पाटलिपुत्र वैभवम् पाठ का वर्णन चार से पाँच वाक्यों में करें? - paataliputr vaibhavam paath ka varnan chaar se paanch vaakyon mein karen?

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Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022 मैट्रिक संस्कृत लघु और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 2022

1. महान्लोगसंसाररूपी सागर को कैसे पार करते हैं?

उत्तर:- महान लोग अपने को अज्ञानी तथा अन्य विद्वान को ज्ञानी समझकर संसार रूपी सागर से पार कर जाते हैं। अर्थात् महान व्यक्ति अपने नाम को छोड़कर उस दिव्य श्रेष्ठ पुरुष (ब्रह्म) को प्राप्त कर लेता है।

2. मङ्गलम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें। अथवा, ‘मंगलम्’ पाठ के आधार पर सत्य का स्वरूप बतायें।

उत्तर:- इस पाठ में चार मन्त्र क्रमशः ईशावास्य, कठ, मुण्डक तथा श्वेताश्वतर नामक उपनिषदों से संकलित है। ये मङ्गालाचरण के रूप में पठनीय हैं। वैदिकसाहित्य में विशुद्ध आध्यात्मिक ग्रन्थों के रूप में उपनिषदों का महत्त्व है।

     इन्हें पढ़ने से परम सत्ता के प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है, के अन्वेषण की प्रवृत्ति होती है तथा आध्यात्मिक खोज की उत्सुकता होती है। उपनिषद् ग्रन्थ विभिन्न वेदों से सम्बद्ध हैं।

3. दामोदर गुप्त ने पटना के सम्बन्ध में क्या लिखा है?

उत्तर:- दामोदर गुप्त नामक कवि ने ‘स्वलिखित कुट्टनीमतरणी’ काव्य में पटना के सम्बन्ध में लिखा है कि प्राचीन भारतीय नगरों में अग्रणी पटना गंगा के किनारे बसी विचित्र महानगर है। पृथ्वी का तिलक विद्वानों की निवास-स्थली पटना नाम का महानगर स्वर्ग से भी सुन्दर स्थान है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

4. प्राचीन ग्रन्थों में पटना के कौन-कौन से नाम मिलते हैं?

उत्तर:- पटना में गुप्तवंश के शासन काल में कौमुदी महोत्सव मनाया जाता था। यह उत्सव शरत् काल में मनाया जाता था। कौमुदी महोत्सव में सभी लोग उत्साहपूर्वक भाग लेते थे एवं आनंदमय होते थे।

5. पटना में कौमुदी महोत्सव कब मनाया जाता था?

उत्तर:- पटना में गुप्तवंश के शासन काल में कौमुदी महोत्सव बहुत धुम-धाम से मनाया जाता था। उस अवसर पर सभी लोग आनन्दमग्न रहते थे। आजकल दुर्गा-पूजा के अवसर पर वैसा ही समारोह देखा जाता है।

6. राजशेखर ने पटना के सम्बन्ध में क्या लिखा है?

उत्तर:- कवि राजशेखर ने काव्यमीमांसा नामक कवि शिक्षा प्रमुख अपने ग्रन्थ में सादर स्मरण करते हुए लिखा है कि-यहाँ वर्षोंपवर्ष, पाणिनि, पिङ्गल, व्याङि, वररूचि तथा पतञ्जली आदि ने महान योगदान देकर ख्याति को प्राप्त किया।

7. पटना के मुख्य दर्शनीय स्थलों का नामोल्लेख करें।

उत्तर:- पटना में ‘गाँधी सेतु’ नामक पुल (जो एशिया का सबसे लम्बी पुल), संग्रहालय, उच्च न्यायालय, सचिवालय, गोलघर, तारामण्डल, जैविक उद्यान, मौर्यकालिक अवशेष, महावीर मंदिर तथा गुरूगोविन्द सिंह का जन्म स्थान गुरूद्वारा आदि दर्शनीय स्थल हैं; जिसे देखने के ख्याल से विदेशी सदैव आते हैं। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

8. कौन-कौन से विदेशी यात्री पटना आये थे?

उत्तर:- विदेशी यात्री मेगास्थनीज, ह्वेनसांग, तथा फाह्यान अपने यात्रा के क्रम में पटना आये तथा अपने संस्मरण में पटना का विस्तृत वर्णन किये

9. भगवान बुद्ध ने पटना के सम्बन्ध में क्या कहा था?

उत्तर:- भगवान बुद्ध ने पटना के सम्बन्ध में कहा था कि यह गाँव (पाटलिग्राम) भविष्य में महानगर होगा, किन्तु आपसी झगड़ा, आगलगी और बाढ़ के भय से सदैव पीड़ित रहेगा। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

10. प्राचीन ग्रन्थों में पटना के कौन-कौन से नाम मिलते हैं?

उत्तर:- प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों एवं पुराणों में पटना का नाम पुष्पपुर या कुसुमपुर पाया जाता है।

11. पाटलिपुत्र नगर के वैभव का वर्णन करें। अथवा, ‘पाटलिपुत्र वैभवम्’ पाठ के आधार पर पटना के वैभव का वर्णन पाँच वाक्यों में करें। चन्द्रगुप्त मौर्य के काल में पाटलिपुत्र की रक्षा व्यवस्था कैसी थी?

उत्तर:- पाटलिपुत्र प्राचीनकाल से ही अपनी वैभव परम्परा के लिए विख्यात रही है। विदेशी यात्री ने संस्मरणों में यहाँ की अनेक उत्कृष्ट सम्पदाओं का वर्णन किया है। मेगास्थनीज ने लिखा है कि चन्द्रगुप्तमौर्य काल में यहाँ की शोभा और रक्षा व्यवस्था अति उत्कृष्ट थी। अशोक काल में यहाँ निरन्तर समृद्धि रही। कवि राजशेखर ने अपनी रचना काव्यमीमांसा में ऐसी ही बात लिखी है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

         यहाँ बड़े-बड़े कवि-वैयाकरण भाष्यकार (परीक्षित) हुए। आज पाटलिपुत्र नगर ‘पटना’ के नाम से जाना जाता है। जहाँ संग्रहालय, गोलघर, जैविक उद्यान इत्यादि दर्शनीय स्थल हैं। इस प्रकार पाटलिपुत्र प्राचीनकाल से आज तक विभिन्न क्षेत्रों में वैभव धारण करता है। इसका संकलित रूप संग्रहालय में देखने योग्य है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

12. चन्द्रगुप्त मौर्य के काल में पाटलिपुत्र की रक्षा व्यवस्था कैसी थी?

