Free Show CT 1: Building Materials (Building Stones) 10 Questions 10 Marks 7 Mins Last updated on Sep 22, 2022 The Staff Selection Commission has released the admit card for all regions for Paper I of the SSC JE CE 2022 exam on 9th November 2022. Paper I of the SSC JE CE will be conducted from 14th November 2022 to 16th November 2022. Candidates can check out SSC JE CE Admit Card in the linked article. Candidates can refer to the SSC JE CE previous years' papers to analyze the pattern of the exam and important questions. The candidates who will clear the exam will get a salary range between Rs. 35,400/- to Rs. 1,12,400/-. जल एक आम रासायनिक पदार्थ है जल शब्द का उपयोग केवल इसकी तरल अवस्था के लिए ही किया जाता है जल की 3 अवस्था होती है तरल,ठोस यानी बर्फ और जल वाष्प है. जल एक कार्बनिक यौगिक है जो ऑक्सीजन और हाइड्रोजन से बना है,यह ऑक्सीजन के 01 और हाइड्रोजन के 02अणुओं से मिलकर बनता है इसलिए इसका वैज्ञानिक नाम H2O है ।जल पृथ्वी की सतह के 71% भाग को ढकता है[1].पृथ्वी पर, यह अधिकांशतः महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों में पाया जाता है, साथ ही 1.6 प्रतिशत जल भूमिगत जल स्रोतों में और 0.001 प्रतिशत जल वायु में वाष्प, बादल (वायु में निलम्बित ठोस और द्रव जल कणों से निर्मित), और अवक्षेपण के रूप में पाया जाता है.[2] सतही जल का 97% भाग लवणी समुद्र, 2.4% ग्लेशियरऔर ध्रुवीय बर्फ की टोपी, और 0.6% अन्य सतही जल स्रोत जैसे नदी, झील और तालाब हैं. जल लगातार वाष्पीकरण या वाष्पोत्सर्जन (जल वाष्प का उत्सर्जन), अवक्षेपण, औरप्रवाह के चक्रसे गुजरता हुआ आम तौर पर समुद्र में पहुँच जाता है. स्वच्छ, ताजा पीने का पानी मानव और अन्य जीवन के लिए आवश्यक है. दुनिया के लगभग हर हिस्से में पिछले दशकों के दौरान सुरक्षित पेय जल की उपलब्धि में निरंतर सुधार हुआ है.[3][4] हालांकि, कुछ पर्यवेक्षकों ने अनुमान लगाया है कि 2025 तक दुनिया की आधी से अधिक जनसंख्या जल पर आधारित जोखिम का सामना कर रही होगी.[6] जल दुनिया की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह रासायनिक पदार्थों की अधिकाश किस्मों के लिए एक विलायक का काम करता है, और औद्योगिक शीतलन व परिवहन को सहज बनता है. ताजे जल का लगभग 70 प्रतिशत भाग कृषि के द्वारा प्रयुक्त किया जाता है.[7] ये भी पढे:- कैसे करे वर्षा के पानी का संरक्षण ‘जलमेव जीवनम्’ जल की महत्ता अर्थात जल ही जीवन है। वेद, पुराणों में लिखी गई, यह उक्ति भारतीय संस्कृति में जल की महत्ता को प्रदर्शित करती है। पृथ्वी की उत्पत्ति व मानवीय सभ्यता के विकास में जल की अहम भूमिका रही है। जल को हमारे प्राचीन ग्रंथों में विदित पांच तत्वों (जल, वायु; अग्नि, पृथ्वी एवं आकाश) में स्थान दिया गया है, जिनसे मानव शरीर की रचना हुई है। इस प्रकार जल एवं वायु जीवन के अस्तित्व के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं। प्राचीन काल से ही प्रत्येक मांगलिक अवसर पर जल देवता, जल स्रोत का पूजन-अर्चन किया जाता रहा है। रहीम जी की निम्न कविता भी यही इंगित करती है कि - जल बिना जग अधूरा है, जीवन में प्रतिष्ठा का पर्याय जल ही है।
