पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ कैसे घूमती है? - prthvee soory ke chaaron taraph kaise ghoomatee hai?

Prithvi Surya Ke Charo Or Ghoomti Hai

GkExams on 10-02-2019

प्राचीन काल में यह माना जाता था कि पृथ्वी संसार का केंद्र है और सूर्य सहित सभी तारे एवं ग्रह पृथ्वी के चारों ओर घूमते हैं। सबसे पहले कापरनिकस ने यह सिध्दांत प्रतिपादित किया कि हमारे सौर मंडल में पृथ्वी सहित सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं। इसे सिध्द करना सरल नही है क्योंकि साधारण रूप से देखने पर तो हमें सभी तारे और ग्रह पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए ही दिखाई देते हैं। फिर भी कुछ बातें ऐसी हैं जिनसे सह प्रमाणित होता है कि सूर्य केंद्र में है और पृथ्वीे सहित सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं। आइये हम इन बातों का अध्ययन करें: -

  • तारों का पैरेलेक्स या विस्थापनाभास – किसी वस्तु को अलग-अलग स्थाम से देखने पर वस्तु् अलग-अलग स्थान पर दिखाई देती है। इसे ही पैरेलैक्स या विस्थापनाभास कहते हैं। उदाहरण के लिये यदि किसी चलती हुई बस की खिड़की से हम बाहर की ओर देखें तो पास की वस्तुएं पीछे की ओर जाती हुई दिखती हैं परंतु दूर की वस्तुएं कुछ दूर तक बस के साथ चलती हुई प्रतीत होती हैं। दूसरे शब्दों में ऐसा प्रतीत होता है कि इस वस्तुओं के बीच की दूरी बदल रही है, जबकि वास्तव में इन बाहर की वस्तुओं के बीच की दूरी में कोई अंतर नहीं आता है, केवल बस ही आगे को बढ़ रही होती है। यदि हम पूरे वर्ष दुरबीन की सहायता से प्रत्येक रात्रि को आकाश में तारों को देखें और संवेदनशील उपकरणों के माध्यम से उनके स्थान को नोट करते जायें, तो हम पायेंगे कि तारों का स्थान थोड़ा-थोड़ा प्रत्येक रात्रि को बदलता है, और 6 माह बाद स्थान का यह बदलाव सबसे अधिक दिखाई देता है। पूरे एक वर्ष बाद तारे वापस अपने पुराने स्थान पर दिखाई देते हैं। यह तभी संभव है जब हम यह माने कि धरती सूर्य के चारों ओर घूम रही है।

पहले चित्र में यह दिखाया गया है कि यदि सूर्य धरती के चारों ओर घूमता और धरती स्थिेर होती तो वर्ष में किसी भी समय पर तारों की लोकेशन (स्थासन) में कोई परिवर्तन नहीं दिखता। दूसरे चित्र में दिखाया गया है कि धरती के सूर्य के चारों ओर घूमने के कारण वर्ष में अलग-अलग समय पर हम इन तारों को अलग-अलग कोण से देखते हैं जिसके कारण इनके स्थालन में परिवर्तन दिखाई देता है।


  • तारों के प्रकाश के रंग में परिवर्तन – डाप्लर का सिध्दांत हमें बताता है कि सफेद प्रकाश के किसी स्रोत को यदि पास लाया जाये तो वह कुछ नीला दिखाई देगा और यदि दूर ले जाया जाये तो वह कुछ पीला दिखाई देगा। ऐसा इस कारण होता है कि डाप्लर के सिध्दांत के अनुसार तंरंगों के किसी स्रोत के पास आने पर तंरग दैर्घ्य कम होता प्रतीत होता है और दूर जाने पर तंरग दैर्घ्य बढ़ता हुआ प्रतीत होता है। संवेदनशील उपकरणों से तारों के प्रकाश के स्पेक्ट्रम की माप पूरे वर्ष तक करने पर हमें तारों के स्पेक्ट्रम में ऐसे परिवर्तन दिखाई देते हैं जैसे कि तारे की पृथ्वी से दूरी बदलती रहती हो। यह भी एक प्रकार से पैरेलैक्स जैसा ही है और इसे भी पृथ्वीृ को सूर्य के चारों ओर घूमता हुआ मान कर ही समझाया जा सकता है।
  • ग्रहों की वक्री गति (Retrograde Motion) – यदि हम पूरे वर्ष रात्रि आकाश में ग्रहों को देखें तो अनेक ग्रह जैसे मंगल आदि पहले एक दिशा में आगे बढ़ते हुए दिखते हैं, परंतु कुछ समय बाद वे वापस लौटते नज़र आते हैं। इसे ही ग्रहों की वक्री गति कहते हैं। इस वक्री गति को सामान्य रूप से यह मानकर समझाना संभव नहीं है कि धरती केंद्र में स्थित है और सारे ग्रह और तारे उसके चारों ओर घूम रहे हैं। टोलेमी (Ptolemy) ने इस वक्री गति को समझाने के लिये यह प्रतिपादित किया था कि ग्रह धरती के चारों ओर एक गोलाकार कक्षा में घूम रहे हैं, परंतु इनकी कक्षाएं भी गोलाकार घूम रही हैं। कापरनिकस ने कहा कि इतने जटिल स्पपष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है। वक्री गति को इस बात से आसानी से समझाया जा सकता है कि न केवल पृथ्वी बल्कि सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर अलग-अलग गति से घूम रहे हैं और इसीलिये पृथ्वी से यह ग्रह कभी-कभी वक्री गति करते हुए दिखते हैं। नीचे चित्र मे मंगल ग्रह की वक्री गति दिखाई गई है।

