प्याज तथा लहसुन में गंध किस तत्व के कारण होता है। - pyaaj tatha lahasun mein gandh kis tatv ke kaaran hota hai.

लहसुन प्याज कुल (एलिएसी) की एक प्रजाति है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवुम एल है। इसके करीबी रिश्तेदारो में प्याज, इस शलोट और हरा प्याज़ शामिल हैं। लहसुन पुरातन काल से दोनों, पाक और औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जा रहा है। इसकी एक खास गंध होती है, तथा स्वाद तीखा होता है जो पकाने से काफी हद तक बदल कर मृदुल हो जाता है। लहसुन की एक गाँठ (बल्ब), जिसे आगे कई मांसल पुथी (लौंग या फाँक) में विभाजित किया जा सकता इसके पौधे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला भाग है। पुथी को बीज, उपभोग (कच्चे या पकाया) और औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी पत्तियां, तना और फूलों का भी उपभोग किया जाता है आमतौर पर जब वो अपरिपक्व और नर्म होते हैं। इसका काग़ज़ी सुरक्षात्मक परत (छिलका) जो इसके विभिन्न भागों और गाँठ से जुडी़ जड़ों से जुडा़ रहता है, ही एकमात्र अखाद्य हिस्सा है। इसका इस्तेमाल गले तथा पेट सम्बन्धी बीमारियों में होता है। इसमें पाये जाने वाले सल्फर के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। जैसे ऐलिसिन, ऐजोइन इत्यादि। लहसुन सर्वाधिक चीन में उत्पादित होता है उसके बाद भारत में।

लहसुन में रासायनिक तौर पर गंधक की अधिकता होती है। इसे पीसने पर ऐलिसिन नामक यौगिक प्राप्त होता है जो प्रतिजैविक विशेषताओं से भरा होता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, एन्ज़ाइम तथा विटामिन बी, सैपोनिन, फ्लैवोनॉइड आदि पदार्थ पाये जाते हैं।

आयुर्वेद और रसोई दोनों के दृष्टिकोण से लहसुन एक बहुत ही महत्वपूर्ण फसल है। भारत का चीन के बाद विश्व में क्षेत्रफल और उत्पादन की दृष्टि से दूसरा स्थान है जो क्रमशः 1.66 लाख हेक्टेयर और 8.34 लाख टन है। लहसुन में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्त्व पाये जाते है जिसमें प्रोटीन 6.3 प्रतिशत , वसा 0.1 प्रतिशत, कार्बोज 21 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 1 प्रतिशत, चूना 0.3 प्रतिशत लोहा 1.3 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होता है। इसके अतिरिक्त विटामिन ए, बी, सी एवं सल्फ्यूरिक एसिड विशेष मात्रा में पाई जाती है। इसमें पाये जाने वाले सल्फर के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। इसमें पाए जाने वाले तत्वों में एक ऐलीसिन भी है जिसे एक अच्छे बैक्टीरिया-रोधक, फफूंद-रोधक एवं एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में जाना जाता है।

लहसुन एक बारहमासी फसल है जो मूल रूप से मध्य एशिया से आया है तथा जिसकी खेती अब दुनिया भर में होती है। घरेलू जरूरतों को पूरा करने के अलावा, भारत 17,852 मीट्रिक टन (जिसका मूल्य 3877 लाख रुपये हैं) का निर्यात करता है। पिछले 25 वर्षों में भारत में लहसुन का उत्पादन 2.16 से बढ़कर 8. 34 लाख टन हो गया है।

लहसुन एक दक्षिण यूरोप में उगाई जाने वाली प्रसिद्ध फसल है। भारत में लहसुन की खेती को ज्यादातर राज्यों में की जाती है लेकिन इसकी मुख्य रूप से खेती गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु में की जाती है। इसका 50 प्रतिशत से भी ज्यादा उत्पादन गुजरात और मध्यप्रदेश राज्यों में किया जाता है।

लहसुन के लिए दोमट मिट्टी काफी उपयुक्त मानी गयी है। इसकी खेती रेतीली दोमट से लेकर चिकनी मिट्टी में भी की जा सकती है। जिस मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा होने के साथ-साथ जल निकास की अच्छे से व्यवस्था हो, वे इस फसल के लिए सर्वोत्तम मानी गयी हैं। रेतीली या ढीली भूमि में इसके कंदों का समुचित विकास नहीं हो पाता है, जिस वजह से कम उपज हो पाती है।

एग्रीफाउंड वाइट (जी. 41 ), यमुना वाइट (जी.1 ), यमुना वाइट (जी.50), जी.51 , जी.282 ,एग्रीफाउंड पार्वती (जी.313 ) और एच.जी.1 आदि।

लहसुन को खाद एवं उर्वरकों की अधिक मात्रा में जरूरत होती है। इसलिए इसके लिए मिट्टी की अच्छे से जांच करवा कर किसी भी खाद व उर्वरक का उपयोग करना उचित माना गया है।

इसकी बुवाई का सही समय उसके क्षेत्र, जगह व मिट्टी पर निर्भर करता है। इसकी पैदावार अच्छी करने के लिए उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों में अक्टूबर-नवम्बर माह सही है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी बुवाई मार्च व अप्रैल के माह में करना उचित है।