उत्तर:- पाटलिपुत्र प्राचीनकाल से ही अपनी वैभव परम्परा के लिए विख्यात रही है। विदेशी यात्रियों ने अपने संस्मरणों में यहाँ की अनेक उत्कृष्ट सम्पदाओं का वर्णन किया है। मेगास्थनीज ने लिखा है कि चन्द्रगुप्तमौर्य काल में यहाँ की शोभा और रक्षा व्यवस्था अति उत्कृष्ट थी। अशोक काल में यहाँ निरन्तर समृद्धि रही।

13. सिख सम्प्रदाय के लोगों के लिए पटना क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर:- गुरु अर्जुन देव पटना सिटी में जन्म लिए। पटना सिटी में सभीसिख धर्म गुरु पधारे हैं। दसवें गुरु गोविन्द सिंह का गुरुद्वारा भी यहीं है। इसीलिए इस पवित्र स्थल का सिख सम्प्रदाय में बड़ा महत्व है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

14. चारों आलसियों के वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखें।
अथवा, वास्तविक आलसियों की पहचान कैसे हुई?

उत्तर:- अलसशाला में आग लगने पर भी चार आलसी लोग भागने के बजाए `आपस में बातचीत कर रहे थे। एक ने कपड़े से मुख ढंककर कहा- अरे हल्ला कैसा? दूसरे ने कहा लगता है कि इस घर में आग लग गयी है। तीसरे ने कहा- कोई भी ऐसा धार्मिक नहीं है जो इस समय पानी से भींगे वस्त्रों से या चटाई से हमलोगों को ढंक दे। चौथे ने कहा- अरे! वाचाल कितनी बातें करोगे?

15. “अलसकथा” में किसका वर्णन है? अथवा, अलस-कथा’ पाठ के लेखक कौन हैं तथा उस कथाक्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर:- मैथिली कवि विद्यापति रचित “अलसकथा” में आलसियों के माध्यम से शिक्षा दी गयी है कि उनका भरण-पोषण करुणाशीलों के बिना सम्भव नहीं है। आलसी काम नहीं करते, ऐसी स्थिति में कोई दयावान् ही उनकी व्यवस्था कर सकता है। अतएव आत्मनिर्भर न होकर दूसरे पर वे निर्भर हो जाते हैं। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

16. “अलसकथा का क्या संदेश है?

उत्तर:-  अलसकथा का संदेश है कि आलस्य एक महान् रोग है। आलसी का सहायक प्रायः कोई भी नहीं होता। जीवन में विकास के लिए व्यक्ति काकर्मठ होना अत्यावश्यक है। आलस्य शरीर में रहनेवाला महान शत्रु है जिससे अपना, परिवार का और समाज का विनाश अवश्य ही होता है। यदि जीवन में विकास की इच्छा रखते हैं तब आलस्य त्यागकर उद्यम को प्रेरित हों।

17. अलसकथा पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें। अथवा, विद्यापति कौन थे? उन्होंने किस ग्रन्थ की रचना की तथा ‘अलस कथा’ में किसकी कहानी है? छः वाक्यों में लिखें।

उत्तर:- विद्यापति मैथिली के कवि थे। इस ग्रन्थ में चार आलसी पुरुषों की कहानी है। यह पाठ विद्यापति द्वारा रचित पुरुषपरीक्षा नामक कथाग्रन्थ से संकलित एक उपदेशात्मक लघु कथा है। विद्यापति ने मैथिली, अवहट्ट तथा संस्कृत तीनों भाषाओं में ग्रन्थ-रचना की थी।

        पुरुषपरीक्षा में धर्म, अर्थ, काम इत्यादि विषयों से सम्बद्ध अनेक मनोरञ्जक कथाएँ दी गयी हैं। अलसकथा में आलस्य के निवारण की प्रेरणा दी गयी है। इस पाठ से संसार की विचित्र गतिविधि का भी परिचय मिलता है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

18. अलसशाला में आग लगने पर क्या हुआ?

उत्तर:- अलसशाला में आग लगने पर लगे आग को बढ़ते देखकर सभी धूर्त लोग भाग गये। इसके बाद कुछ आलसी लोग भी भाग गये।

19. ‘अलसकथा’ पाठ के आधार पर बताइए कि आलसी पुरुषों को किसने और क्यों निकाला?

उत्तर- आलसी चार पुरुष जब आग से घिर गए तो एक ने कहा यह कैसा कोलाहल है। दूसरे ने कहा—शायद घर में आग लगी है। तीसरे नेकहा कोई धार्मिक व्यक्ति नहीं है क्या जो हमारे ऊपर गीला कपड़ा डाल दे। चौथे ने कहा- अरे वा चाल कितनी बातें बोल सकते हो, चुप तो हो जा ऐसा सुनकर नियुक्त पुरुषों ने मानलिया कि ये चारों वास्तविक आलसी हैं। उनके बाल पकड़कर आग के बीच से बाहर खिच लिया। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

20. आलसशाला के कर्मचारियों ने आलसियों की परीक्षा क्यों और कैसेली?