न्यूरटन के गुरुत्वावकर्षण के सिध्दांत के अनुसार कोई स्थिर प्रणाली अपने गुरुत्वा‍कर्षण के केंद्र के चारों ओर ही घूम सकती है। सौर मंडल में क्योंकि सूर्य का दृव्य‍मान अन्य सभी ग्रहो की तुलना में बहुत अधिक है, इसलिये सौर मंडल के गुरुत्वायकर्षण का केंद्र बिंदु सूर्य के भीतर ही स्थित है यद्यपि यह सूर्य के केंद्र से कुछ हटकर है। इसे बैरीसेंटर (Barycenter) कहते हैं। सूर्य सहित सौर मंडल के सभी आकाशीय पिंड इस बैरीसेंटर के चारों ओर घूमते हैं। क्योंकि बैरीसेंटर सूर्य के भीतर स्थित है इसलिये हम कह सकते हैं कि वे सूर्य के चारों ओर घूमते हैं। यदि पृथ्वीऔर चंद्रमा की बात करें तो इनका बैरीसेंटर पृथ्वी की भीतर है इसलिये चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। वहीं प्लूैटो और उसके उपग्रह चैरोन का बैरीसेंटर प्लूटो के बाहर है इसलिये यह दोनो एक दूसरे के चारों ओर (वास्तव में बैरीसेंटर के चारों ओर) घूमते हैं, और इसीलिये यह दोनो एक दूसरे के साथ नृत्य करते हुए प्रतीत होते हैं।


वैसे यदि हम सापेक्षता की बात करें तो इस बात का कोई अर्थ नहीं रह जाता कि हम धरती को स्थिर माने या फिर सूर्य को। धरती को स्थिर मानने पर सूर्य और अन्य ग्रह उसके सापेक्ष गति कर रहे हैं और सूर्य को स्थिर मानने पर धरती और अन्य ग्रह उसके सापेक्ष घूम रहे हैं। इतना ही है कि सौर मंडल के बाहर से देखने पर ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हुए दिखाई देंगे। अल्बर्ट आइंस्टािइन के शब्दों में –‘‘The struggle, so violent in the early days of science, between the views of Ptolemy and Copernicus would then be quite meaningless. Either CS [Coordinate System] could be used with equal justification. The two sentences, ‘the sun is at rest and the earth moves’ or ‘the sun moves and the earth is at rest,’ would simply mean two different conventions concerning two different CS. ’’

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Comments Rashi lohade on 07-11-2022

Prithvi Suraj ke charo aur ghumti hai vakya ke bhed pehechano

Rashi lohade on 07-11-2022

Prithvi Suraj ke charo aur ghumti hai vakya ka bhed pehechano is prashna ka javab do

Sahil on 27-12-2021

Prithvi Suraj ke Charo aur ghumti hai aaj kya hoga tense tense kya hoga

Priya on 16-09-2021

Prithvi Surya ke Charo aur ghumti hai tense

Anita on 16-09-2021

पृथ्वी सूर्य के चारों ओर क्या घूमती है

Mam on 23-07-2021

Prithvi Suraj ke Charon aur ghumti hai ka sentence

पृथ्वी on 11-04-2021

वास्तव में सायं घूमता हुआ पतीत होता है लेकिन इस उपयोग से तो पृथ्वी को सूयं के चारों ओर घूमता जा रहा है ।इस बात से सभी सहमत है? चचा लिखें।

Shankar on 15-09-2020

1.Surya grahan kab hota hai
2. Prithvi Surya ke Charo aur kaun sa hai to Kya banta hai

som nath on 12-05-2019

parvithavi suriya ke charroan tarf ghumati hai kis vigyani ne sidh kiya



पृथ्वी सूर्य के चारों ओर कैसे घूमती है?

पृथ्वी की दूसरी गति जो सूर्य के चारों ओर कक्ष में होती है उसे परिक्रमण कहा जाता है। पृथ्वी एक वर्ष या 365 14 दिन में सूर्य का एक चक्कर लगाती है। हम लोग एक वर्ष 365 दिन का मानते हैं तथा सुविधा के लिए 6 घंटे को इसमें नहीं जोड़ते हैं।

ऐसा कौन सा ग्रह है जो उल्टा घूमता है?

सौर मंडल के आठ ग्रहों में से 7 ग्रह मरकरी, अर्थ, मार्स,सैटर्न, जुपिटर, युरेनस और नेप्च्यून पश्चिम से पूर्व की ओर घूमते हैं जबकि वीनस अकेला है जो पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है.

पृथ्वी 1 दिन में कितनी बार घूमती है?

(4) एक घूर्णन पूरा करने में पृथ्वी 23 घंटे, 56 मिनट और 4.09 सेकेंड का समय लेती है.

पृथ्वी सूर्य के चारों ओर क्या करती है?

पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है।