प्रकृति ने मानव शरीर में भी 70 प्रतिशत जल एवं पृथ्वी पर भी 70 प्रतिशत भाग में जल प्रदान किया है। जल की आवश्यकता की पूर्ति करने हेतु ही मनुष्य प्राचीन काल से नदियों के तट पर निवास करता आया है। आज भी गंगा बेसिन में देश की एक तिहाई जनसंख्या निवास करती है। 1. जलीय गुणधर्म 1. 1 (क) रासायनिक संरचना :-जल का रासायनिक सूत्र H2O हैं। अर्थात् दो परमाणु हाइड्रोजन एवं एक परमाणु ऑक्सीजन मिलकर पानी का निर्माण करते हैं। प्रीस्टले (1781) ने हाईड्रोजन तथा ऑक्सीजन के मिश्रण में विद्युत स्पार्क कर प्रयोगशाला में जल का निर्माण किया था। पुनः प्रयोग में विद्युत प्रवाह करने पर उसने पाया कि जल के विघटन के पश्चात् हाइड्रोजन कैथोड पर एवं ऑक्सीजन ऐनोड पर संग्रहीत होती है। अत: जल हाइड्रोजन का ऑक्साइड है। जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है - H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है। 1. 2 (ख) pH :- स्वच्छ एवं शुद्ध जल की pH 7 होती है अर्थात् जल न ही अम्ल और न ही क्षार। समुद्री जल में लवणों की बहुतायत के कारण समुद्री जल खारा एवं कड़वा होता है। मुख्यतः समुद्री जल में क्लोराइड पाया जाता है। 1.2 (ग) पारदर्शिता एवं रंग :- स्वच्छ जल पूर्ण रूप से पारदर्शी एवं रंगहीन होता है। इसमें किसी प्रकार का रंग मिलाने पर उसी रंग का हो जाता है। जल का कोई आकार नहीं होता है एवं पात्र में डालने पर उसी आकार का हो जाता है। 1.2 (घ) गुरुजल (भारी जल) :- यूरे (1932) ने भारी जल की खोज की, जिसे डयूटीरियम ऑक्साइड D20 के नाम से जाना गया। यह साधारण जल में 1/5000 भाग में पाया जाता है। इसका प्रयोग मुख्यतः नाभिकीय भट्टियों में प्रशीतक के रूप में होता है। 1.2 (च) सार्वत्रिक विलायक :- कई पदार्थ पानी में आसानी से घुलनशील होते हैं, विलायकता अधिक होने के कारण ही इसे सार्वत्रिक विलायक कहा जाता है। यह किसी भी घुलनशील पदार्थ को अपने अन्दर घोलने की क्षमता रखता है। ये भी पढे:-जल संरक्षण की विधियां पृथ्वी पर जल की मात्रा एक अनुमान के अनुसार पृथ्वी पर जल की कुल मात्रा 1,460,106,000 घन किलो मी0 है। इसका 97.25 प्रतिशत भाग महासागरों एवं अन्तर्देशीय सागरों में एकत्रित है।
2. जलीय स्रोत 2.1 समुद्री जल :- समुद्री जल में घुलित लवणों का प्रतिशत 3.5 है एवं इसका घनत्व 2.75 ग्राम/घन से.मी. है। यह अत्यंत खारा एवं नमकीन होता है इसमें मुख्यतया ऑक्सीजन सल्फर क्लोराइड, सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम एवं कार्बन पाए जाते हैं। 2.2 सतही जल (नदियां एवं झीलें) :- वर्षा तथा हिमखंड के पिघलने से जल पर्वतों से धारा के रूप में मैदानी क्षेत्र में अनवरत गति से बहता रहता है, जबकि झीलों में मैदानी क्षेत्रों का जल वर्षा ऋतु में बहकर एकत्रित हो जाता है। पर्वतों से निस्तारित जल प्रारंभ में पूर्णतः स्वच्छ होता हैं, परन्तु मैदानी क्षेत्र में पहुँचते-2 इसमें घुलन एवं अघुलनशील अशुद्धियाँ मिल जाती हैं। मानवीय कृत्यों एवं उद्योगों के कारण नदियों में असंख्य कार्बनिक एवं अकार्बनिक अपद्रव्य, जीवाणु, मल-मूत्र मिल जाता है। जिससे यह जल निरंतर अशुद्ध होता रहता है। वर्षा ऋतु में नदियों में मृदा अपरदन के कारण यह जल मटमैला हो जाता है। 2.3 वर्षा जल :- वर्षा जल प्रकृति में उपलब्ध जल में से शुद्धतम जल है। यह समुद्र एवं अन्य सतही जल स्रोतों से वाष्पीकरण एवं संघनन से प्राप्त होता है। वर्तमान में वायु प्रदूषण के कारण वायुमंडल में उपस्थित गैसों जैसे - सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड एवं कार्बन डाइऑक्साइड से क्रिया कर यह अम्ल बना देता है। इसी कारण अमेरिका में अम्लीय वर्षा की कुछ घटनाएं हो चुकी हैं। 