उत्तर- आलसशाला के कर्मचारियों ने देखा कि नकली आलसी भी भोजन ग्रहण कर रहे हैं। अतः उन्होंने विचार किया कि सही आलसियों की परीक्षा ली जाए। अतः उन्होंने शाला में आग लगवा दिया। आग लगते ही सभी नकली आलसी तो भाग गए परन्तु चार आलसी नहीं भागे। उनको राजा के कर्मचारियों ने बाल पकड़कर बाहर खिंच लिया।

21. संस्कृतसाहित्ये लेखिका: पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर- संस्कृत की सेवा जिस प्रकार पुरुषों ने की है उसी प्रकार महिलाओं ने भी वैदिक युग से आजतक इसमें भाग लिया है। प्रायः इस विषय की उपेक्षा हुई है। प्रस्तुत पाठ में संक्षिप्त रूप से संस्कृत की प्रमुख लेखिकाओं का उल्लेख किया गया है। उनके योगदान संस्कृत साहित्य के इतिहास में अमर है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

22. संस्कृत साहित्य के संवर्धन में महिलाओं के योगदान का वर्णन करें।

उत्तर- ‘संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः’ पाठ में लेखक का विचार है कि प्राचीन काल से लेकर आजतक महिलाओं ने संस्कृतसाहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। दक्षिण भारत की महान साहित्यकार महिलाओं ने भी संस्कृतसाहित्य को समृद्ध बनाया। इससे स्पष्ट है कि लेखक के विचार में महिलाओं का संस्कृतसाहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

23. संस्कृत में पण्डिता क्षमाराव के योगदान का वर्णन करें।

उत्तर–आधुनिक काल में लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव का नाम प्रसिद्ध है। उनके द्वारा अपने पिता शंकर पाण्डुरंग के महान विद्वता का जीवन चरित (शङ्कर रचित) को पूरा किया। गाँधी-दर्शन से प्रभावित होकर उन्होंने सत्याग्रहगीता, मीरा लहरी, कथामुक्तावली, विचित्र परिषद्यामा, तथा ग्रामज्योति जैसे :- अनेक ग्रन्थों को लिखा। ये सभी लेखन इनके उदारपूर्ण योगदान का परिचायक हैं।

24. विजय नगर राज्य में संस्कृत भाषा की स्थिति क्या थी?

उत्तर- विजय नगर राज्य के नरेश (राजा) संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए कृत प्रयास (दृढ़ संकल्पित) थे ऐसा विदित ही है। उनके अन्तःपुर में भी संस्कृत रचना की कुशल रानियाँ हुईं। कम्पण राज्य की (चौदहवीं शताब्दी) रानी गंगादेवी ने ‘मधुराविजयम्’ महाकाव्य अपने स्वामी की (मदुरै) विजय घटना पर आश्रित रचना की। वहाँ अलंकारों का सन्निवेश आकर्षक है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

         उसी राज्य में वे सोलह सौ (16वीं शताब्दी ई. में) में शासन करते हुए अच्युतराय की रानी (राज्ञी) तिरुमलाम्बा ने वरदाम्बिका परिणय नामक प्रौढ़ (गम्भीर) चम्पूकाव्य लिखा (रचा)। वहाँ संस्कृत गद्य की छटा समस्त पदावली द्वारा ललितपद विन्यास से अतीव शोभता है। संस्कृत साहित्य में प्रयुक्त दीर्घतम समस्त पद भी वहीं प्राप्त होता है।

25. सभी जनों की देशभक्ति कैसी होनी चाहिए?

उत्तर- सभी जनों की देशभक्ति राष्ट्र के प्रति प्रेम के रूप में होनीचाहिए। हमें सर्वप्रथम अपने राष्ट्रीय हितों का ध्यान रखना चाहिए। जातिवाद, वंशवाद एवं आतंकवाद को पूर्णतया भूलकर राष्ट्रवादी होना चाहिए। राष्ट्रसुरक्षित रहेगा, तभी देश सुरक्षित रहेगा। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

26. भारतमहिमा पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर- इस पाठ में भारत के महत्त्व के वर्णन से सम्बद्ध पुराणों के दोपद्य तथा तीन आधुनिक पद्य दिये गये हैं। हमारे देश भारतवर्ष को प्राचीन कालसे इतना महत्त्व दिया गया था कि देवगण भी यहाँ जन्म लेने के लिए तरसतेथे। इसकी प्राकृतिक सुषमा. अनेक प्रदूषणकारी तथा विध्वंसक क्रियाओं केबाद भी अनुपम है। इसका निरूपण इन पद्यों में प्रस्तुत है।

27. ‘भारतमहिमा’ पाठ के आधार पर भारतीय मूल्यों की विशेषता परप्रकाश डालें।

उत्तर- भारतमहिमा’ पाठ में भारतभूमि का वर्णन अप्रतीम है। यहाँ धर्मजाति का भेद किए बिना विभिन्न लोग एकता भाव को धारण करते हुएनिवास करते हैं। यह भारत शोभनीय और संसार का गौरव है तथा यह भूमिहमलोगों के द्वारा सदैव पूजनीय है। यहाँ देवता लोग भी अवतरित होने के लिएइच्छा करते हैं। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

28. भारत महिमा पाठ के आधार पर भारत भूमि कैसी है

उत्तर- भारत भूमि पुत्रवत्सला है। यहाँ की नदियाँ पवित्र हैं। यहाँ विभिन्नधर्म, जाति एवं भाषा के लोग आपसी मेल-जोल से रहते हैं। भारत कावातावरण शांत एवं उल्लासमयी है।

29. मध्यकाल में भारतीय समाज में फैली कुरीतियों का वर्णन अपने शब्दोंमें करें। अथवा, मध्यकाल में भारतीय समाज क्यों दूषित हो गया था?

उत्तर- मध्यकाल में अनेक गलत रीति-रिवाजों के कारण भारतीय समाजदूषित हो गया था। जातिवाद से उत्पन्न विषमता, छुआ-छूत, धार्मिक-आडम्बर, स्त्रियों की अशिक्षा, विधवाओं की निन्दनीय स्थिति, शिक्षा की संकीर्णता, बालबध, प्रदाप्रथा इत्यादि कुरीतियाँ समाज में व्याप्त थीं। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

30. भारत महिमा के अनुसार बतायें कि हमारी मातृभूमि कैसी है।

उत्तर- भारतवर्ष प्रसिद्ध राष्ट्र है। यह निर्मला, वत्सला मातृभूमि वाली है।यहाँ एकता में जीवन संचरित होती है। यहाँ की धरती सोना ऊपजाती है। गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियाँ यहाँ बहती हैं। हमारी मातृभूमि हर तरह से भरी पूरी

31. शैशव संस्कारों पर प्रकाश डालें।

उत्तर- संस्कारों में शैशव संस्कार सर्वोत्तम है। यह संस्कार मनुष्यों केभविष्य का आधारशीला होता है। इनके अंतर्गत जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूडाकर्म तथा कर्णवेध कुल छः संस्कार होते हैं।

32. शैक्षणिक संस्कार कौन-कौन से हैं?