लहसुन की बुवाई के तुरन्त बाद ही पहली सिंचाई करनी चाहिए। इसके बाद करीब 10 से 15 दिनों के बाद सिंचाई करें। गर्मी के माह में हर सप्ताह इसकी सिंचाई करें। जब इसके शल्ककन्दों का निर्माण हो रहा हो उस समय फसल की सिंचाई सही से करें।

लहसुन की फसल की उपज कई चीजों पर निर्भर करती है जिनमें मुख्य रूप से इसकी किस्म, भूमि की उर्वरा-शक्ति एवं फसल की देखरेख है। इसके साथ ही लम्बे दिनों वाली किस्में ज्यादा उपज देती हैं, जिसमें करीब प्रति हेक्टेयर से 100 से 200 क्विंटल तक उपज प्राप्त हो जाता है।

Explanation : प्याज और लहसुन में गंध एलाइल और एलाइसिन के कारण आती है। प्याज में गंध एलाइल के कारण आती है। जबकि प्याज का तीखापन एलाइल प्रोपाइलसल्फाइड के कारण होता है। वही लहसुन में गंध एलाइसिन के कारण आती है। जबकि लहसुन का तीखापन डाइएलाइल डाइ प्रोपाइलसल्फाइड के कारण होता है। लहसुन (Garlic) प्याज कुल (एलिएसी) की एक प्रजाति है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवुम एल है। इसके करीबी रिश्तेदारो में प्याज, इस शलोट और हरा प्याज़ शामिल हैं।....अगला सवाल पढ़े

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प्याज और लहसुन में गंध किसके कारण प्याज होती है वह स्टेज होता है और लहसुन भी होता है जिसमें कुछ केमिकल्स मिले होते हैं और यह कि कल सोच में सल्फर डाइऑक्साइड और कई चीजें होते हैं जो कि हमारे ब्लड प्रेशर और हार्ट बीट को करती है और कोलेस्ट्रॉल को भी कम करते हैं तो निश्चित तौर पर यह नेचुरल चीजें होती हैं अंदर आने का कारण क्या होता है इसके अंदर जो केमिकल सोते हैं यार उसके कारण से यह गंध आता है और निश्चित तौर पर आर्थिक क्षेत्र में खासकर मैंने होता है कि अगर आप दिल्ली प्याज खाते हैं और एक कच्ची प्याज खाते हैं तो आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होगा और सुबह खाली पेट लहसुन का इस्तेमाल करते हैं तो हंड्रेड परसेंट आपका ब्लड प्रेशर नार्मल रहेगा

pyaaz aur lehsun me gandh kiske karan pyaaz hoti hai vaah stage hota hai aur lehsun bhi hota hai jisme kuch Chemicals mile hote hain aur yah ki kal soch me sulphur dioxide aur kai cheezen hote hain jo ki hamare blood pressure aur heart beat ko karti hai aur cholesterol ko bhi kam karte hain toh nishchit taur par yah natural cheezen hoti hain andar aane ka karan kya hota hai iske andar jo chemical sote hain yaar uske karan se yah gandh aata hai aur nishchit taur par aarthik kshetra me khaskar maine hota hai ki agar aap delhi pyaaz khate hain aur ek kachhi pyaaz khate hain toh aapka cholesterol level kam hoga aur subah khaali pet lehsun ka istemal karte hain toh hundred percent aapka blood pressure normal rahega

प्याज और लहसुन में गंध किसके कारण प्याज होती है वह स्टेज होता है और लहसुन भी होता है जिसमे

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प्याज और लहसुन की गंध किसकी उपस्थिति के कारण होती है?

Solution : प्याज और उसके संबंधियों में प्रतिसूक्ष्मजीवी सल्फर युक्त यौगिक एलीसिन और डाइएलिल सल्फाइड पाये जाते हैं आंसु को उत्पन्न करने वाला पदार्थ प्रोपेनीथीयल सल्फेनिक ऑक्साइड भी सल्फर युक्त यौगिक है।

लहसुन में गंध का कारण क्या है?

इसमें पाये जाने वाले सल्फर के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं।

प्याज और लहसुन में क्या पाया जाता है?

इसमें विटामिन और मिनरल प्रचुर मात्रा में होते हैं लेकिन कैलोरी काफी कम होती है. एक मद्धम आकार की प्याज में 44 कैलोरी पायी जाती है लेकिन इसमें भी ठीकठाक मात्रा में विटामिन मिनरल और फाइबर पाया जाता है.

लहसुन प्याज को अशुद्ध क्यों माना जाता है?

वेद -शास्त्रों के अनुसार, लहसुन और प्याज तामसिक भोजन की श्रेणी में आता है। माना जाता है कि इन दोनों चीजों का सेवन करने से व्यक्ति अंदर रक्त का प्रवाह बढ़ या फिर घट जाता है। ऐसे में व्यक्ति को अधिक गुस्सा, अंहकार, उत्तेजना, विलासिता का अनुभव होता है। इसके साथ ही वह आलसी और अज्ञानी भी हो जाता है।