2.4 भूजल :- जब वर्षा जल भूमि की परतों से रिसकर भूगर्भ में एकत्रित होता रहता है। तब उसमें अनेक भूगर्भीय, भौतिक व रासायनिक प्रक्रमों से कैल्शियम, सोडियम, मैग्नीशियम, क्लोराइड, पोटेशियम, एल्युमिनियम तथा लौह जैसे तत्व के लवण मिल जाते है। मृदा में डाले गये उर्वरकों एवं कीटनाशकों का भी कुछ अंश रिसकर इसमें मिल जात्ता हैं। जिससे भूजल भी प्रदूषित हो जाता है। ये भी पढे:- जल संरक्षण की आवश्यकता 3. जलीय उपयोग 3.1 गृह कार्य, स्वच्छता एवं पेयजल :- पानी हमारी दैनिक दिनचर्या एवं घरेलू कार्य जैसे बर्तन साफ करना, कपड़े धोना, भोजन बनाना एवं सफाई कार्य में उपयोग होता है। स्वच्छ जल को ही पेयजल के रूप में उपयोग में लिया जाना चाहिए। यह जल पूर्णतः शुद्ध होना चाहिए। शहरों में गांव की अपेक्षा अधिक जल का प्रयोग होता है। शहरी भागों में प्रत्येक मनुष्य प्रतिदिन 150 ली. पानी का उपयोग करता है वही गाँव में यह केवल 50 ली. ही है। जल का उपयोग रहन-सहन एवं दैनिक आदतों पर भी निर्भर करता है यही कारण है कि अमेरिका जैसे विकसित देशों में विकासशील देशों की अपेक्षा तीन गुणा जल प्रति व्यक्ति द्वारा प्रतिदिन उपयोग में लाया जाता है। वहाँ केवल शौच कर्म में ही 10 ली0 एवं बाथटब स्नान में 200 ली. पानी व्यर्थ कर दिया जाता है। 3.2 औद्योगिक उपयोग :- किसी भी उद्योग को चलाने के लिए पानी अति आवश्यक है। कृत्रिम धागा रंगाई, कागज, शराब, खाद एवं खनिज तेल परिष्करण उद्योगों में जल अत्यधिक मात्रा में उपयोग होता है। प्रमुख उद्योगों में जल की आवश्यक मात्रा निम्न प्रकार है।
3.3 ताप विद्युत गृह :-
ये भी पढे:- पानी का अपना रंग क्यों नहीं होता है 3.4 रासायनिक अभिक्रिया :- जल का उपयोग रासायनिक अभिक्रियाओं में विलायक, शोधन, आसवन आदि कई प्रक्रियाओं में किया जाता है। रासायनिक उद्योगों में जल का महत्वपूर्ण स्थान है। 3.5 .उद्यान एवं वानिकी :- पेड़-पौधों के जीवन एवं वृद्धि के लिए जल अत्यधिक आवश्यक है। नगरीय निकायों द्वारा विकसित उद्यानों में जल का काफी उपयोग किया जाता है आजकल अधिकांश उद्योग भी अपने अपशिष्ट जल का शोधन करके उद्यान एवं वानिकी विकास में उपयोग कर रहे है। यह उद्यान शहरों में मनोरंजन का प्रमुख साधन है। 3.6. कृषि कार्य :- कृषि में मुख्यतया नहरी जल एवं भूजल उपयोग में लाया जाता है। पानी की आवश्यकता, प्रदेश की हवा, फसल के प्रकार एवं भूमि के उपजाऊपन पर निर्भर करती है। कृषकों द्वारा आधिकारिक फसल उगाने के कारण जल की आवश्यकता कई गुणा बढ़ गयी है एवं नलकूपों द्वारा भूजल के अत्यधिक दोहन से भूजल स्तर काफी नीचे पहुँच गया है। कई नलकूप हर वर्ष जलस्तर नीचे जाने के कारण बंद हो जाते हैं। जल क्या है यौगिक या मिश्रण?जल एक कार्बनिक यौगिक है जो ऑक्सीजन और हाइड्रोजन से बना है,यह ऑक्सीजन के 01 और हाइड्रोजन के 02अणुओं से मिलकर बनता है इसलिए इसका वैज्ञानिक नाम H2O है । जल पृथ्वी की सतह के 71% भाग को ढकता है[1].
क्या पानी मिश्रण है?जल एक यौगिक है, मिश्रण नहीं।
जल एक यौगिक है मिश्रण क्यों नहीं?दो या दो से अधिक रासायनिक तत्व रासायनिक रूप से मिलकर यौगिक बनाते हैं। तो, पानी एक यौगिक है चूँकि यह दो अलग-अलग तत्वों अर्थात् हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बना होता है जो सहसंयोजक बंधन से जुड़ा होता है।
पानी को एक यौगिक क्यों माना जाता है?यह एक ऐसा यौगिक है जो धरती पर ठोस, द्रव, तथा गैस यानी तीनों अवस्थाओं में मिलता है। पानी का एक अणु दो तत्वों; - हाइड्रोजन तथा आक्सीजन से बना होता है। जल के एक अणु में हाइड्रोजन के दो परमाणु तथा आक्सीजन का एक परमाणु का होता है। जल का अणुभार 18 होता है।
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