उत्तर- शैक्षणिक संस्कारों में अक्षरारम्भ, उपनयन, वेदारम्भ, केशान्ततथा समावर्तन संस्कार होते हैं।

33. केशान्त संस्कार को गोदान संस्कार भी कहा जाता है, क्यों?

उत्तर- केशान्त संस्कार में गुरू गृह में ही शिष्य का प्रथम क्षौरकर्म (मुण्डन) होता था। इसमें गोदान मुख्य कर्म होता था। अतः साहित्य ग्रन्थोंमें इसका दूसरा नाम गोदान संस्कार भी कहा जाता है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

34. भारतीय संस्काराः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर- भारतीय जीवन-दर्शन में चौल कर्म (मुण्डन), उपनयन, आदि संस्कारों की प्रसिद्धि है। छात्रगण संस्कारों का अर्थ तथा उनके महत्त्वको जान सकें, इसलिए इस स्वतंत्र पाठ को रखा गया है जिससे उन्हें भारतीयसंस्कृति के एक महत्त्वपूर्ण पक्ष का व्यवस्थित परिचय मिल सके।

35. कुल की रक्षा कैसे होती है?

उत्तर- कुल की रक्षा आचरण से होती है। इसलिए हमें पवित्र आचरणका व्यवहार सदैव करना चाहिये।

36. संस्कार कितने होते हैं? विवाह संस्कार का वर्णन करें।अथवा, ‘भारतीयसंस्काराः’ पाठ के आधार स्पष्ट करें कि संस्कारकितने हैं? विवाह संस्कार का वर्णन करें।

उत्तर- संस्कार सोलह हैं। विवाह संस्कार के उपरांत ही मनुष्य वस्तुतःगृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है। विवाह पवित्र संस्कार है जहाँ विविध विधानकर्मकाण्ड होते हैं। उनमें वाग्दान (वचनबद्धता), मण्डप निर्माण (मँडवा), वधूके घर पर वरपक्ष को स्वागत, वर-वधू का परस्पर निरीक्षण, कन्यादान,अग्निस्थापना, पाणिग्रहण (हाथ देना), लाजाहोम (धान के लावे से हवन),सप्तपदी (सात वचनों से फेरे), सिन्दूरदान इत्यादि। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

      सभी जगह प्रायः विवाह-संस्कारका आयोजन होता है। तदनन्तर गर्भाधान इत्यादि संस्कार पुनरावृत्त होकरजीवनक्रम घूमता है। मरण के अनन्तर अन्त्येष्टि संस्कार अनुष्ठित होता है। इसप्रकार भारतीय दर्शन का महत्त्वपूर्ण स्रोत स्वरूप संस्कार है।

37. सभी संस्कारों के नाम लिखें।

उत्तर- संस्कार प्रायः पाँच प्रकार के हैं जन्म से पूर्व तीन, शिशुओं केछह, शैक्षणिकों के पाँच, गृहस्थसंस्कार विवाह रूप एक, मृत्यु के बाद एकसंस्कार है। इस प्रकार षोड्श (सोलह) संस्कार होते हैं। जन्मपूर्व संस्कारों मेंगर्भाधान, पुंसवन और सीमन्तोनयन तीन होते हैं। यहाँ गर्भरक्षा, गर्भस्थ कासंस्कार रोपण (संस्कार डालना) और गर्भवती की प्रसन्नता, इस प्रयोजन कीकल्पना है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

          शैशव (बालावस्था) संस्कारों में जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण(बाहर निकलना), अन्नप्राशन (अनाज का भोजन), चूडाकर्म (मुंडन),कर्णवेधन (कान छिदवाना) क्रमशः होते हैं।शिक्षा-संस्कारों में अक्षर-आरम्भ (पढ़ाई शुरू करवाना), उपनयन, (गुरुसमीप जाने वाला अर्थात् जनेऊ), वेदारम्भ (वेद-पाठन), केशान्त समावर्तनकल्पित हैं। अक्षरारम्भ में अक्षरलेखन और अंक लेखन शिशु प्रारम्भ करते हैं।उपनयन संस्कार का अर्थ गुरु के द्वारा शिष्य को अपने घर ले जाना होता है।वहाँ शिष्य शिक्षानियमों को पालन करते हुए अध्ययन करता है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

           वे नियमब्रह्मचर्यव्रत में समाहित (निहित) होता है। प्राचीनकाल में शिष्य ब्रह्मचारी कहेजाते थे। गुरु घर में ही शिष्य वेदारम्भ करते थे। वेदों के महत्त्व को प्राचीनशिक्षा में उत्कृष्ट माना जाता था। केशान्त-संस्कार में गुरु के घर पर ही शिष्यका प्रथम (पहला) क्षौरकर्म (केश कटाना) होता था। यहाँ गोदान मुख्य कर्मथा। अतः साहित्य ग्रन्थों में इसका नामान्तर (नाम बदलकर)गोदानसंस्कारभी मिलता है। समावर्तन संस्कार का उद्देश्य शिष्य का गुरु घर से गृहस्थ जीवनमें प्रवेश था। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

          शिक्षा-समाप्त होने पर गुरु शिष्यों को उपदेश देकर घर कोभेजते हैं। उपदेशों में प्रायः जीवन के धर्मों को प्रतिपादित किया जाता है।विवाह संस्कार के उपरान्त ही मनुष्य वस्तुतः गृहस्थ जीवन में प्रवेशकरता है। विवाह पवित्र संस्कार है जहाँ विविध विधान कर्मकाण्ड होते हैं। उनमें वाग्दान (वचनबद्धता), मण्डप निर्माण (मँडवा), वधू के घर पर वरपक्षका स्वागत, वर-वधू का परस्पर निरीक्षण, कन्यादान, अग्निस्थापना, पाणिग्रहण(हाथ देना), लाजाहोम (धान के लावे से हवन), सप्तपदी (सात वचनों सेफेरे), सिन्दूरदान इत्यादि। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

      सभी जगह प्रायः विवाह संस्कार का आयोजन होताहै। तदनन्तर गर्भाधान इत्यादि संस्कार पुनरावृत्त होकर जीवनक्रम घूमता है।मरण के अनन्तर अन्त्येष्टि संस्कार अनुष्ठित होता है। इस प्रकार भारतीय दर्शनका महत्त्वूपर्ण स्रोत स्वरूप संस्कार है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

38. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ से किसी एक श्लोक को साफ-साफ शब्दों में लिखें।

उत्तर- षड् दोषाः पुरूषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता।।

39. अपनी प्रगति चाहने वाले को क्या करना चाहिए?

