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प्राचीन इतिहास को जानने के लिए सभी स्त्रोतों को मुख्य तौर पर दो भागों में बांटा जा सकता है | 1. साहित्यिक 2. पुरातात्विक साहित्यिक स्रोत (Literary Sources)साहित्यिक स्रोतों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है (i) धार्मिक साहित्य (Religious Literature)वेद– इसका अर्थ होता है- महत् ज्ञान, अर्थात् पवित्र एवं आध्यात्मिक ज्ञान, संपूर्ण वैदिक इतिहास की जानकारी के स्रोत वेद ही हैं. इनकी संख्या चार है- ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद. वेदांग– इनसे वेदों के अर्थ को सरल ढंग से समझा जा सकता है. इनकी संख्या 6 है- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द तथा ज्योतिष. ब्राह्मण ग्रंथ-वेदों की गद्य रूप में की गई सरल व्याख्या को ब्राह्मण ग्रंथ कहा जाता है. आरण्यक– इसकी रचना जंगलों में की गई. इसे ब्राह्मण ग्रंथ का । अंतिम हिस्सा माना जाता है, जिसमें ज्ञान एवं चिंतन की प्रधानता है, उपनिषद् – ब्रह्म विद्या प्राप्त करने के लिए गुरु के समीप बैठना, इन्हें वेदांत भी कहा जाता है
महाकाव्य– रामायण एवं महाभारत भारत के दो प्राचीनतम महाकाव्य हैं. उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर इनका रचनाकाल चौथी शताब्दी ई०पू० से चौथी शताब्दी ई० के बीच माना जाता है.
पुराण– इसे पंचमवेद भी कहा जाता है|
बौद्ध साहित्य– यह मूल रूप से चार भागों में विभाजित है-जातक, त्रिपिटक, पालि एवं संस्कृत
संस्कृत ग्रंथ
जैन साहित्य– ये प्राकृत एवं संस्कृत भाषा में हैं, इन्हें आगम कहा जाता है.
(ii) धर्मेत्तर साहित्य (Non-Religious literature)
विदेशी लेखक एवं उनके साहित्य
पुरातात्त्विक स्रोत (Archaeological Sources)खुदाई के दौरान प्राप्त वे पुरानी वस्तुएँ, जिनसे इतिहास की रचना में सहायता मिलती है, पुरातात्विक स्रोत कहलाती हैं. इनमें अभिलेख, मुद्रा, स्मारक आदि प्रमुख हैं. जॉन कनिंघम को भारतीय पुरातत्त्व का पिता कहा जाता है. मुद्राएँ अथवा सिक्के
अभिलेख – अभिलेख प्रायः स्तंभों, शिलाओं, ताम्रपत्रों, मुद्राओं, मूर्तियों, मंदिरों की दीवारों इत्यादि पर खुदे मिलते हैं. अभिलेखों का अध्ययन पुरालेखशास्त्र (Epigraphy) कहलाता है.
कुछ प्रमुख अभिलेख
स्मारक
In Short | Quick Revisionधार्मिक साहित्यिक स्त्रोत
अर्ध्द ऐतिहासिक साहित्यिक स्त्रोत
ऐतिहासिक साहित्यिक स्त्रोत
पुरातात्विक स्त्रोत
विदेशी विवरण
16 Quick Revision Facts
33 Quick Revision Questions1.ऐतिहासिक दृष्टि पर आधारित पहला भारतीय ग्रन्थ कौन-सा है?
2. भारतीय समाज मुख्य रूप से कितने भागों में विभाजित था?
3.स्त्रोतों के रूप में धार्मिक साहित्य को कितने उपवर्गों में विभाजित किया गया है?
4.सबसे प्राचीन वेद कौन-सा है?
5.पुराणों की संख्या कितनी बताई गई है?
6.ऋग्वेद के पश्चात् किन ग्रन्थों की रचना हुई?
7.पुराणों से कौन-से प्राचीन भारतीय राजवंशों के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है?
8.पुराणों से कौन-से विदेशियों के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है ?
9.बौद्धों के प्राचीन धार्मिक ग्रन्थ पिटक कौन-कौन से हैं?
10.पिटकों की रचना कहाँ व किस भाषा में हुई?
11.दक्षिणी बौद्धमत के ग्रन्थ कौन-कौन से हैं?
12.बुद्धचरित की रचना किस रचनाकार द्वारा किसके शासनकाल में हुई?
