों में केवल स्वार्थ रह गया। दुनिया में स्वार्थी लोग रह गये हैं।दुनिया मानव रहित खोखली हो गई है। रहिमन प्रीति सराहिये मिले होत रंग दून अर्थ : जब प्रेम अत्यधिक बढ जाये तो उसकी सराहना करनी चाहिये।जब हल्दी और चूना मिलते हैं तो एक तीसरा ज्यादा तेज रंग बन जाता है। अतः प्रेम में अपना अहंकार त्याग करने से वह दुगुना अच्छा हो जाता हैं। नाते नेह दूरी भली जो रहीम जिय जानि अर्थ : संबंधियों से दूरी रखना ही अच्छा है।तब हृदय में प्रेम बना रहता है।अधिक नजदीकी रहने पर आदर में कमी होने लगती है।नजदीक के तालाब की अपेक्षा दूर के तालाब को लोग अधिक अच्छा समझते हैं। चढिबो मोम तुरंग पर चलिबो पावक मॉहि अर्थ : मोम के घोड़े पर सवार होकर आग पर चलना जिस तरह कठिन होता है उसी तरह प्रेम के रास्ते पर चलना भी अत्यधिक मुशकिल है।सभी लोगों से प्रेम का निर्वाह कर पाना संभव नही होता है। जहॉ गॉठ तह रस नही यह रहीम जग जोय अर्थ : ब्यक्तिगत संबंधों में जहॉ गॉठ होती है-वहॉ प्रेम या मिठास नही होती है लेकिन शादी मंडप में बॉधी गई अनेक गॉठे प्रेम के रस में भींगी रहती है। जाल परे जल जात बहि तजि मीनन को मोह अर्थ : पानी में जाल डालते ही फॅसं मछली का मोह छोड़कर सब पानी बह जाता है। लेकिन तब भी मछली जल का मोह नही छोड़ती और दुख में जान दे देती है। प्रेमिका प्रेमी के वियोगमें प्राण भी त्याग देती है। रहिमन
पैंडा प्रेम को निपट सिलसिली गैल अर्थ : प्रेम की राह फिसलन भरी है।चींटी भी इस रास्ते में फिसलती है और लोग इसे बैल पर लाद कर अधिकाधिक पाना चाहते हैं। निश्छल ब्यक्ति ही प्रेम में सफल हो पाते हैं। वहै प्रीति नहीं रीति वह नहीं पाछिलो हेत अर्थ : प्रेम में छल अधिक दिनों तक नही चलता है।प्रेम धीरे धीरे घटता चला गया जैसे हाथ में रखा बालू धीरे धीरे गिर जाता है।प्रेम के निर्वाह का तरीका कपट पर आधारित नही होता है। यह न रहीम सराहिए लेन देन की प्रीति अर्थ : रहीम उस प्रेम की सराहना मत करो जिसमें लेन देन का भाव हो। प्रेम कोई खरीद बिक्री की चीज नही है। प्रेम में वीर की तरह प्राणों के न्यौछावर करने की बाजी लगानी पड़ती है-उसमें विजय हो या हार-उसकी परवाह नही करनी पड़ती है। अंतर दाव लगी रहै धुआं न प्रगटै सोय अर्थ : हृदय में प्रेम की अग्नि ज्वाला लगी हुई है लेकिन इसका धुआ भी दिखाई नही देती है प्रेम करने वाले का हृदय हीं केवल इसे जान सकता है जिसके सिर पर यह बीत रही है। प्रेम में वियोग का दर्द केवल प्रेमी हीं जानता है। रहिमन वहॉ न जाइये जहाँ कपट को हेत अर्थ : प्रेम में छल नही होना चाहिये।हमें उन लोगों से प्रेम नही करना चाहिये जो कपटी स्वभाव के हैं।रात भर किसान अपना खेत सींचने हेतु ढेंकली चलाता रहा पर सबेरे दिखाई पड़ा किछल करके पानी को दूसरे के खेत में काट कर सींच लिया गया है। संबंध की परख करके ही प्रेम करना चाहिये। रहिमन सो न कछु गनै जासों लागो नैन अर्थ : जिसे कहीं प्रेम हो गया वह कहने समझाने बुझाने से भी नहीं मानने बाला है। जैसे उसने प्रेम के बाजार में अपना सब सुख चैन बेचकर अपना दुख बियोग खरीदकर ले आया हो। रीति प्रीति सबसों भली बैर न हित मित गोत अर्थ : सब लोगों से प्रेम का ब्यबहार करना अच्छा है।किसी से भी शत्रुता कीना किसी के लिये लाभकारी नही है। पता नही इस जन्म के बाद मनुश्य के रूप में जन्म लेकर अच्छी संगति प्राप्त करना संभव होगा अथवा नही। बिरह विथा कोई कहै समझै कछु न ताहि अर्थ : बिरह के दुख को कहने पर भी कोई उसे समझ नही सकता है।