उत्तर- अपनी प्रगति चाहने वाले को निद्रा, तन्द्रा, भय, क्रोध, आलस्यऔर दीर्घसूत्रता-इन छ: दोषों को त्याग
देना चाहिए।

40. नीतिश्लोकाः के आधार पर मूढचेता नराधम के लक्षण लिखें।

उत्तर- बिना बोले प्रवेश करने वाला बिना पूछे बहुत बोलने वाला, अविश्वासी व्यक्ति नराधम है। ऐसे नराधम से सदा दूरी बनाकर रखनी चाहिए।ऐसा व्यक्ति धोखेबाज हो सकता है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

41. नीतिश्लोकाः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।अथवा, शास्त्रकारा पाठ में किस विषय पर चर्चा की गई है।

उत्तर- इस पाठ में व्यासरचित महाभारत के उद्योग पर्व के अन्तर्गत आठअध्यायों की प्रसिद्ध विदुरनीति से संकलित दस श्लोक हैं। महाभारत युद्ध केआरम्भधृतराष्ट्र ने अपनी चित्तशान्ति के लिए विदुर से परामर्श किया था।विदुर ने उन्हें स्वार्थपरक नीति त्याग कर राजनीति के शाश्वत पारमार्थिकउपदेशक दिये थे। इन्हें “विदुरनीति” कहते हैं। इन श्लोकों में विदुर के अमूल्य उपदेश भरे हुए हैं। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

42. नीतिश्लोकाः पाठ के आधार पर पण्डित के कौन-कौन से गुण हैं? अथवा, पण्डित किसे कहा जाता है?

उत्तर- नीतिश्लोकाः पाठ में पण्डित के गुण इस प्रकार हैं-(i) जिसकाकार्य, शीत, उष्ण, भय, रति, समृद्धि अथवा असमृद्धि विघ्न नहीं होता, वहव्यक्ति पंडित है। (ii) सभी जीवों का तत्वज्ञ, कर्मों का योगज्ञ एवं सभी मानवोंका उपाज्ञय व्यक्ति पण्डित कहलाता है।

43. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ में मूढ़चेतानराधम किसे कहा गया है? अथवा, नीतिश्लोकाः पाठ के आधार पर मूर्ख का लक्षण लिखें।

उत्तर- नीतिश्लोक के अनुसार जो बिना बुलाये प्रवेश करता है, बिना पूछेबहुत बोलता है। अविश्वसनीय व्यक्ति पर विश्वास करता है। वह मूर्ख हृदयवाला ही नराधम (अधम नर) व्यक्ति कहा जाता है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

44. नीतिश्लोकाः पाठ के अनुसार कौन-सा तीन वस्तु त्याज्य है? अथवा, नरक के तीन द्वार कौन-कौन से हैं?

उत्तर- नरक का त्रिविध त्याज्य वस्तु काम, क्रोध एवं लोभ है। इसमेंलिप्त रहने वाले का नाश हो जाता है। अपने को बचाने के लिए इन तीनों कोजीवन से हटा देना चाहिए। इनके बिना ही जीवन पथ पर शांति एवंसफलतापूर्वक चला जा सकता है।

45. रामप्रवेश की प्रतिष्ठा कहाँ-कहाँ देखी जा रही है?

उत्तर- रामप्रवेश की प्रतिष्ठा अपने विद्यालय से लेकर प्रान्त तथा केंद्रियप्रशासन में देखी जा रही है।

46. ‘शिक्षा कर्म जीवनस्य परमागतिः’ रामप्रवेश राम पर उपरोक्त कथनकैसे घटित होता है?

उत्तर- शिक्षा के द्वारा ही रामप्रवेश जैसा गरीब घर का लड़का शासनके प्रमुख कुर्सी को सुशोभित किया। अतः शिक्षा जीवन की परमगति निर्धारितकरने वाला कर्म है। यह बिल्कुल सही एवं सार्थक बात है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

47. रामप्रवेश का जन्म कहाँ हुआ था? उन्होंने देश की सेवा से कैसे यशअर्जित की?

उत्तर- रामप्रवेश का जन्म बिहार प्रान्त के भीखन टोला में एक निर्धनपरिवार के यहाँ हुआ था। केन्द्रीय लोकसेवा में उत्तीर्ण कर उसने देश सेवाकर काफी यश प्राप्त किया।

48. कर्मवीरकथा पाठ का पाँच वाक्यों में परिचयअथवा, ‘कर्मवीर’ कथा से हमें क्या शिक्षा मिलती है? अथवा, ‘कर्मवीर’ कथा का सारांश लिखें।अथवा, राम प्रवेश राम की चारित्रिक विशेषताएँ क्या थीं?

उत्तर- इस पाठ में एक पुरुषार्थी की कथा है जो निर्धनता एवं दलितजाति में जन्म जैसे विपरीत परिवेश में भी रहकर प्रबल इच्छाशक्ति तथा उन्नतिकी उत्कट कामना के कारण उच्चपद पर पहुंचता है। यह कथा किशोरों प्रमेंआत्मविश्वास की ओर आत्मसम्मान उत्पन्न करती है, विजय के पथ कोशस्त करती है। ऐसे कर्मवीर हमारे आदर्श हैं। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

49. स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धांतों के कार्यान्वयन हेतु क्या किया?

