परिवार में आधुनिक परिवर्तन - Modern changes in familyऔद्योगीकरण, नगरीकरण, आधुनिकीकरण, उदारीकरण आदि प्रक्रियाओं ने समाज को परिवर्तित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इन परिवर्तनों में परिवार और विवाह भी शामिल हैं। एक ओर जहां पारिवारिक संरचना परिवार संगठन, पारिवारिक गतिविधियों और पारिवारिक स्वरूपों में परिवर्तन हुए, तो दूसरी ओर वैवाहिक संरचना, स्वरूप आदि में भी कई परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों और उनके पीछे सक्रिय कारकों के बारे में चर्चा इस इकाई में प्रस्तुत की गई है। Show परिवार में आधुनिक परिवर्तन आधुनिक दौर में परिवर्तन बहुत तेजी से क्रियाशील हो रहे हैं। परिवार में होने वाले आधुनिक परिवर्तनों का उल्लेख यहाँ किया जा रहा है 1. परिवार के आकार में परिवर्तन आज के समय में परिवार का आकार घटता चला जा रहा है अर्थात पारिवारिक सदस्यों की संख्या सीमित होती जा रही है। लोगों का झुकाव सीमित परिवारों की ओर बढ़ता जा रहा है। परिवार नियोजन और सदस्यों की रुचियों ने परिवार की संख्या को सीमित कर दिया है। वर्तमान समय में संयुक्त तथा विस्तृत परिवारों के स्थान पर नाभिक परिवार ही अधिक मात्रा में देखने को मिलते हैं। इस प्रकार के विकसित हो रहे आधुनिक परिवारों में पति-पत्नी और उनकी अविवाहित सताने ही सम्मिलित रहते हैं। 2. पारिवारिक कार्यों की अपरिहार्यता में परिवर्तन प्राचीन समय में परिवार सुरक्षा सहयोग और शिक्षा के केंद्र हुआ करते थे, परंतु आज कई संस्थाओं के निर्माण हो जाने के कारण परिवार अपनी दृढ़ता और स्वरूप को कायम रख पाने में असफल हुआ है। संयुक्त परिवारों के विमटन का एक कारण ये नवीन संस्थाएं भी है। शिशु गृह बैंक तथा अन्य संस्थाओं के कारण परिवार के प्रकार्यों में परिवर्तन आए हैं। 3. पति-पत्नी के संबंधों में परिवर्तन पहले के समय में पति में चाहे कितनी भी बुराइयों हो, चाहे वह अत्याचारी व्यभिचारी ही क्यूँ न हो, उसे पत्नी द्वारा परमेश्वर का दर्जा दिया जाता था। पत्नी उसका आदर-सत्कार करती थी, उसकी उचित-अनुचित सभी प्रकार की इच्छाओं का पालन करती थी पत्नी को पति के भोजन करने के पश्चात ही भोजन करना होता था. परंतु वर्तमान समय में ऐसा नहीं है। वर्तमान शिक्षा और सामाजिक चेतना ने सियों को इतना जागरूक बनाया है कि वे अपने अधिकारों के प्रति संवेत रहना और उन्हीं के अनुरूप व्यवहारों को महत्व देने में सक्षम हो गई हैं। अब वह पति की दासी नहीं, अपितु साथी के रूप में जीवन बसर करती हैं। 4. वैवाहिक और यौन संबंधों में परिवर्तन वर्तमान संदर्भ में विवाह और यौन संबंधों में भी काफ़ी परिवर्तन देखने को मिलते हैं। बाल विवाह लगभग पूरी तरह से समाप्त हो चुके हैं और जीवन की व्यस्तता के कारण विवाह में भी विलंब होने लगे हैं। साथ ही जीवन साथी के चयन में भी पहले की तुलना में काफ़ी स्वतंत्रता दी जाने लगी है। परिवार द्वारा तय किए जाने वाले व्यवस्थित विवाह की अपेक्षा प्रेम विवाह, कोर्ट मैरिज, अंतर्जातीय विवाह की संख्या में दिनप्रतिदिन इजाफा होता जा रहा है। विधवा स्त्रियों के प्रति भी अब परिवार में सहानुभूति का वातावरण तैयार किया जाने लगा है। 5. पिता के अधिकारों में कमी और अन्य सदस्यों का बढ़ता महत्व पहले के समय में परिवार में पिता की भूमिका एक मुखिया की हुआ करती थी। वह ही आय व्यय का लेखा-जोखा रखते थे. सभी निर्णय लेने का अधिकार उन्हें ही रहता था, पूरे परिवार पर उनकी सत्ता रहती थी, परंतु अब परिवार के सभी निर्णयों में पिता के अलावा अन्य पारिवारिक सदस्यों की भूमिका भी महत्वपूर्ण रहती है। अब कुछ निर्णयों में पत्नी और बच्चों की भागीदारी को भी महत्व दिया जा रहा है। अब बच्चों को सुधारने या समझने के लिए पहले की तरह मार-पीट का सहारा नहीं लिया जाता है, बल्कि इसके स्थान पर उन्हें समझाकर सही रास्ते पर लाने का प्रयत्न किया जाता है। 6. सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से स्त्रियों की स्थिति में सुधार वर्तमान समय में स्यिों को पहले की तरह चाहरदीवारी में कैद करके नहीं रखा जाता है। अब इन्हें नौकरी करने, व्यवसाय करने, व्यापार करने आदि की स्वतंत्रता प्राप्त है। अब वे पुरुषों के लिए भार स्वरूप नहीं रही, अब वे अपना भरण-पोषण कर सकती है। खियों की आर्थिक दशा में सुधर होने के कारण परिवार में उनकी सामाजिक दशा में सुधार अवश्य हुआ है और अब उनको पारिवारिक मसलों में महत्व दिया जाने लगा है। आज वे सामाजिक जीवन से जुड़ी प्रायः सभी गतिविधियों में भाग लेती है। हालांकि इन परिवर्तनों ने परिवार में कुछ संघर्ष की दशाओं को भी जन्मदिया है। 7. नातेदारी का घटता महत्व वर्तमान समय में लोगों के पास समय की अत्यंत कमी जिसके कारण लोग अपने नातेदारों, रिश्तेदारों से दूर होते चले जा रहे हैं। आज लोगों के संबंधों में घनिष्ठता की कमी होती चली जा रही है। इन आधुनिक परिवर्तनों से नातेदारों का महत्व दिन-प्रतिदिन पटता ही जा रहा है। 8. परिवार में अस्थायित्व व्याप्त होना वर्तमान समय में परिवार अपने स्थायित्व को बनाए रख पाने में असमर्थ होता जा रहा है। पति-पत्नी द्वारा अपने कर्तव्यों के जगह पर अपने अधिकारों को प्राथमिकता दी जाने लगी है। सभी अपनी आवश्यकताओं को किसी भी कीमत पर पूरा करने के प्रयास में मशगूल हैं। इन कारणों से परिवार में तनाव की स्थिति पैदा होने लगी है और इसके परिणामस्वरूप पति-पत्नी में तलाक की घटनाएँ सामने आने लगी हैं। यदि अपने चारों ओर के नगरीय परिवेश को ध्यानपूर्वक देखा जाए तो यह स्पष्ट होता है कि इन क्षेत्रों में तलाक की घटनाएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही चली जा रही है। यह परिवार के स्थायित्व के लिए उचित नहीं है। 9. परिवार के सहयोगी आधार में परिवर्तन वर्तमान समय में व्यक्तिवादिता का भाव बढ़ता ही जा रहा है। व्यक्ति अपने स्वार्थों की पूर्ति में लगा हुआ है। आज आके लिए माता-पिता, भाई-बहन और अन्य सदस्यों के स्थान पर अपने हित अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं। इस कारण से पारिवारिक संगठन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अब पारिवारिक सदस्यों में पहले के समान सहयोग, त्याग, प्रेम आदि की भावना का लोप होने लगा है। आज परिवार की नियंत्रण शक्ति अत्यंत कमजोर हो रही है। परिवार से आप क्या समझते हैं परिवार में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन कीजिए?सभी समाजों में बच्चों का जन्म और पालन पोषण परिवार में होता है। बच्चों का संस्कार करने और समाज के आचार व्यवहार में उन्हें दीक्षित करने का काम मुख्य रूप से परिवार में होता है। इसके द्वारा समाज की सांस्कृतिक विरासत एक से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होती है। व्यक्ति की सामाजिक मर्यादा बहुत कुछ परिवार से ही निर्धारित होती है।
परिवार क्या है परिवार की संरचना तथा कार्यों में होने वाले परिवर्तनों का विश्लेषण कीजिए?परिवार की सरंचना मात्र इसके समूहगत स्वरूप, जिसमें पति-पत्नी, बच्चे तथा उनके संबंधी रहते हैं, से ही नहीं समझी जा सकती। परिवार एक संस्था के रूप में भावनात्मक सम्बन्धों, सामाजिक मूल्यों, रीति-रिवाजों तथा परम्पराओं से भी मिलकर बनता है। ये तत्व परिववार को स्थायित्व और निरन्तरता प्रदान करते हैं।
परिवार परिवर्तन से आप क्या समझते हैं?परिवार के आकार में परिवर्तन
आज के समय में परिवार का आकार घटता चला जा रहा है अर्थात पारिवारिक सदस्यों की संख्या सीमित होती जा रही है। लोगों का झुकाव सीमित परिवारों की ओर बढ़ता जा रहा है। परिवार नियोजन और सदस्यों की रुचियों ने परिवार की संख्या को सीमित कर दिया है।
परिवार शब्द से आप क्या समझते हैं?परिवार का अर्थ है कुछ संबंधित लोगों को समूह जो एक ही घर में रहते हैं। परिवार के सदस्य, परिवार से जन्म, विवाह व गोद लिये जाने से संबंधित होते हैं।
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