13.जैन धर्म के सूत्र ग्रन्थ कौन-कौन से हैं?
14.जैन ग्रन्थों में ऐतिहासिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रन्थ कौन-सा है?
15.ऐतिहासिक महत्व के प्रथम ग्रंथ की रचना कौन-सी है?
16.प्राचीन भारत के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारी देने वाला ग्रन्थ कौन-सा है?
17.ऐतिहासिक ग्रन्थों में महत्वपूर्ण ‘राजतरंगिणी’ की रचना किसने की?
18.सौराष्ट्र क्षेत्र (गुजरात) में रचित महत्वपूर्ण ऐतिहासिक ग्रन्थ कौन-कौन से हैं?
19.संस्कृत के प्रथम नाटककार भास की रचनाओं ‘स्वप्नवासवदत्ता’ व ‘प्रतिज्ञायौगन्धरायण’ से किसकी जानकारी प्राप्त होती है?
20.मौर्यकाल की आरम्भ अवस्था के सम्बन्ध में कौन-सी रचना जानकारी प्रदान करती है?
21.कालिदास ने ‘अभिज्ञानशाकुन्तलम्’ में किसकी जानकारी दी है?
22.मौर्य के उत्तराधिकारी शृंगों के बारे में कौन-सा नाटक जानकारी देता है?
23.मौर्यों की प्रशासनिक व्यवस्था के संबंध में कौन-सा ग्रन्थ महत्वपूर्ण जानकारी देता है?
24.अभिलेखों की दृष्टि से किस शासक का काल सर्वाधिक महत्वपूर्ण है?
25.भारतीय इतिहास के निर्माण में किन अभिलेखों से सहायता मिलती है?
26.सातवाहन, शकों व कुषाणों के सम्बन्ध में मुख्य रूप से किस पर निर्भर रहना पड़ता है?
27.गुप्तकाल के अधिकांश सिक्कों पर विष्णु एवम् गरुड़ के चित्र अंकित होने से क्या प्रतीत होता है?
28.विदेशों में प्राप्त कौन से स्मारक भारत के प्राचीन इतिहास को समझने में सहायक हुए हैं?
29.प्राचीन भारत के इतिहास को व्यवस्थित रूप प्रदान करने में किन-किन विदेशी विवरणों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है?
30.कौन-से यूनानी विवरण भारतीय इतिहास के सन्दर्भ में विशेष तौर पर महत्वपूर्ण हैं?
31.मेगस्थनीज की किस रचना से चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्य के बारे में जानकारी मिलती हैं।
32.चीनी यात्री फाह्यान किस शासक के समय भारत आया था?
33.मुख्य तिब्बती विवरण कौन-कौन से हैं?
प्राचीन इतिहास जानने के कौन कौन से स्रोत है?हिन्दू धर्म में अनेक ग्रन्थ, पुस्तकें तथा महाकाव्य इत्यादि की रचना की गयी हैं, इनमे प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार से है – वेद, वेदांग, उपनिषद, स्मृतियाँ, पुराण, रामायण एवं महाभारत। इनमे ऋग्वेद सबसे प्राचीन है। इन धार्मिक ग्रंथों से प्राचीन भारत की राजव्यवस्था, धर्म, संस्कृति तथा सामाजिक व्यवस्था की विस्तृत जानकारी मिलती है।
इतिहास जानने के कितने स्रोत हैं?इनकी संख्या चार है- ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद. वेदांग– इनसे वेदों के अर्थ को सरल ढंग से समझा जा सकता है. इनकी संख्या 6 है- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द तथा ज्योतिष.
इतिहास के स्रोत से आप क्या समझते हैं?ऐतिहासिक स्रोत उन मूल स्रोतों को कहते हैं जिसमें महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारी हो। इसे 'ऐतिहासिक सामग्री' या 'ऐतिहासिक आंकड़े' भी कहते हैं। ये स्रोत हमें इतिहास के बारे में सबसे मूलभूत सूचना प्रदान करते हैं। इन स्रोतों का उपयोग इतिहास का अध्ययन करने के लिए संकेत या सुराग के रूप में किया जाता है।
प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के पुरातात्विक स्रोत क्या है?प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए पुरातात्विक स्रोतों के अंतर्गत अभिलेख, सिक्के, मूर्तियां, चित्रकला, मृदभांड एवं मोहरें आते है।
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