श्वसन (Respiration): श्वसन एक जैविक क्रिया है जिसमें शर्करा तथा वसा का ऑक्सीकरण होता है तथा ऊर्जा मुक्त होती है। यह ऊर्जा शरीर के विभिन्न कार्यों को करने में सहायता करती है। इस प्रक्रिया में ATP तथा CO2 निकलती है। अतः वृहत रूप में श्वसन उन सभी प्रक्रियाओं का सम्मिलित रूप है, जिनके द्वारा शरीर में ऊर्जा का उत्पादन होता है। श्वसन वैसी क्रियाओं के सम्मिलित रूप को कहते हैं जिसमें बाहरी वातावरण से
ऑक्सीजन ग्रहण कर शरीर की कोशिकाओं में पहुँचाया जाता है, जहाँ इसका उपयोग कोशिकीय ईंधन (ग्लूकोज) का ऑक्सीकरण कई चरणों में विशिष्ट एन्जाइमों की उपस्थिति में करके जैव ऊर्जा (ATP) का उत्पादन किया जाता है तथा इस क्रिया से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड को फिर कोशिकाओं से शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है। श्वसन क्रिया में ग्लूकोज अणुओं का ऑक्सीकरण कोशिकाओं में होता है। इसीलिए इसे कोशिकीय श्वसन कहते हैं। सम्पूर्ण कोशिकीय श्वसन को दो अवस्थाओं- 1. अवायवीय श्वसन तथा 2. वायवीय श्वसन- में
विभाजित किया जा सकता है।
(i) पायरुवेट ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में इथेनॉल एवं कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है। यह क्रिया किण्वन (Fermentation) कहलाती है, जो यीस्ट (Yeast) में होता है। (ii) ऑक्सीजन के अभाव में पेशियों में पायरुवेट से लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है। पेशी कोशिकाओं में अधिक मात्रा में लैक्टिक अम्ल के संचय से दर्द होने लगता है। बहुत ज्यादा चलने या दौड़ने के पश्चात् मांसपेशियों में इसी कारण क्रैम्प (Cramp) होती है। (iii) ऑक्सीजन की उपस्थिति में पायरुवेट का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है एवं CO2 तथा जल का निर्माण होता है। चूंकि यह क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति में होती है, अतः इसे वायवीय शवसन कहते हैं।
पौधों में श्वसन (Respiration in plants): पौधों में श्वसन-गैसों का आदान-प्रदान शरीर की सतह द्वारा विसरण (Diffusion) क्रिया से होता है। इसके लिए ऑक्सीजन युक्त वायुवायुमंडल से पतियों के रंध्रों (stornatas), पुराने वृक्षों के तनों की कड़ी त्वचा (bark) पर स्थित वातरंध्रों (Lenticels) और अंतर कोशिकीय स्थानों (Intercellular spaces) द्वारा पौधों में प्रवेश करती है। पौधों की जड़ें मृदा के कणों के बीच के स्थानों में स्थित हवा से ऑक्सीजन ग्रहण करती है। जड़ों से निकले मूल रोम (Root hairs) जो एपिडर्मल कोशिकाओं से विकसित होती है, मिट्टी के कणों के बीच फैली रहती है। इन्हीं मूल रोमों की सहायता से जड़ें ऑक्सीजन ग्रहण करती हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड बाहर छोड़ देते हैं। पुरानी जड़ों में ऐसे मूल रोमों का अभाव होता है। ऐसे जड़ों में तने की कड़ी त्वचा की तरह वातरंध्र (Lenticels) पाये जाते हैं। इन्हीं वातरंध्रों के माध्यम से श्वसन गैसों का आदान-प्रदान होता है। इसी कारण से पौधों की जड़ों में लम्बे अवधि तक जल जमाव होने से पौधा मर जाता है। जलीय पौधे भी विसरण क्रिया द्वारा जल से ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं एवं श्वसन क्रिया के पश्चात् CO2 गैस मुक्त करते हैं। पौधों में गैसों के विनिमय की क्रिया-विधि बहुत ही सरल है। पौधों में गैसों के आदान-प्रदान (विसरण) की दिशा इनकी आवश्यकताओं तथा पर्यावरणीय अवस्थाओं पर निर्भर करती है। दिन में श्वसन से निकली CO2 गैस का उपयोग पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में करते हैं। अतः CO2 गैस की जगह ऑक्सीजन रंध्रों से निकलती है। रात्रि में चूंकि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया सम्पन्न नहीं होती है, अतः श्वसन से CO2 गैस रंध्रों से बाहर निकलती है। पौधों में श्वसन की क्रिया जन्तुओं के श्वसन से भिन्न होती है।
श्वसन गुणांक (Respiratory Quotient): श्वसन क्रिया में निकली हुई CO2 तथा अवशोषित CO2, के अनुपात को श्वसन गुणांक (RQ) कहते हैं। श्वसन गुणांक (RQ) = निष्कासित CO2 का आयतन/अवशोषित O2 का आयतन शर्करा के लिए श्वसन गुणांक का मान 1 होता है। वसा या प्रोटीन के लिए श्वसन गुणांक का मान 1 से कम होता है। श्वसन गुणांक (RQ) का मापन गैनोंग श्वसनमापी (Ganong’s respirometer) द्वारा किया जाता है। श्वसन क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक: श्वसन क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
पौधे श्वसन क्रिया में कौन सी गैस का प्रयोग करते हैं?पेड़-पौधों की पत्तियों में गैसीय आदान प्रदान की दो क्रियाए लगातार चलती रहती हैं। पहली तो अन्य सब जीव-जन्तुओं की भांति श्वसन जो चौबीसों घंटे जारी रहता है और जिसमें पौधे ऑक्सीजन इस्तेमाल करते हैं व कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ते हैं।
पौधे सांस लेते समय कौन सी गैस लेते हैं?पौधों द्वारा दिन के समय में निकली गैस आक्सीजन होती है। इसके पश्चात हरे वृक्ष प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में कार्बन डाईऑक्साइड को लेते हैं और ऑक्सीजन को निकालते हैं, इस प्रकार वातावरण को शुद्ध करते हैं।
पेड़ पौधे कौन सी गैस लेते हैं और कौन सी गैस छोड़ते हैं?इन्हीं पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया भी होती है. इसके लिए हवा में मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड का उपयोग किया जाता है और श्वसन क्रिया में बनी कार्बन डाईऑक्साइड भी इसी में खप जाती है. इसलिए हम कह सकते हैं कि दिन में पौधे कार्बन डाईऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं.
पेड़ पौधे में श्वसन क्रिया कैसे होती है?Solution : पौधे पत्तियों के रंधों द्वारा वायु से ऑक्सीजन ग्रहण कर श्वसन करते हैं। पौधे कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग केवल भोजन बनाते समय करते हैं और इस प्रक्रम में ऑक्सीजन उत्पन्न होती है। श्वसन क्रिया दिन-रात चलती रहती है जबकि भोजन बनाने की प्रक्रिया केवल सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में दिन के समय होती है।
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