उत्तर- स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धांतों के संकलन के लिए सत्यार्थप्रकाश नामक ग्रंथ राष्ट्रभाषा में रचकर अपने अनुयायियों का उपकार किया।वेदों के प्रति सभी धर्मानुयायियों का ध्यानाकर्षण करते हुए स्वयं वेद भाष्योंको संस्कृत-हिन्दी भाषा में लिखा। प्राचीन शिक्षा में दोष दिखाकर नई शिक्षापद्धति देने हेतु DAV विद्यालयों की स्थापना कर शिक्षा की गंदगी को दूरकिया। इस प्रकार इन्होंने समाज के प्रवर्तन में विशेष भूमिका निभाई। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

50. स्वामी दयानन्द समाज सुधारक थे, कैसे? पाँच वाक्यों में उत्तर दें।

उत्तर- स्वामी दयानन्द ने समाज की कुरीतियों को दूर कर सुधारात्मककार्य किया। इन्होंने जातिवाद की विषमताओं को हटाया। छूआछूत की परम्पराको दूर किया। स्त्रियों की हो रही दुर्दशा को टोका। स्त्री-शिक्षा को बढ़ावादिया और विधवा-स्थिति सुधारी। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

51. मध्यकाल में भारतीय समाज में वर्तमान कुरीतियों पर प्रकाश डालें।

उत्तर- मध्यकाल में अनेक गलत रीति-रिवाजों के कारण भारतीयसमाज दूषित हो गया था। जातिवाद से उत्पन्न विषमता, छुआ-छूत, धार्मिक-आडम्बर, स्त्रियों की अशिक्षा, विधवाओं की निन्दनीय स्थिति, शिक्षाकी संकीर्णता इत्यादि कुरीतियाँ समाज में व्याप्त थीं।

52. स्वामी दयानन्द मूर्तिपूजा के विरोधी कैसे बने?अथवा, महाशिवरात्रि पर्व स्वामी दयानन्द के जीवन का उद्बोधक कैसेबना?अथवा, स्वामी दयानन्द को मूर्तिपूजा के प्रति अनास्था कैसे हुई?

उत्तर- स्वामी दयानन्द के घर शिवरात्रि महोत्सव था। रात्रि में उन्होंनेमूर्ति पर चूहों को टहलते देखा। उसी दिन से उनके मूर्ति पूजन के प्रति विरक्तिहो गई। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

53. स्वामी दयानन्दः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।अथवा, स्वामी दयाननन्द द्वारा किय गये समाजसुधार के प्रमुख कार्योंका वर्णन करें।

उत्तर- उन्नीसवीं शताब्दी ईस्वी में आविर्भूत समाजसुधारकों में स्वामीदयानन्द अतीव प्रसिद्ध हैं। इन्होंने रूढ़िग्रस्त समाज और विकृत धार्मिकव्यवस्था पर कठोर प्रहार करके आर्य समाज की स्थापना की जिसकी शाखाएँदेश-विदेश में शिक्षासुधार के लिए भी प्रयत्नशील रही हैं। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

      शिक्षाव्यवस्था मेंगुरुकुल पद्धति का पुनरुद्धार करते हुए इन्होंने आधुनिक शिक्षा के लिए डी०ए० वी० विद्यालय जैसी संस्थाओं की स्थापना को प्रेरित किया था। इनकाजीवनचरित प्रस्तुत पाठ में संक्षिप्त रूप से दिया गया है।

54. स्वामी दयानन्द की शिक्षा-व्यवस्था का वर्णन करें।

उत्तर- प्राचीन शिक्षा में दोष देखकर नवीन शिक्षा पद्धति को इन्होंने बताया।अपने सिद्धान्तों का कार्यान्वयन के लिए 1875 में मुम्बई नगर में आर्य समाज’ संस्था की स्थापना कर अपने अनुयायी के लिए मूर्तरूप से समाज के संशोधनके उद्देश्य को प्रकट किया। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

        शिक्षा पद्धति में गुरुकुलों का डी०ए०वी० विद्यालयोंका समूह स्वामी जी के अनुयायियों के द्वारा प्रारम्भ किया गया। वर्तमान शिक्षापद्धति समाज में गुणात्मक सुधार के लिए स्वामी दयानन्द की ही देन है।

55. पंचवटी के धार्मिक महत्त्व का उल्लेख करें।

उत्तर-पंचवटी नासिक के पास है। यहाँ मन्दाकिनी नदी बहती हैं। इसमेंस्नान से सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। काला राम मन्दिर एवं सीतागुफा के दर्शन से जन्म जन्मान्तर के ग्रह-दोष समाप्त हो जाते हैं। पंचवटीमें जाने से ही जन्म-मरण का दोष समाप्त हो जाता है तथा आदमी सीधा स्वर्गमें स्थान पाता है क्योंकि श्री राम, जानकी एवं लक्ष्मण के पैरों से यहाँ कीधरती पवित्र हो गई है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

56. किस कारण से मंदाकिनी का जल कलुषित हो गया है?

उत्तर- मृग समूहों के द्वारा जल पीने से मन्दाकिनी का जल कलुषित होगया है।

57. व्याघ्रपथिक कथा पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें। अथवा, ‘व्याघ्रपथिक कथा’ पाठ से क्या शिक्षा मिलती है।

उत्तर- यह कथा नारायणपण्डित रचित प्रसिद्ध-नीतिकथाग्रन्थ ‘हितोपदेश’ के प्रथम भाग ‘मित्रलाभ’ से संकलित है। इस कथा में लोभाविष्ट व्यक्ति कीदुर्दशा का निरूपण है। आज के समाज में छल-छद्म का वातावरण विद्यमानहै जहाँ अल्प वस्तु के लोभ से आकृष्ट होकर लोग अपने प्राण और सम्मानसे वंचित हो जाते हैं। यह उपदेश इस कथा से मिलता है कि वंचकों के चक्करमें न पड़ें। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

58. ‘व्याघ्रपथिक कथा’ के आधार पर बताएँ कि दान किसको देनाचाहिए?

उत्तर- शास्त्रों के अनुसार दान देने का विधान है, परन्तु जिस किसी कोबिना सोच-विचार कर दिया गया दान सफल नहीं होता है। अत: व्याघ्रपथिककथा के आधार पर देश काल के अनुसार बिना उपकार के, योग्य पात्र कोदिया गया दान सात्विक कहा गया है।

59. ‘ज्ञानं भारः क्रियां बिना’ यह उक्ति व्याघ्र पथिक कथा पर कैसेचरितार्थ होती है?

उत्तर- जब बाघ के द्वारा पथिक पकड़ लिया गया तब वह सोचने लगाकि जिसकी इन्द्रियाँ वश में नहीं होती उसकी क्रिया हाथी के स्नान की तरहनिरर्थक होती है। दुर्भाग्यशाली लोगों का ज्ञान प्रायः क्रिया के बिना भार स्वरूपहो जाता है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

60. ‘कर्णस्य दानवीरता पाठ के नाटककार कौन है? कर्ण किनका पुत्र थातथा उन्होंने इन्द्र को दान में क्या दिया?

