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संत रहीम के दोहेसंत रहीम दास के दोहे (Rahim Ke Dohe): रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार. रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार.
संत रहीम दास के दोहे (Rahim Ke Dohe): रहीम दास का वास्तविक नाम अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ानां था. रहीम दास ने ब्रज भाषा में सूदी पदों की रचना की है. रहीम दास सभी धर्मों को एक सामान मानते थे. उनके अनुयायी सभी धर्मों के व्यक्ति थे. रहीम दास की रचनाओं में भी हिंदू ग्रंथों और हिंदू देवी, देवताओं की जलक देखने को मिलती है. आज हम आपके लिए भारत दर्शन के सभार से रहीम दास जी के कुछ दोहे लाए हैं. इन दोहों में आप जीवन के गूढ़ मर्म, मानव स्वभाव और विपरीत हालात में भी खुद को कैसे सकारात्मक रखा जाए यह सीख सकते हैं... रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। अर्थात: रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर। अर्थात: रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि. अर्थात: इस दोहे के माध्यम से रहीम दास जी का कहना है कि बड़ों को देखकर छोटों को भगा नहीं देना चाहिए। क्योंकि जहां छोटे का काम होता है वहां बड़ा कुछ नहीं कर सकता. जैसे कि सुई के काम को तलवार नहीं कर सकती. रूठे सुजन
मनाइए, जो रूठे सौ बार. अर्थात: इस दोहे के माध्यम से रहीम दास जी का कहना है कि यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए,क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए. बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय. अर्थात: इस दोहे के माध्यम से रहीम दास जी का कहना है कि मनुष्य को सोच समझ कर व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा.undefined ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| Tags: Religion FIRST PUBLISHED : May 13, 2020, 17:27 IST पानी शब्द के माध्यम से रहीम ने हमें क्या सीख देने का प्रयास किया है?रहीम दास जी ने इस दोहे में पानी से मतलब विनम्रता से लिया है. इस दोहे का अर्थ है कि मनुष्य में हमेशा विनम्रता होनी चाहिए. जिस तरह से पानी के बिना आटे का और चमक के बिना मोती का कोई महत्व नहीं रह जाता है. उसी तरह मनुष्य भी बिना विनम्रता के आभाहीन हो जाता है और उसके मूल्यों का पतन हो जाता है.
रहीम ने जल के महत्व के बारे में क्या बताया है?रहीम पानी के महत्व को समझते थे। उन्होंने फलसफे के लिहाज से तो उपरोक्त दोहे में पानी के महत्व को बताते हुए कहा कि पानी के बिना सब शून्य है, लेकिन वे इसके महत्व को अपनी यांत्रिक समझ के जरिए मूर्त रूप देने में भी कामयाब हुए। मुझे बुरहानपुर यात्रा के दौरान उनकी इस समझ को देखने और समझने का एक जबरदस्त मौका मिला।
रहिमन पानी राखिए द्वारा कवि क्या संदेश देना चाहता है?इस दोहे में रहीमदास जी कहते है कि पानी को बचा के रखिए क्युकी बिना पानी के बिना सब सुना है, पानी के जाने से मोती अपनी चमक खो देता है,चुना सुख कर बेकार हो जाता है ठीक उसी प्रकार सम्मान के खो जाने से मनुष्य के जीवन का कोई अर्थ नहीं रह जाता है।
क बिन पानी सब सून से रहीम का क्या तात्पर्य है रहीम के दोहे के आधार पर तर्कसंगत उत्तर लिखिए?रहीम इस दोहे के माध्यम से कहना चाहते हैं कि जिस प्रकार मोती का चमक के बगैर कोई मोल नहीं, आटे का पानी के बगैर कोई मोल नहीं उसी प्रकार मनुष्य का सम्मान, विनम्रता तथा लज्जा के बिना कोई मोल नहीं। इसलिए मनुष्य को हमेशा विनम्र होना चाहिए तभी उसका मूल्य बरकरार रहता है।
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