एक रूपवती नवयौवना के समक्ष प्रेमी अपने विरह को ब्यक्त करता है परन्तु वह ऐसा दिखाती है कि वह कुछ नही समझती है। रहीम के दोहे समय पर (rahim ke dohe on time)दादुर मोर किसान मन लग्यौ रहै धन माहि अर्थ : दादुर मोर एवं किसान का मन हमेशा बादल वर्शा मेघ के प्रेम में लगा रहता है। किंतु चातक को स्वाति नक्षत्र में बादल के लिये जो प्रेम रहता है वैसा इन तीने को नही रहता है। चातक अनूठे प्रेम का प्रतीक है। मानो कागद की गुड़ी चढी सु प्रेम अकास अर्थ : प्रेम भाव कागज के पतंग की तरह धागा के सहारा से आकाश तक चढ जाता है।प्रेमी को देखते ही वह चित्त को खींच लेता है और प्रेम हृदय से लग जाता है। पहनै जो बिछुवा खरी पिय के संग अंगरात अर्थ : रति प्रिया नारी के पैरों की बिछ्वा रात में प्रिय के साथ अंगराई लेते समय मानो कोई मंगल ध्वनि-पवित्र स्वर उत्पन्न कर रहा है। जो रहीम गति दीप की कुल कपूत गति सोय अर्थ : दीपक और कुपुत्र की हालत एक होती है ।दीप जलने पर उजाला कर देता है और पुत्र जन्म पर आशा से आनन्द फैल जाता है ।परन्तु दीप बुझ जाने पर अंधकार हो जाता है और कपूत के बड़ा होने पर घर को निराशा के अन्धकार में डुबा देता है । बिगडी बात बने नहीं लाख करो किन कोय अर्थ : बिगड़ी हुई बात लाख प्रयत्न करने पर भी नहीं बनती सुधरती है। बिगड़े फटे दूध को कितना भी मथा जाये उससे मक्खन नहीं निकलता है। सोच समझ कर बात कहनी चाहिये। विपति भये धन ना रहै रहै जो लाख करोर अर्थ : विपत्ति आने पर धन सम्पत्ति भी चली जाती है भले वह लाखों करोड़ों में कयां न हो जैसे सवेरा होते ही समस्त तारे छिप जाते हैं। जो रहीम गति दीप की कुल कपूत गति सोय अर्थ : दीपक और कुपुत्र की हालत एक होती है ।दीप जलने पर उजाला कर देता है और पुत्र जन्म पर आशा से आनन्द फैल जाता है ।परन्तु दीप बुझ जाने पर अंधकार हो जाता है और कपूत के बड़ा होने पर घर को निराशा के अन्धकार में डुबा देता है । बिगडी बात बने नहीं लाख करो किन कोय अर्थ : बिगड़ी हुई बात लाख प्रयत्न करने पर भी नहीं बनती सुधरती है। बिगड़े फटे दूध को कितना भी मथा जाये उससे मक्खन नहीं निकलता है। सोच समझ कर बात कहनी चाहिये। विपति भये धन ना रहै रहै जो लाख करोर अर्थ : विपत्ति आने पर धन सम्पत्ति भी चली जाती है भले वह लाखों करोड़ों में कयां न हो जैसे सवेरा होते ही समस्त तारे छिप जाते हैं। समय पाय फल होत है समय पाय झरि जात अर्थ : बृक्ष पर समय पर फल लगता है और अपने समय पर पुनः गिर जाता है।समय हमेशा एक जैसा नही रहता ।अतः पछतावा करना ब्यथ् रा है । काल का चक्र गतिमान है। समय
परे ओछे वचन सबके सहै रहीम अर्थ : बीर पुरूश को भी खराब समय पर निकृश्अ बोल सहना पड़ता है। सभा में दुःशासन जब द्रौपदी का चीर हरण कर रहा था तो भीम गदा लेकर भी चुपचाप रहे।समय पर जीबन के लिये ब्यूह रचना करनी पड़ती है। समय लाभ सम लाभ नहि समय चूक सम चूक अर्थ : समय से लाभ उठाओ।समय को खोने से अत्यधिक हानि है।चतुर ब्यक्ति से भी चूक हो जाती है और उसका दर्द उन्हें सालता रहता है। अतःसमय को जीतना आबश्यक है। मांगे मुकरिन को गयो केहि न त्यागियो साथ अर्थ : मंगने पर सब मुकर जाते हैं और कोई नहीं देते। सब साथ भी छोड़ देते हैं। मांगने बालों से प्रसन्न रहने बाले एकमात्र भगवान राम हीं-ऐसो को उदार जग माहिं! यह रहीम निज संग लै