उत्तर- इस पाठ के नाटककार भास हैं। कर्ण सूर्य का पुत्र था। उन्होंनेइन्द्र को दान में अपनी रक्षा के लिए मिला कवच और कुण्डल दे दिया। कर्णऐसा दानवीर धरती पर पैदा नहीं हुआ।

61. सात्विक दान क्या है? पठित पाठ के आधार पर उत्तर दें।

उत्तर- स्थान, समय के अनुसार योग्य पात्र को दिया गया चीज सात्विकदान होता है, ऐसा शास्त्रों में वर्णित है। अतः श्रद्धापूर्वक नि:स्वार्थ भाव सेही दान देना चाहिए।

62. कर्णस्य दानवीरता पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।अथवा, कर्ण की दानवीरता या चरित्र का वर्णन अपने शब्दों में करें।

उत्तर- यह पाठ संस्कृत के प्रथम नाटककार भास द्वारा रचित कर्णभारनामक एकांकी रूपक से संकलित है। इसमें महाभारत के प्रसिद्ध पात्र कर्णकी दानवीरता दिखाई गयी है। इन्द्र कर्ण से छलपूर्वक उनके रक्षक कवचकुण्डको मांग लेते हैं और कर्ण उन्हें दे देता है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

        कर्ण बिहार के अङ्गराज्य (मुंगेरतथा भागलपुर) का शासक था। इसमें संदेश है कि दान करते हुए मांगने वालेकी पृष्ठभूमि जान लेनी चाहिए, अन्यथा परोपकार विनाशक भी हो जाता है।

63. ‘कर्णस्य दानवीरता’ पाठ के आधार पर इन्द्र के चरित्र की विशेषताओंको लिखें।

उत्तर– कर्ण ब्राह्मण वेशधारी इन्द्र को विनम्रतापूर्वक सर्वप्रथम भौतिकवस्तुएँ प्रदान करना चाहते थे यथागौ, हाथी, घोड़े, पृथ्वी। यहाँ तक किअपने अग्निष्टोम फल भी देना चाहते हैं और अन्ततः अपना सिर तक अर्पितकरने के लिए उद्यत हो उठते हैं।

      परन्तु ब्राह्मणवेशधारी शक्र (इन्द्र) तो दृढ़संकल्पित कुछ अन्य वस्तु के प्रति थे। कर्ण उनके मनोदशा को समझकर अपनेवचन रक्षार्थ शरीर से जुड़े कवच-कुण्डल को दान दे देते हैं। इतना बड़ा दानकर्ण को सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का दानवीर सिद्ध करता है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

64. ‘कर्णस्य दानवीरता’ पाठ के आधार पर दान के महत्व का वर्णनकरें।

उत्तर– कर्ण महादानी था। दान की इस प्रवृति ने उसे इतिहास में अमरबना दिया। समय बितने पर शिक्षा का क्षय हो जाता है। मजबूत जड़ वाले वृक्षगिर जाते हैं। जल पृथ्वी के अन्दर समाहित हो सूख जाता है। फिर भी हवनकिया और दान दिया सदा रहते हैं। अत: दान देना मनुज का धर्म है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

65. असहिष्णुता का कारण-निवारण बताएँ।

उत्तर– स्वार्थपरता असहिष्णुता को जन्म देती है। यदि असहिष्णुता रहेगीतो पृथ्वी पर शान्ति कहाँ से आएगी। ईर्ष्या, द्वेष और घृणा त्यागकर संतोषके द्वारा विश्वशान्ति की स्थापना की जा सकती है।

66. आज कौन-कौन से आविष्कार विध्वंसक हैं?

उत्तर- इस समय संसार के चारों ओर अशान्त वातावरण पसरा हैपरमाणु अस्त्रों तथा रासायनिक अस्त्रों के विध्वंसक अविष्कार से यह संसारभयाक्रान्त है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

67. विश्व अशान्ति का क्या कारण है? तीन वाक्यों में उत्तर दें।

उत्तर- विश्व अशान्ति के प्रमुख दो कारण-द्वेष और असहिष्णुता है।तदनन्तर जातिवाद, धर्मवाद उक्त दो कारणों से पनपे हुए अन्य कारण मानेजा सकते हैं। अशान्ति प्रसारित करने में स्वार्थपरक राजनीतिज्ञों की महत्त्वपूर्णभूमिका होती है।

68. ‘विश्वशान्तिः’ पाठ के आधार पर उदार-हृदय पुरुष का लक्षण बतावें।

उत्तर- यह मेरा है वह पराया है। संकुचित मानसिकता वाले की सोचइसी तरह की छोटी होती है। उदार पुरुष के लिए तो सारा विश्व ही अपनाघर एवं परिवार की तरह होता है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

69. विश्वशान्तिः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।अथवा, “विश्वशान्तिः’ पाठ का मुख्य उद्देश्य क्या है? अथवा, संसार से अशान्ति कैसे नष्ट हो सकती है?

उत्तर- आज विश्वभर में विभिन्न प्रकार के विवाद छिड़े हुए हैं जिनसेदेशों में आन्तरिक और बाह्य अशान्ति फैली हुई है। सीमा, नदी-जल, धर्म, दल इत्यादि को लेकर स्वार्थप्रेरित होकर असहिष्णु हो गये हैं। इससे अशान्तिका वातावरण बना हुआ है। इस समस्या को उठाकर इसके निवारण के लिएइस पाठ में वर्तमान स्थिति का निरूपण किया गया है। Bihar Board Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

70. महात्मा बुद्ध के अनुसार वैर की शांति कैसे सम्भव है?

उत्तर- महात्मा बुद्ध के अनुसार बिना वैर के करूणा एवं मैत्रीभाव सेवैर की शान्ति हो सकती है।

71. ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अवधारणा क्यों आवश्यक है?

उत्तर- एक देश का दूसरे देश के प्रति मैत्रीभाव, स्नेह एवं विश्वशान्तिके लिए वसुधैव कुटुम्बकम् की आवश्यकता है।

72. भारतीय शास्त्रकारों का परिचय दें।अथवा, ‘शास्त्रकाराः’ पाठ में वर्णित वैज्ञानिक शास्त्रकारों पर प्रकाशडालें।

उत्तर- आयुर्वेद में चरक संहिता, सुश्रुत संहिता आदि शास्त्रकार विश्वप्रसिद्ध हैं। खगोल विज्ञान में आर्यभट्ट, बाराहमिहिर प्रसिद्ध हैं। बौधायन, भारद्वाज, गौतम, वशिष्ठ आदि ऋषियों ने शास्त्रों की रचना की है। पाणिनिकृतव्याकरण विश्व प्रसिद्ध है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

73. कल्प ग्रन्थों के प्रमुख रचनाकारों का नामोल्लेख करें।

उत्तर– कल्प सुत्रात्मक कर्मकाण्ड ग्रन्थ है। बौद्धायन, भारद्वाज, गौतम,वशिष्ठ आदि ऋषि इसके रचनाकार हैं।

74. गुरु के द्वारा शास्त्र का क्या लक्ष्य बतलाया गया है?

उत्तर- शास्त्र ज्ञान का शासक है। शास्त्र मनुष्यों के कर्त्तव्य अकर्तव्यविषयों का सीख देता है। गुरु द्वारा बताया गया शास्त्र का यही लक्ष्य है।

75. ‘शास्त्रकाराः’ पाठ के आधार पर संस्कृत की विशेषता बतायें। [16A] अथवा, ‘शास्त्रकाराः’ पाठ के आधार पर शास्त्र की परिभाषा अपनेशब्दों में लिखें।

उत्तर- संस्कृत साहित्य का क्षेत्र विस्तृत एवं सारगर्भित है। पुराण, वेद,ज्ञान, शरीर विज्ञान, दवा, निर्माण सभी क्षेत्रों का ज्ञान संस्कृत वांगमय मेंसन्निहित है। संस्कृत का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

76. शास्त्र मनुष्यों को किन-किन चीजों का बोध कराता है? अथवा, शास्त्रं मानवेभ्यः किं शिक्षयति?

उत्तर- शास्त्र मनुष्य को कर्तव्य-अकर्तव्य बोधित कराता है। शास्त्र नित्यएवं शाश्वत है। शास्त्र ऋषियों द्वारा रचित है।

77. छः प्रकार के दोष कौन हैं? पठित पाठ्य के आधार पर वर्णन करें।

उत्तर- छः प्रकार के दोष हैं—नींद्रा, तंद्रा, आलस्य, दीर्घ सूत्रता, भय,क्रोध। इन्हें छोड़ने से ही ऐश्वर्य एवं धन प्राप्ति सम्भव है।

78. ज्योतिष शास्त्र के अन्तर्गत कौन-कौन शास्त्र हैं तथा उनके प्रमुख ग्रन्थकौन-से हैं?

उत्तर- ज्योतिष शास्त्रअंतर्गत खगोल विज्ञान, गणित, आर्यभट्टीयनामा,तथा वृहत्संहिता आदि शास्त्रों का उल्लेख है।

79. वेदांग कितने हैं? सभी का नाम लिखें।

उत्तर-  वेदांग छः हैं शिक्षा, कल्प, व्यावरण, निरूक्त, छन्द औरज्योतिष।

80. वेदाङ्ग कितने हैं? उनके प्रवर्तकों एवं शास्त्रों के नाम लिखें।

उत्तर- वेदांग छः हैं–शिक्षा, कल्प, व्यावरण, निरूक्त, छन्द औरज्योतिष। सांख्य के प्रवर्तक कपिल, योग दर्शन के पंतजलि, न्याय दर्शन केगौतम, वैशेषिक दर्शन के कणाद, मीमांसा दर्शन के जैमिनि एवं वेदांत दर्शनके प्रवर्तक बादरायण हैं Matric Sanskrit vvi Subjective Question 2022

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पाटलिपुत्रवैभवम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें?

उत्तर- पाटलिपुत्रवैभवम् पाठ में बिहार की राजधानी पटना के प्राचीन महत्त्व का निरूपण है। ऐतिहासिक परम्परा से आधुनिक राजधानी के प्रसिद्ध स्थलों का निरूपण किया गया है। चन्द्रगुप्त मौर्य के समय यहाँ की शोभा तथा रक्षा व्यवस्था उत्कृष्ट थी। अशोक के समय यहाँ की रक्षा व्‍यवस्‍था और अधिक समृद्ध थी ।

आलस कथा पाठ में किसका वर्णन है?

उत्तर- मैथिली कवि विद्यापति रचित “अलसकथा” में आलसियों के माध्यम से शिक्षा दी गयी है कि उनका भरण-पोषण करुणाशीलों के बिना संभव नहीं है। आलसी काम नहीं करते, ऐसी स्थिति में कोई दयावान् ही उनकी व्यवस्था कर सकता है। अतएव आत्मनिर्भर न होकर दूसरे पर वे निर्भर हो जाते हैं।

पाटलिपुत्र नगर की क्या विशेषता रही है?

उत्तर- पाटलिपुत्र प्राचीनकाल से ही अपनी वैभव परम्परा के लिए विख्यात रही है। विदेशी यानी लोग आकर अपने संस्मरणों में यहाँ की अनेक उत्कृष्ट सम्पदाओं का वर्णन किया है । मेगास्थनीज ने लिखा है कि चन्द्रगुप्तमौर्य काल में यहाँ की शोभा और रक्षा व्यवस्था अति उत्कृष्ट थी अशोक काल में यहाँ निरन्तर समृद्धि रही

पाटलिपुत्र को शिक्षा का केंद्र क्यों कहा जाता है?

पाटलिपुत्र को शिक्षा का प्राचीन केंद्र क्यों माना जाता है? उत्तर-राजशेखर-रचित काव्यमीमांसा 'काव्य' से हमें जानकारी मिलती है कि पाटलिपुत्र शिक्षा का एक प्राचीन केंद्र था। यहाँ संस्कृत के अनेक विद्वान हुए। पाणिनी, पिङ्गल, वररुचि तथा पतञ्जलि की परीक्षा यहीं ली गई थी और यही उन्होंने ख्याति प्राप्त की थी।