जनमत जगत न कोय अर्थ : दुशमनी प्रेम प्रयास एवं प्रतिश्ठा धीरे धीरे ही प्राप्त होता है। इन्हें कोई जन्म से अपने साथ लेकर नहीं आता है।इनका क्रमिक विकास होता है। रहिमन देखि बडेन को लघु न दीजिये डारि अर्थ : बड़ों को देखकर छोटों की उपेक्षा-अनदेखी न करें।जहाँ सुई से काम होने वाला है वहॉ तलवार कया कर सकता है। सर सूखै पंछी उड़े औरे सरन समाहि अर्थ : तालाब के सूखने पर पक्षी उड़ कर दूसरे तालाब की शरण में चले जाते हैं।गरीब मछली बिना पंख के कहॉ जा पाती है। इश्वर ने उसे असमर्थ बना दिया है-परन्तु वह इश्वर की शरण में यहीं रहती है।वही मछली का एकमात्र भरोसा है। समय दसा कुल देखि कै सबै करत सनमान अर्थ : जिनकासमय हालत और कुल खानदान अच्छा है उसकी सब इज्जत करते हैं। लेकिन गरीब और अनाथ का भगवान के सिवा कोई नहीं होता है। पावस देखि रहीम मन कोइल साधै मौन अर्थ : पावस ऋतु देखकर कोयल चुप हो गया।अब दादुर बोलने लगा।प्रतिकूल समय को धीरज से बिताना चाहिये और समय का इंतजार करना चाहिये।बिना बिचारे मत बोलो रहिमन कठिन चितान ते चिंता को चित चेत अर्थ : चिंता चिता से अधिक खराब है।चिंता करने से ब्यक्ति को बचना चाहिये।चिता तो मरे ब्यक्ति को जलाती है पर चिंता जीवित ब्यक्ति को भी मार डालती है। दोनेा रहिमन एक से जौं लों बोलत नाहि अर्थ : कौआ और कोयल दोनों काले एक जैसे देखने में होते है | जब तक वे बोलते नही हैंपता करना कठिन है। लेकिन बसंत ऋतु में कोयल की कूक और कौआ का कॉव कॉव करने पर उनका भेद खुल जाता है। बाहरी रूप रंग से ब्यक्ति की पहचान कठिन है पर भीतरी आवाज से सबों का असलियत पता चल जाता है। रहिमन चुप है बैठिये देखि दिनन को फेर अर्थ : संकट के समय धीरज से चुप रह कर बुरे समय का फेर समझ कर जीना चाहिये। अच्छा समय आने पर झटपट सब ठीक हो जाता है और सब काम सफल हो जाता है। अतः धीरज से समय बदलने का इंतजार करना चाहिये। रहीम के अनुसार कैसे लोग सुख के समय सगे संबंधी बन जाते है?रहीम कहते हैं कि संपत्ति व संपन्नता में अनेक लोग विभिन्न रीति नीति व छल कपट से सगे, संबंधी व मित्र बनने का दावा करते हैं, किंतु सच्चा मित्र वही होता है, जो विपत्ति की कसौटी पर खरा उतरता है। अर्थात् जो संकट व दुख में भी साथ दे उसे ही सच्चा मित्र मानना चाहिए।
रहीम जी के अनुसार लोग सगे संबंधी और रिश्तेदार कब बनने लगते हैं?व्याख्या:- रहीम दास जी कहते है कि जब हमारे पास संपत्ति होती है तो लोग अपने आप हमारे सगे, रिश्तेदार और मित्र बनने की प्रयास करते है लेकिन सच्चे मित्र वो ही होते है, जो विपत्ति या विपदा आने पर भी हमारे साथ बने रहते है। वही हमारे सच्चे मित्र होते है उनका साथ हमें कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
रहीम के दोहे से क्या सीख मिलती है?रहीम के दोहों से हमें सीख मिलती है कि हमें अपने मित्र का सुख-दुख में बराबर साथ देना चाहिए। हमारे मन में परोपकार की भावना होनी चाहिए। जिस प्रकार प्रकृति हमारे लिए सदैव परोपकार करती है, उसी प्रकार हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। रहीम वृक्ष और सरोवर की ही तरह संचित धन को जन कल्याण में खर्च करने की सीख देते हैं।
रहीम के अनुसार सच्चे मित्र की क्या पहचान है class 7?प्रश्न-2 सच्चा मित्र कौन होता है? उत्तर – सगे-संबंधी रूपी संपति कई प्रकार के रीति-रिवाजों से बनते हैं। पर जो व्यक्ति आपके मुश्किल के समय में आपकी मदद करता है या आपको मुसीबत से बचाता है वही आपका सच्चा मित्र होता है।
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